आज का पंचाग, आपका राशि फल, जन्मवार के अनुसार जानें व्यक्ति का स्वभाव, बद्रीविशाल में धर्मराज भारती का उपवास, विल्व वृक्ष के निकट होते हैं ये अद्भुत लाभ, पौड़ी खाटली का दीबा देवी मंदिर जहां आज भी होते हैं साक्षात दर्शन

🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे।*चन्द्रमा की स्तुति* :–
*दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् नमामि शशिनं सोमम् शम्भो मुकुट भूषणम्।। हिन्दी ब्याख्या:–दधि शंख अथवा हिम के समान जिनकी दीप्ति है जिन की उत्पत्ति क्षीर समुद्र से हैं जो शिवजी के मुकुट पर अलंकार की तरह विराजमान रहते हैं मैं उन चंद्रदेव को प्रणाम करता हूं।।चन्द्र गायत्री मंत्र:–🕉️ *अत्रिपुत्राय विद्महे सागरोद्भवाय धीज्ञहि तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्* ।।
यथाशक्ति चंद्र गायत्री का जप करने के बाद पलाश युक्त पायस घी से दशांश हवन करें चंद्रदेव एवं भगवान शंकर आपकी समस्त मनोकामना को पूर्ण करेंगे।।।
आपका✍️ *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली 
✡️दैनिक पंचांग🕉️
✡️वीर विक्रमादित्य संवत् ✡️
✡️2078 🕉️
✡️ज्येष्ठ मासे ✡️
✡️18 प्रविष्टे गते ✡️
✡️दिनांक ✡️ :31 – 05 – 2021(सोमवार)✡️
सूर्योदय :05.44 पूर्वाह्न
सूर्यास्त :07.04 अपराह्न
सूर्य राशि :वृषभ
चन्द्रोदय :12.07 पूर्वाह्न
चंद्रास्त :11.25 पूर्वाह्न
चन्द्र राशि :मकर कल 03:59 पूर्वाह्न तक, बाद में कुंभ
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :बैशाख 20
पूर्णिमांत महीना :ज्येष्ठ 5
पक्ष :कृष्ण 6
तिथि :पंचमी 2.12 पूर्वाह्न तक, बाद में षष्ठी
नक्षत्र :श्रवण 4.01 अपराह्न तक, बाद में धनिष्ठा
योग :ब्रह्म 6.03 पूर्वाह्न तक, बाद में इन्द्र
करण :गर 1:33 अपराह्न तक, बाद में वणिज
राहु काल :7.30 पूर्वाह्न-से- 9.10 पूर्वाह्न-तक
कुलिक काल :2.11 अपराह्न से – 3.52 अपराह्न तक
यमगण्ड :10.51 पूर्वाह्न-से – 12.31 अपराह्न तक
अभिजीत मुहूर्त :11.57 पूर्वाह्न-से – 12.50 अपराह्न तक
दुर्मुहूर्त :12:51 अपराह्न से – 01:44 अपराह्न तक, 03:31 अपराह्न से – 04:24 अपराह्न तक
✍️चक्रधर प्रसाद शास्त्री: 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
✡️आज के लिए राशिफल (31-05-2021) ✡️
✡️मेष✡️31-05-2021
कई दिनों से रुके काम भी पूरे हो सकते हैं। पारिवारिक संबंध मधुर रहेंगे। अपनी प्रतिष्ठा सुधारने का अवसरभी आपको मिल सकता है। सोचे हुए काम पूरे हो सकते हैं। आपके लिए दिन उत्साहवर्धक है और मनोरंजन भी होता रहेगा। परिवार से जुड़े मामलों पर आपको ध्यान देना होगा। कुछ पारिवारिक विगडे काम सुलझ सकते हैं। शादीशुदा लोगों को सुख मिल सकता है। प्रेम बढ़ेगा। पुरानी बीमारियों में थोड़ा आराम मिल सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️वृष ✡️31-05-2021
आपकी लोकप्रियता अपने चरम पर होगी और आप बहुत महत्वपूर्ण लोगो के साथ संपर्क स्थापित कर सकते हैं। आपके दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगड़ पाएंगे। व्यावसायिक क्षेत्र में आप नेतृत्व करने की स्थिति में रहेंगे। सामाजिक लोकप्रियता के चलते आप आकर्षण का केंद्र बनेंगे। आर्थिक पक्ष यथावत रहेगा। आपका पारिवारिक-जीवन शांतिपूर्ण और खुशी का रहेगा। आपका जीवनसाथी और बच्चे आपके प्रति बहुत स्नेही होंगे। परिवार में कुछ शुभ समारोह हो सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️मिथुन ✡️31-05-2021
निवेश लाभकारी रहेगा और समृद्धि लेकर आएगा। मानसिक परेशानियों में कुछ कमी आ सकती है तथा आज प्रसन्न रह सकते हैं। आपके प्रेम संबंधों में मधुरता आएगी। आप अपना अच्छा समय परिवार के लोगों के साथ बिता सकते हैं। आपके पारिवारिक जीवन में सुख और शांति बनी रहेगी। मिथुन राशि वाले लोग दयालु और उदारता का व्यवहार कर सकते हैं। मानसिक व्यग्रता और शारीरिक अस्वस्थता रहेगी। केवल सकारात्मक विचारों को ही दिमाग में आने दें।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : ग्रे रंग
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✡️कर्क ✡️31-05-2021
आज माता-पिता की सलाह आपके लिए लाभदायक साबित हो सकती है। संतान की ओर से भी कुछ महत्वपूर्ण समाचार मिल सकता है। लेकिन गंभीर मामलों को आपको शांति और बातचीत से सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। आज आप थोड़े भावुक भी हो सकते हैं, लेकिन आपको इससे बचना चाहिए। साथ ही कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। प्रेमिका
के साथ रिश्ते अधिक अच्छे रहेंगे। आप कहीं घूमने की योजना कर सकते हैं। कुल मिलाकर आपका दिन ठीक-ठाक रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️सिंह ✡️31-05-2021
