आज का पंचाग आपका राशि फल, संसार के दस पवित्र पक्षियों का रहस्य और धर्म संस्कृति में महात्म्य!_भारतीय सनातन धर्म : औषधि, उपचार, शल्य क्रिया और ऋषि-मुनि, जानिए आयुर्वेद का दिव्य इतिहास

भारतीय सनातन धर्म : औषधि, उपचार, शल्य क्रिया और ऋषि-मुनि, जानिए आयुर्वेद का दिव्य इतिहास_*⁹

 

*भारत की संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है और विश्व को सब कुछ भारत ने ही सिखाया है लेकिन हमें इतिहास सही नहीं पढ़ाया जा रहा है जिसके कारण हम हमारी संस्कृति की महानता नहीं समझ पा रहे हैं।*

 

*आयुर्वेद के नियम हजारों साल पहले आयुर्वेद चिकित्सा के ऋषि-मुनियों ने बनाये हुए हैं। हमारी आयुर्वेद चिकित्सा में एक महापुरुष हुए, जिनका नाम था महर्षि चरक। इन्होंने सबसे ज्यादा रिसर्च इस बात पर किया कि जड़ी बूटियों से क्या क्या बीमारियाँ ठीक होती हैं या पेड़ पोधों से कौन सी बीमारियाँ ठीक होती है। पेड़ों के पत्तों से कौन सी बीमारियाँ ठीक होती हैं, उस पर उन्होंने सबसे ज्यादा रिसर्च किया।*

 

*आपको जानकर आश्चर्य होगा और ख़ुशी भी होगी कि सर्जरी का अविष्कार इसी देश में हुआ। यानी भारत में हुआ, सारी दुनिया ने सर्जरी भारत से सीखी। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी ने यहीं से सर्जरी सीखी, अमेरिका में तो बहुत बाद में आयी सर्जरी और ब्रिटेन ने भारत से लगभग 400 साल पूर्व ही सर्जरी सीखी। ब्रिटेन के डॉक्टर यहाँ आते थे और सर्जरी सीख कर वापस जाते थे।*

 

*महर्षि सुश्रुत शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक (सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखे गऐ ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में बहुत अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है।*

 

*जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे।*

 

*आपको शायद सुनकर आश्चर्य होगा कि आज से 400 साल पहले भारत में सर्जरी के बहुत बड़े विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) चला करते थे.. हिमाचल प्रदेश में एक जगह है कांगड़ा, यहाँ सर्जरी का सबसे बड़ा कॉलेज था। एक और जगह है भरमौर, हिमाचल प्रदेश में ही, वहां एक दूसरा बड़ा केंद्र था सर्जरी का। ऐसे ही एक तीसरी जगह है, कुल्लू, वहां भी एक बहुत बड़ा केंद्र था। अकेले हिमाचल प्रदेश में 18 ऐसे केंद्र थे। फिर उसके बाद गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा सम्पूर्ण भारत में सर्जरी के एक हजार दो सौ के आसपास केंद्र थें, यहाँ अंग्रेज आकर सीखते थे*

 

*आपको बता दें कि लंदन में एक बहुत बड़ी संस्था है जिसका नाम है फेलो ऑफ़ द रॉयल सोसाइटी ऑफ़ लंदन (FRS), इस संस्था की स्थापना उन डॉक्टरों ने की थी जो भारत से सर्जरी सीख कर गये थें और उनमें से कई डॉक्टर्स ने मेमुआर्ट्स लिखे हैं। मेमुआर्ट्स माने अपने मन की बात। तो उन मेमुआर्ट्स को अगर पढ़े तो इतनी ऊँची तकनीक के आधार पर सर्जरी होती थी ये आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि 400 साल पहले इस देश में रहिनोप्लास्टिक होती थी रहिनोप्लास्टिक मतलब शरीर के किसी अंग से कुछ भी काट कर नाक के आसपास के किसी भी हिस्से में उसको जोड़ देना और पता भी नही चलता।*

