आज का पंचाग आपका राशि फल, आज से नवरात्रि आरंभ है देखें नवरात्रि पूजा विधान, केला और नारियल की पूजा में महत्ता, भैरवनाथ का रहस्य, आहार सुधार से बढ़ायें पाचन शक्ति, महान परंपरा के संत हैं योगी आदित्यनाथ

📖 *पर्वानुशंसा……………….*✍
*आश्विनस्य सिते पक्षे नानाविधमहोत्सवै:।*
*प्रसादयेयु: श्रीदुर्गां चतुर्वर्गफलार्थिन:।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏾 आश्विन्य शुक्लपक्षमें विशेष महोत्सवोंसे श्रीदुर्गाजी की पूजा धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष– ये चारों फल देने वाली है। *”नवशक्तिसमायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते”* नौ शक्तियोंसे युक्त होनेसे इसे नवरात्र कहा गया है। *”नविभि: रात्रिभि: सम्पद्यते य: स नवरात्र:”*। आश्विन्य शुक्ल नवरात्रकी आप सबको शुभकामना।
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७८ || शक-सम्वत् १९४३ || याम्यायन् || राक्षस नाम संवत्सर || शरद् ऋतु || आश्विन शुक्लपक्ष || तिथि प्रतिपदा अपराह्न १:४४तक उपरान्त द्वितीया || गुरुवासर || आश्विन सौर २१ प्रविष्ठ || तदनुसार ०७ अक्टूबर २०२१ ई० || नक्षत्र चित्रा (त्वष्टा) || कन्यास्थ चन्द्रमा पूर्वाह्न १०:१४ तक उपरान्त तुलास्थ चन्द्र || श्रीशारदीय नवरात्रारम्भ || घटस्थापन पूर्वाह्न ९:३० से ११:४० के मध्य ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