परिवार में सुख-शांति बढ़ेगी। कार्यक्षेत्र में नए समझौतेऔर समझौते होने की संभावना है। सामाजिक कामकाज में सम्मान मिल सकता है। किसी अच्छे दोस्त से भेंट होने के योग बन रहे हैं। आपका ध्यान किसी दूर स्थान पर ज्यादा रहेगा। कार्यालय में कोई व्यक्ति गुप्त रूप से आपकी मदद कर सकता है। प्रेमलीला के अच्छे अवसर मिलने के योग हैं। सहयोगी आपको आर्थिक मदद कर सकता है। आज आप साथ काम करने वाले की तरफ आकर्षित हो सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️कन्या✡️31-05-2021
पिता-पुत्र के संबंध बिगड़ने से आप बहुत परेशान हो सकते हैं और भावनात्मक रूप से असहाय हो सकते हैं। कानूनी या विभागीय कार्यवाही आपको चिंतित कर सकती है। आप दूर या विदेशी स्थानों के लोगों के साथ व्यापार में हानि उठा सकते हैं। आप में से कुछ विदेश में रहने का विकल्प चुन सकते हैं। माँ या मातृ पक्ष के रिश्तेदारों के साथ आपका रिश्ता अवनतहो सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️तुला ✡️31-05-2021
लंबे समय से अटके क्षतिपूर्ति और ऋण आदि आखिरकार आज आपको मिल जाएंगे। असमंजस की स्थिति तथा अनावश्यक सोच आपके कार्य में व्यवधान उत्पन्न कर सकती है, इसलिए आप अनावश्यक सोच में न पड़ें। आपको अपने दिन की शुरुआत योग और प्रभातफेरी से करनी चाहिए। परिवाजनों एवं संतानों से मनमुटाव हो सकती है। अगर आप किसी गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे तो आपके सारे कष्ट दूर हो जायेंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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✡️वृश्चिक ✡️31-05-2021
आज कोई शुभ समाचार मिलने के योग नजर आ रहे हैं। आज किसी पुराने मित्र से मुलाकात की संभावना है, जिससे आपको भविष्य में बड़े फायदे हो सकते हैं। आज आपका पूरा ध्यान अपने भविष्य को आगे बढ़ाने पर रहेगा। किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करके आपको काफी अच्छा अनुभव होगा। जीवनसाथी के साथ किसी यात्रा का प्लान बनायेंगे। आप व्यापार को आगे बढ़ाने के बारे में भी कुछ सोच सकते हैं। अपने मस्तक पर चंदन का तिलक लगाएं, ब्यवसाय में आपको लाभ सुनिश्चित होगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : हल्का नीला
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✡️धनु ✡️31-05-2021
रोजमर्रा के काम पूरे होने के योग हैं। आपके काम बनते चले जाएंगे। सोच-समझकर फैसले लेने से ही फायदा हो सकता है। पैसों की स्थिति में अच्छे खासे बदलाव के मौके मिल सकते हैं। परिवार, समाज में आपका महत्व बढ़ेगा। प्रेम संबंधों में सफलता मिलेगी। जीवनसाथी के साथआपके संबंध और अधिक अच्छे हो सकते हैं। सहयोगी के साथ आज अच्छा समय बीतेगा। स्वास्थ में उतार-चढ़ाव आने की संभावना है। भोजन में मसालेदार चीजों का उपयोग न करें।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : हल्का लाल
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✡️मकर 🕉️31-05-2021
आपको अपने गुप्त शत्रुओं द्वारा बनाई गई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अधिकारियों के साथ व्यवहार करते समय आपको सावधान रहना चाहिए और उनका विरोध करने से बचें। व्यावसायिक सन्दर्भ में कुछ नवीन परिवर्तन हो सकते हैं। आपका स्वास्थ्य कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है। खर्च में काफी वृद्धि हो सकती है जो आपको तनाव में रख सकती है। अविवाहित युवकों के जीवन में प्रेम का प्रवेश हो सकता है। आज संतान पक्ष के सन्दर्भ में आपको कुछ अच्छी खबर मिल सकती है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : गहरा नीला
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✡️कुंभ ✡️31-05-2021
आज ऐसे लोगों से जुड़ने से बचें जो आपकी प्रतिष्ठा को आघात पहुँचा सकते हैं। बातचीत में संयत रहें। आज आप बहुत भावनाशील रहेंगे, आपका स्वाभिमान भंग हो सकता है। सकारात्मक विचारों के ज़रिए इन समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। आर्थिक तौर पर सुधार तय है। संतान की तरफ से शुभ संदेश की प्राप्ति हो सकती है। नौकरी के क्षेत्र में अधिकारी वर्ग के लोग आपसे प्रसन्न दिखाई देंगे। कुल मिलाकर लाभकारी दिन है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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🕉️मीन ✡️31-05-2021
आज आपका सोचा हुआ काम पूरा हो सकता है। आसपास के लोगों से आपको सहयोग मिलेगा। आपको माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आपकी किसी पुराने ग्राहक से आज भेंट हो सकती है। आप कोई बड़ा काम शुरू करने पर विचार करेंगे। इससे आपको लाभ होगा। आज आपकी सफलता का स्तर अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा रहेगा। जिससे आपकी खुशी बनी रहेगी। अचानक किसी स्रोत से आपको धन लाभ हो सकता है। बड़े अधिकारियों से आपकी भेंट सफल रहेगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : चंदन सफेद
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आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर:- ✡️*8449046631,9149003677* ✡️