 

*एक कर्नल कूट अंग्रेज की डायरी में लिखा हुआ कि उसका 1799 में कर्नाटक में हैदर अली के साथ युद्ध हुआ। हैदर अली ने उसको युद्ध में पराजित कर दिया। हारने के बाद हैदर अली ने उसकी नाक काट दी। हमारे देश में नाक काटना सबसे बड़ा अपमान है। तो हैदर अली ने उसको मारा नही चाहे तो उसकी गर्दन काट सकता था। हराने के बाद उसकी नाक काट दी और कहा कि तुम अब जाओ कटी हुई नाक लेकर।*

 

*कर्नल कूट कटी हुई नाक लेकर घोड़े पर भागा, तो हैदर अली की सीमा के बाहर उसको किसी ने देखा कि उसकी नाक से खून निकल रहा है, नाक कटी हुई है हाथ में थी। तो जब उससे पूछा कि ये क्या हो गया तो उसने सच नही बताया। तो उसने कहा कि चोट लग गयी है। तो व्यक्ति ने कहा कि ये चोट नही है तलवार से काटी हुयी है। तो कर्नल कूट मान गया की हाँ तलवार से कटी है।*

 

*उस व्यक्ति ने कर्नल कूट से कहा कि तुम अगर चाहो तो हम तुम्हारी नाक जोड़ सकते है। तो कर्नल कूट ने कहा की ये तो पुरे इंग्लैंड में कोई नही कर सकता तुम कैसे कर दोगे। तो उसने कहा कि हम बहुत आसानी से कर सकते है। तो बेलगाँव में कर्नल कूट के नाक को जोड़ने का ऑपरेशन हुआ। उसका करीब तीन साढ़े तीन घंटे ऑपरेशन चला। वो नाक जोड़ी गयी फिर उसपर लेप लगाया गया। 15 दिन उसको वहां रखा गया।*

 

*15 दिन बाद उसकी छूट्टी हुई, 3 महीने बाद वो लंदन पहुंचा तो लंदन वाले हैरान थे कि तुम्हारी नाक तो कहीं से कटी हुई नही दिखती। तब उसने लिखा कि ये भारतीय सर्जरी का कमाल है। तो ये जो सर्जरी हमारे देश में विकसित हुई इसके लिए महर्षि सुश्रुत ने बहुत प्रयास किये तब जाकर ये सर्जरी भारत में फैली।*

 

*यहाँ तो आपको भारत के ऋषि-मुनियों की केवल एक ही खोज बताई है बाकी तो विश्व मे जितनी भी आज खोजे हो रही है वे पहले हमारे ऋषि-मुनि कर चुकें हैं बस हमे जरूरत है तो सिर्फ सही इतिहास पढ़ाने और उसके अनुसार चलने की।*

 

भारत माता की जय 🇮🇳

*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

 

 

*दस पवित्र पक्षी और उनका रहस्य!!!!!!!!

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आइये जाने उन दस दिव्य और पवित्र पक्षीयों के बारे मैं जिनका हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व माना गया है…

हंस:- जब कोई व्यक्ति सिद्ध हो जाता है तो उसे कहते हैं कि इसने हंस पद प्राप्त कर लिया और जब कोई समाधिस्थ हो जाता है, तो कहते हैं कि वह परमहंस हो गया। परमहंस सबसे बड़ा पद माना गया है।

हंस पक्षी प्यार और पवित्रता का प्रतीक है। यह बहुत ही विवेकी पक्षी माना गया है। आध्यात्मिक दृष्टि मनुष्य के नि:श्वास में ‘हं’ और श्वास में ‘स’ ध्वनि सुनाई पड़ती है। मनुष्य का जीवन क्रम ही ‘हंस’ है क्योंकि उसमें ज्ञान का अर्जन संभव है। अत: हंस ‘ज्ञान’ विवेक, कला की देवी सरस्वती का वाहन है। यह पक्षी अपना ज्यादातर समय मानसरोवर में रहकर ही बिताते हैं या फिर किसी एकांत झील और समुद्र के किनारे।