*🙏🏻हर हर महादेव🙏🏻*
*पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए🙏🏻🙏🏻*
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 07 अक्टूबर 2021*
⛅ *दिन – गुरुवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन – दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु – शरद*
⛅ *मास -अश्विन*
⛅ *पक्ष – शुक्ल*
⛅ *तिथि – प्रतिपदा दोपहर 01:46 तक तत्पश्चात द्वितीया*
⛅ *नक्षत्र – चित्रा रात्रि 09:13 तक तत्पश्चात स्वाती*
⛅ *योग – वैधृति – 08 अक्टूबर रात्रि 01:40 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
⛅ *राहुकाल – दोपहर 01:55 से शाम 03:24 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:32*
⛅ *सूर्यास्त – 18:19*
⛅ *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – शारदीय नवरात्र प्रारंभ, घट- स्थापन, पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का 58वां आत्मसाक्षात्कार दिवस, मातामह श्राद्ध, चंद्र- दर्शन, महाराजा अग्रसेन जयंती (ति.अ.)*
💥 *विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞🌷 *नवरात्रि पूजन विधि* 🌷
➡ *07 अक्टूबर 2021 गुरुवार से नवरात्रि प्रारंभ ।*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरुप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम शारदीय शुक्ल प्रतिपदा को प्रातःकाल शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके माँ भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है।*
➡ *कलश / घट स्थापना विधि*
🌷 *घट स्थापना शुभ मुहूर्त (सुरत) :*
*07 अक्टूबर 2021 शुक्रवार को सुबह 06:32 से सुबह 10:28 तक*
➡ *घट स्थापना अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12:03 से दोपहर 12:50 तक*
🙏🏻 *देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश / घट की स्थापना की जाती है। घट स्थापना करना अर्थात नवरात्रि की कालावधि में ब्रह्मांड में कार्यरत शक्ति तत्त्व का घट में आवाहन कर उसे कार्यरत करना । कार्यरत शक्ति तत्त्व के कारण वास्तु में विद्यमान कष्टदायक तरंगें समूल नष्ट हो जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।*
🌷 *सामग्री:*
👉🏻 *जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र*
👉🏻 *जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी*
👉🏻 *पात्र में बोने के लिए जौ*
👉🏻 *घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश (“हैमो वा राजतस्ताम्रो मृण्मयो वापि ह्यव्रणः” अर्थात ‘कलश’ सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का छेद रहित और सुदृढ़ उत्तम माना गया है । वह मङ्गलकार्योंमें मङ्गलकारी होता है )*
👉🏻 *कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल*
👉🏻 *मौली (Sacred Thread)*
👉🏻 *इत्र*
👉🏻 *साबुत सुपारी*
👉🏻 *दूर्वा*
👉🏻 *कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के*
👉🏻 *पंचरत्न*
👉🏻 *अशोक या आम के 5 पत्ते*
👉🏻 *कलश ढकने के लिए ढक्कन*
👉🏻 *ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल*
👉🏻 *पानी वाला नारियल*
👉🏻 *नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा*
👉🏻 *फूल माला*
🌷 *विधि*
🙏🏻 *सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब एक परत जौ की बिछाएं। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब फिर एक परत जौ की बिछाएं। जौ के बीच चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मौली बाँध दें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। अब कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल डालें। कलश में थोडा सा इत्र डाल दें। कलश में पंचरत्न डालें। कलश में कुछ सिक्के रख दें। कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें। ढक्कन में चावल भर दें। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार “पञ्चपल्लवसंयुक्तं वेदमन्त्रैः सुसंस्कृतम्। सुतीर्थजलसम्पूर्णं हेमरत्नैः समन्वितम्॥” अर्थात कलश पंचपल्लवयुक्त, वैदिक मन्त्रों से भली भाँति संस्कृत, उत्तम तीर्थ के जल से पूर्ण और सुवर्ण तथा पंचरत्न मई होना चाहिए।*
