श्री बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति उत्सव उल्लासपूर्वक मनाया गया, संस्कृत भारती द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय गोष्ठी में मुख्यमंत्री ने कहा देववाणी संस्कृत देवभूमि की गौरव

*श्री बदरीनाथ धाम यात्रा 2024*

*श्री बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति उत्सव उल्लासपूर्वक मनाया गया।*

 • *श्री बदरीनाथ धाम में मौसम साफ रहा धूप खिली, बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता मूर्ति मंदिर दर्शन को पहुंचे*

• श्री उद्धव जी एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी सेना के बैंड के साथ समारोह पूर्वक माता मूर्ति मंदिर पहुंची 

• माता मूर्ति से भेंट, अभिषेक पूजा- अर्चना, श्रद्धालुओं को दर्शन देने के बाद देव डोलियां अपराह्न को बदरीनाथ धाम वापस आयी।

श्री बदरीनाथ धाम: 15 सितंबर। श्री बदरीनाथ धाम में इस यात्रा वर्ष भाद्रपद बामन द्वादशी तिथि के अवसर पर माता मूर्ति उत्सव आज रविवार को उल्लासपूर्वक मनाया गया। श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी )ने माता मूर्ति उत्सव के लिए तैयारियां की गयी थी। दो-तीन दिन लगातार बारिश के बाद आज श्री बदरीनाथ धाम में मौसम साफ रहा तथा धूप खिली रही। हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता मूर्ति मंदिर दर्शन को पहुंचे। वही मंदिर समिति के अधीनस्थ मंदिर त्रियुगीनारायण ( गुप्तकाशी- रूद्रप्रयाग)में भी बामन द्वादशी महोत्सव शुरू हो गया है। वामन द्वादशी के अवसर पर श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सभी श्रद्धालुजनों- तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं दी है।

बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति उत्सव के तहत आज रविवार प्रातः बदरीनाथ मंदिर में बाल भोग के बाद पूर्वाह्न 10 बजे गढ़वाल राइफल्स के बैंड, ढोल नगाड़ों की भक्तिमय धुनों एवं जय बदरीविशाल के उदघोष के साथ भगवान बदरीविशाल के प्रतिनिधि श्री उद्धव‌ जी तथा आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी माता मूर्ति मंदिर के लिए रवाना हुई।

देव डोलियों के साथ बदरीनाथ धाम के रावल अमरनाथ नंबूदरी, पूर्व रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी सहित बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार, सदस्य भास्कर डिमरी,बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल,प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल,मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, वेदपाठी रविंद्र भट्ट नायब रावल सूर्यराग नंबूदरी, मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ अमित बंदोलिया,सहित मंदिर समिति अधिकारी कर्मचारी, पुलिस प्रशासन आईटीबीपी के अधिकारी एवं जवान भी माता मूर्ति मंदिर पहुंचें।

माता मूर्ति मंदिर पहुंच कर श्री उद्धव जी ने माता मूर्ति की कुशलक्षेम पूछी तथा भगवान बदरीविशाल की कुशलता से माता मूर्ति को अवगत कराया। रावल, धर्माधिकारी, वेदपाठियों तथा माता मूर्ति के पुजारी सुशील डिमरी द्वारा अभिषेक पूजा-अर्चना संपन्न हुई। इस अवसर सात हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने माता मूर्ति एवं देव डोलियों के दर्शन किये तथा प्रसाद प्राप्त किया।

इससे पहले आईटीबीपी केंप के निकट देश के पहले गांव माणा पंचायत प्रधान पीताम्बर मोल्फा के साथ महिला मंडल माणा की महिलाओं ने श्री उद्धव जी को जौ की हरियाली भेंट की इस अवसर पर आईटीबीपी, तथा असम राइफल्स एवं श्रद्धालुओं की ओर से वृहत्त भंडारे का आयोजन किया गया था।

दिन के भोग के बाद अपराह्न तीन बजे श्री उद्धव जी की देव डोली एवं आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी वापस श्री बदरीनाथ धाम आ गयी। श्री उद्धव जी बदरीश पंचायत में विराजमान हो गये तथा आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी मंदिर परिसर में विराजमान हो गयी।इस दौरान प्रातः दस बजे दिन के बाद शायं तीन बजे तक श्री बदरीनाथ मंदिर बंद रहा।

 बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि देव डोलियों के श्री बदरीनाथ पहुंचते ही शायंकाल तीन बजे बाद पुनः मंदिर श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए खुल गया।आज रविवार शाम को श्री कुबेर जी का श्री बदरीनाथ मंदिर के अंदर सभामंडप में देवस्नान (गारू) भी संपन्न होगा जिसमें देव पश्वा सहित बामणी गांव श्रद्धालु भी मंदिर पहुंचेंगे।