हंस दांप‍त्य जीवन के लिए आदर्श है। यह जीवन भर एक ही साथी के साथ रहते हैं। यदि दोनों में से किसी भी एक साथी की मौत हो जाए तो दूसरा अपना पूरा जीवन अकेले ही गुजार या गुजार देती है। जंगल के कानून की तरह इनमें मादा पक्षियों के लिए लड़ाई नहीं होती। आपसी समझबूझ के बल पर ये अपने साथी का चयन करते हैं। इनमें पारिवारिक और सामाजिक भावनाएं पाई जाती है।

हिंदू धर्म में हंस को मारना अर्थात पिता, देवता और गुरु को मारने के समान है। ऐसे व्यक्ति को तीन जन्म तक नर्क में रहना होता है।

मोर :- मोर को पक्षियों का राजा माना जाता है। यह शिव पुत्र कार्तिकेय का वाहन है। भगवान कृष्ण के मुकुट में लगा मोर का पंख इस पक्षी के महत्व को दर्शाता है। यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।

अनेक धार्मिक कथाओं में मोर को बहुत ऊंचा दर्जा दिया गया है। हिन्दू धर्म में मोर को मार कर खाना महापाप समझा जाता है।

कौआ :- कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। इसकी उम्र लगभग 240 वर्ष होती है। श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है। इस पक्ष में कौओं को भोजना कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। कौए को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है।

उल्लू : – उल्लू को लोग अच्छा नहीं मानते और उससे डरते हैं, लेकिन यह गलत धारणा है। उल्लू लक्ष्मी का वाहन है। उल्लू का अपमान करने से लक्ष्मी का अपमान माना जाता है। हिन्दू संस्कृति में माना जाता है कि उल्लू समृद्धि और धन लाता है।

भारत वर्ष में प्रचलित लोक विश्वासों के अनुसार भी उल्लू का घर के ऊपर छत पर स्थि‍त होना तथा शब्दोच्चारण निकट संबंधी की अथवा परिवार के सदस्य की मृत्यु का सूचक समझा जाता है। सचमुच उल्लू को भूत-भविष्य और वर्तमान में घट रही घटनाओं का पहले से ही ज्ञान हो जाता है।

वाल्मीकि रामायण में उल्लू को मूर्ख के स्थान पर अत्यन्त चतुर कहा गया। रामचंद्र जी जब रावण को मारने में असफल होते हैं और जब विभीषण उनके पास जाते हैं, तब सुग्रीव राम से कहते हैं कि उन्हें शत्रु की उलूक-चतुराई से बचकर रहना चाहिए। ऋषियों ने गहरे अवलोकन तथा समझ के बाद ही उलूक को श्रीलक्ष्मी का वाहन बनाया था।

गरूड़ : – इसे गिद्ध भी कहा जाता है। पक्षियों में गरूढ़ को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। यह समझदार और बुद्धिमान होने के साथ-साथ तेज गति से उड़ने की क्षमता रखता है। गरूड़ के नाम पर एक पुराण भी है गरूड़ पुराण। यह भारत का धार्मिक और अमेरिका का राष्ट्रीय पक्षी है।

गरूड़ के बारे में पुराणों में अनेक कथाएं मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु की सवारी और भगवान राम को मेघनाथ के नागपाश से मुक्ति दिलाने वाले गरूड़ के बारे में कहा जाता है कि यह सौ वर्ष तक जीने की क्षमता रखता है।

