आज का पंचाग आपका राशि फल, बीमारी और मृत्यु योग से बचने के लिए महामृत्युंजय जप करने की विधि, विपरीत आहार विहार यानी किस आहार के साथ ये दूसरी चीजें नहीं खानी चाहिए

महामृत्युंजय मंत्र और लघु मृत्‍युंजय मंत्र के जप का लाभ
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|| महा मृत्‍युंजय मंत्र ||
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ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!|| संपुटयुक्त महा मृत्‍युंजय मंत्र ||ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!|| लघु मृत्‍युंजय मंत्र ||ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।किसी दुसरे के लिए जप करना हो तो-ॐ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ॐ।

|| मन्त्र जप की विधि ||
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मृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण सवा लाख है और लघु मृत्युंजय मंत्र की 11 लाख है.मेरे विचार से तो कोई भी मन्त्र जपें,पुरश्चरण सवा लाख करें.इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला पर सोमवार से शुरू किया जाता है.जप सुबह १२ बजे से पहले होना चाहिए,क्योंकि ऐसी मान्यता है की दोपहर १२ बजे के बाद इस मंत्र के जप का फल नहीं प्राप्त होता है.आप अपने घर पर महामृत्युंजय यन्त्र या किसी भी शिवलिंग का पूजन कर जप शुरू करें या फिर सुबह के समय किसी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग का पूजन करें और फिर घर आकर घी का दीपक जलाकर मंत्र का ११ माला जप कम से कम ९० दिन तक रोज करें या एक लाख पूरा होने तक जप करते रहें.अंत में हवन हो सके तो श्रेष्ठ अन्यथा २५ हजार जप और करें.ग्रहबाधा,ग्रहपीड़ा,रोग,जमीन-जायदाद का विवाद,हानि की सम्भावना या धन-हानि हो रही हो,वर-वधू के मेलापक दोष,घर में कलह,सजा का भय या सजा होने पर,कोई धार्मिक अपराध होने पर और अपने समस्त पापों के नाश के लिए महामृत्युंजय या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया या कराया जा सकता है.

|| महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरशः अर्थ:-
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||त्रयंबकम = त्रि-नेत्रों वालायजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देयसुगंधिम= मीठी महक वाला, सुगंधितपुष्टि = एक सुपोषित स्थिति,फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णतावर्धनम = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है,स्वास्थ्य, धन, सुख में वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है, और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा मालीउर्वारुकम= ककड़ीइव= जैसे, इस तरहबंधना= तनामृत्युर = मृत्यु सेमुक्षिया = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति देंमा= नअमृतात= अमरता, मोक्ष|| महा मृत्‍युंजय मंत्र का अर्थ ||समस्‍त संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले शिव की हम अराधना करते हैं। विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव मृत्‍यु न कि मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं।|| इस मंत्र का विस्तृत रूप से अर्थ ||हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं,उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए.जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं, तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं.

|| महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव ||
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मेरे विचार से महामृत्युंजय मंत्र शोक,मृत्यु भय,अनिश्चता,रोग,दोष का प्रभाव कम करने में,पापों का सर्वनाश करने में अत्यंत लाभकारी है.महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना या करवाना सबके लिए और सदैव मंगलकारी है,परन्तु ज्यादातर तो यही देखने में आता है कि परिवार में किसी को असाध्य रोग होने पर अथवा जब किसी बड़ी बीमारी से उसके बचने की सम्भावना बहुत कम होती है,तब लोग इस मंत्र का जप अनुष्ठान कराते हैं.महामृत्युंजय मंत्र का जाप अनुष्ठान होने के बाद यदि रोगी जीवित नहीं बचता है तो लोग निराश होकर पछताने लगे हैं कि बेकार ही इतना खर्च किया.यहांपर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि मेरे विचार से तो इस मंत्र का मूल अर्थ ही यही है कि हे महादेव..या तो रोगी को ठीक कर दो या तो फिर उसे जीवन मरण के बंधनों से मुक्त कर दो.अत: इच्छानुसार फल नहीं मिलने पर पछताना या कोसना नहीं चाहिए.अंत में एक बात और कहूँगा कि महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण न करें और महा मृत्युंजय मन्त्र जपने के बाद में इक्कीस बार गायत्री मन्त्र का जाप करें ताकि महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण होने पर भी पर अनिष्ट होने का भय न रहे.जगत के स्वामी बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती आप सबकी मनोकामना पूर्ण करें.पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ 9919242815 निशुल्क परामर्श उपलब्ध

