आज का पंचाग आपका राशि फल, ज्योतिष्पीठ में तीन पीठों के शंकराचार्यों का अभिनंदन समारोह, पूजा पद्धति में नो वृक्षों की पत्तियों का महात्म्य, पतिव्रता अहिल्या का तप बदल गया सृष्टिचक्र

वन्दे गुरु परम्पराम्
ब्रह्मलीन जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य
उत्तराम्मनाय ज्योतिष्पीठ जगदगुरु शंकरचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज
पश्चिमामनाय द्वारकापीठ जगदगुरु शंकरचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती जी महाराज
के साथ श्री ऋषिकुल विद्यापीठ के अधिष्ठाता आचार्य नटवरलाल जोशी जी।
आज होगा पट्टाभिषेक व शंकराचार्य सम्मेलन।
दक्षिणाम्नानाय शृंगेरी जगदगुरु शंकरचार्य स्वामी विधुशेखर भारती जी महाराज की सन्निधि भी रहेगी, पुरी पीठ सहित भारतवर्ष के अनेक गणमान्य-प्रबुद्ध सन्तों, विद्वानों जा आगमन दिव्य ज्योतिष्पीठ में एकदा नैमिशारण्य सा वातावरण। ज्योतिष्पीठ में तीन पीठों के शंकराचार्यों का स्थानीयों द्वारा अभिनंदन समारोह आज। बता दें कि आज ज्योतिष्पीठ में शंकराचार्य अविमुक्तेस्वरानन्द का ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के रूप में विधिवत पट्टाभिषेक गंगा परमहंसी आश्रम मध्य प्रदेश में हो चुका है आज ज्योतिष्पीठ पर महाअभिषेक होना था जिसे उच्चतम न्यायालय के स्थगन हस्तक्षेप के बाद स्थगित कर दिया गया है। लेकिन क्यों कि यहां ज्योतिष्पीठ पर शंकरचार्य का महाभिषेक हेतु भारी तैयारी थी ज्योतिष्पीठ को भव्य सजाया गया है। स्थानीयों द्वारा आज यहां स्वागत आयोजन किया गया है। 

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻सोमवार, १७ अक्टूबर २०२२🌻आज माता पार्वती का विशेष व्रत है अहोई अष्टमी का ब्रत /अपने पुत्र के उज्वल भविष्य की शुभ कामनाओं के लिए इस व्रत को अवश्य रखें। 