नीलकंठ :- नीलकंड को देखने मात्र से भाग्य का दरवाजा खुल जाता है। यह पवित्र पक्षी माना जाता है। दशहरा पर लोग इसका दर्शन करने के लिए बहुत ललायित रहते हैं।दशहरे पर्व पर नीलकंठ के दर्शन करना बहुत ही शुभ होता है मगर अब इस पवित्र पक्षी के दर्शन कहीं नहीं होते है। कुछ दशक पहले इस पक्षी के दर्शन आज के दिन आसानी से हो जाते थे। किन्तु अंधाधुंध पेड़ों की कटान और विकास की रफ्तार के कारण ये पक्षी भी धीरे-धीरे विलुप्त हो गये है। यदि ग्रामीण इलाकों में काफी कोशिश के बाद नीलकंठ के दर्शन किसी को हो जाये तो ये उसके लिये सौभाग्य की बात है।

 

पंडित दिनेश दुबे, पंडित सुरेश मिश्रा का मानना है कि विजयदशमी के दिन यदि नीलकंठ के दर्शन हो जाये तो भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि सुर एवं असुरों के समुद्र मंथन के बाद उसमें से हलाहल विष निकला था। इसकी तपन से जीव जंतु अपने प्राण त्यागने लगे थे। ये दृश्य देख सभी ने मिलकर भगवान शिव की साधना की और हलाहल विष से मुक्त दिलाने की प्रार्थना की। देवासुरों की अनुनय विनय पर भगवान शिव ने विश्व की भलाई के लिये यह विष खुद ही पी लिया था लेकिन जहर पीते ही उन्हें स्मरण हुआ कि उनके हृदय में तो श्रीराम भगवान विराजमान है। यदि ये जहर गले से नीचे उतरा तो भगवान को नुकसान हो सकता है। इसलिये शिव जी ने जहर को अपने गले से नीचे उतरने नहीं दिया। भगवान शिव की गर्दन जहर के कारण नीली पड़ गयी। इसीलिये हिन्दु धर्म में नीलकंठ को पूज्य और पवित्र पक्षी कहा जाता है। जाने माने विद्धानों ने कहा कि दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करना बड़़ा शुभ संकेत होता है। इसके दर्शन करने और चावल अर्पित करने से बड़ा ही सौभाग्य मिलता है

तोता :- तोते का हरा रंग बुध ग्रह के साथ जोड़कर देखा जाता है। अतः घर में तोता पालने से बुध की कुदृष्टि का प्रभाव दूर होता है। घर में तोते का चित्र लगाने से बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है।

आपने बहुत से तोता पंडित देखें होंगे जो भविष्यवाणी करते हैं। तोते के बारे में बहुत सारी कथाएं पुराणों में मिलती है। इसके अलवा, जातक कथाओं, पंचतंत्र की कथाओं में भी तोते को किसी न किसी कथा में शामिल किया गया है।

कबूतर :- इसे कपोत कहते हैं। यह शांति का प्रतीक माना गया है। भगवान शिव ने जब अमरनाथ में पार्वती को अजर अमर होने के वचन सुनाए थे तो कबतरों के एक जोड़े ने यह वचन सुन लिए थे तभी से वे अजर-अमर हो गए। आज भी अमरनाथ की गुफा के पास ये कबूतर के जोड़े आपको दिखाई दे जाएंगे। कहते हैं कि सावन की पूर्णिमा को ये कबूतर गुफा में दिखाई पड़ते हैं। इसलिए कबूतर को महत्व दिया जाता है।

बगुला :- आपने कहावत सुनी होगी बगुला भगत। अर्थात ढोंगी साधु। धार्मिक ग्रंथों में बगुले से जुड़ी अनेक कथाओं का उल्लेख मिलता है। पंत्रतंत्र में एक कहानी है बगुला भगत। बगुला भगत पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसके रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा हैं।

बगुला के नाम पर एक देवी का नाम भी है जिसे बगुलामुखी कहते हैं। बगुला ध्यान भी होता है अर्थात बगुले की तरह एकटक ध्यान लगाना। बगुले के संबंध में कहा जाता है कि ये जिस भी घर के पास ‍के किसी वृक्ष आदि पर रहते हैं वहां शांति रहती है और किसी प्रकार की अकाल मृत्यु नहीं होती।