*सावधान, कुछ आहार याद रखें, जिन्हें एक साथ कभी नहीं खानी चाहिये अन्यथा लेने के देने पड़ सकते। इन्हें विपरीत आहार कहते हैं, जानिये….*

*आगे मानो या न मानो…*

⚫- चाय के साथ कोई भी नमकीन चीज नहीं खानी चाहिए।

दूध और नमक का संयोग सफ़ेद दाग या किसी भी स्किन डीजीज को जन्म दे सकता है, बाल असमय सफ़ेद होना या बाल झड़ना भी स्किन डिसीज़ (त्वचा रोग) ही है।

 

⚫- सर्व प्रथम यह जान लीजिये कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा खाली पेट खाई जाती है और दवा खाने से आधे घंटे के अंदर कुछ खाना अति आवश्यक होता है, नहीं तो दवा की गरमी आपको बेचैन कर देगी।

 

⚫- दूध या दूध की बनी किसी भी चीज के साथ दही, नमक, इमली, खरबूजा, बेल, नारियल, मूली, तोरई, तिल, तेल, कुल्थी, सत्तू, खटाई, नहीं खानी चाहिए।

 

⚫- दही के साथ खरबूजा, पनीर, दूध और खीर नहीं खानी चाहिए।

 

⚫- गर्म जल के साथ शहद कभी नही लेना चाहिए।

 

⚫- ठंडे जल के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद, ककड़ी, खीरा, जामुन, मूंगफली कभी नहीं।

 

⚫- शहद के साथ मूली, अंगूर, गरम खाद्य या गर्म जल कभी नहीं।

 

⚫- खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई, खिचड़ी, कटहल कभी नहीं।

 

⚫- घी के साथ बराबर मात्र में शहद भूल कर भी नहीं खाना चाहिए ये तुरंत जहर का काम करेगा।

 

⚫- तरबूज के साथ पुदीना या ठंडा पानी कभी नहीं।

 

⚫- चावल के साथ सिरका कभी नहीं।

 

⚫- चाय के साथ ककड़ी खीरा भी कभी मत खाएं।

 

⚫- खरबूजा के साथ दूध, दही, लहसून और मूली कभी नहीं।

 

*कुछ चीजों को एक साथ खाना अमृत का काम करता है जैसे…*

 

⚫- खरबूजे के साथ चीनी

 

⚫- इमली के साथ गुड

 

⚫- गाजर और मेथी का साग

 

⚫- बथुआ और दही का रायता

 

⚫- मकई के साथ मट्ठा

 

⚫- अमरुद के साथ सौंफ

 

⚫- तरबूज के साथ गुड़

 

⚫- मूली और मूली के पत्ते

 

⚫- अनाज या दाल के साथ दूध या दही

 

⚫- आम के साथ गाय का दूध

 

⚫- चावल के साथ दही

 

⚫- खजूर के साथ दूध

 

⚫- चावल के साथ नारियल की गिरी

 

⚫- केले के साथ इलायची

 

*कभी कभी कुछ चीजें बहुत पसंद होने के कारण हम ज्यादा बहुत ज्यादा खा लेते हैं। ऎसी चीजों के बारे में बताते हैं जो अगर आपने ज्यादा खा ली हैं तो कैसे पचाई जायें..?*

 

⚫- केले की अधिकता में दो छोटी इलायची

 

⚫- आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड

 

⚫- जामुन ज्यादा खा लिया तो 3-4 चुटकी नमक

 

⚫- सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम

 

⚫- खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत

 

⚫- तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग

 

⚫- अमरूद के लिए सौंफ

 

⚫- नींबू के लिए नमक

 

⚫- बेर के लिए सिरका

 

⚫- गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो 3-4 बेर खा लीजिये।

 

आगे मानना या न मानना आपके ऊपर है….