🙏🏻 *नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मौली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रखें। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है: “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्ध्वस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीकेलं”। अर्थात् नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है।नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे। ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है।*
🙏🏻 *अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। “हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इसमें पधारें।” अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें। कलश को इत्र समर्पित करें।*
🌷 *कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है।*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं ओर रखना चाहिए। उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। मूर्ति के अभाव में नवार्णमन्त्र युक्त यन्त्र को स्थापित करें। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ानी चाहिए। माँ दुर्गा से प्रार्थना करें “हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिये।” उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए। उसके बाद धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।*
🙏🏻 *नवरात्रि में नौ दिन मां भगवती का व्रत रखने का तथा प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व है। हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है। सभी कष्टों से छुटकारा दिलाता है।*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रथम दिन ही अखंड ज्योत जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है। दीपक के नीचे “चावल” रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा “सप्तधान्य” रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते है*
🙏🏻 *माता की पूजा “लाल रंग के कम्बल” के आसन पर बैठकर करना उत्तम माना गया है*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रतिदिन माता रानी को फूलों का हार चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन घी का दीपक (माता के पूजन हेतु सोने, चाँदी, कांसे के दीपक का उपयोग उत्तम होता है) जलाकर माँ भगवती को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। मान भगवती को इत्र/अत्तर विशेष प्रिय है।*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रतिदिन कंडे की धुनी जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कर्पूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा जरूर अर्पित करना चाहिए।*
🙏🏻 *लक्ष्मी प्राप्ति के लिए नवरात्रि में पान और गुलाब की ७ पंखुरियां रखें तथा मां भगवती को अर्पित कर दें*
🙏🏻 *मां दुर्गा को प्रतिदिन विशेष भोग लगाया जाता है। किस दिन किस चीज़ का भोग लगाना है ये हम विस्तार में आगे बताएँगे।*
🙏🏻 *प्रतिदिन कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार “एकैकां पूजयेत् कन्यामेकवृद्ध्या तथैव च। द्विगुणं त्रिगुणं वापि प्रत्येकं नवकन्तु वा॥” अर्थात नित्य ही एक कुमारी का पूजन करें अथवा प्रतिदिन एक-एक-कुमारी की संख्या के वृद्धिक्रम से पूजन करें अथवा प्रतिदिन दुगुने-तिगुने के वृद्धिक्रम से और या तो प्रत्येक दिन नौ कुमारी कन्याओं का पूजन करें। किस दिन क्या सामग्री गिफ्ट देनी चाहिए ये भी आगे बताएँगे।*