सूर्योदय: 🌄 ०६:२३
सूर्यास्त: 🌅 ०५:४६
चन्द्रोदय: 🌝 २३:१६
चन्द्रास्त: 🌜१३:१०
अयन 🌖 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (राक्षस)
मास 👉 कार्तिक
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 सप्तमी (०९:२९ से अष्टमी)
नक्षत्र 👉 पुनर्वसु (२९:१३ से पुष्य)
योग 👉 शिव (१६:०२ से सिद्ध)
प्रथम करण 👉 बव (०९:२९ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव (२२:४४ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कन्या
चंद्र 🌟 कर्क (२२:२८ से)
मंगल 🌟 मिथुन (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (उदित, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 कन्या (अस्त, पूर्व)
शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३९ से १२:२५
अमृत काल 👉 २६:३१ से २८:१९
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 २९:१३ से ३०:२०
विजय मुहूर्त 👉 १३:५६ से १४:४२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:३३ से १७:५७
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:४४ से १९:००
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३७ से २४:२८
राहुकाल 👉 ०७:४५ से ०९:११
राहु वास 👉 उत्तर-पश्चिम
यमगण्ड 👉 १०:३६ से १२:०२
होमाहुति 👉 गुरु (२९:१३ से राहु)
दिशाशूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्र वास 👉 पश्चिम (उत्तर २२:२८ से)
शिववास 👉 श्मशान में (०९:२९ से गौरी के साथ)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – अमृत २ – काल
३ – शुभ ४ – रोग
५ – उद्वेग ६ – चर
७ – लाभ ८ – अमृत
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – चर २ – रोग
३ – काल ४ – लाभ
५ – उद्वेग ६ – शुभ
७ – अमृत ८ – चर
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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उत्तर-पश्चिम (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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संक्रांति सूर्य तुला मे १९:२१ से (पुण्यकाल दिन १२:०१ से सायं ०५:४३ तक), अहोई अष्टमी आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २९:२३ तक जन्मे शिशुओ का नाम
पूनर्वसु नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (के, को, ह, ही) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (हू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कन्या – २८:०८ से ०६:२५
तुला – ०६:२५ से ०८:४६
वृश्चिक – ०८:४६ से ११:०६
धनु – ११:०६ से १३:०९
मकर – १३:०९ से १४:५०
कुम्भ – १४:५० से १६:१६
मीन – १६:१६ से १७:४०
मेष – १७:४० से १९:१३
वृषभ – १९:१३ से २१:०८
मिथुन – २१:०८ से २३:२३
कर्क – २३:२३ से २५:४५
सिंह – २५:४५ से २८:०४
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पञ्चक रहित मुहूर्त
मृत्यु पञ्चक – ०६:२० से ०६:२५
अग्नि पञ्चक – ०६:२५ से ०८:४६
शुभ मुहूर्त – ०८:४६ से ०९:२९
रज पञ्चक – ०९:२९ से ११:०६
शुभ मुहूर्त – ११:०६ से १३:०९
चोर पञ्चक – १३:०९ से १४:५०
शुभ मुहूर्त – १४:५० से १६:१६
रोग पञ्चक – १६:१६ से १७:४०
चोर पञ्चक – १७:४० से १९:१३
शुभ मुहूर्त – १९:१३ से २१:०८
रोग पञ्चक – २१:०८ से २३:२३
शुभ मुहूर्त – २३:२३ से २५:४५
मृत्यु पञ्चक – २५:४५ से २८:०४
अग्नि पञ्चक – २८:०४ से २९:१३
शुभ मुहूर्त – २९:१३ से ३०:२०
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आज का राशिफल
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
बीते दिन की तुलना में आज का दिन शांतिदायक रहेगा फिर भी पुरानी बातों को भूलने का प्रयास कर नई योजना बनाने में समय का उपयोग करे आगे समय धन लाभ वाला बन रहा है। आज भी मध्यान तक पुरानी कटु यादे मन मे चुभेगी। मध्यान के बाद ही दिनचार्य सामान्य बन पाएगी आज मेहनत करने से भी दूर भागेंगे जिससे कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी एवं अधिकारी वर्ग को असंतोष होगा अपने कार्य अथवा गलतियों का बोझ अन्य के सर डालने का प्रयास झगड़ा कराएगा इसका ध्यान रखें। संध्या का समय मानसिक राहत वाला रहेगा थकान अधिक रहेगी लेकिन धन लाभ होने से इस तरफ ध्यान नही जाएगा। दाम्पत्य जीवन मे आज तालमेल नही बैठा पाएंगे। पुरानी बीमारी अथवा किसी अन्य कारण से स्वयं को बोझ जैसा अनुभव करेंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप असमंजस की स्थिति में रहेंगे। दिन के आरम्भ में थोड़ी सुस्ती रहेगी लेकिन मध्यान तक कार्यो के प्रति गंभीर हो जाएंगे। घरेलू अथवा व्यावसायिक जिस भी कार्य मे लाभ देखेंगे उसमे आवश्यकता पड़ने पर सहयोग आसानी से मिल जाएगा लेकिन किसी का गलत मार्गदर्शन भ्रम में डालेगा। थोड़ा धैर्य रख दिमाग से काम ले तो सफलता अवश्य मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर लाभ के अवसर मिलते रहेंगे धन लाभ भी अवश्य होगा लेकिन आज धन आते ही कही न कही लग भी जाएगा बचत नही कर पाएंगे। सरकारी