गोरैया:- भारतीय पौराणिक मान्यताओं अनुसार यह चिड़ियां जिस भी घर में या उसके आंगन में रहती है वहां सुख और शांति बनी रहती है। खुशियां उनके द्वार पर हमेशा खड़ी रहती है और वह घर दिनोदिन तरक्की करता रहता है।

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, २ जनवरी २०२२🌻

सूर्योदय: 🌄 ०७:१४
सूर्यास्त: 🌅 ०५:३१
चन्द्रोदय: 🌝 ❌❌❌
चन्द्रास्त: 🌜१६:५७
अयन 🌕 उत्तरायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: 🌫️ शिशिर
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 पौष
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 अमावस्या (२४:०२ तक)
नक्षत्र 👉 मूल (१६:२३ तक)
योग 👉 वृद्धि (०९:४३ तक)
प्रथम करण 👉 चतुष्पाद (१३:५२ तक)
द्वितीय करण 👉 नाग (२४:०२ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 धनु
चंद्र 🌟 धनु
मंगल 🌟 वृश्चिक (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 मकर (उदित, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 कुंम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदय, पश्चिम, वक्री)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०० से १२:४१
अमृत काल 👉 १०:४६ से १२:१०
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०७:१३ से १६:२३
विजय मुहूर्त 👉 १४:०३ से १४:४४
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१८ से १७:४२
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५४ से २४:४९
राहुकाल 👉 १६:१२ से १७:२९
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:२१ से १३:३८
होमाहुति 👉 केतु – १६:२३ तक
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 पूर्व
शिववास 👉 गौरी के साथ (२४:०२ से श्मशान में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-उत्तर (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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देवपितृकार्ये पौष अमावस्या, शुक्र वार्धक्य आरम्भ आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १६:१३ तक जन्मे शिशुओ का नाम
मूल नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (भ, भी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश (भू, धा, फा) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
धनु – ३०:०२ से ०८:०६
मकर – ०८:०६ से ०९:४७
कुम्भ – ०९:४७ से ११:१३
मीन – ११:१३ से १२:३६
मेष – १२:३६ से १४:१०
वृषभ – १४:१० से १६:०५
मिथुन – १६:०५ से १८:१९
कर्क – १८:१९ से २०:४१
सिंह – २०:४१ से २३:००
कन्या – २३:०० से २५:१८
तुला – २५:१८ से २७:३९
वृश्चिक – २७:३९ से २९:५८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०७:१३ से ०८:०६
चोर पञ्चक – ०८:०६ से ०९:४७
शुभ मुहूर्त – ०९:४७ से ११:१३
रोग पञ्चक – ११:१३ से १२:३६
चोर पञ्चक – १२:३६ से १४:१०
शुभ मुहूर्त – १४:१० से १६:०५
रोग पञ्चक – १६:०५ से १६:२३
शुभ मुहूर्त – १६:२३ से १८:१९
मृत्यु पञ्चक – १८:१९ से २०:४१
अग्नि पञ्चक – २०:४१ से २३:००
शुभ मुहूर्त – २३:०० से २४:०२
मृत्यु पञ्चक – २४:०२ से २५:१८
अग्नि पञ्चक – २५:१८ से २७:३९
शुभ मुहूर्त – २७:३९ से २९:५८
रज पञ्चक – २९:५८ से ३१:१३