🙏🏻 *यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि पर्यन्त प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ हैं तो उसे अष्टमी तिथि को विशेष रूप से अवश्य पूजा करनी चाहिए। प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंश करने वाली महाभयानक भगवती भद्रकाली करोङों योगिनियों सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थीं।*📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻गुरुवार, ०७ अक्टूबर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:१८
सूर्यास्त: 🌅 ०५:५६
चन्द्रोदय: 🌝 ०६:५३
चन्द्रास्त: 🌜१८:४४
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 आश्विन
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 प्रतिपदा (१३:४६ तक)
नक्षत्र 👉 चित्रा (२१:१३ तक)
योग 👉 वैधृति (२५:४० तक)
प्रथम करण 👉 बव (१३:४६ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव (२४:१८ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कन्या
चंद्र 🌟 तुला (१०:१७ से)
मंगल 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, वक्री)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 वृश्चिक (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४१ से १२:२८
अमृत काल 👉 १५:२३ से १६:५०
विजय मुहूर्त 👉 १४:०१ से १४:४८
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:४३ से १८:०७
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४० से २४:२९
राहुकाल 👉 १३:३२ से १५:००
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०६:१४ से ०७:४१
होमाहुति 👉 सूर्य
दिशाशूल 👉 दक्षिण
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 दक्षिण (पश्चिम १०:१८ से)
शिववास 👉 श्मशान में (१३:४६ गौरी के साथ)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – शुभ २ – रोग
३ – उद्वेग ४ – चर
५ – लाभ ६ – अमृत
७ – काल ८ – शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – अमृत २ – चर
३ – रोग ४ – काल
५ – लाभ ६ – उद्वेग
७ – शुभ ८ – अमृत
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पश्चिम-दक्षिण (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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चंद्रदर्शन, शारदीय नवरात्रि आरम्भ (घटस्थापना प्रातः ०६ बजकर १५ मिनट से ०७ बजकर ०५ मिनट तक), नवरात्रि के प्रथम दिवस आदिशक्ति माँ दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा उपासना, ५१४५ वीं श्रीअग्रसेन जयन्ती, नानी का श्राद्ध, आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २७:२६ तक जन्मे शिशुओ का नाम
मघा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (मा, मी, मू, में) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश (मो) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कन्या – २८:४६ से ०७:०४
तुला – ०७:०४ से ०९:२५
वृश्चिक – ०९:२५ से ११:४४
धनु – ११:४४ से १३:४८
मकर – १३:४८ से १५:२९
कुम्भ – १५:२९ से १६:५५
मीन – १६:५५ से १८:१८
मेष – १८:१८ से १९:५२
वृषभ – १९:५२ से २१:४७
मिथुन – २१:४७ से २४:०२
कर्क – २४:०२ से २६:२३
सिंह – २६:२३ से २८:४२
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक – ०६:१४ से ०७:०४
शुभ मुहूर्त – ०७:०४ से ०९:२५
मृत्यु पञ्चक – ०९:२५ से ११:४४
अग्नि पञ्चक – ११:४४ से १३:४६
शुभ मुहूर्त – १३:४६ से १३:४८
रज पञ्चक – १३:४८ से १५:२९
शुभ मुहूर्त – १५:२९ से १६:५५
चोर पञ्चक – १६:५५ से १८:१८
रज पञ्चक – १८:१८ से १९:५२
शुभ मुहूर्त – १९:५२ से २१:१३
चोर पञ्चक – २१:१३ से २१:४७
शुभ मुहूर्त – २१:४७ से २४:०२
रोग पञ्चक – २४:०२ से २६:२३
शुभ मुहूर्त – २६:२३ से २८:४२
मृत्यु पञ्चक – २८:४२ से ३०:१४