कार्यो में आज ढील ना दें अन्यथा बाद में सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। नौकरी पेशाओ का अधिकारी अथवा कार्य क्षेत्र पर किसी न किसी से झगड़ा हो सकता है। परिवार में भी कुछ ऐसी ही स्थिति रहेगी जरासी बात पर परिजन एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के लिये तैयार रहेंगे। जोड़ो में दर्द एवं मुख गले संबंधित समस्या हो सकती है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आपका स्वभाव मनमौजी रहेगा अपने मे मस्त रहेंगे आवश्यक कार्यो को भी मजबूरी में करेंगे अथवा टालने के ही प्रयास करेंगे जिससे घर के सदस्यों के साथ मन मुटाव होगा। कार्य क्षेत्र पर जिद्दी व्यवहार ना करे आज सबको साथ लेकर कार्य करने में ही भलाई है अन्यथा सांध्य बाद पछताना पड़ेगा। धन लाभ की सम्भवना आज दिन भर बनी रहेगी लेकिन होगा अकस्मात ही। आज आप अपनी वाणी के प्रभाव से लोगो का ध्यान आकर्षित करने में सफ़ल होंगे लेकिन इसका कोई आर्थिक लाभ नही मिल पाने का मलाल भी रहेगा। माता से भावनात्मक संबंधों में कमी आएगी। अचल संपत्ति संबंधित कार्य फिलहाल स्थगित ही रखे खर्च करने के बाद भी परिणाम शून्य ही मिलेंगे। सन्तानो से संबंध खराब होंगे लेकिन किसी बात का गर्व भी होगा। पेट अथवा मूत्राशय मे जलन की शिकायत हो सकती है। पैतृक कारणों से की यात्रा लाभ देगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपको किसी न किसी रूप में धन का हास कराएगा। कार्य क्षेत्र हो या किसी से व्यक्तिगत संबंध आज किसी के ऊपर भी आँख बंद कर विश्वास ना करें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मध्यान बाद तक प्रत्येक कार्य मे अड़चने आएंगी लोगो का पहले वादा कर बाद में मुकर जाना खासी मुश्किल में डालेगा इसलिये आज जितना सामर्थ्य है उतना ही कार्य करे। संध्या से स्थिति में कुछ सुधार आएगा लेकिन युक्ति लगाने के बाद भी धन की आमद ना के बराबर ही रहेगी। नए या पुराने कार्य मे निवेश आज ना करे धन लंबे समय के लिये फंस सकता है। घर मे पति-पत्नी का स्वास्थ्य भी नरम रहने से अतिरिक्त भाग दौड़ के साथ धन व्यय होगा। जमीन संबंधित कार्यो में निवेश संध्या बाद करे आगे लाभ देगा। पारिवारिक माहौल आज उथल पुथल ही रहेगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन शारीरिक दृष्टिकोण से बीते कुछ दिनों की तुलना में बेहतर रहेगा चुस्ती की कमी दिन के आरम्भ में रहेगी लेकिन मध्यान बाद से सामान्यता आने लगेगी। कार्य क्षेत्र के साथ सार्वजिनक पर आपके विचार लोगो को पसंद आयेंगे सभी आपकी बातों पर विश्वास करेंगे लेकिन जहां लाभ कमाने का अवसर आएगा वहां निराशा ही हाथ लगेगी फिर भी काम चलाने लायक धन कही ना कही से मिल ही जायेगा। आज आप अधिक बोलने और दूसरों को बिना मांगे सलाह देने से बचे किसी से कलह हो सकती है। सरकारी कार्य आरंभ में उलझते हुए प्रतीत होंगे लेकिन थोड़ा प्रयास करने पर ले देकर काम बन सकता है। जमीन जायदाद संबंधित कार्य से हानि होगी आज टालना ही बेहतर रहेगा। घर के सदस्यों से भी आवश्यता अनुसार ही बात करें खास कर पती-पत्नी आपसी धैर्य का परिचय दें अहम और जिद की भावना घर मे अशांति फैलाएंगी। नाक-कान-गले मे अथवा अचानक गिरने से पीड़ा हो सकती है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपके अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होगा भक्ति भावो में डूबे रहेंगे। स्वभाव आज थोड़ा रूखा रहेगा अपने कार्य मे किसी का दखल देना या किसी का ज्ञान देना तुरंत अखरेगा शब्दो पर नियंत्रण रखें अन्यथा बैठे बिठाये झगड़ा हो सकता है। कार्य व्यवसाय से आज ज्यादा उम्मीद ना रखें थोड़ा बहुत व्यवसाय ही रहने से धन की आमद भी सीमित रहेगी। संतान अथवा ननिहाल पक्ष से कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है जिसका प्रभाव आने वाले कुछ दिनों तक देखने को मिलेगा। मध्यान बाद किसी अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य के स्वतः ही बनने से आश्चर्य में पड़ेंगे। कंजूसी कर धन कोष में वृद्धि के प्रयास सफल होंगे। सामाजिक कार्यो में आज कम रुचि रहने पर भी मान सम्मान यथावत बना रहेगा। शरीर मे थोड़ी तकलीफ होने पर तुरंत जांच कराए नाहाई तो लंबी खिंचने की संभावना है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन सामान्य से उत्तम रहेगा। दिन के आरम्भ से ही आध्यात्म में रुचि रहेगी घरेलू पूजा पाठ के साथ धार्मिक क्षेत्र की यात्रा के अवसर भी मिलेंगे। कार्य व्यावसाय से आशा ना होने पर भी अकस्मात लाभ के समाचार उत्साहवर्धन करेंगे। अधूरे सरकारी कार्यो को लापरवाही छोड़ पूर्ण करे परिस्थिति सहायक रहने से कम परिश्रम में काम बन सकता है इसके बाद कोई न कोई कमी रहने के कारण लंबे समय के लिये लटकेगा। नौकरी पेशा जातक अथवा भागीदारी के कार्यो में जिद बहस को छोड़ कार्य करे तो शीघ्र ही सफलता मिल सकती है। विदेश संबंधित कार्यो से भी कुछ न कुछ लाभ ही मिलेगा इनमे निवेश करना आज उचित रहेगा। पारिवारिक वातावरण छोटी मोटी नोकझोंक के बाद भी सुख प्रदान करेगा।