*फ्रीज़ किए गए नींबू के आश्चर्यजनक परिणाम*

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सबसे पहले नींबू को धोकर फ्रीज़र में रखिए । ८ से १० घंटे बाद वह बर्फ़ जैसा ठंडा तथा कड़ा हो जाएगा । अब उपयोग मे लाने के लिए उसे कद्दूकस कर लें ।

इसे आप जो भी खाएँ उस पर डाल कर इसे खा सकते हैं ।

इससे खाद्य पदार्थ में एक अलग ही टेस्ट आऐगा ।

नीबू के रस में विटामिन सी होता है। ये आप जानते हैं

आइये देखें इसके और क्या-क्या फायदे हैं ।

🍋नीबू के छिलके में ५ से १० गुना अधिक विटामिन सी होता है और वही हम फेंक देते हैं ।

🍋नींबू के छिलके में शरीर कॆ सभी विषेले द्रव्यों को बाहर निकालने कि क्षमता होती है ।

🍋नींबू का छिलका कैंसर का नाश करता है ।इसका छिलका कैमोथेरेपी से १०,००० गुना ज्यादा प्रभावी है ।

🍋यह बैक्टेरियल इन्फेक्शन, फंगस आदि पर भी प्रभावी है ।

🍋नींबू का रस विशेषत: छिलका, रक्तदाब तथा मानसिक दबाव को नियंत्रित करता है ।

🍋नींबू का छिलका १२ से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूर्ण प्रभावी है और वो भी बिना किसी साईड इफेक्ट के । 

🍋इसलिये *आप अच्छे पके हुए तथा स्वच्छ नींबू फ्रीज़र में रखें और कद्दूकस कर प्रतिदिन अपने आहार के साथ प्रयोग करें*                             

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🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻मंगलवार, १३ अप्रैल २०२२🌻

 

सूर्योदय: 🌄 ०६:०३

सूर्यास्त: 🌅 ०६:३८

चन्द्रोदय: 🌝 १४:१८

चन्द्रास्त: 🌜२८:००

अयन 🌕 उत्तरायने (उत्तरगोलीय

ऋतु: 🌿 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (राक्षस)

मास 👉 चैत्र 

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉एकादशी (२९:०२ तक)

नक्षत्र 👉 आश्लेशा (०८:३५ तक)

योग 👉 शूल (१२:०४ तक)

प्रथम करण 👉 वणिज (१६:५१ तक)

द्वितीय करण 👉 विष्टि (२९:०२ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

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सूर्य 🌟 मीन 

चंद्र 🌟 सिंह (०८:३४ से)

मंगल 🌟 कुम्भ (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मेष (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 कुंम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

शुक्र 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 वृष

केतु 🌟 वृश्चिक

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५२ से १२:४३

अमृत काल 👉 ०६:५२ से ०८:३५

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०५:५४ से ०८:३५

रवियोग 👉 ०५:५४ से ०८:३५

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१७

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:२९ से १८:५३

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४२ से १९:४९

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५५ से २४:४०

राहुकाल 👉 १५:३० से १७:०६

राहुवास 👉 पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०९:०६ से १०:४२

होमाहुति 👉 शनि

दिशाशूल 👉 उत्तर

अग्निवास 👉 पृथ्वी

भद्रावास 👉 मृत्यु (१६:५१ से २९:०२) 

चन्द्र वास 👉 उत्तर (पूर्व ०८:३५ से)

शिववास 👉 क्रीड़ा में (२९:०२ से कैलाश पर)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – रोग २ – उद्वेग

३ – चर ४ – लाभ

५ – अमृत ६ – काल

७ – शुभ ८ – रोग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – काल २ – लाभ

३ – उद्वेग ४ – शुभ

५ – अमृत ६ – चर

७ – रोग ८ – काल

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पूर्व-उत्तर (धनिया अथवा दलिये का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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कामदा एकादशी व्रत (स्मार्त), लक्ष्मीकांत दोलोत्सव आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ०८:३५ तक जन्मे शिशुओ का नाम

आश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (डो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम मघा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (मा, मी, मू, मे) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – २८:३९ से ०६:०३