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आपको घर अथवा व्यावसायिक क्षेत्र पर कुछ विशेष कार्य सौपे जा सकते है इन्हें यथा शीघ्र पूर्ण कर लेंगे। वरिष्ठ लोग आपकी परीक्षा विभिन्न तरीकों से लेंगे इसमें सफलता निश्चित मिलेगी फिर भी हित शत्रु व्यवधान डालेंगे। चुनातियों का सामना करने में सक्षम रहेंगे लेकिन मध्यान के बाद आलस्य बढ़ने से स्थिति डांवाडोल हो सकती है। व्यापारियों को धन लाभ बीच बीच में होते रहने से संतोष रहेगा। पारिवारिक वातावरण में सुधार आएगा परिजन आज आपकी भावनाओं की कद्र करेंगे। परन्तु किसी कामना की पूर्ति ना होने पर रूठना मनाना लगा रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपको विविध उलझनों का सामना करना पड़ेगा खासकर पारिवारिक उलझने अकस्मात गंभीर रूप धारण कर सकती है घर के किसी सदस्य के गलत व्यवहार के कारण पारिवारिक गरिमा का हास हो सकता है। भाई बंधुओ से वर्चस्व को लेकर टकराव संभव है। धार्मिक कार्यो में रूचि होने पर भी ध्यान एकाग्र नहीं रख सकेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहने पर भी कार्यो में उत्साह नहीं दिखा सकेंगे। आज भी उधारी वाले व्यवहारों के कारण मानसिक चिंता रहेगी। संध्या का समय एकांत में बिताना अधिक पसंद करेंगे थोड़ी शांति भी मिलेगी।
धन लाभ में विलम्ब होगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप प्रत्येक कार्यो में आलस्य-प्रमाद के कारण लाभ के अवसर हाथ से गवां सकते है। परिवार अथवा सहकर्मियो पर नाजायज अधिकार चलाने के कारण उग्र वातावरण बनेगा। वाणी में भी कड़वाहट रहने से लोग दूरी बनाएंगे। व्यवसाय में मन से परिश्रम करने के बाद भी किसी मामूली गलती के कारण लाभ आगे के लिये टल सकता है प्रतिस्पर्धा कम् रहने का उचित लाभ नहीं उठा पाएंगे। ससुराल पक्ष से सम्बन्ध असामान्य रहेंगे। माता-पिता की सेहत के कारण चिंता रहेगी। स्त्री का सहयोग मिलेगा। सन्तानो के ऊपर आज अधिक स्नेह रहेगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन गृहक्लेश के कारण वातावरण कलुषित होगा। भाई-बंधू वैरभाव रखेंगे परिवार के अन्य सदस्य भी आपका पक्ष लेने से बचेंगे। जमीन जायदाद सम्बंधित कार्य जल्दबाजी अथवा भावुकता में ना करें अन्यथा बाद में पश्चाताप होगा। कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय में सुधार आने से थोड़ी राहत मिलेगी। नौकरी पेशा वर्ग आज पर्यटन के मूड में रहेंगे। स्वास्थ्य सम्बंधित शिकायते भी रहने से शिथिलता आयेगी। अधिकारी वर्ग से किसी कारण बहस हो सकती है। आस-पड़ोसियों से सम्बन्ध मधुर बनेंगे। यथा सम्भव लंबी यात्रा टालें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज दिन का पहला भाग सुख-शांति से व्यतीत करेंगे आलस्य के कारण घरेलु कार्यो को अनदेखा करेंगे जिससे मामूली नोकझोंक हो सकती है। सेहत लगभग सामान्य ही रहेगी परन्तु घर में किसी सदस्य के स्वास्थ्य पर खर्च करना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर आरम्भ में स्थिति लाभदायक रहेगी आशा के अनुसार व्यवसाय होगा परन्तु धन लाभ नियोजित नहीं होगा। कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य अधूरे रह सकते है। कार्य क्षेत्र पर बदलाव करने के विचार भी बनेंगे। मध्यान के बाद से परिस्थिति बदलेगी कार्यो में अड़चने आने लगेगी फिर भी मनोरंजन के अवसर मिलते रहेंगे।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन का पूर्वार्ध कुछ ख़ास नहीं रहेगा दैनिक कार्य सामान्य गति से चलते रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर विलम्ब के कारण व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। अधूरे कार्य आज भी लटके रहने की संभावना है। मध्यान के बाद का समय कार्यो से मन भटकायेंगा। आज आप स्वयं को छोड़ इधर-उधर की बातों में ज्यादा रूचि लेंगे लेकिन किसी को बिना मांगे सलाह ना दे अन्यथा सम्मान में कमी आ सकती है दो पक्षो में सुलह कराने में भी आपकी महत्त्वपूर्ण भागीदारी रह सकती है। विरोधी शांत रहेंगे। धन लाभ आज चाह कर भी आशा के अनुकूल नहीं रहेगा। आनंद के अवसर मिलेंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आप आनंद के साथ व्यतीत करेंगे। घर बाहर का वातावरण सहयोगी रहने से समस्त कार्य आसान बनेंगे फिर भी कुछ कार्य आज अधूरे भी रह सकते है। सामाजिक कार्यो में सहभागिता बढ़ने से मान-सम्मान भी बढ़ेगा। परिजनो के साथ भविष्य के मांगलिक कार्य की रूपरेखा बनाएंगे। आज आप किसी को भी कुछ विरुद्ध बोलने का मौका नहीं देंगे। सभी को प्रसन्न रखने की विचारधारा परेशानी में भी डालेगी। खर्च बढ़ चढ़ कर रहेंगे फिर भी इनकी परवाह नहीं रहेगी। कार्य से समय निकाल स्वजनों के साथ बाहर घूमने का अवसर मिलेगा। धन लाभ अल्प रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन भी अधिकांश समय परिस्तिथियां आपकी आशाओं के विपरीत रहेंगी। पारिवारिक उलझनों के चलते अपने आपको बंधन में अनुभव करेंगे। प्रियजनों के विषय में आप के विचार बदल जाएंगे। सामाजिक क्षेत्र पर भी स्वयं को अकेला पाएंगे जिससे सहायता मांगेंगे वही टालमटोल करेगा। सेहत दोपहर के समय नरम रहेगी इसके बाद धीरे धीरे स्थिति में परिवर्तन होने लगेगा। घर के बड़े सदस्य सहायता के लिए आगे आयएंगे परन्तु स्त्री से अनबन लगी रहेगी। सन्तानो का व्यवहार भी अनापेक्षित रहने से पीड़ा होगी। संध्या तक जोड़ तोड़ करके निर्वाह के साधन बना लेंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आपका आज का दिन साधारण रहेगा फिर भी मानसिक रूप से प्रसन्न रहने के वातावरण बनते रहेंगे। सेहत में थोड़ी खराबी रह सकती है गले अथवा छाती सम्बंधित रोग से कष्ट होगा। धार्मिक स्थल के कार्यक्रमो में रूचि से हिस्सा लेंगे घर में भी पूजा पाठ का आयोजन करा सकते है। कल की अपेक्षा आज अधिकांश समय मौन रहना पसंद करेंगे जिससे आस पास संवादहीनता का वातावरण बनेगा। परिवार में आपकी आवश्यकता बढ़ेगी। कीमती सामान संभाल कर रखे चोरी अथवा नष्ट होने की संभावना है। स्त्री वर्ग के प्रति नीरसता रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपको पुराने परिश्रम का फल देगा। व्यवहारिकता से बनाये सम्बन्धों से लाभ की संभावनाएं बनेगी। व्यवसाय से भी मध्यान तक प्रचुर मात्रा में लाभ अर्जित कर पाएंगे। परन्तु आज नए कार्यो में निवेश ना करें अन्यथा रुकावट आ सकती है। घरेलु कार्यो में व्यस्तता रहेगी सुखोपभोग की वस्तुओ पर खर्च करना पड़ेगा। रिश्तेदारी में जाना पड़ सकता है। सामाजिक क्षेत्र पर पारिवारिक स्थिति और ज्यादा बेहतर बनेगी। वाणी एवं व्यवहार की मधुरता किसी को भी आसानी से प्रभावित करेगी। धार्मिक क्षेत्र की यात्रा होगी दान पुण्य के अवसर मिलेंगे।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आप कई दिनों से टल रही घरेलु उलझनों को सुलझाने में व्यस्त रहेंगे घर के सभी सदस्य बैठ कर महत्त्वपूर्ण विषयो पर चर्चा कर सकते है। वाणी का प्रयोग संयमित रखे अन्यथा व्यर्थ की गरमा-गर्मी हो सकती है। व्यवसायी लोग आज ज्यादा परिश्रम करने के मूड में नहीं रहेंगे जितना मिले उसी में संतोष कर लेंगे। सामाजिक कार्यक्रमो में भी बेमन से सम्मिलित होना पड़ेगा फिर भी सम्मान पाने के हकदार रहेंगे। दोपहर के बाद घर में रिश्तेदारो का आगमन होने से चहल-पहल बनेगी। लघु यात्रा पर्यटन पर जाएंगे परिजनों के साथ सुख से समय व्यतीत होगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आप अधिकांश समय आराम में बिताना पसंद करेंगे। स्वास्थ्य सम्बंधित शिकायत पेट सम्बंधित समस्या मुख्यतः रहेगी। आकस्मिक कार्य आने से यात्रा करनी पड़ सकती है। धन लाभ दोपहर से पूर्व आसानी से होगा इसके बाद का समय परिश्रम साध्य लाभ देगा। पुरानी उधारी चुकता होने से राहत मिलेगी। घर में महिलाओं एवं सन्तानो की फरमाइश पूरी करनी पड़ेगी। माता पिता से भावनात्मक सम्बन्ध रहेंगे इस कारण किसी अन्य सदस्य से क्लेश भी रह सकता है। संध्या का समय थकान वाला रहेगा फिर भी मनोरंजन में समय बितायेंगे।
—————————————————-🙏राधे राधे🙏