📜अन्य प्रान्तों में आज का पञ्चांग* 📜
कलियुगाब्द…………………..5123
विक्रम संवत्………………….2078
शक संवत्…………………….1943
रवि…………………………उत्तरायण
मास…………………………….ज्येष्ठ
पक्ष……………………………..कृष्ण
तिथी…………………………….षष्ठी
रात्रि 01.10 पर्यंत पश्चात सप्तमी
सूर्योदय………..प्रातः 05.41.00 पर
सूर्यास्त………..संध्या 07.07.19 पर
सूर्य राशि……………………….वृषभ
चन्द्र राशि……………………….मकर
गुरु राशि………………………..कुम्भ
नक्षत्र……………………………श्रवण
दोप 03.59 पर्यंत पश्चात धनिष्ठा
योग………………………………ब्रह्मा
प्रातः 05.54 पर्यंत पश्चात वैधृति
करण…………………………….गरज
दोप 01.39 पर्यंत पश्चात वणिज
ऋतु……………………………..ग्रीष्म
*दिन……………………….सोमवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर वैशाख, दिनांक १०*
*ज्येष्ठ ( मधुमास ) !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*३१ मई सन २०२१ ईस्वी !*

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.57 से 12.51 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 07.25 से 09.04 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*वृषभ*
04:29:12 06:25:18
*मिथुन*
06:25:18 08:40:17
*कर्क*
08:40:17 11:00:59
*सिंह*
11:00:59 13:18:39
*कन्या*
13:18:39 15:35:19
*तुला*
15:35:19 17:55:12
*वृश्चिक*
17:55:12 20:14:09
*धनु*
20:14:09 22:18:30
*मकर*
22:18:30 24:01:06
*कुम्भ*
24:01:06 25:28:48
*मीन*
25:28:48 26:53:56
*मेष*
26:53:56 28:29:12

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा- यदि आवश्यक हो तो दर्पण देखकर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक………………..4
🔯 शुभ रंग………………सफ़ेद

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 05.44 से 07.24 तक अमृत
प्रात: 09.04 से 10.43 तक शुभ
दोप. 02.03 से 03.43 तक चंचल
अप. 03.43 से 05.22 तक लाभ
सायं 05.22 से 07.02 तक अमृत
सायं 07.02 से 08.22 तक चंचल ।

📿 *आज का मंत्र :-*
॥ ॐ शशिशेखराय नम: ॥

📢 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
अतिथि बालकः पत्नी जननी जनकस्तथा ।
पञ्चैते गृहिणीः पोष्या इतरे च स्वशक्तितः ॥
अर्थात :-
अतिथि, बालक, पत्नी, माता, और पिता- गृहस्थी ने इन पाँचों का अवश्य ही पोषण करना चाहिए

⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
कोर्ट-कचहरी में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। झंझटों में न पड़ें। उधार दिया धन मिलने से राहत हो सकती है। जीवनसाथी का सहयोग उलझे मामले सुलझाने में सहायक हो सकेगा। वाहन सावधानी से चलाएँ।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
चोट, चोरी व विवाद से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से हानि होगी। अपने काम से काम रखें। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें। आवास संबंधी समस्या हल होगी। आलस्य न करें। सोचे काम समय पर नहीं हो पाएँगे।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
राजकीय बाधा दूर होकर लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। क्रोध पर नियंत्रण रखें। लाभ होगा। रुके हुए काम समय पर पूरे होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। परिवार की समस्याओं का समाधान हो सकेगा। व्यापार में नई योजनाएँ बनेंगी। व्यापार अच्छा चलेगा।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभ देंगे। रोजगार मिलेगा। शत्रु भय रहेगा। निवेश व नौकरी लाभ देंगे। व्यापार अच्छा चलेगा। कार्य के विस्तार की योजनाएँ बनेंगी। रोजगार में उन्नति एवं लाभ की संभावना है। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। लाभदायक समाचार मिलेंगे।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद न करें। सामाजिक एवं राजकीय ख्याति में अभिवृद्धि होगी। आर्थिक अनुकूलता रहेगी। रुका धन मिलने से धन संग्रह होगा। राज्यपक्ष से लाभ के योग हैं।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। शोक समाचार मिल सकता है। थकान महसूस होगी। व्यावसायिक चिंता रहेगी। संतान के व्यवहार से कष्ट होगा। सहयोगी मदद नहीं करेंगे। व्ययों में कटौती करने का प्रयास करें। वाहन चलाते समय सावधानी रखें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
मेहनत का फल मिलेगा। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। परिवार में प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। व्यापार के कार्य से बाहर जाना पड़ सकता है। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाएँ रखें। धनार्जन होगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
अतिथियों का आवागमन रहेगा। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। स्वाभिमान बना रहेगा। नई योजनाओं की शुरुआत होगी। संतान की प्रगति संभव है। भूमि व संपत्ति संबंधी कार्य होंगे। पूर्व कर्म फलीभूत होंगे। परिवार में सुखद वातावरण रहेगा। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
बेरोजगारी दूर होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। जोखिम न लें। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें। सत्कार्य में रुचि बढ़ेगी। प्रियजनों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक चिंताएँ दूर होंगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्ययवृद्धि होगी। तनाव रहेगा। अपरिचितों पर विश्वास न करें। प्रयास में आलस्य व विलंब नहीं करना चाहिए। रुके हुए काम समय पर होने की संभावना है। विरोधी परास्त होंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। धैर्य एवं संयम बना रहेगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
दिन प्रेमभरा गुजरेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रुका हुआ धन मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। प्रियजनों से पूरी मदद मिलेगी। धन प्राप्ति के योग हैं। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएँगे। संतान के कार्यों में उन्नति के योग हैं।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। स्वास्थ्य के प्रति सावधानी रखें। कार्यक्षमता एवं कार्यकुशलता बढ़ेगी। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। व्यापार में नई योजनाओं से लाभ होगा।

*🚩🎪‼️ 🕉️ नमः शिवाय ‼️🎪🚩*

☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯

🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳

*आपके जन्म का वार क्या था यानी आप किस दिन पैदा हुए इस बात पर भी यह निर्भर करता है कि आपका स्वभाव और व्यवहार कैसा होगा। जीवन के कौन से साल सुखदायी या दुखदायी होंग।
आपके जन्म का वार क्या था यानी आप किस दिन पैदा हुए थे इस बात पर भी काफी हद तक यह निर्भर करता है कि आपका स्वभाव और व्यवहार कैसा होगा। जीवन के कौन से साल सुखदायी या दुखदायी होंग।

सोमवार- इस दिन जन्मे व्यक्ति हमेशा समाज में चर्चा का विषय बने रहते हैं लेकिन इनका पारिवारिक जीवन अच्छा नहीं रहता। इन्हें अक्सर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है,  इसके उपरान्त भी ये लोग हंसमुख होते हैं और काफी मीठा बोलते हैं। चन्द्र से संबंध होने के कारण इनका मन चंचल रहता है और निरंतर विचार बदलते रहते हैं। ये लोग बुद्धिमान, कला प्रेमी और बहादुर होते हैं और सुख-दुख में एक जैसे रहते हैं। इस दिन जन्मे व्यक्तियों की याददाश्त बहुत तेज होती है लेकिन इनमें धैर्य की बहुत कमी होती है।

मंगलवार- मंगलवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति क्रोधी, पराक्रमी, अनुशासनप्रिय, ऊर्जा से परिपूर्ण और नए विचारों का समर्थन करने वाले होते हैं। इस दिन जन्मे व्यक्तियों पर मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है इसलिए इस दिन जन्में व्यक्ति सभी बाधाओं को पार कर हमेशा प्रगति के पथ पर अग्रसर होते हैं। ऐसे लोग अपनी प्रशंसा सुनने के बहुत इच्छुक रहते हैं। इनके दांपत्य जीवन में समय-समय पर विरोधाभास की स्थिति आती रहती है। अधिक क्रोध के कारण आसपास के लोगों से इनकी ज्यादा नहीं बनती।