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन सुख शान्ति से बितायेंगे लेकिन स्वभाव में ईर्ष्या की भावना रहेगी अन्य लोगो के कामो में मीन मेख निकालने से विवाद भी हो सकता है। कार्य व्यवसाय में मध्यान तक का परिश्रम संध्या के बाद फल देने लगेगा आज आकस्मिक रूप से किसी शुभ समाचार की प्राप्ति उत्साहित करेगी धन लाभ भी निश्चित समय पर ना होकर आकस्मिक ही होगा। अधिकारियों का स्वभाव आज संदिग्ध रहेगा सतर्क रहें। धार्मिक कार्यो के लिए कम ही समय निकाल पाएंगे। सरकारी कार्यो में ढील ना दे अन्यथा बाद में लंबित रहेंगे। प्रेम प्रसंगों में नजदीकियां बढ़ेंगी। संताने संध्या के समय अपने व्यवहार से परेशान करेंगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपको शारीरिक रूप से अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आकस्मिक दुर्घटना अथवा अन्य कारणों से शारीरिक कष्ट पहुँच सकता है। हाथ पैरों में भी शिथिलता रहेगी जिससे दैनिक कार्य कुछ प्रभावित होंगे। व्यावसायिक कार्यो में भी आज दौड़ धूप अधिक रहेगी इसका उचित लाभ विलंब से ही मिल सकेगा। पारिवारिक वातावरण आज अधिक भावुक रहेगा। घर के सदस्य आपसी परेशानी को समझेंगे फिर भी अधिक बोलने की आदत से बचें। आर्थिक रूप से दिन उत्तम रहने के कारण आकस्मिक खर्च विचलित नही कर सकेंगे। स्त्री सुख मिलेगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आपको किसी भी कार्य में मध्यान के बाद असुविधा नही होगी व्यावसायिक स्थल पर भी कार्य सरलता से चलने लगेंगे। पूर्व की गलतियों से मार्गदर्शन मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। उधार की वसूली कर सकेंगे। सरकारी अथवा पैतृक कार्यो को आज पूर्ण करने का प्रयास करे लाभदायक रहेगा। घर के बुजुर्गो से किसी बात पर मतभेद खड़ा होगा पर कुछ समय मे स्थिति सामान्य भी हो जाएगी। सामाजिक आयोजनों में भाग लेंगे। आपकी कार्य कुशलता की घर को छोड़ सर्वत्र प्रशंशा होगी। महिलाये स्वभाव से थोड़ी जिद्दी फिर भी गृहस्थ के लिए सहायक रहेंगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आप ना चाहकर भी व्यर्थ के झगड़ो में पड़ेंगे सेहत में भी उतार-चढ़ाव लगा रहेने से कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था फैलेगी। छाती में संक्रमण अथवा मासपेशियो में खिंचाव आने से पीड़ा होगी। जिम्मेदारी ठीक से नही संभालने पर बड़े लोग नाराज होंगे। धन लाभ की उम्मीद नही होने पर भी अचानक होने से आश्चर्यचकित होंगे। फिर भी खर्च आय की तुलना में अधिक ही रहेंगे। घर अथवा रिश्तेदारी मे पूजा पाठ के आयोजन में भाग ले सकते है। महिलाये जल्दबाजी में गलत निर्णय लेने से परेशान हो सकती है। लंबी यात्रा आज ना करें ठंडे प्रदार्थो से परहेज रखें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप धैर्य धारण करने पर उम्मीद से अधिक लाभ कमा सकते है। आपकी दिनचर्या भी धीमी ही रहेगी प्रत्येक कार्य धीमी गति से करेंगे जिस कारण लोगो से आलोचना सुननी पड़ेगी। आज आप यथार्थ को छोड़ काल्पनिक दुनिया मे अधिक रहेंगे जिस वजह से लोग आपकी हंसी उड़ाएंगे। आज आय की अपेक्षा व्यय अधिक रहेगा घरेलू सुख के साधन एवं मौज शौक पर केवल दिखावे के लिए खर्च करेंगे जिससे बाद में आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। घर मे किसी ना किसी से रूठना मनना चलता रहेगा फिर भी शान्ति भंग नही होगी। महिलाओ में आत्मबल अधिक रहेगा आलस्य के कारण प्रदर्शित नही कर सकेंगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप स्वयं को अन्य लोगो से श्रेष्ठ आंकेंगे मनमाना व्यवहार करने से आस पास रहने वालों को असुविधा होगी व्यर्थ की बहस भी होगी। घर एवं बाहर आज संतुलित व्यवहार रखें लोग आपकी सही बातों को भी गलत बना कर विवाद खड़ा करेंगे। सेहत आज ठीक रहेगी लेकिन कलह-क्लेश के कारण मानसिक रूप से बेचैन रहेंगे। जिस भी कार्य का मन बनाएंगे उसमे कोई ना कोई व्यवधान आने से मन खिन्न होगा। धन