क्या आपको पता है कि केला और नारियल हमारे पूजा पाठ में विशेष स्थान क्यूं रखता है??

मैं आपको बताता हूं, नारियल और केला ये दो ही ऐसे फल है जो किसी के जूठे बीज से उत्पन्न नहीं होते. 
 केले का या नारियल के पेड़ भूमि से स्वत: उगते हैं उसके लिए बीज की आवश्यकता नहीं होती अपीतु वे भूमि से निकले हुए पौधा(ओधी) ही  लगाते हैं, जो की खुद में ही पूर्ण है, न किसी का बीज न हिस्सा, न जूठा। इसलिए भगवान को सम्पूर्ण फल अर्पित किया जाता है।
हमारे पूर्वज कितने ज्ञाता थे, जो चीजे हमे आज तक पता नहीं वो पहले से जानते थे और उसका जीवन में इस्तेमाल कर जीवन पद्धति में ढाल लिए थे, जो हमे परंपरा से प्राप्त हुआ है, केवल हम उन्हे इस्तेमाल करते गए पर उनकी क्यों और क्या महत्ता है ये जान नहीं सके।
अपने आहार मे सुधार लाए पाचन शक्ति बढाए*
• सही समय पर खाना खाए।
• भोजन के बाद पानी न पिये।
• चबा-चबा कर खाना खाए।
• ज्यादा गर्म-ठण्डा भोजन न खाए।
• दाए स्वर मे ही खाना खाए।
• भोजन के बाद 8,16,32 श्वास ( क्रमश: दाई करवट, पीठ के बल व बाई करवट लेटे तथा शाम को भोजन के बाद टहले।
• भोजन के तुरन्त बाद न सोए, लम्बे समय तक न बैठे, तेज धूप मे काम न करे।
• प्रसन्न चित अवस्था मे भोजन करे।
• थोडी भूख रख कर खाना खाए।
• भोजन के बाद 10 मिनट संगीत सुनना भी लाभकारी है।
• ज्यादा चिकनाई वाला भोजन न खाए।
• गरिष्ठ भोजन न करे। 
• ज्यादा जलीय पदार्थ व उत्तेजक पदार्थ न खाए।
•मदिरा न ले।
• सप्ताह मे एक दिन उपवास करे, फल/रसाहार पर रहे।
• संतुलित, सुपाच्य आहार ले, जैसे-जौ, मूंग, मधु हल्की दाले व सब्जियां खाए।
• रात मे दही न ले।
•रात्री भोजन सात बजे तक खाले।
• जल्दी बाजी मे भोजन न करे।
• चोकर के आटे की रोती खाए।
जिन लोगों को मालुम नहीं उन्हें बताना चाहता हूँ कि योगी आदित्यनाथ जी गुरु गोरखनाथ जी की धूनी के हठयोगी तपस्वी हैं …. गुरु गोरखनाथ परम्परा के ये हठयोगी तपस्वी जड़ ब्रह्मचारी, गृह त्यागी, स्वार्थ व लालच विहीन, 24 घण्टे में केवल एक बार ही भोजन और जल प्रसाद के रूप में ग्रहण करने वाले, दृढ़ निश्चयी, हठी, कठोर स्वभाव वाले व योद्धा टाइप होते हैं, जिनका मुख्य हथियार विशाल आकार का चिमटा होता है, क्रोधित होने पर ये हठयोगी इस चिमटे को गोरखनाथ जी की धूनी में लाल करके दुष्टों, दुर्जनों, दुराचारियों आदि के पिछवाड़े, पीठ, हाथ पैर आदि की बुरी तरह से सिकाई व सुताई करते हैं…! ये हठयोगी तपस्वी एक बार जो ठान लेते हैं, उसे पूरा करते हैं चाहे इनकी जान भी चली जाये…!  फिर गुरु गोरखनाथ जी के परम भक्त योगी आदित्यनाथ के हाथ में तो सत्ता भी है, यानि ये केवल योगी ही नहीं बल्कि एक महाविद्वान राजयोगी या राजर्षि भी हैं …!  इसलिये अरे विपक्षी मूर्खो / मलेच्छो तुम लोग चाहे अपने को कितना बड़ा तीसमार खां समझ लो, योगी आदित्यनाथ के लिये आप लोग कीड़े मकोड़े, सांप छछूंदर जैसे हो … वे जब चाहें, जहां चाहें तुम लोगों को मसल सकते हैं … इसलिये समय रहते अपनी औकात में आ जाओ क्योंकि योगी जी किसी को भी छोड़ने वाले नहीं हैं …. अपने को सर्वशक्तिमान समझने वाले अहंकारी आजम खान जैसे अनेकों मलेच्छों का क्या हाल कर दिया है योगी जी ने जब से उन्होंने उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाली है …. ये एक उदाहरण है तुम्हारे लिये…. सीखो सीखो नहीं तो तैयार रहो क्योंकि योगी आदित्यनाथ का ड्रीडेड चिमटा गुरु गोरखनाथ की धूनी में तप रहा है तुम्हारी खबर लेने के लिये…! 
अन्त में आपको एक विशिष्ट बात बताना चाहता हूँ कि गुरु गोरखनाथ परम्परा के इन तपस्वियों को कुमाऊँ रीजन में ‘मुंड’ कहा जाता है … आपको ये जानकर भी आश्चर्य होगा कि उत्तराखण्ड के कुमाऊँ रीजन के लगभग हरेक गाँव व कस्बे में गुरु गोरखनाथ जी का मन्दिर होता है,  जिसे स्थानीय लोग हरज्यू की धूनी भी कहते हैं; और इन गोरखनाथ की धूनियों में सभी लोग चाहे गृहस्थ हों, अविवाहित हों, बालक हों, युवा हों, अधेड़ हों या वृद्ध सभी कुछ अंतराल के लिये (22 दिन, 3 महीने, 6 महीने व एक वर्ष) घोर तप करने और अपने कलुषित या व्यथित तन मन को विकारविहीन व शुद्ध करने के लिये बैठते हैं…!
जय हो गुरू गोरखनाथ जी की … जय हो उनके परम भक्त योगी आदित्यनाथ जी की …✍️भाष्कर जोशी 