बुधवार- बुधवार को जन्मे लोग बहुमुखी प्रतिभा के धनी और तीक्ष्ण बुद्धिवाले होते हैं। साथ ही अपनी वाकपटुता से दूसरों की बोलती बंद कर देते हैं। इनपर बुध ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है। लोग इन्हें पसंद करते हैं। ये अपने माता-पिता और भाई-बहनों से विशेष रूप से बहुत प्यार करते हैं। भाग्य पक्ष मजबूत होने के कारण, ये लोग सभी प्रकार की विपत्तियों से जल्द ही बाहर निकल आते हैं और धन कमाने में कामयाब होते हैं।

गुरुवार- इस दिन जन्म लेने वाले लोग महत्वाकांक्षी, गंभीर स्वभाव वाले होते हैं और किसी भी मुश्किल समय का सामना बड़ी ही समझदारी और साहस के साथ करते हैं। इनके साहस और तर्क के आगे कोई टिक नहीं पाता। अपने विचारों और भावनाओं को दूसरे के सामने अच्छी तरह से पेश करते हैं, इसी कारण लोग इनसे जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। ये दोस्ती भी अच्छी संगत वालों से करते हैं इसलिए दोस्तों की तरफ से इन्हें हमेशा खुशी मिलती है। गुरुवार को जन्मे जातक लम्बे, साफ रंग वाले और दिखने में आकर्षक होते है। गुरुवार को जन्म लेने वाले लोग बहुत ही बुद्धिमान और साहसी होते हैं। किसी भी मुश्किल का सामना करना इन्हे बखूबी आता है। इनसे कोई भी व्यक्ति बहुत ही जल्दी प्रभावित हो जाता है । इनके दोस्त बहुत ही अच्छे और इनके प्रति समर्पित होते है। इन्हें अपनी उम्र के 7, 12, 13, 16 और 30वें साल में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

शुक्रवार- इस दिन जन्मे व्यक्ति की वाणी में मधुरता और सरलता होती है और वाद-विवाद करने वाले से ये नफरत करते हैं। ऐसे लोग मनोरंजन के साधनों पर अधिक खर्च करते हैं जिससे इनका आर्थिक संतुलन बिगड़ जाता है। ऐश्वर्य से भरा जीवन इन लोगों को काफी अच्छा लगता है। कला के क्षेत्र में ये लोग अपनी अलग जगह बना सकते हैं। प्रेम के मामले में ऐसे लोग एक जगह नहीं टिक पाते। इनके स्वभाव में ईर्ष्या अधिक होती है। इनका वैवाहिक जीवन सफल कहा जा सकता है। शुक्रवार माता लक्ष्मी का दिन है। इस दिन जन्मे इंसान बहुत जिंदादिल, बुद्धिमान, मृदुल स्वभाव वाले ,सहनशील और भावुक होते हैं। इनमे हर स्थिति को अपने अनुकूल बनाने कि अदभुत क्षमता होती है।माँ लक्ष्मी कि कृपा के कारण सामान्यता इन्हे जीवन का हर भौतिक सुख प्राप्त होता है। यह दानी प्रवृति के होते है और दूसरों कि मदद के लिए सदैव तैयार रहते है । ये लोग साहित्य, कला और संगीत के प्रेमी होते है। इन्हें 20 और 24 वर्ष की आयु में कुछ दिक्क़ते उठानी पड सकती है।

शनिवार- जो लोग शनिवार को पैदा होते हैं वे आलसी और संकोची होते हैं। ऐसे लोग किसी भी कार्य को करने के लिए योजना तो बनाते हैं लेकिन उन योजनाओं के अनुरूप कार्य नहीं कर पाते। इन लोगों को दोस्ती करते वक्त सावधानी बरतने की जरुरत होती है। परिवार वालों और रिश्तेदारों से भी इन्हें बहुत सुख नहीं मिलता। इनके जीवन में कितने ही कष्ट क्यों न आएं, अपने हंसमुख स्वभाव के कारण ये लोग विचलित नहीं होते। शनिवार को जन्मे जातक हल्के गेंहुए,साफ रंग के अपने फन में माहिर लेकिन क्रोधी स्वभाव के होते है। इनकी बहुत जल्दी ही लोगो से अनबन हो जाती है। ये अपने धुन के पक्के होते है, इन्हे जीवन में बहुत उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है लेकिन अंत में विजय इन्ही कि होती है।इन्हे जीवन में बहुत संभल संभल कर चलने कि आदत होती है जिससे कभी कभी ये आलसी भी हो जाते है । इनके दोस्त बहुत कम होते है और यह अपने दोस्तों के प्रति ईमानदार होते है। परिवार वालों,रिश्तेदारों और दोस्तों से इन्हे बहुत सुख प्राप्त नहीं होता है। इनको जीवन के 20, 25 और 45 साल की आयु में कुछ दिक्क़ते हो सकती हैं।