संबंधित लेन-देन में स्पष्टता रखें लिख कर ही करें भूल होने की आशंका है। आकस्मिक यात्रा हो सकती है। जोड़ तोड़ की नीति से धन लाभ होगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आपका आज का दिन आर्थिक रूप से पहले की अपेक्षा बेहतर रहेगा। आज जिस भी कार्य मे हाथ डालेंगे देर-अबेर उससे धन प्राप्ति होकर ही रहेगी। नए कार्य अनुबंध अथवा व्यवसाय की शुरुआत आज करना शुभ रहेगा परन्तु अधूरे कार्यो में ढील ना दें हानि भी हो सकती है। भविष्य के लिए आज संचय भी कर सकेंगे। गृहस्थ में आज कुछ ना कुछ कारण से भाग-दौड़ लगी रहेगी। महिलाये अतिरिक्त कार्य आने से असहज रहेंगी स्वभाव भी चिड़चिड़ा रहेगा। व्यर्थ में किसी से बहस ना करें सरकारी कार्य मे उलझन बढ़ेगी आज निरस्त रखें। महिला वर्ग आज विशेष खर्चीली सिद्ध होंगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन मिश्रित फल देने वाला रहेगा। दिन के आरंभ में थोड़ी सुस्ती रहने के कारण कार्यो में विलंब होगा। कार्यो में भी अधिक परिश्रम के बाद ही सफलता मिलेगी। महिलाओं को भी घरेलू कार्यो के लिए दौड़-धूप करनी पड़ेगी फिर भी लोग आपके कार्यो में नुक्स निकालेंगे। व्यवसाय से थोड़े इंतजार के बाद आवश्यकता अनुसार धन लाभ हो जाएगा। मध्यान के बाद कार्यो से उबन होने पर मनोरंजन के अवसर तलाशेंगे। आर्थिक रूप से परिस्तिथि अनुकूल ना होने पर भी खर्च करने के कारण धन की कमी बनेगी। धार्मिक क्षेत्र की लघु यात्रा हो सकती है। उदर शूल की संभावना है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप मन ही मन आंनदित रहेंगे। लापरवाही व्यवहार में रहने से दिन में कई बार कलह का कारण बनेगी। असंयमित दिनचर्या के कारण शारीरिक रूप से भी थकान एवं अस्वस्थ्यता अनुभव होगी। आज आप किसी भी एक निर्णय पर नही टिकेंगे अपनी बातों से पलटने के कारण व्यावसायिक स्थल एवं गृहस्थ में झगड़े होने की संभावना है। मौज शौक को कार्यो से ज्यादा महत्त्व देने के कारण हानि हो सकती है। धन संबंधित योजनाए मन मे चलती रहेंगी वर्जित कार्यो से शीघ्र पैसा कमाने का प्रयास भी करेंगे परन्तु सफलता में संदेह रहेगा। आज महिला वर्ग अधिक चंचल रहेंगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप सभी कार्यो को देख परख कर ही करेंगे फिर भी कार्य सफलता में विलंब अथवा कार्य हानि होगी। मन के नकारात्मक भाव शारीरिक एवं मानसिक रूप से विचलित करेंगे। आपके अंदर विवेकि भरा रहेगा भले-बुरे का पूर्व ज्ञान भी कर सकेंगे इसके बावजूद मन अनैतिक कार्यो में भटक सकता है। प्रतिकूल स्वास्थ्य कार्यो में विघ्न डालेगा। सामाजिक क्षेत्र एवं घर मे धैर्य का परिचय दें किसी की बातों पर शीघ्र प्रतिक्रिया माहौल खराब करेगी मामूली बाते भी दिल को चुभेगी। महिला वर्ग अतिआत्मविश्वास की भावना से ग्रस्त रहेंगी जिससे मान भंग के प्रसंग बन सकते है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपको सामाजिक क्षेत्र से मान-सम्मान दिलाएगा परन्तु घरेलू माहौल किसी गलतफहमी के कारण खराब होगा फिर भी स्थिति आज हर प्रकार से आपके पकड़ में रहेगी। शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम रहेगा आज की दिनचर्या से लाभ पाने के लिए आलस्य से बचना अधिक आवश्यक है। व्यवसायी वर्ग भगीदारो से पुरानी खट-पट भुला कर नए सिरे से कार्य करने का प्रयास करेंगे इसमें सफल भी रहेंगे। सहकर्मी भी आपके व्यवहार से प्रसन्न रहेंगे जिससे अपने कार्य निश्चित अवधि में पूर्ण कर सकेंगे। दोपहर के बाद किसी शुभसमाचार की प्राप्ति हर्षित करेगी। महिलाये शारीरिक कमजोरी महसूस करेंगी।