मेष – ०६:०३ से ०७:३७

वृषभ – ०७:३७ से ०९:३१

मिथुन – ०९:३१ से ११:४६

कर्क – ११:४६ से १४:०८

सिंह – १४:०८ से १६:२७

कन्या – १६:२७ से १८:४५

तुला – १८:४५ से २१:०५

वृश्चिक – २१:०५ से २३:२५

धनु – २३:२५ से २५:२८

मकर – २५:२८ से २७:१०

कुम्भ – २७:१० से २८:३५

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पञ्चक रहित मुहूर्त

रोग पञ्चक – ०५:५४ से ०६:०३

चोर पञ्चक – ०६:०३ से ०७:३७

शुभ मुहूर्त – ०७:३७ से ०८:३५

रोग पञ्चक – ०८:३५ से ०९:३१

शुभ मुहूर्त – ०९:३१ से ११:४६

मृत्यु पञ्चक – ११:४६ से १४:०८

अग्नि पञ्चक – १४:०८ से १६:२७

शुभ मुहूर्त – १६:२७ से १८:४५

रज पञ्चक – १८:४५ से २१:०५

शुभ मुहूर्त – २१:०५ से २३:२५

चोर पञ्चक – २३:२५ से २५:२८

शुभ मुहूर्त – २५:२८ से २७:१०

रोग पञ्चक – २७:१० से २८:३५

शुभ मुहूर्त – २८:३५ से २९:०२

मृत्यु पञ्चक – २९:०२ से २९:५३

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज आप प्रत्येक कार्यो में आवश्यकता से कुछ अधिक दिमाग लगाएंगे स्वयं को लेकर भ्रम की स्थिति में रहेंगे हद से ज्यादा आत्मविश्वास भी हानि का कारण बन सकता है। कार्य व्यवसाय में आज कार्यो को स्वाभाविक ही होने दें सहकर्मियों के कार्यो में टांग अड़ाना भारी पड़ेगा। व्यवसाय नए प्रयोग आज ना करें हानि हो सकती है। सेहत में उतार चढ़ाव बना रहेगा हाथ पैरों में शिथिलता आएगी। आज किसी भी प्रकार के जोखिम वाले कार्य से बचें। परिजनों के लिए थोड़ा समय अवश्य निकालें इससे घर मे शांति बनी रहेगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आपका आज का दिन प्रतिकूल फलदायी रहेगा। आपको आज किसी की भलाई करने पर भी बदले में बुराई ही मिलेगी। बिना मांगे किसी को सलाह ना दें एवं ना ही किसी के व्यक्तिगत कार्यो में दख़ल दें सम्मान हानि हो सकती है। दिन के अधिकांश समय घरेलू उलझनों के कारण मानसिक रूप से विचलित रहेंगे। भले बुरे का विवेक कम ही रहेगा। व्यवसाय में भी असफलता मिलने पर मन अनैतिक साधनों से कमाई की ओर आकर्षित होगा लेकिन इससे स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है। धैर्य से आज का दिन व्यतीत करें। धन को ज्यादा महत्त्व ना दें। 

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपके लिए उन्नति कारक रहेगा। कार्य क्षेत्र पर आशानुकूल सहयोगी वातावरण मिलने से सुव्यवस्था बनाने में सफल रहेंगे इसका फल धन लाभ के रूप में अवश्य मिलेगा। आज आपके पास किसी आशा से आया कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नही जाएगा। कार्य क्षेत्र के साथ ही परोपकार पर भी ध्यान देंगे सामाजिक कार्यो में समय कम दे पाएंगे फिर भी आर्थिक सहयोग करने से मान बढ़ेगा। प्रतिस्पर्धी आपके आगे टिक नही सकेंगे। गृहस्थ में आपके निर्णयों को सम्मान मिलेगा पारिवारिक सदस्यों को आपकी आवश्यकता भी रहेगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन आप निश्चिन्त होकर बिताएंगे कार्य स्थल पर आज व्यवसाय कुछ खास नही रहेगा फिर भी आत्मसंतोष की भावना रहने से मन विचलित नही होगा। समस्त कार्यो में अधिक प्रयास के बाद ही सफलता मिलेगी इसलिए आज के दिन अतिमहत्त्वपूर्ण कार्यो को टालना ही बेहतर रहेगा। आय की अपेक्षा व्यय अधिक होगा परन्तु आवश्यक कार्यो पर ही खर्च करेंगे। मध्यान के बाद लाभ के सौदे हाथ लगेंगे निकट भविष्य में इनसे धन लाभ होगा। घरेलू वातावरण किसी सदस्य के गलत आचरण के कारण कुछ समय के लिए अशांत बनेगा। बुजुर्गो की नाराजगी झेलनी पड़ेगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन आपके अंदर चंचलता अधिक रहेगी। मन किसी एक निर्णय पर नही टिकने से लाभ के अवसर हाथ से निकल सकते है। आज आप किसी पर भी जल्दी से विश्वास नही करेंगे। घर के सदस्यों को भी शक की दृष्टि से देखने पर माहौल खराब होगा। पूजा पाठ में श्रद्धा रहेगी फिर भी मन इधर उधर भटकने से एकाग्रता नही रहेगी। नौकरी पेशा जातक कामो में लापरवाही दिखाने पर अपमानित हो सकते है। काम चलाने लायक आर्थिक लाभ संध्या के आसपास हो जाएगा। पारिवारिक सदस्यों को आज संतुष्ट नही कर पाएंगे। 