रविवार- रविवार का संबंध सूर्यदेव से है। सूर्य, सिंह राशि का स्वामी है। सिंह का अर्थ है शेर और शेर को स्वतंत्रता पसंद होती है। इसलिए रविवार को जन्मे व्यक्ति किसी की अधीनता में कार्य करना पसंद नहीं करते। सामान्य तौर पर भाग्यशाली होते हैं, कम बोलते हैं और कला एवं शिक्षा के क्षेत्र में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। धर्म में भी रुचि रखते हैं और फैमिली मेंबर्स के साथ ही दोस्तों और रिश्तेदारों को भी खुश रखने की कोशिश करते हैं। यदि इन लोगों को नेतृत्व का कार्य सौंप दिया जाय तो किसी भी क्षेत्र में बेहतर परिणाम देते हैं। रविवार भगवान सूर्य का दिन है । इस दिन पैदा हुए लोग समान्यता तेजस्वी, भाग्यशाली और दीर्घ आयु वाले होते हैं। कम बोलते हैं लेकिन सोच समझकर बोलते है और उनकी बातों का अपना प्रभाव होता है इन्हे कला, साहित्य, शिक्षा और परामर्श के क्षेत्र में सफलता आसानी से प्राप्त होती है। यह आस्थावान होते है और परिवार , रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ हमेशा अपना सम्बन्ध बनाये रखते है। 20 से 22 साल की उम्र में इन्हें कठनाइयों का सामना करना पड़ सकता है
✍️अजित कुमार पान्डेय एकौनी वाले। 

#जय_दीबा_माँ

दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल, यहां हैं हैरान कर देनी वाली अनोखी शक्तियां
यह वह जगह है जहाँ पहुच कर भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यहाँ का इतिहास बहुत ही आश्चर्यजनक है। समुद्र तल से ऊंचाई 2520 मीटर है। दीबा ने इस स्थान पर तब अवतार लिया जब गोरखाओ ने पट्टी खाटली पर आक्रमण किया था। दीबा ने यहाँ के सबसे पहले पुजारी के सपने में दर्शन दिए और अपना यह स्थान बताया। और इसी स्थान पर उन्होंने इनकी स्थापना कर दी।

लेकिन यहाँ तक पहुचना इतना आसन भी नही था क्योंकि यह मार्ग सीधा नहीं बल्कि काफी टेढ़ी-मेढ़ी गुफा से होकर उन्हें तय करना था। आज भी जिस स्थान पर मत की मूर्ती स्थापित है। उस स्थान के नीचे गुफा है किन्तु अब वह पूर्ण रूप से ढक चुकी है।

उस वक़्त यहाँ पर माता साक्षात् थी और उनके साथ एक सेवक और वह इसी स्थान से ही सभी लोगो को गोरखाओ के आने की सूचना दिया करती थी। इस स्थान पर किसी की नज़र नहीं जाती थी किन्तु वो सभी को यहाँ से देख सकती थी। और आज भी यहाँ पहुच कर यदि आप देखो तो ऐसा ही है, यहाँ से चारो तरफ नजर जाती है लेकिन दूर-दूर तक कही से भी यहाँ नजर नहीं पहुचती।

यहाँ पर उस वक़्त गोरखा लोग यहाँ की जनता को जिन्दा ही काट दिया करते या कूट दिया करते थे। परन्तु माता ही उनसे उनकी रक्षा किया करती थी। और अंत में माता ने गोरखाओ का संहार किया। और पट्टी खाटली तथा गुजरू को उनसे आज़ाद करवाया।

उसके पश्चात इस स्थान पर जिस स्थान से माता लोगो को गोरखाओ के आने की सूचना दिया करती थी, उस स्थान पर एक ऐसा पत्थर था की उसे जिस दिशा की और घुमा दिया जाता था उसी दिशा में बारिश होने लगती थी। और इस स्थान का यहाँ की भाषा में नाम धवड़या( आवाज लगाना) है।

दीबा मंदिर की मान्यता के अनुसार दीबा माँ के दर्शन करने के लिए रात को ही चढाई चढ़कर सूर्य उदय से पहले मंदिर पहुंचना होता है। वह से सूर्य उदय के दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। यहाँ की खाशियत ये है कि अगर कोई यात्री अछूता ( परिवार में मृत्यु या नए बच्चे के जन्म) है और अभी शुद्धि नही हुई है तो वह कितना भी प्रयास क्यों न कर ले यहाँ नहीं पहुँच सकता है। और कोई कितना भी बूढ़ा होया बच्चा हो चढ़ाई में कोई भी समस्या नही होती है।