  1. मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
    आज का दिन धन-धान्य वृद्धि कारक रहेगा। विरोधी भी नतमस्तक रहेंगे आज आप महत्त्वपूर्ण घरेलु अथवा व्यावसायिक निर्णय लेंगे। स्वतंत्र विचार रहने से लोगो के मन की बात आसानी से जान लेंगे। व्यवहार कुशलता से नए लाभदायक संबंध बनाएंगे। शेयर अथवा अन्य जोखिम के कार्यो में निवेश
    का शीघ्र फल मिलेगा। कई दिनों से निरस्त यात्रा आज बेमन से करनी पड़ सकती है। मित्र रिश्तेदारो से नजदीकियां बढ़ेंगी। घरेलू वातावरण सामान्य रहेगा फिर भी महिलाओं की आवश्यकता का विशेष ध्यान रखें अन्यथा बेवजह कलह के प्रसंग बन सकते है।
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    〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

हिन्दू नववर्ष तो मनाएंगे लेकिन जिस राजपूत सम्राट विक्रमादित्य परमार की वजह से मना पाते हैं उनका नाम भी लेना पसंद नही करते

 

लेकिन हिंदुनववर्ष हिंदुनववर्ष चिल्लाते है

 

लेकिन वो हिन्दू नववर्ष नहीं , भारतीय नववर्ष है

विक्रमसंवत बोलते हैं उसे लेकिन विक्रमादित्य का नाम हटाकर हिन्दू नववर्ष कर दिया ।।

 

विक्रमादित्य ने शकों को मारकर अपने नाम पर विक्रम संवत चलाया इसलिये विक्रमसंवत्सर कहते हैं लेकिन इन पाखंडियों ने उनका नाम हटकर इसे हिन्दू नववर्ष कर दिया खुद का तो कुछ है नही…

 

#महाराजा__विक्रमादित्य__परमार

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किचक्रवर्ती सम्राट महाराज विक्रमादित्य परमार के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है,

 

जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था । इन्ही के नाम से विक्रमी संवत चलता है।

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उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन परमार, जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य…बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ,

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आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमदित्य के कारण अस्तित्व में है

अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था

भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे

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रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया

विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया

विक्रमदित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है

अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे

हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे,

उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमदित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है

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महाराज विक्रमदित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया

उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है

विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे

भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमदित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर विक्रमदित्य के सोने के सिक्के देख सकते हैं।

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विक्रम संवत् (आज का हिन्दू कैलंडर भी) विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है।