शारीरिक त्रिदोषों का संतुलन बिगड़ने पर रोग शीघ्र पकड़ लेंगे खान पान संयमित रखें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन मिला जुला फल देने वाला रहेगा। दिन के आरम्भ में जो भी योजना बनाएंगे परिस्थितिवश उसमे बदलाव करना पड़ेगा। कार्य व्यवसाय में किसी न किसी की दखलंदाजी के कारण मन मे अंतर्द्वंद लगा रहेगा जिसका समाधान कलह के बाद ही हो पायेगा भागीदारों पर नजर रखे अपना हित साधने के लिये आपको नजरअंदाज कर सकते है। आज भाई बंधुओ से आर्थिक लेनदेन करना पड़ेगा जिसके कारण भविष्य में कलह होने की संभावना है यथासंभव इसे टालने के प्रयास करें। कार्य व्यवसाय से धन की आमद अवश्य होगी लेकिन कर्ज भी होने की संभावना बराबर ही है। पति-पत्नी से आकस्मिक धन लाभ हो सकता है लेकिन इसके लिये स्वभाव में नरमी रखनी पड़ेगी। नसों में कमजोरी के कारण शारीरिक शिथिलता अनुभव करेंगे। धन के किसी झंझट वाली जगह फंसने की संभावना है। यात्रा से बचें।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपकी धार्मिक भावनाए प्रबल रहेंगी। दिन के आरंभ में पूजा पाठ के लिये समय देंगे लेकिन आज मन कही और ही भटकने के कारण मानसिक शांति और एकाग्रता कम रहेगी। कार्य क्षेत्र पर मध्यान तक उदासी रहेगी जिसके कारण मेहनत भी अन्य दिनों की तुलना में अधिक नही रहेगी लेकिन मध्यान बाद अकस्मात कार्य आने पर व्यस्तता बढ़ेगी फिर भी परिश्रम का उचित लाभ आज मिलना संभव नही। आज की मेहनत कल अवश्य ही फलित होगी इस बात को दिमाग मे बैठाकर कार्य करें। पति अथवा पत्नी के संतान को लेकर मतभेद हो सकते है कार्य क्षेत्र पर संतान का सहयोग अथवा मार्गदर्शन लेने से बचे अन्यथा लंबे समय तक स्वयं को हो दोष देंगे। नौकरी पेशाओ को आज योग्यता का अवश्य लाभ मिलेगा अतिआत्मविश्वास हानि करा सकता है इसका भी ध्यान रखें। पेट मे गैस जलन की शिकायत हो सकती है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आपको लाभ के अवसर मिलेंगे लेकिन आपका स्वभाव अकस्मात गर्म होने पर इससे वंचित भी रह सकते है इसका ध्यान रखें। कार्य क्षेत्र पर आपकी अथवा किसी सहयोगी की गलती से भविष्य में बड़ी हानि होने की संभावना है बड़े कार्यो का अधिक देख भाल कर ही करें। सार्वजिनक क्षेत्र पर लोग आपको बुद्धिमान मानेंगे लेकिन आपस मे व्यवहार बनने के बाद सोच में बदलाव आएगा धन को लेकर आप किसी भी प्रकार का स्वार्थ साधने से नही चूकेंगे। धन की आमद और खर्च बराबर रहेंगे फिजूल खर्च से बचे नही तो आर्थिक संतुलन गड़बड़ायेगा भविष्य के कार्यो में कटौती भी करनी पड़ेगी। संतान का व्यवहार जिद्दी रहेगा फिर भी किसी न किसी रूप में सुख सहयोग भी मिलेगा। अकस्मात आने वाले क्रोध पर नियंत्रण रखें वरना स्वयं को ही मुश्किल होगी। ठंडी वस्तु के सेवन से बचे खांसी कफ हो सकता है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप प्रत्येक कार्य मे बुद्धि विवेक का परिचय देंगे लेकिन आज व्यक्तिगत स्वार्थ को एक समय नजरअंदाज भी कर लेंगे परन्तु व्यावसायिक स्वार्थ की बात आने पर अपना आपा खो सकते है। स्वभाव धार्मिक होने पर भी क्रोध में कुछ ऐसा बोल सकते है जिसका विपरीत प्रभाव सामने वाले पर कई दिनों तक रहेगा। धन की आमद के लिये किसी की खुशामद करनी पड़ेगी फिर भी आशानुकूल ना होने पर स्वभाव में चिड़चिड़ापन आएगा। घर अथवा बाहर के लोगो की भली बाते भी अहम के साथ जोड़ने पर बुरी ही लगेगी। परिजन के साथ भावनात्मक संबंधों में।भी आज कमी ही देखने को मिलेगी। माता की सेवा करने से अवश्य कुछ न कुछ सकारत्मक परिणाम मिल सकते है। सरकारी कार्य दिन रहते पूर्ण कर के इसके बाद उलझन बढ़ेगी। अचल संपत्ति के कार्य से यात्रा के प्रसंग बनेंगे। मन मे किसी बात का भय लगा रहेगा किसी पुरानी शारीरिक पीड़ा फिर से बढ़ने की संभावना है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आपका स्वभाव स्वयं के दृष्टिकोण से ठीक लेकिन अन्य लोगो की नजर में अटपटा सा लगेगा। किसी से भी जल्दबाजी में वादा करेंगे लेकिन पूरा करने के समय बगलें झांकते नजर आएंगे। मध्यान तक मानसिकता एक जगह केंद्रित नही रहेगी आवश्यक कार्य भी सर पर आने के बाद ही करेंगे मन काल्पनिक चीजो में खोया रहेगा। मध्यान के आस पास कार्य क्षेत्र से अकस्मात धन लाभ या कोई शुभ समाचार मिल सकता है। नौकरी वालो को अधिकारी वर्ग से आवश्यक दिशा निर्देश मिलेंगे लेकिन गंभीर ना होने पर डांट सुन्नी पड़ेगी। भाई बंधुओ से आज स्वार्थ के व्यवहार रहेंगे। माता पिता से लाभ होने की संभावना है लेकिन अंत समय मे किसी के टांग अड़ाने पर निरस्त भी हो सकता है। व्यावसायिक यात्रा से धन की जगह प्रतिष्ठा अधिक मिलेगी। मधुमेह अथवा अन्य रक्त संबंधित समस्या वाले लोग आज लापरवाही ना करे।
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धर्म और पूजन में ९ शुभ पेड़ के पत्ते