कहा जाता है कि यहाँ पर दीबा माँ भक्तो को सफ़ेद बालो वाली एक बूढी औरत के रूप में दर्शन दे चुकी है। यहाँ पर ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के आस-पास के पेड़ मात्र भंडारी जाती के लोग ही काट सकते है, यदि कोई और कटे तो पेड़ो से खून निकलता है। (साभार-जीतेन्द्र कुमार) 

बाल ब्रह्मचारी धर्मराज भारती (मोनी बाबा) बारह महिने बद्रीविशाल में ही साधना करते हैं। और सदैव भगवान के दर्शनों के उपरांत ही भोजन करते हैं। यही गुरू शिष्य परम्प्परा है । दिनों लाकडाउन के कारण उन्हें दर्शन के लिए मना करने पर वे गत 8 दिन से भूख हड़ताल पर हैं। मोनी बाबा ने फोन पर जानकारी दी कि अब वे जल भी त्याग कर देंगे। आज से मौनी बाबा ने जल त्याग कर दिया है। चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सीइओ बीडी सिंह का फोन नहीं लग सका। इस संदर्भ में बद्रीनाथ के विधायक और देवस्थानम बोर्ड के सदस्य महेंद्र भट्ट का कहना है कि प्रकरण उनके संज्ञान में है। यदि एक को दर्शन की अनुमति देते हैं तो काफी और लोग भी दर्शन के लिए तैयार बैैठे हैं। फिर भी एक दो दिन में रास्ता निकाल लिया जायेगा। स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री जी सेे, जो कि स्वयं देवस्थानम बोर्ड के अध्यक्ष हैं उनसे अविलंब हस्तक्षेप कर इस प्रकरण को सुलझाने का अनुरोध किया है 

बिल्व वृक्ष-
1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते l
2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है l
3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है l
4. चार, पांच, छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है l
5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है एवं बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है।
7. बेल वृक्ष को सींचने से पित्र तृप्त होते है।
8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे ।
10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी जीव सभी पापों से मुक्त हो जाते है l
11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।
कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये । बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं l

शिवजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बात l

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सी चीज़ चढाने से मिलता है क्या फल –
किसी भी देवी-देवता का पूजन करते समय उनको अनेक चीज़ें अर्पित की जाती है। प्रायः भगवान को अर्पित की जाने वाली हर चीज़ का फल अलग होता है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है की भगवान शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग चीज़ों का क्या फल होता है। शिवपुराण के अनुसार जानिए कौन सा अनाज भगवान शिव को चढ़ाने से क्या फल मिलता है:
1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।

शिव पुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है –
1. ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
2. नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
3. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
4. सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
5. शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
6. शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
7. मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।

