*सशक्त भू-कानून लाने पलायन रोकने एवं मूल निवास जैसे विषयों पर भराड़ीसैंण में बड़ा मंथन, जिसकी उत्तराखंड को थी चिर प्रतीक्षा वो घड़ी आ गयी, उत्तराखंड के इतिहास में मील का पत्थर सिद्ध होगी यह बैठक। ✍️ डाॅ0 हरीश मैखुरी
भू-कानून लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में विधानसभा भराड़ीसैंण में हुई महत्वपूर्ण बैठक। सशक्त भू-कानून पर गैरसैंण में बड़ा मंथन। बैठक में उतराखंड के पर्वतीय जनपदों से हो रहे पलायन भारी पलायन और मूल निवास जैसे विषय भी उठे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को विधानसभा भवन भराड़ीसैंण में उत्तराखण्ड में कठोर भू-कानून और मूल निवास के सम्बन्ध में भू कानून के लिए बनाई गई समिति एवं अन्य पूर्व उच्चाधिकारियों एवं बुद्धिजीवियों के साथ भू कानून के ड्राफ्ट के प्रस्तावित ड्राफ्ट पर चर्चा की।
उत्तराखंड के हृदय स्थल गैरसैंण में हुआ यह मंथन पहाड़ के जनमानस के लिए अच्छे संकेत लेकर आया है।
उत्तराखंड वासियों और राज्य आन्दोलनकारियों की 24 वर्षों पुरानी भू कानून की मांग पर राज्य के रजत जयंती वर्ष में निश्चित रूप से कुछ बड़ा होने जा रहा है, ऐसा संकेत “गैरसैंण समिट” से निकलकर आया है।
भू कानून को लेकर लोगों के मन में बहुत से प्रश्न हैं और यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया भी है। पहाड़ में निवेश कैसे आएगा नए कानून में इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। कहीं ऐसा ना हो कि जन आकांक्षाओं को पूरा करने के चक्कर में पहाड़ों में निवेश पर विपरीत प्रभाव पड़े। गैरसैंण समिट में राज्य के प्रबुद्ध लोग बैठे हैं, तो उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य की मूल पहचान व स्वरूप को बचाने के साथ ही पहाड़ के सर्वांगीण विकास के बीच सामंजस्य बिठाने के महत्वपूर्ण सुझाव विद्वतजनों ने रखे होंगे। राज्य गठन के 25 साल बाद ही सही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी को इस बात के लिए साधुवाद कि उन्होंने जन भावनाओं को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दिखाई है।
उत्तराखंड के केन्द्र वर्ती स्थान भराडीसैण में हुई इस महत्वपूर्ण के बाद मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार भू कानून को लेकर अत्यंत गंभीर है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लागू होने वाले भू-कानून को जन भावनाओं के अनुरूप बनाए जाने की दिशा में काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस चर्चा में बहुत से अच्छे सुझाव आए हैं, जिन्हें भू कानून में सम्मिलित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एसडीएम और तहसीलदार स्तर पर भी भू कानून को लेकर जनता से सुझाव लिए जाएंगे, जिनमें से अच्छे सुझावों को इसमें रखा किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सशक्त भू कानून का ड्राफ्ट स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं और विकास के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है।
सरकार अच्छा काम करेगी तो प्रशंसा भी मिलेगी, अवांछित करेगी तो आलोचना भी होती ही है। इन दोनों पहलुओं के बीच धामी सरकार ने भराडीसैण में एक सकारात्मक पहल की। राज्य के दो सबसे ज्वलंत विषयों पर गंभीरता से मंथन हुआ। विषय थे ‘पलायन’ और ‘भू कानून’। अब तक यदा कदा होता आया है कि इन गंभीर मसलों पर किसी पांच सितारा होटल या फिर राज्य सचिवालय के एसी कमरों में ही चर्चा वार्ता हुई है लेकिन पहली बार यह मंथन गैरसैंण में हुआ वो भी विधानसभा भवन में। उस गैरसैंण में जिसे राज्य का आम जनमानस स्थायी राजधानी के रूप में पर देखता है।
यह भी सुखद है कि सीमांत जनपद चमोली में पहुंचकर बुद्धिजीवियों की अध्यक्षता स्वयं मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने की। अब तक हमने तो विधानसभा सत्र के मध्य ही भराड़ीसैंण में चहल-पहल देखी है। सामान्य दिनों में पहली बार यहां ऐसा सुन्दर दृश्य दिखा। सच तो यह है कि ‘पलायन’ और ‘भू कानून’ जैसे गहन विषयों पर निर्णय लेने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति चाहिए। हम पुष्कर सिंह धामी को आशभरी दृष्टि से देख सकते हैं क्योंकि अब उन्होंने धर्मांतरण और नकल विरोधी कानून जैसे बड़े निर्णय लिये हैं नकल विरोधी कठोर कानून ने नकल माफिया के अन्तर्राज्यीय नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया इस कारण पिछले तीन वर्षों में 18000 से अधिक युवाओं को सरकारी सेवा में अवसर मिला है। अब सरकारी सेवा में आने के लिए लेनदेन और जानपहचान वालों को नौकरी बांटने का खेल बीते समय की बात हो चुकी है। पारदर्शिता दिख रही है।
तब मैं सहारा टेलीविजन में था हमें याद है वर्ष 2012 में गैरसैंण में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने पहली बार कैबिनेट बैठक का आयोजन ब्लाक मुख्यालय गैरसैंण में किया था। यह पहल निरंतर आगे बढ़ी उसी पहल का परिणाम है कि आज गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में भव्य विधानसभा भवन विद्यमान है सचिवालय है। राज्यपाल आवास का कार्य प्रगति पर है। भराडीसैण ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित हो चुकी है। आगे स्थायी राजधानी की दिशा में भी पहल होगी ऐसी राज्य की जन आकांक्षा है, आज नहीं तो कल सरकार को यह करना ही पड़ेगा। आज ‘पलायन’ और ‘भू कानून’ पर हुई बैठक को भी हम इसी दिशा में शुभ संकेत मान रहे हैं।
बताया गया कि सशक्त भू-कानून लाने उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों से पलायन रोकने एवं कुछ सदस्यों द्वारा मूल निवास विषय पर गैरसैंण में बड़ा मंथन हुआ है। जिसके सकारात्मक परिणाम आने तय समझे जा रहे हैं। लगता है उत्तराखंड को जिसकी थी चिर प्रतीक्षा वो घड़ी आ गयी। हम चाहेंगे कि सरकार प्रतिवर्ष भराड़ी शहर में 9 नवंबर को ऐसी ही बैठक आयोजित करें और उसमें उत्तराखंड को भारत की सांस्कृतिक विरासत का राज्य बनाने उत्तराखंड में हर गांव में गुरूकुल खोलने और यहां के बद्री गाय के गोपालकों को प्रतिवर्ष ₹1000 प्रति माह प्रति गाई देने के लिए भी कार्य योजना बनाये। गो पालन और गुरूकुल पूरे संसार का ध्यान उत्तराखंड की ओर आकर्षित करेंगे। उत्तराखंड में एक नालंदा या तक्षशिला शारदा स्तर का संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित हो। जहाँ से पूरे संसार के लिए विद्वान आचार्य मिल सकें।
बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूडी, पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पाण्डेय, सुभाष कुमार, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, बीपी पाण्डेय, पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, एस.एन. पाण्डेय सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।