वैसे आपने कड़ी पत्ता, पत्तागोभी, तेजपत्ता, पुदीना, पालक, बेल पत्ता, हरे प्याज के पत्ते आदि का उपयोग तो किया ही होगा। पत्तों का उपयोग खाने, पूजा करने और घाव आदि पर लगाने में किया जाता है। हालांकि कुछ पत्ते ऐसे हैं जिन्हें शुभ और पवित्र मानकर उनका पूजा में उपयोग किया जाता है। ऐसे ही कुछ पत्ते की जानकारी यहां प्रस्तुत है।

 

🍃१. तुलसी पत्ता :- 

 

भगवान विष्णु को सबसे प्रिय है तुलसी का पत्ता। भगवान को जब भोग लगाते हैं या उन्हें जल अर्पित करते हैं तो उसमें तुलसी का एक पत्ता रखना जरूरी होता है। तुलसी का पत्ता खाते रहने से किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। तुलसी के पत्ते को शाम को नहीं तोड़ते और जब स्त्री रजधर्म में हो तुलसी पर छूना व तुलसी पर पानी नहीं देना चाहिए। दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है। तांबे के लोटे में एक तुलसी का पत्ता डालकर ही रखना चाहिए। तांबा और तुलसी दोनों ही पानी को शुद्ध करने की क्षमता रखते हैं।

 

🍃२. बिल्वपत्र :- 

 

हिन्दू धर्म में बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) पत्र भगवान शिव की आराधना का मुख्य अंग है। कहते हैं शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और किसी माह की संक्राति को बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए। बिल्वपत्र का सेवन, त्रिदोष यानी वात (वायु), पित्त (ताप), कफ (शीत) व पाचन क्रिया के दोषों से पैदा बीमारियों से रक्षा करता है। यह त्वचा रोग और डायबिटीज के बुरे प्रभाव बढ़ने से भी रोकता है व तन के साथ मन को भी चुस्त-दुरुस्त रखता है।

 