शिव पुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन का फूल चढ़ाया जाए तो उसका क्या फल मिलता है –
1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
3. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
4. शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
5. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
6. जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
7. कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर
सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
10. लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
11. दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।💐💐
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विल्व पत्र
बेल के पत्ते शिव जी का आहार माने गए हैं, इसलिए भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें महादेव के ऊपर चढ़ाते हैं। शिव की पूजा के लिए बिल्व-पत्र बहुत ज़रूरी माना जाता है। शिव-भक्तों का विश्वास है कि पत्तों  के त्रिनेत्रस्वरूप् तीनों पर्णक शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं।
2 भगवान शंकर का प्रिय भगवान शंकर को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं। भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। शिवरात्रि के अवसर पर बिल्वपत्रों से विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, किंतु कुछ ऐसे बिल्व पत्र भी होते हैं जो दुर्लभ पर चमत्कारिक और अद्भुत होते हैं।
3 बिल्वाष्टक और शिव पुराणबिल्व पत्र का भगवान शंकर के पूजन में विशेष महत्व  है जिसका प्रमाण शास्त्रों में मिलता है। बिल्वाष्टक और शिव पुराण में इसका स्पेशल उल्लेख है। अन्य कई ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। भगवान शंकर एवं पार्वती को बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है।
4 मां भगवती को बिल्व पत्रश्रीमद् देवी भागवत में स्पष्ट वर्णन है कि जो व्यक्ति मां भगवती  को बिल्व पत्र अर्पित करता है वह कभी भी किसी भी परिस्थिति में दुखी नहीं होता। उसे हर तरह की सिद्धि प्राप्त होती है और कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और वह भगवान भोले नाथ का प्रिय भक्त हो जाता है। उसकी सभी इच्छाएं (wishes) पूरी होती हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5 बिल्व पत्र के प्रकारबिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं – अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, छः से 21 पत्तियों तक के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। इन सभी बिल्व पत्रों का अपना-अपना आध्यात्मिक महत्व है। आप हैरान हो जाएंगे ये जानकर की कैसे ये बेलपत्र आपको भाग्यवान बना सकते हैं और लक्ष्मी कृपा दिला सकते हैं।
6 अखंड बिल्व पत्रइसका विवरण बिल्वाष्टक में इस प्रकार है – ‘‘अखंड बिल्व पत्रं नंदकेश्वरे सिद्धर्थ लक्ष्मी’’। यह अपने आप में लक्ष्मी सिद्ध है। एकमुखी रुद्राक्ष के समान ही इसका अपना विशेष महत्व है। यह वास्तुदोष का निवारण भी करता है। इसे गल्ले में रखकर नित्य पूजन करने से व्यापार में चैमुखी विकास होता है।
7 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रइस बिल्व पत्र के महत्व का वर्णन भी बिल्वाष्टक में आया है जो इस प्रकार है- ‘‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् त्रिजन्म पाप सहारं एक बिल्वपत्रं शिवार्पणम’’ यह तीन गणों से युक्त होने के कारण भगवान शिव को प्रिय है। इसके साथ यदि एक फूल धतूरे का चढ़ा दिया जाए, तो फलों  में बहुत वृद्धि होती है।
8 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रइस तरह बिल्व पत्र अर्पित करने से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रीतिकालीन कवि ने इसका वर्णन इस प्रकार किया है- ‘‘देखि त्रिपुरारी की उदारता अपार कहां पायो तो फल चार एक फूल दीनो धतूरा को’’ भगवान आशुतोष त्रिपुरारी भंडारी सबका भंडार भर देते हैं।
9 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रआप भी फूल चढ़ाकर इसका चमत्कार स्वयं देख सकते हैं और सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र में अखंड बिल्व पत्र भी प्राप्त हो जाते हैं। कभी-कभी एक ही वृक्ष पर चार, पांच, छह पत्तियों वाले बिल्व पत्र भी पाए जाते हैं। परंतु ये बहुत दुर्लभ हैं।
10 छह से लेकर 21 पत्तियों वाले बिल्व पत्रये मुख्यतः नेपाल  में पाए जाते हैं। पर भारत में भी कहीं-कहीं मिलते हैं। जिस तरह रुद्राक्ष कई मुखों वाले होते हैं उसी तरह बिल्व पत्र भी कई पत्तियों वाले होते हैं।
11 श्वेत बिल्व पत्र जिस तरह सफेद सांप, सफेद टांक, सफेद आंख, सफेद दूर्वा आदि होते हैं उसी तरह सफेद बिल्वपत्र भी होता है। यह प्रकृति (nature) की अनमोल देन है। इस बिल्व पत्र के पूरे पेड़ पर श्वेत पत्ते पाए जाते हैं। इसमें हरी पत्तियां नहीं होतीं। इन्हें भगवान शंकर को अर्पित करने का विशेष महत्व है।
12 कैसे आया बेल वृक्षबेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में ‘स्कंदपुराण’ में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत (mandaar mountain) पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं।
13 कांटों में भी हैं शक्तियाँकहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियाँ समाहित हैं। यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में वास है। जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है। ‘शिवपुराण’ में इसकी महिमा विस्तृत रूप में बतायी गयी है।
14 ये भी है श्रीफलनारियल (coconut) से पहले बिल्व के फल को श्रीफल माना जाता था क्योंकि बिल्व वृक्ष लक्ष्मी जी का प्रिय वृक्ष माना जाता था। प्राचीन समय में बिल्व फल को लक्ष्मी और सम्पत्ति का प्रतीक मान कर लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए बिल्व के फल की आहुति दी जाती थी जिसका स्थान अब नारियल ने ले लिया है। प्राचीन समय से ही बिल्व वृक्ष और फल पूजनीय रहा है, पहले लक्ष्मी जी के साथ और धीरे-धीरे शिव जी के साथ।
15 यह एक रामबाण दवा भी हैवनस्पति में बेल का अत्यधिक महत्व है। यह मूलतः शक्ति का प्रतीक माना गया है। किसी-किसी पेड़ पर पांच से साढ़े सात किलो वजन वाले चिकित्सा विज्ञान में बेल का विशेष महत्व है। आजकल कई व्यक्ति इसकी खेती करने लगे हैं। इसके फल से शरबत, अचार और मुरब्बा आदि बनाए जाते हैं। यह हृदय रोगियों (heart patients) और उदर विकार से ग्रस्त लोगों के लिए रामबाण औषधि (medicine) है।
16 यह एक रामबाण दवा भी हैधार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों  के पास लगाया जाता है। बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है। गर्मी की तपिश से बचने के लिए इसके फल का शर्बत बड़ा ही लाभकारी (helpful) होता है। यह शर्बत कुपचन, आंखों की रोशनी  में कमी, पेट में कीड़े और लू लगने जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए उत्तम है। औषधीय गुणों से परिपूर्ण बिल्व की पत्तियों मे टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम (magnesium) जैसे रसायन (chemical) पाए जाते हैं।