उल्लेखनीय है कि श्री बदरीनाथ धाम में भगवान बदरीविशाल योग मुद्रा में तपस्यारत है। फलस्वरूप प्रत्येक वर्ष की तरह भाद्रपद वामन द्वादशी तिथि भगवान बदरीविशाल की ओर से उनके प्रतिनिधि एवं सखा श्री उद्धव जी भगवान बदरीनाथ जी की माता मूर्ति देवी के कुशल क्षेम जानने को माणा स्थिति माता मूर्ति मंदिर जाते है । इससे पहले कल बीते शनिवार शाम को सीमांत गांव माणा से भगवान बदरीविशाल के क्षेत्रपाल श्री घंटाकर्ण जी भगवान बदरीनाथ को मातमूर्ति आने का न्यौता देने श्री बदरीनाथ मंदिर पहुंचे थे।

 इससे पहले बदरीनाथ धाम में नारद उत्सव एवं नंदाष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया।

इस अवसर पर बदरीनाथ में चतुर्मास कर रहे वकील स्वामी, पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल,सहित राजेंद्र सेमवाल, जगमोहन बर्त्वाल, विश्वनाथ,अजीत भंडारी संजय थपलियाल, प्रकाश भुजवाण, सत्यैन्द्र चौहान, रघुवीर पुंडीर,कुलानंद पंत,राजेंद्र पुरोहित,हरीश भंडारी विकास सनवाल, हरीश जोशी,सतीश मैखुरी, सहित देव डोलियों पर रैक्वाल थोक से भागवत सिंह पंवार कमदी थोक से राघव पंवार एवं डिमरी समुदाय से अंकित डिमरी, हरीश डिमरी, अमित डिमरी, सुनील डिमरी, अरविंद डिमरी आदि भी मौजूद रहे।

मंदिर समिति के अधीनस्थ श्री त्रियुगीनारायण मंदिर में भी बामन द्वादशी के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्री त्रियुगीनारायण भगवान के दर्शन किये।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को व्यास मंदिर, भूपतवाला,हरिपुरकलां, देहरादून में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय गोष्ठी’ के शुभारंभ सत्र में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने श्री वेद व्यास मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश में सुख शांति की कामना की। 

मुख्यमंत्री ने संगोष्ठी में देशभर से आए लोगों का देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृत भारती का हर सदस्य संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह राज्य का गौरव है कि देववाणी संस्कृत देवभूमि उत्तराखण्ड की द्वितीय राजभाषा है।संस्कृत भाषा अभिव्यक्ति का साधन एवं मनुष्य के संपूर्ण विकास की कुंजी भी है। संस्कृत भाषा से ही मानव सभ्यताएं विकसित हुई हैं। ऋग्वेद को भी संस्कृत में लिखा गया था। आज यह भाषा साहित्य के अन्य क्षेत्रों में भी वृहद स्तर पर अभिव्यक्ति का साधन बन गई है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं उसे अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा गैरसैंण में आयोजित हुए विधानसभा सत्र के दौरान संस्कृत संभाषण शिविर चलाकर सभी मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों को संस्कृत बोलने के लिए प्रेरित किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत प्रदेश में कक्षा 1 से 5 तक संस्कृत पाठशालाएं प्रारंभ की जा रही है। सभी बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट पर स्थित बोर्ड को हिंदी के साथ संस्कृत में लिखा जाए, इस प्रकार के प्रयास जारी हैं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल के समस्त वेद, पुराणों और शास्त्रों की रचना संस्कृत में की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है। उन्होंने कहा साहित्य से लेकर विज्ञान तक, धर्म से लेकर आध्यात्म तक और खगोलशास्त्र से लेकर शल्य चिकित्सा तक, हर क्षेत्र से जुड़े ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। हजारों साल पहले भारतीयों ने उत्कृष्ट ज्ञान के चलते पंचांग, ग्रहों और नक्षत्रों की जानकारी जुटा ली थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य भाषाओं की तुलना में संस्कृत के स्वर और व्यंजनो की संख्या अधिक है। संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसके शब्दों के आगे – पीछे हो जाने से वाक्य के भाव में कोई अन्तर नहीं आता। उन्होंने कहा संस्कृत भाषा का शब्द भण्डार भी बहुत वृहद है। उन्होंने कहा विष्णु सहस्रनाम में भगवान विष्णु के 1000 नाम लिखे गए हैं, ऐसे ही ललिता सहस्रनाम और शिव सहस्रनाम भी है। यह सिर्फ संस्कृत में ही संभव है कि किसी नाम के एक हजार पर्यायवाची हो। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनेकों यूरोपीय भाषाओं के अनेकों शब्द संस्कृत से ही प्रभावित दिखाई देते हैं। संस्कृत अत्यंत ही समृद्ध, सरल और व्यवहारिक भाषा है। उन्होंने कहा कई सदियों तक विदेशी आक्रांताओं का शासन होने के कारण हम अभी संस्कृत भाषा से दूर होते चले गए। हमें एकजुट होकर अपनी मूलभाषा देववाणी संस्कृत को पुनः मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना है। उन्होंने कहा निश्चित रूप यह कार्यक्रम इस दिशा में एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ेगा। उन्होंने कहा संस्कृत भारती संस्कृत को पुनः आम बोलचाल की भाषा बनाने के लिए भारत के साथ ही कई अन्य देशों में संस्कृत के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहा है।

इस अवसर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, प्रो. गोपबन्धु , श्री दिनेश कामत, श्री के. श्रीनिवास प्रभु, श्रीमती जानकी त्रिपाठी, एवं अन्य लोग मौजूद रहे।