निर्मल और अविरल गंगा के लिए प्रो स्वामी सानन्द हुए शहीद

हरीश मैखुरी

पुराण में आख्यान आया है कि कलयुग के प्रथम चरण में ग्राम देवता और द्वितीय चरण में गंगा धरती से लुप्त हो जायेगी, सभी ज्ञानीजन इस बात को जानते हैं। इसी के मध्येनजर निर्मल गंगा अविरल गंगा की असली लड़ाई लड़ रहे प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) नशन करते हुए गंगा प्रोटेक्शन एक्ट बनाने हेतु 11 अक्टूबर 2018 को शहीद हो गए। वे 22 जून 2018 से गंगा दशहरा के दिन से गंगा की अविरलता व सुरक्षा हेतु कानून बनाने की मांग को लेकर अनशन पर थे। ऋषिकेश आयुर्विज्ञान संस्थान में प्राण त्यागने से पहले ही वे अपना शरीर भी एक चिकित्सा संस्थान कर चुके हैं । गंगा पुत्र को जबरन उठा कर अस्पताल ले जाने के लिए आश्रम क्षेत्र में धारा 144 लगाई गई थी ताकि वहां लोग इकट्ठा न हो सकें , जबकि 111 दिन से भूखे प्यासे और निर्बल हो चुके संत को पुलिस बलात उठाकर अस्पताल ले गयी, यदि सरकार उन्हें समय से उठा लेती तो उनकी जान बच सकती थी, यह एक तरह से स्वामी सानंद की हत्या जैसा ही है। समझा जाता है कि सरकार न केवल गंगा पर बड़े बांध बनाने वाली कंपनियों के झांसे में आगयी, बल्कि गंगा पर ऋषिकेश हरिद्वार के आश्रमों तथा होटलों के अतिक्रमण व गंदगी से लेकर कानपुर के कसाई खानों का रौरव नारकीय पशु हत्या अवशिष्ट गंदगी गंगा में डालने वाले धूर्तों और गंगा सागर तक की फैक्ट्री माफियों के आगे सरकार ने आत्मसमर्पण कर दिया। इसीलिए जानबूझकर स्वामी सानन्द को इतने दिन उनके हाल पर छोड़े रखा। उन्हें मिलने काशी बनारस से स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सहित देश के सैकड़ों गंगा प्रेमी आये, लेकिन गंगा सफाई का ढोल पीटने वाले और गंगा के कथित पुत्रों दोनों  पक्षों ने उनकी  घोरतम उपेक्षा की। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से प्रोफेसर सानंद का बहुत स्नेह और आत्मीय अनुराग रहा, इसलिए उनकी मौत पर स्वामी अविमुक्तेश्वरा नंद ने सीबीआई जांच की मांग की है।

स्वामी ज्ञानस्वरूप सानन्द का जन्म 20 जुलाई 1932 को उतर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के किसान परिवार में हुआ, उनका मूल नाम जी डी अग्रवाल था। वे महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के मानद प्राध्यापक रहे । गंगा की अविरलता और भागीरथी नदी पर बांध निर्माण रुकवाने के लिये उन्होंने 2009 में भी अनशन किया जो तब काफी सफल और चर्चित रहा इसके बाद गंगा नदी पर कोटगी भेल सहित 9 बांध परियोजनायें बंद भी हुई। महात्मा गांधी  के अनुचर रहे प्रोफेसर जी डी अग्रवाल ने वर्ष 2011 में सन्यास धारण कर लिया था , उन्होंने जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी से सन्यास की दीक्षा ली थी। आमरण अनशन के 109 वें दिन उन्होंने कहा “हमने प्रधानमंत्री और जलसंसाधन मंत्रालय को अनेक पत्र भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, अब मैं अपनी तपस्या को आगे बढ़ाते हुए गंगा नदी के लिए आत्मोत्सर्ग करूंगा” और उन्होंने गंगा प्रोटेक्शन एक्ट के लिए अपने प्राणों की आहुति देदी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर उनकी मृत्यु पर भारी दुख जताते हुए श्रध्दांजलि दी। प्रो. जीडी अग्रवाल आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग में परास्नातक और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी थे। वे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य, कानपुर आईआईटी सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के अध्यक्ष और पंडित मदन मोहन मालवीय की संस्था ‘गंगा महासभा’ के संरक्षक भी रहे। गंगा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले ऐसे महान संत को ब्रेकिंग उत्तराखंड डाट काम न्यूज पोर्टल टीम की ओर से नमन एवं श्रध्दांजलि। १२ जुलाई को हरिद्वार मातृ सदन के स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की पुलिस गिरफ्तारी मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया, और इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को आदेश दिए कि वे 12 घंटों के भीतर स्वामी से मिलकर उनकी मांगों को पूरा करें, मगर इतनी सारी कवायद और गंगा सफाई के नाम पर राजीव गांधी सरकार से लेकर अबकी मोदी सरकार तक अरबों रूपये ठिकाने लगाये जाने के बाद भी गंगा नदी की स्थिति सबके सम्मुख है। सनद रहे इससे पूर्व स्वामी निगमानंद भी पहले 72 और बाद में 1 15 दिन अनशन करते हुए गंगा के लिए अपनी शहादत दे चुके हैं। और इन शहादत के सबक साफ हैं कि सरकारों की रुचि गंगा सफाई के नाम पर अरबों रूपये की परियोजनाओं पर तो है लेकिन गंगा के लिए धरातल पर काम करने में नहीं। अन्यथा सरकार को प्रोटेक्शन गंगा एक्ट बनाने में देर नहीं करनी चाहिए। क्योंकि नदी साईट कंट्रोल एक्ट नदियों की पवित्रता गंदगी और अतिक्रमण रोकने में पूरी तरह से असफल रहा है और अधिकांश लोगों को इस एक्ट की जानकारी तक नहीं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तो विकास कार्यों में रोड़े तो अटकाता है लेकिन नदियों व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कुछ कर नहीं पा रहा। गंगा नदी को बचाने के लिए आवश्यक है कि गंगा के दौनों तरफ के 100 मीटर अतिक्रमण पर डोजर चलाया जाय। नदी में सीवरेज डालने वालों पर तत्काल भारी जुर्माना और आजीवन सश्रम कारावास की सजा हो और इसके सभी दोषी गंगा सफाई हेतु बतौर श्रमिक कार्य करें , गंगा सहित देश की सभी नदियों के दौनों पाटों पर 200 मीटर की दूरी तक सघन जंगल विकसित किया जाय और यहां किसी भी पेड़ पर हथियार चलाना पूरी तरह प्रतिबंधित हो। प्लास्टिक पालीथिन थैलियां और कुरकुरे चिप्स पान मशाले गुठके पैकेट प्रतिबंधित कर दिया जाय क्यों कि इससे नदियां और समुद्र विनाशकारी रूप से प्रदूषित हो रहे हैं।