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आप अपनी ही किसी गलती से हानि कराएंगे। अपने निर्णय पर नही टिकने के कारण सार्वजनिक क्षेत्र अथवा परिवार में आपकी आलोचना होगी। कार्य स्थल पर भी अधिकांश समय अस्त-व्यस्त कार्यो को सुधारने में बीतेगा। धन लाभ के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ेगा फिर भी आशाजनक नही होगा। कार्यो का विस्तार एवं निवेश आज ना करें। संभव हो तो यात्रा भी टालें वाहन चलाते समय सावधानी रखें चोट लगने का भय है। परिवारके आवश्यकता पूर्ति में देरी होने से कलह होगी।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन आपको धन के साथ ही सम्मान भी दिलाएगा। समाज के उच्च प्रतिष्ठित लोगो से जान-पहचान बढ़ेगी भविष्य में इसका लाभ भी अवश्य मिलेगा। आज लोगो की खातिरदारी पर खर्च भी करना पड़ेगा। कार्य-व्यवसाय में भी आकस्मिक वृद्धि होने से आर्थिक स्थिति बेहतर बनेगी। आज आप सांसारिक कार्यो में अधिक रुचि लेंगे। मनोरंजन के अवसर भी मिलेंगे। प्रेम प्रसंगों में निकटता आएगी। अविवाहितों के लिए योग्य रिश्ते आएंगे। आज आप जिस भी कार्य का प्रयास करेंगे देर अबेर उसमे सफल अवश्य होंगे।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन शांति से बीतेगा। आज कार्यो के आरम्भ में ज्यादा काम देख कर घबराहट होगी परन्तु थोड़े परिश्रम के बाद सफलता मिल जाएगी। व्यवसायी लोगो को सरकारी सहायता मिलने की संभावना आज अधिक है अन्य सरकार संबंधित कार्य भी सहज पूर्ण होंगे। आर्थिक लेन देन भी आज निर्विघ्न चलते रहंगे धन संबंधित मामलों में आपकी छवि ईमानदार वाली बनेगी। घरेलू वातावरण में छोटी मोटी उलझने रहने पर भी परस्पर एकता दिखेगी। आज किसी के बहकावे में ना आये।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आपके अंदर नई चेतना जागृत होगी। धर्म-कर्म का प्रचार-प्रसार करने में रुचि लेंगे किसी तीर्थ स्थान पर यात्रा की योजना भी बन सकती है। व्यवसाय में थोड़ी परेशानी के बाद निर्वाह योग्य आय हो जाएगी लेकिन आज सहकर्मियों का प्रति सकारात्मक सोच रखें अन्यथा मतभेद भी हो सकते है। नौकरी पेशा जातको को अतिरिक्त कार्य मिलने से कुछ समय के लिए परेशानी रहेगी। घर के सदस्य इच्छा पूर्ति के लिए जिद करेंगे जिसे पूर्ण करने पर खर्च होगा। दूर स्थान की यात्रा में आ रही बाधा शांत होगी।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन आपके लिए हानिकारक रहेगा। सेहत में प्रातः काल से ही गिरावट बनेगा जिसका प्रभाव समस्त दिनचार्य पर पड़ेगा। अधिकतर कार्य मजबूरी में करने पड़ेंगे। व्यवसायी वर्ग किसी सौदे के निरस्त होने अथवा कार्यो में त्रुटि रहने से निराश होंगे। सरकारी एवं सम्पति संबंधित मामलों में उलझने बढ़ेंगी इन्हें यथा सम्भव आज ना करें। आज किसी पर भी बिना विचार किये विश्वास ना करें किसी अपरिचित द्वारा धोखा हो सकता है। दाम्पत्य में खर्च करने पर भी शांति स्थापित करने में असफल रहेंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आप आनंद से बितायेंगे। किसी मनोकामना अथवा बनाई योजना में सफलता मिलने की ख़ुशी दिन भर रहेगी। सेहत थोड़ी असामान्य रह सकती है स्वसन क्रिया सम्बंधित परेशानी बनेगी। कार्य क्षेत्र से आशा से अधिक लाभ कमा सकेंगे। यात्रा पर जाने का विचार होगा जिसमे थकान भी रहेगी परन्तु उत्साह के आगे अनुभव नहीं होगी। आस पड़ोसियों से ईर्ष्या युक्त सम्बन्ध रहेंगे। आप किसी से भी मदद लेने में सफल रहेंगे परन्तु किसी की मदद करने में आनाकानी कर सकते है। परिजन आपकी बात मानेंगे।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपके लिये लाभ के साथ ही खर्च वाला भी रहेगा। व्यवसायी वर्ग आज संबंधों से ज्यादा धन को अधिक महत्त्व देंगे धन लाभ आवश्यकता से अधिक होगा लेकिन संबंधों में खटास आएगी। घर की अपेक्षा बाहर के लोग आप पर अधिक विश्वास करेंगे। लेकिन रोजगार संबंधित कार्य स्वयं के बल पर ही करने होंगे। दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर खर्च होगा महिलाये आज ज्यादा खर्चीली रहेंगी जिससे घर का बजट प्रभावित हो सकता है। घर के बुजुर्ग पुरानी बीमारी के कारण परेशान रहेंगे। आत्मसंतोष की कमी रहेगी।

