आज का पंचाग आपका राशि फल, हनुमान जन्मोत्सव आज, हनुमान का वेग कितना तीव्र है देखें गणना और पूजा विधि विधान, विशु मेले में मुख्यमंत्री धामी बोले पुरोला और आस पास के क्षेत्र को विशेष बागवानी क्षेत्र बनायेंगे

हनुमान तो चिरंजीवी हैं इसलिए उनका जन्मोत्सव मनाना चाहिए *जयंती उनकी मनाई जाती है जो अब संसार में नहीं हैं? हमारे देश में व्याकरणाचार्यों की कमी है न व्याकरण ग्रन्थों की। निरुक्त, निघण्टु से लेकर अमरकोश तक शब्दकोशों की भी कमी नहीं है, किन्तु दुःख की बात यह है कि इनका अध्ययन करने वालों की सबसे न्यून संख्या भी हिंदुओ की ही है। और हो भी क्यों नहीं योग्य गुरू के समक्ष शिष्य को भी योग्यता सिद्ध करनी पड़ती थी, उसके बाद लम्बे काल तक ग्रन्थों का अध्ययन आदि करके ज्ञान के अधिकारी हो पाते थे, अब तो बस व्हाट्सएप पोस्ट फोरवर्ड करो ज्ञानी बन जाओ। योग्यता, शास्त्र अध्ययन आदि का शॉर्टकट व्हाट्सएप पोस्ट। यही कारण है कि हमारे यहां कक्षा आठ पास भी आचार्य लिखते हैं। जबकि आचार्य एमए से भी महनीय और बड़ी डिग्री हुई। 
मेरे विचार से इस तरह के पोस्ट जानबूझकर फैलाये जाते हैं ये देखने के लिये की समाज कितना मूल से जुड़ा हुआ है या मूल से कितना विलग हो गया है। और यहां दुःख के साथ कहना है कि लोग ऐसी चीजों पर प्रश्न करने की बजाए न सिर्फ उसको आगे बढ़ाते हैं, बल्कि कोई सन्दर्भ या तथ्य मांगे तो स्वकल्पित मूर्खतापूर्ण तर्क प्रस्तुत करते हैं, क्योंकि ऐसी बातों का कोई सन्दर्भ या आधार नहीं होता।
खैर बात करते हैं हनुमान जयंती और जन्मोत्सव की – हनुमान जयंती की प्रथा व्हाट्सएप पोस्ट करने वाले ज्ञानी द्वारा प्रारंभ नहीं कि गई है तो मैं शास्त्र प्रमाण या सन्दर्भ की बात करूंगा। देखते हैं शास्त्र क्या कहते हैं जयंती की जन्मोत्सव?

वैशाखे मासि कृष्णायां दशमी मन्दसंयुता।
पूर्वप्रोष्ठपदायुक्ता कथा वैधृतिसंयुता॥३६॥
तस्यां मध्याह्नवेलायां जनयामास वै सुतम्।
वैशाख मास में कृष्णपक्ष की दशमी को जब चन्द्रमा पूर्वप्रोष्ठ नक्षत्र में था उस दिन मध्याह्न समय पर अञ्जना ने पुत्र को जन्म दिया।

दशम्यां मन्दयुक्तायां कृष्णायां मासि माधवे।
पूर्वाभाद्राख्यनक्षत्रे वैधृतौ हनुभानभूत्॥८५॥
माधव मास के कृष्ण पक्ष की दशमी पर, पूर्वभद्र नक्षत्र में, वैधृति योग में हनुमान् हुए।
पूर्वभाद्राकुम्भराशौ मध्याह्ने कर्कटांशके।
कौण्डिन्यवंशे सञ्जातो हनुमानञ्जनोद्भवः॥८९॥
अञ्जना के पुत्र हनुमान् कुम्भ राशि के पूर्वभाद्रा नक्षत्र , कर्कट अंश में मध्याह्न के समय पर कौण्डिन्य वंश में जन्मे।

॥ पराशरसंहितायां हनुमज्जन्मकथनं नाम षष्ठः पटलः॥

जयन्तीनामपूर्वोक्ता हनूमज्जन्मवासरः तस्यां भक्त्या कपिवरं नरा नियतमानसाः।
जपन्तश्चार्चयन्तश्च पुष्पपाद्यार्घ्यचंदनैः धूपैर्दीपैश्च नैवेद्यैः फलैर्ब्राह्मणभोजनैः।
समन्त्रार्घ्यप्रदानैश्च नृत्यगीतैस्तथैव च तस्मान्मनोरथान्सर्वान्लभते नात्र संशयः॥८१॥
हनुमान् के जन्म का दिन पहले जयन्ती नाम से बताया गया है। उस दिन भक्तिपूर्वक, मन को वश मे करके, पुष्प, अर्घ्य चन्दन से, धूप, दीप से, नैवेद्य से, फलों से, ब्राह्मणों को भोजन कराने से, मन्त्रपूर्वक अर्घ्य प्रदान करने से तथ नृत्यगीता आदि से कपिश्रेष्ठ का जप, अर्चना करते हुए मनुष्य सभी मनोरथों को प्राप्त करते हैं, इसमें कोई संशय नहीं है।

