इसी प्रकार नेपाल के वामपंथी प्रधानमंत्री ने चीन के इशारे पर अपने पारंपरिक मित्र भारत के क्षेत्रों पर दावा ठोककर और भारत पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाकर भारत की मोदी सरकार की त्योरियां चढ़वा दी थीं,
परिणाम स्वरूप भाजपा सरकार ने भी नेपाल की चाय व् वेजिटेबल ऑयल के लिए भारत के बाजार कुछ समय के लिए बंद कर दिये,
अब नेपाल की वामपंथी सरकार और उनके प्रधानमंत्री को अपने ही देश मे नेपाल के नागरिकों व् नेपाल के राजनीतिक विपक्ष की आलोचना झेलनी पड़ी और तीखी बैकलैश के बाद अब नेपाल की वामपंथी सरकार ने नेपाल के अधिकारी नक्शे जिसमे भारतीय भूभाग पर दावा किया गया था उसे आधिकारिक स्वीकृति देने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है और भारत मे मोदी सरकार को पत्र लिखकर नेपाली चाय और वेजिटेबल ऑयल्स के लिए पुनः भारतीय बाजार खोलने का विनम्र निवेदन किया है।
इस घटनाक्रम के बाद भारत मे बैठे कट्टर प्रजाति वाले हिंदुओं, क्रिस्लामोकॉमियों और कांग्रेस व उसके सहयोगी राजनीतिक दल, जिस तरह नेपाल की आढ़ लेकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरने का प्रयास कर मोदी नीत भाजपा सरकार की विदेश नीति व् कूटनीति की आलोचना करते फिर रहे थे इससे वे पुनः गलत साबित हुए। इस डेवलपमेंट के बाद विपक्ष की प्रतिक्रिया क्या होगी ये दिलचस्प होगा ।