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 🙏राधे राधे🙏

कामदा एकादशी व्रत आज

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सर्वार्थ सिद्धि योग में है कामदा एकादशी व्रत

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इस साल कामदा एकादशी व्रत 12 अप्रैल दिन मंगलवार को है, जो सर्वार्थ सिद्धि योग में है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी कामदा एकादशी कहलाती है। इस एकादशी व्रत को रखने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं, भगवान विष्णु के आशीर्वाद से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, मृत्यु के पश्चात मोक्ष भी मिलता है। जाने या अनजाने में आप से कोई ऐसी गलती हुई है, जिसका प्रायश्चित करना हो, तो आपको कामदा एकादशी व्रत रखना चाहिए। इस बार यह व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में होने कारण और भी फलदायी है। आप जिस भी मनोकामना से यह व्रत रखेंगे, उसमें आपको कामयाबी मिलेगी।

 

कामदा एकादशी 2022 पूजा मुहूर्त

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चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ: 12 अप्रैल, मंगलवार, प्रात: 04 बजकर 30 मिनट पर चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 13 अप्रैल, बुधवार, प्रात: 05 बजकर 02 मिनट पर सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05 बजकर 59 मिनट से सुबह 08 बजकर 35 मिनट तकदिन का शुभ समय: दिन में 11:57 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक

 

कामदा एकादशी व्रत का पारण

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12 अप्रैल को एकादशी व्रत रखने वाले लोग अगले दिन सूर्योदय के बाद दोपहर में पारण करेंगे। दोपहर 01:39 बजे से शाम 04:12 बजे के मध्य पारण करना है। इस बार की एकादशी दो दिन है। जिसमें गृहस्थ लोग 12 को व्रत रखेंगे और साधु-संत 13 अप्रैल को।

साधु-संत कामदा एकादशी व्रत का पारण 14 अप्रैल को सुबह 05:57 बजे से लेकर सुबह 08:31 बजे के बीच कभी भी कर सकते हैं।

 

कामदा एकादशी व्रत का महत्व

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कामदा एकादशी व्रत रखने से पाप मिटते हैं और मोक्ष मिलता है। धार्मिक दृष्टि से ब्रह्म हत्या का पाप सबसे बड़ा पाप माना जाता है। जो लोग कामदा एकादशी व्रत रखते हैं, वे श्रीहरि विष्णु की कृपा से ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति पा सकते हैं।

 

कामदा एकादशी व्रत कथा

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धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन्! मैं आपको कोटि-कोटि नमस्कार करता हूँ। अब आप कृपा करके चैत्र शुक्ल एकादशी का महात्म्य कहिए। श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे धर्मराज! यही प्रश्न एक समय राजा दिलीप ने गुरु वशिष्ठजी से किया था और जो समाधान उन्होंने किया वो सब मैं तुमसे कहता हूँ।

 

