उपनल की नियुक्ति तो बहाना है असल में तो अग्रवाल पर निशाना है

हरीश मैखुरी

उत्तराखंड में  सैनिकों के आश्रितों को रोजगार देने के उद्देश्य से स्थापित उपनल संस्था और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। इन दिनों उत्तराखंड के विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल के बेटे को उपनल के माध्यम से नौकरी दिए जाने को लेकर मीडिया और जनप्रतिनिधि उपनल को लेकर खासा बबाल काट रहे हैं, लेकिन असल बात यह है कि अपने स्थापना काल से लेकर आज तक उपनल नामक इस संस्था ने अधिकांश केसों में सिर्फ सिफारिश के आधार पर ही नौकरी दी है। हमारे एक परिचित उपनल के माध्यम से एक विभाग में संविदा कर्मी हैं। वे कहते हैं कि उपनल में या तो पंहुच से लगते हैं या पंहुचा कर लगते हैं कोई इसके अलावा कोई पारदर्शीता नहीं।  कभी ऐसी विज्ञप्ति नहीं दिखी जिसमें किसी संस्था में नियुक्ति के लिए बेरोजगारों से सार्वजनिक माध्यमों पर आवेदन आमंत्रित किया हो। दरअसल जिस उद्देश्य से स्थापना की गयी थी उपनल ने सिर्फ वही नहीं किया। पीयूष अग्रवाल की नियुक्ति के सम्बन्ध में उपनल अधिकारियों  का कहना है कि यह नियुक्ति नियमानुसार हुई है। इधर प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रेस के माध्यम से इसे महज एक संयोग बताया, उनका कहना था कि इंजीनियर बेटे ने आवेदन किया और उसका सलेक्शन हो गया यह महज एक संयोग है इसमें  सिफारिश जैसा विषय कतई नहीं है। उन्होंने कहा कि इसको राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।

दर असल नियुक्ति के बहाने प्रेमचंद अग्रवाल को तारगेट किया जाना राजनीति प्रेरित भी लगता है। प्रेमचंद अग्रवाल भाजपा के  उन चंद नेताओं में शुमार हैं जो गैरसैंण स्थाई राजधानी के पक्ष में दिखते हैं,तथा अनेक नेताओं से ज्यादा दमखम भी रखते हैं। और अपनी बात बिना लाग लपेट के पूरी सादगी से रखने के लिए जाने जाते हैं।  बस यही बात कुछ मीडिया महारथियों और मठाधीशों को खटक गयी है। वर्ना सालों से उपनल में इसी तरह नियुक्तियां होती रही हैं तब कहां सोये रहते ? सच्चाई ये है कि विधानसभा अध्यक्ष अपने सगे को उपनल जैसी संस्था में ऐड़ी घिसवाने की बजाय पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल की भांति सीधे नियुक्ति दिलाने में सक्षम होने के बावजूद निर्धारित प्रक्रिया अपनाने में यकीन रखते हैं। मजेदार बात ये है कि अन्दर खाने प्रेमचंद अग्रवाल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा झेल रहे हों लेकिन अब कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह खुल कर अग्रवाल के पक्ष में आ गये हैं और उन्होंने कहा कि ” किसी नेता के रिश्तेदारों को नौकरी मिलना अपराध कब से होगया? ऐसे तो नेताओं के रिश्तेदार होना अभिशाप हो जायेगा” 

बताया जा रहा है कि तमाम अखबारी मनगढ़ंत आरोपों से खिन्न होने और अपने पिता की छवि को बरकरार रखने की खातिर पीयूष अग्रवाल ने उपनल की यह नौकरी छोड़ दी है। अब देखने वाली बात ये है एक के नौकरी छोड़कर कर जाने से 100 लोगों को नौकरी मिलेगी क्या? यह एक प्रतिभा का गला घोटने जैसा है निश्चित रूप से अवसर की समानता सबके लिए बराबर होनी चाहिए चाहे वह आम हो या खास।

इधर प्रेमचंद अग्रवाल ने डेमेज कंट्रोल करते हुए अपना पक्ष रखा है उसे हम ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर रहे हैं 

मा० अध्यक्ष , विधानसभा का वक्तव्य :-
पिछले कुछ दिनों से कुछ समाचार पत्रों के द्वारा मेरे पुत्र की उपनल द्वारा संविदा में जल संस्थान में हुई अस्थाई नियुक्ति को लेकर भाँति भाँति समाचार प्रकाशित किये जा रहे है । मैं व्यक्तिगत रुप से प्रेस की स्वतंत्रता का घोर समर्थक रहा हूँ और समय -समय पर प्रेस की आजादी को लेकर लडता रहा हूँ । मुझे आश्चर्य है । कि बिना मेरा पक्ष जाने बगैर कुछ अखबारों ने इस मसले में मेरा नाम घसीट कर मुझे आहात किया है ।
मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरा पुत्र बालिग है शिक्षित- प्रशिक्षित व संस्कारित है और अपनी क्षमता एंवम रूचि के अनुसार कही आवेदन करने तथा नियुक्ति पाने का हकदार है । अगर वह बिना किसी मेरे प्रभाव के स्वल्प मानदेय पर किसी विभाग में ठेकेदारी प्रथा द्वारा कार्य करता है तो यह उसका व्यक्तिगत निर्णय है । और इससे मेरा कोई लेना -देना नही है ।
वर्तमान समय में राजनीति में शामिल लोगों के पुत्र – पुत्रियां अमूमन स्वल्प वेतन पर ठेकेदारी प्रथा पर काम नही करते , मीडिया द्वारा समय समय पर प्रकाशित होता रहा है कि राजनीति से जुडे लोगों की संतान व रिश्तेदार ठेकेदारी ,खनन ओर अन्य तरह के अवैध धन्धों में सम्मलित रहते है । मेरे ढेड दशक की विधायकी के साथ 38 वर्ष के राजनैतिक जीवन मे कोई भी आरोप नही लगे ।मेरा पुत्र अगर कोन्टेक्ट के आधार नोकरी कर रहा है तो केवल इसलिए कि मैंने अपने प्रभाव की आड़ में कुछ लाभ लेने को स्पष्ट मना कर रखा है । अब अगर कोई यह कहे कि मेरा पुत्र उपनल के द्वारा नोकरी करते हुये अपनी जीविका अर्जित करने से कुछ अनुचित कर रहा है तो इसके विषय में आश्चर्य प्रकट करने के मैं क्या कर सकता हूं । मेरा आग्रह केवल इतना है कि तथ्यों को सनसनीखेज बनाकर मेरी प्रतिष्ठा को क्षति पंहुचाने का यह उपक्रम बंद किया जाए । मेरे पुत्र पीयूष अग्रवाल ने मेरी छवि पर लगातार हो रहे प्रहार के कारण स्वतः ही शानिवार श्याम को उपनल में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है अतःये विषय सम्पात शमझा जाए ।
सभी प्रदेश वासियो को मेरा प्रणाम ।।।