🍃३. पान का पत्ता :- 

 

पान को संस्कृत में तांबूल कहते हैं। इसका उपयोग पूजा में किया जाता है। दक्षिण भारत में तो पान के पत्ते के बीच पान का बीज एवं साथ ही एक रुपए का सिक्का रखकर भगवान को चढ़ाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में पूजा की सुपारी के साथ एक रुपए का सिक्का चढ़ाया जाता है। कलश स्थापना में आम और पान के पत्तों का उपयोग होता है। प्राचीनकाल में पान का इस्तेमाल रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता था। इसे खाने से भीतर कहीं बह रहा खून भी रुक जाता है। दूध के साथ पान का रस लिया जाए, तो पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है।

 

🍃४. केला के पत्ते :- 

 

केला का पत्ता हर धार्मिक कार्य में इस्तेमाल किया जाता रहा है। केले का पेड़ काफी पवित्र माना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है। केले के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है। माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है। केला रोचक, मधुर, शक्तिशाली, वीर्य व मांस बढ़ाने वाला, नेत्रदोष में हितकारी है।

 

🍃५. आम के पत्ते :- 

 

अक्सर मांगलिक कार्यों में आम के पत्तों का इस्तेमाल मंडप, कलश आदि सजाने के कार्यों में किया जाता है। इसके पत्तों से द्वार, दीवार, यज्ञ आदि स्थानों को भी सजाया जाता है। तोरण, बांस के खंभे आदि में भी आम की पत्तियां लगाने की परंपरा है। घर के मुख्य द्वार पर आम की पत्तियां लटकाने से घर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है।

आम के पेड़ की लकड़ियों का उपयोग समिधा के रूप में वैदिक काल से ही किया जा रहा है। माना जाता है कि आम की लकड़ी, घी, हवन सामग्री आदि के हवन में प्रयोग से वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है। वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार आम के पत्तों में डायबिटीज को दूर करने की क्षमता है। कैंसर और पाचन से संबंधित रोग में भी आम का पत्ता गुणकारी होता है।

 

🍃६. सोम की पत्तियां :- 

 

सोम की पत्तियां प्राचीन काल में सभी देवी और देवताओं की अर्पित की जाती थी। वर्तमान में यह दुर्लभ है इसलिए इसका प्रचलन नहीं रहा। सोम की लताओं से निकले रस को सोमरस कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि यह न तो भांग है और न ही किसी प्रकार की नशे की पत्तियां। सोम लताएं पर्वत श्रृंखलाओं में पाई जाती हैं।

 

🍃७. शमी के पत्ते :- 

 

दशहरे पर खास तौर से सोना-चांदी के रूप में बांटी जाने वाली शमी की पत्त‍ियां, जिन्हें सफेद कीकर, खेजडो, समडी, शाई, बाबली, बली, चेत्त आदि भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म की परंपरा में शामिल है। आयुर्वेद में भी शमी के वृक्ष का काफी महत्व बताया गया है। मान्यता अनुसार बुधवार के दिन गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करने से तीक्ष्ण बुद्धि होती है। इसके साथ ही कलह का नाश होता 

 

🍃८. पीपल के पत्ते :- 

 

पीपल के पत्तों का भी हिंदू धर्म में खास महत्व है। जय श्रीराम लिखकर पीपल के पत्तों की माला हनुमानजी को पहनाने से वे प्रसन्न हो जाते हैं। पीपल के पत्ते के और भी कई उपयोग हैं।

 

🍃९. बड़ के पत्ते :-

 

मान्यता अनुसार आटे का दीपक बनाकर बड़ के पत्तों पर रखकर उसे हनुमानजी मंदिर में रखा जाता है जिससे कर्ज से मुक्ति मिलती है। बड़ के पत्ते का भी पूजा में और भी कई उपयोग है।

*🕉️🕉️पतीव्रता अहिल्या🕉️🕉️.* 

🔥ब्रह्मा जी की मानस पुत्री अहिल्या को यह वरदान प्राप्त था कि वह सदा ही 16 वर्ष की आयु के सदृश ही रहेंगी।

 

🪔ब्रह्मा जी ने एक स्पर्धा करवाई, जिसे गौतम ऋषि ने जीता और अहिल्या को पत्नी रूप में प्राप्त किया।

 

🍂अहिल्या के रूप की चर्चा तीनों लोकों में थी। अपने रूप, गुण, सौन्दर्य और पतिव्रत धर्म के पालन के कारण ही वह भक्तों के मन में बसी हुई हैं।

 