प्राचीनकाल में भोगीपुर नामक एक नगर था। वहाँ पर अनेक ऐश्वर्यों से युक्त पुण्डरीक नाम का एक राजा राज्य करता था। भोगीपुर नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गन्धर्व वास करते थे। उनमें से एक जगह ललिता और ललित नाम के दो स्त्री-पुरुष अत्यंत वैभवशाली घर में निवास करते थे। उन दोनों में अत्यंत स्नेह था, यहाँ तक कि अलग-अलग हो जाने पर दोनों व्याकुल हो जाते थे।

 

एक समय पुण्डरीक की सभा में अन्य गंधर्वों सहित ललित भी गान कर रहा था। गाते-गाते उसको अपनी प्रिय ललिता का ध्यान आ गया और उसका स्वर भंग होने के कारण गाने का स्वरूप बिगड़ गया। ललित के मन के भाव जानकर कार्कोट नामक नाग ने पद भंग होने का कारण राजा से कह दिया। तब पुण्डरीक ने क्रोधपूर्वक कहा कि तू मेरे सामने गाता हुआ अपनी स्त्री का स्मरण कर रहा है। अत: तू कच्चा माँस और मनुष्यों को खाने वाला राक्षस बनकर अपने किए कर्म का फल भोग।

 

पुण्डरीक के श्राप से ललित उसी क्षण महाकाय विशाल राक्षस हो गया। उसका मुख अत्यंत भयंकर, नेत्र सूर्य-चंद्रमा की तरह प्रदीप्त तथा मुख से अग्नि निकलने लगी। उसकी नाक पर्वत की कंदरा के समान विशाल हो गई और गर्दन पर्वत के समान लगने लगी। सिर के बाल पर्वतों पर खड़े वृक्षों के समान लगने लगे तथा भुजाएँ अत्यंत लंबी हो गईं। कुल मिलाकर उसका शरीर आठ योजन के विस्तार में हो गया। इस प्रकार राक्षस होकर वह अनेक प्रकार के दुःख भोगने लगा।

 

जब उसकी प्रियतमा ललिता को यह वृत्तान्त मालूम हुआ तो उसे अत्यंत खेद हुआ और वह अपने पति के उद्धार का यत्न सोचने लगी। वह राक्षस अनेक प्रकार के घोर दुःख सहता हुआ घने वनों में रहने लगा। उसकी स्त्री उसके पीछे-पीछे जाती और विलाप करती रहती। एक बार ललिता अपने पति के पीछे घूमती-घूमती विन्ध्याचल पर्वत पर पहुँच गई, जहाँ पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम था। ललिता शीघ्र ही श्रृंगी ऋषि के आश्रम में गई और वहाँ जाकर विनीत भाव से प्रार्थना करने लगी।

 

उसे देखकर श्रृंगी ऋषि बोले कि हे सुभगे! तुम कौन हो और यहाँ किस लिए आई हो? ‍ललिता बोली कि हे मुने! मेरा नाम ललिता है। मेरा पति राजा पुण्डरीक के श्राप से विशालकाय राक्षस हो गया है। इसका मुझको महान दुःख है। उसके उद्धार का कोई उपाय बतलाइए। श्रृंगी ऋषि बोले हे गंधर्व कन्या! अब चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है। इसका व्रत करने से मनुष्य के सब कार्य सिद्ध होते हैं। यदि तू कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को दे तो वह शीघ्र ही राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा का श्राप भी अवश्यमेव शांत हो जाएगा।

 

मुनि के ऐसे वचन सुनकर ललिता ने चैत्र शुक्ल एकादशी आने पर उसका व्रत किया और द्वादशी को ब्राह्मणों के सामने अपने व्रत का फल अपने पति को देती हुई भगवान से इस प्रकार प्रार्थना करने लगी – हे प्रभो! मैंने जो यह व्रत किया है इसका फल मेरे पतिदेव को प्राप्त हो जाए जिससे वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाए। एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ। फिर अनेक सुंदर वस्त्राभूषणों से युक्त होकर ललिता के साथ विहार करने लगा। उसके पश्चात वे दोनों विमान में बैठकर स्वर्गलोक को चले गए।

 

वशिष्ठ मुनि कहने लगे कि हे राजन्! इस व्रत को विधिपूर्वक करने से समस्त पाप नाश हो जाते हैं तथा राक्षस आदि की योनि भी छूट जाती है। संसार में इसके बराबर कोई और दूसरा व्रत नहीं है। इसकी कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

 

राजेन्द्र गुप्ता,

ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

मो. 9611312076