एको देवस्सर्वदश्श्रीहनूमान् एको मन्त्रश्श्रीहनूमत्प्रकाशः।
एका मूर्तिश्श्रीहनूमत्स्वरूपा चैकं कर्म श्रीहनूमत्सपर्या॥८२॥
हमेशा एक ही देवता हैं – हनुमान्, एक ही मन्त्र है – हनूमत्प्रकाशक मन्त्र, एक ही मूर्ति है – हनुमान् स्वरूप की, और एक ही कर्म है – हनुमान् की पूजा।

जलाधीना कृषिस्सर्वा भक्त्याधीनं तु दैवतम्।
सर्वहनूमतोऽधीनमिति मे निश्चिता मतिः॥८३॥
पूरी कृषि जल के अधीन है, देवता भक्ति के अधीन हैं, सबकुछ हनुमान् के अधीन है, ऐसा मेरा निश्चित मत है।

हनूमान्कल्पवृक्षो मे हनूमान्मम कामधुक्।
चिन्तामणिस्तु हनुमान्को विचारः कुतो भयम्॥८४॥
हनुमान् मेरे कल्पवृक्ष हैं, हनुमान् मेरी कामधेनु हैं, हनुमान् मेरी चिन्तामणि हैं, इसमें विचार करने का क्या है, भय कहाँ है?

– पराशरसंहिता में स्पष्ट रूप से जयंती लिखा हुआ है, जन्मोत्सव नहीं। कुछ और प्रसंग देखते हैं –

जयं पुण्यं च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः –स्कन्दमहापुराण,तिथ्यादितत्त्व,

जो जय और पुण्य प्रदान करे उसे जयन्ती कहते हैं । कृष्णजन्माष्टमी से भारत का प्रत्येक प्राणी परिचित है । इसे कृष्णजन्मोत्सव भी कहते हैं । किन्तु जब यही अष्टमी अर्धरात्रि में पहले या बाद में रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो जाती है तब इसकी संज्ञा “कृष्णजयन्ती” हो जाती है —

रोहिणीसहिता कृष्णा मासे च श्रावणेSष्टमी ।

अर्द्धरात्रादधश्चोर्ध्वं कलयापि यदा भवेत् ।

जयन्ती नाम सा प्रोक्ता सर्वपापप्रणाशिनी ।।

और इस जयन्ती व्रत का महत्त्व कृष्णजन्माष्टमी अर्थात् रोहिणीरहित कृष्णजन्माष्टमी से अधिक शास्त्रसिद्ध है । यदि रोहिणी का योग न हो तो जन्माष्टमी की संज्ञा जयन्ती नहीं हो सकती–

चन्द्रोदयेSष्टमी पूर्वा न रोहिणी भवेद् यदि ।

तदा जन्माष्टमी सा च न जयन्तीति कथ्यते ॥–नारदीयसंहिता

अयोध्या में श्रीरामानन्द सम्प्रदाय के सन्त कार्तिक मास में स्वाती नक्षत्रयुक्त कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को हनुमान् जी महाराज की जयन्ती मनाते हैं —
स्वात्यां कुजे शैवतिथौ तु कार्तिके कृष्णेSञ्जनागर्भत एव मेषके ।

श्रीमान् कपीट्प्रादुरभूत् परनतपो व्रतादिना तत्र तदुत्सवं चरेत् ॥
–वैष्णवमताब्जभास्कर

कहीं भी किसी मृत व्यक्ति के मरणोपरान्त उसकी जयन्ती नहीं अपितु पुण्यतिथि मनायी जाती है । भगवान् की लीला का संवरण होता है । मृत्यु या जन्म सामान्य प्राणी का होता है । भगवान् और उनकी नित्य विभूतियाँ अवतरित होती हैं । और उनको मनाने से प्रचुर पुण्य का समुदय होने के साथ ही पापमूलक विध्नों किम्वा नकारात्मक ऊर्जा का संक्षय होता है । इसलिए हनुमज्जयन्ती नाम शास्त्रप्रमाणानुमोदित ही है —

“जयं पुण्यं च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः” –स्कन्दमहापुराण, तिथ्यादितत्त्व

जैसे कृष्णजन्माष्टमी में रोहिणी नक्षत्र का योग होने से उसकी महत्ता मात्र रोहिणीविरहित अष्टमी से बढ़ जाती है । और उसकी संज्ञा जयन्ती हो जाती है । ठीक वैसे ही कार्तिक मास में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी से स्वाती नक्षत्र तथा चैत्र मास में पूर्णिमा से चित्रा नक्षत्र का योग होने से कल्पभेदेन हनुमज्जन्मोत्सव की संज्ञा ” हनुमज्जयन्ती” होने में क्या सन्देह है ??