🏵️देवराज इन्द्र ने जब अहिल्या के बारे में सुना तो उन्होंने सूर्य से उसकी सुन्दरता के बारे में पूछा।

🔯सूर्यदेव ने इन्द्र देव की भावना भांप कर अपनी असमर्थता जताई। तब इंद्र ने चंद्रमा से पूछा तो उसने कहा कि अहल्या से अधिक रूपवती, गुणवान और पतिव्रता स्त्री सारी सृष्टि में कोई और नहीं है।

 

🌿ऐसा सुनकर इन्द्र ने छल रूप से अहिल्या को पाने का प्रयास करते हुए चंद्रमा की सहायता ली। योजना बनाई कि जब ऋषि गौतम प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान को जाते हैं वही समय अहिल्या को पाने के लिए सही है।

 

🌹इंद्र ने चन्द्रमा को अपने काम में साथ देने के लिए उन्हें ऋषि के आश्रम के ऊपर ही टिके रहने के लिए कहा ताकि जब वह किसी को आश्रम की ओर आता देखे तो वह आश्रम के ऊपर से हट जाए क्योंकि चंद्रमा के हटने पर किसी को शक भी नहीं होगा तथा इन्द्र को ऋषि के आने की सूचना भी चंद्रमा के इस संकेत से मिल जाएगी।

 

🌙अहिल्या को पाने की लालसा से आधी रात को ही इंद्र ने मुर्गा बन कर बांग लगाई और ऋषि गौतम प्रात: हो गई सोचकर गंगा स्नान के लिए आश्रम से निकल गए।

 

🔯तब इंद्र ने झट से ऋषि गौतम का वेश बनाया और आश्रम में जाने लगे तो अहिल्या ने अपने तपोबल के प्रभाव से इंद्र को पहचान लिया और कहा कि ‘यदि मेरे पति हो तो आश्रम में आ जाओ’।

 

🪔इंद्र के छल की लालसा को देखकर अहिल्या ने उसे श्राप दिया कि तुम्हें कोढ़ हो जाए।

🐘दूसरी तरफ जब ऋषि गौतम ने गंगा स्नान करने के लिए कमंडल में जल भरा तो गंगा मां ने कहा कि भक्त अभी तो आधी रात हुई है, तो ऋषि आश्रम की ओर वापस चल पड़े।

 

🌳आश्रम के बाहर उन्होंने अपने वेश में ही इन्द्र को अपने साथ टकरा कर जाते हुए देखा और छत पर चन्द्रमा को पहरेदारी करते देखकर सारी स्थिति को भांप लिया।

 

🏺ऋषि पत्नी अहिल्या उनके जल्दी आश्रम में लौट आने की चिंता में जैसे ही बाहर आई तो ऋषि गौतम ने अहिल्या को शिला होने और चन्द्रमा को इन्द्र का साथ देने के लिए उसमें दाग होने और ग्रहण लगने का तत्काल श्राप दे दिया।

 

🦹जिसके प्रभाव से अहिल्या आश्रम के बाहर एक पत्थर की शिला बन गई।🔥देवर्षि नारद ने तब ऋषि गौतम को अहिल्या के बेकसूर होने के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि श्राप तो नहीं मिटाया जा सकता परन्तु उन्होंने अहिल्या को एक वरदान भी दिया कि सूर्यवंशी भगवान श्री राम जब उस शिला के साथ अपने चरणों का स्पर्श करेंगे तो वह पूर्ववत हो जाएगी।

 

💠धर्मग्रंथों में चंद्रमा के कलंक लगने और ग्रहण लगने के बारे में भी अनेक कथाएं मिलती हैं, परंतु ऋषि गौतम का श्राप भी उनमें से एक है।

 

🌺मिथिला में राजा जनक के धनुष यज्ञ को दिखाने के लिए गुरु विश्वामित्र भगवान रामजी को साथ लेकर जा रहे थे तो

*🪴आश्रम एक दीख मग माहीं,।*

                            *खग, मृग जीव जन्तु तंह नाहीं।।*

*पूछा मुनिहि सिला प्रभु देखी,।*

                            *सकल कथा मुनि कहा बिसेषी’।।*

 

🌹गुरु विश्वामित्र ने बताया🌹

*🍂गौतम नारी श्राप बस*

                          *उपल देह धरि धीर,*

*चरण कमल रज चाहति*,

                          *कृपा करो रघुबीर’।*

☀️श्री राम जी के पवित्र एवं शोक का नाश करने वाले चरणों का स्पर्श पाते ही वह तपोमूर्ति अहिल्या प्रकट हो गई और भक्तों को सुख देने वाले प्रभु को सामने देखकर वह प्रभु चरणों से लिपट गई।