     भैरवनाथ एक रहस्यमयी देवता ।

भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।

भैरव उत्पत्ति : – उल्लेख है कि शिव के रूधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई। बाद में उक्त रूधिर के दो भाग हो गए- पहला बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। मुख्‍यत: दो भैरवों की पूजा का प्रचलन है, एक काल भैरव और दूसरे बटुक भैरव। पुराणों में भगवान भैरव को असितांग, रुद्र, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है। नाथ सम्प्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व है।

लोक देवता : – लोक जीवन में भगवान भैरव को भैरू महाराज, भैरू बाबा, मामा भैरव, नाना भैरव आदि नामों से जाना जाता है। कई समाज के ये कुल देवता हैं और इन्हें पूजने का प्रचलन भी भिन्न-भिन्न है, जो कि विधिवत न होकर स्थानीय परम्परा का हिस्सा है। यह भी उल्लेखनीय है कि भगवान भैरव किसी के शरीर में नहीं आते।

पालिया महाराज : – सड़क के किनारे भैरू महाराज के नाम से ज्यादातर जो ओटले या स्थान बना रखे हैं दरअसल वे उन मृत आत्माओं के स्थान हैं जिनकी मृत्यु उक्त स्थान पर दुर्घटना या अन्य कारणों से हो गई है। ऐसे किसी स्थान का भगवान भैरव से कोई संबंध नहीं। उक्त स्थान पर मत्था टेकना मान्य नहीं है।

भैरव मंदिर : – भैरव का प्रसिद्ध, प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर उज्जैन और काशी में है। काल भैरव का उज्जैन में और बटुक भैरव का लखनऊ में मंदिर है। काशी विश्वनाथ मंदिर से भैरव मंदिर कोई डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दूसरा नई दिल्ली के विनय मार्ग पर नेहरू पार्क में बटुक भैरव का पांडवकालीन मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है। तीसरा उज्जैन के काल भैरव की प्रसिद्धि का कारण भी ऐतिहासिक और तांत्रिक है। नैनीताल के समीप घोड़ा खाड़ का बटुकभैरव मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां गोलू देवता के नाम से भैरव की प्रसिद्धि है। इसके अलावा शक्तिपीठों और उपपीठों के पास स्थित भैरव मंदिरों का महत्व माना गया है।

काल भैरव : – काल भैरव का आविर्भाव मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को प्रदोष काल में हुआ था। यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है।

काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।। ॐ भैरवाय नम:।।

बटुक भैरव : – ‘बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:। ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे।।’
– अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वंदित बटुक नाम से प्रसिद्ध इन भैरव देव की उपासना कल्पवृक्ष के समान फलदायी है। बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है। इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं। उक्त सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी है। यह कार्य में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

उक्त आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।।

भैरव तंत्र : – योग में जिसे समाधि पद कहा गया है, भैरव तंत्र में भैरव पद या भैरवी पद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने देवी के समक्ष 112 विधियों का उल्लेख किया है जिनके माध्यम से उक्त अवस्था को प्राप्त हुआ जा सकता है।

भैरव आराधना से शनि शांत : – एकमात्र भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है। आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है। पुराणों के अनुसार भाद्रपद माह को भैरव पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है। उक्त माह के रविवार को बड़ा रविवार मानते हुए व्रत रखते हैं। आराधना से पूर्व जान लें कि कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं। जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें। दांत और आंत साफ रखें। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें। अपवि‍त्रता वर्जित है।

भैरव चरित्र : – भैरव के चरित्र का भयावह चित्रण कर तथा घिनौनी तांत्रिक क्रियाएं कर लोगों में उनके प्रति एक डर और उपेक्षा का भाव भरने वाले तांत्रिकों और अन्य पूजकों को भगवान भैरव माफ करें। दरअसल भैरव वैसे नहीं है जैसा कि उनका चित्रण किया गया है। वे मांस और मदिरा से दूर रहने वाले शिव और दुर्गा के भक्त हैं। उनका चरित्र बहुत ही सौम्य, सात्विक और साहसिक है।

उनका कार्य है शिव की नगरी काशी की सुरक्षा करना और समाज के अपराधियों को पकड़कर दंड के लिए प्रस्तुत करना। जैसे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिसके पास जासूसी कुत्ता होता है। उक्त अधिकारी का जो कार्य होता है वही भगवान भैरव का कार्य है।