 

🌼भक्तों को सुख देने वाले श्री रघुनाथजी को देखकर वह हाथ जोड़कर सामने खड़ी रह गई। अत्यन्त प्रेम के कारण वह अधीर हो गई। उसका शरीर पुलकित हो उठा, मुख से वचन कहने में नहीं आते थे।

 

🐦वह अत्यन्त बड़भागिनी अहिल्या प्रभु के चरणों से लिपट गई और उसके दोनों नेत्रों से जल (प्रेम और आनंद के आँसुओं) की धारा बहने लगी॥

 

🌲उसने मन में धीरज धरकर प्रभु को पहचाना और श्री रघुनाथजी की कृपा से भक्ति प्राप्त की।

 

🏠तब अत्यन्त निर्मल वाणी से उसने (इस प्रकार) स्तुति प्रारंभ की- हे ज्ञान से जानने योग्य श्री रघुनाथजी! आपकी जय हो! मैं (सहज ही) अपवित्र स्त्री हूँ, और हे प्रभो! आप जगत को पवित्र करने वाले, भक्तों को सुख देने वाले और रावण के शत्रु हैं।

 

🔥हे कमलनयन! हे संसार (जन्म-मृत्यु) के भय से छुड़ाने वाले! मैं आपकी शरण आई हूँ, (मेरी) रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए॥

*🌿मुनि श्राप जो दीन्हा अति भल कीन्हा परम अनुग्रह मैं माना।*

*🥀देखेउँ भरि लोचन हरि भव मोचन इहइ लाभ संकर जाना॥*

*🪔बिनती प्रभु मोरी मैं मति भोरी नाथ न मागउँ बर आना।*

*🪔पद कमल परागा रस अनुरागा मम मन मधुप करै पाना॥*

 

*🌿भावार्थ:-मुनि ने जो मुझे शाप दिया, सो बहुत ही अच्छा किया। मैं उसे अत्यन्त अनुग्रह (करके) मानती हूँ कि जिसके कारण मैंने संसार से छुड़ाने वाले श्री हरि (आप) को नेत्र भरकर देखा।*

 

🔯इसी (आपके दर्शन) को शंकरजी सबसे बड़ा लाभ समझते हैं। हे प्रभो! मैं बुद्धि की बड़ी भोली हूँ, मेरी एक विनती है। हे नाथ ! मैं और कोई वर नहीं माँगती, केवल यही चाहती हूँ कि मेरा मन रूपी भौंरा आपके चरण-कमल की रज के प्रेमरूपी रस का सदा पान करता रहे॥

 

*🌾जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।*

*सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी॥*

*एहि भाँति सिधारी गौतम नारी बार बार हरि चरन परी।*

*जो अति मन भावा सो बरु पावा गै पति लोक अनंद भरी॥*

*🌷भावार्थ:-जिन चरणों से परमपवित्र देवनदी गंगाजी प्रकट हुईं, जिन्हें शिवजी ने सिर पर धारण किया और जिन चरणकमलों को ब्रह्माजी पूजते हैं, कृपालु हरि (आप) ने उन्हीं को मेरे सिर पर रखा।*

 

🌺इस प्रकार (स्तुति करती हुई) बार-बार भगवान के चरणों में गिरकर, जो मन को बहुत ही अच्छा लगा, उस वर को पाकर गौतम की स्त्री अहल्या आनंद में भरी हुई पतिलोक को चली गई॥

 

*🌼अस प्रभु दीनबंधु हरि कारन रहित दयाल।*

         *तुलसिदास सठ तेहि भजु छाड़ि कपट जंजाल॥*

 

*🪂भावार्थ:-प्रभु श्री रामचन्द्रजी ऐसे दीनबंधु और बिना ही कारण दया करने वाले हैं।*

किरण चाहे सूर्य की हो या फिर आशा की जीवन के सभी अंधकार मिटा देती है। जब गौतम ऋषि को पता चला कि पतिव्रता अहिल्या निर्दोष हैं तो उन्होंने राम की लम्बे समय तक प्रतीक्षा के लिए युग ही परिवर्तित कर दिया द्वापर से पहलब त्रेतायुग ले आये इस प्रकार बदल गया सृष्टिचक्र

🌹तुलसीदासजी कहते हैं, हे शठ (मन)! तू कपट-जंजाल छोड़कर उन्हीं का भजन कर॥

 

🌿🌿