एकादशरुद्रस्वरूप भगवान् शिव ही हनुमान् जी महाराज के रूप में भगवान् विष्णु की सहायता के लिए चैत्रमास की चित्रा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा को अवतीर्ण हुए हैं —

” यो वै चैकादशो रुद्रो हनुमान् स महाकपिः।

अवतीर्ण: सहायार्थं विष्णोरमिततेजस: ॥

–स्कन्दमहापुराण,माहेश्वर खण्डान्तर्गत, केदारखण्ड-८/१००

पूर्णिमाख्ये तिथौ पुण्ये चित्रानक्षत्रसंयुते ॥

चैत्र में हनुमज्जयन्ती मनाने की विशेष परम्परा दक्षिण भारत में प्रचलित है ।

इसलिए वाट्सएप्प में कोपी पेस्ट करने वालों गुरुजनों के चरणों में बैठकर कुछ शास्त्र का भी अध्ययन करो । वाट्सएप्प या गूगल से नहीं अपितु किसी गुरु के सान्निध्य से तत्त्वों का निर्णय करो ।

हनुमज्जयन्ती शब्द हनुमज्जन्मोत्सव की अपेक्षा विलक्षणरहस्यगर्भित है “

आजकल वाट्सएप्प से ज्ञानवितरण करने वाले एक मूर्खतापूर्ण सन्देश सर्वत्र प्रेषित कर रहे हैं कि हनुमज्यन्ती न कहकर इसे हनुमज्जन्मोत्सव कहना चाहिए ; क्योंकि जयन्ती मृतकों की मनायी जाती है । यह मात्र भ्रान्ति ही है ।

व्यावहारिक भाषाशास्त्र के अनुसार जयन्ती शब्द के अनेक अर्थों में दुर्गा , पार्वती , कलश के नीचे उगाए हुए जौ , पताका तथा जन्मदिन/स्थापना दिवस प्रधान हैं ।
व्याकरण की दृष्टि में
लटः शतृशानचावप्रथमासमानाधिकरणे इस पाणिनीय सूत्र से √जी जये धातु में शतृप्रत्यय करनेपर “जयत्” कृदन्त पद निष्पण्ण होता है और स्त्रीत्व की विवक्षा में उगितश्च सूत्र से ङीप् और शप्श्यनोर्नित्यम् से नुगागम होकर जयन्ती पद प्राप्त होता है जिसका अर्थ होगा – “जीतती हुई (स्त्री) । प्रस्तुत प्रकरण में इसका अर्थ “विजयिनी तिथि” से है ।
”जयं पुण्यं च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः” –स्कन्दमहापुराण, तिथ्यादितत्त्व
यह जयन्ती पद का शाब्दिक अर्थ है । विशेष अर्थ में यह अवतारों तथा महापुरुषों की जन्मतिथि का वाचक है । यथा , परशुराम जयन्ती , बुद्धजयन्ती , स्वामी विवेकानन्द जयन्ती आदि ।
यह जयन्ती पद रोहिणीयुता कृष्णाष्टमी के लिए रूढ भी है ।
अग्निपुराण का वचन है –
कृष्णाष्टम्यां भवेद्यत्र कलैका रोहिणी यदि ।
जयन्ती नाम सा प्रोक्ता उपोष्या सा प्रयत्नतः ।।
इससे जयन्ती व्रत का महत्त्व रोहिणीविरहित जन्माष्टमी से अधिक सिद्ध होता है । यदि रोहिणी का योग न हो तो जन्माष्टमी की संज्ञा जयन्ती नहीं हो सकती–

चन्द्रोदयेSष्टमी पूर्वा न रोहिणी भवेद् यदि ।
तदा जन्माष्टमी सा च न जयन्तीति कथ्यते ॥
–नारदीयसंहिता
आधुनिक काल में तो मूर्तामूर्त , जड-चेतन वस्तुओं में अन्तर किए बिना वार्षिक समारोहों को भी जयन्ती कहने की प्रथा चल पडी है – स्वर्णजयन्ती , हीरकजयन्ती आदि समारोह विभिन्न संस्थाओं के भी मनाए जाते हैं किन्तु वहाँ भी उनकी उत्पत्ति की तिथि ही गृहीत है ।
जयन्ती भारतीय परम्परा है जन्मदिन नहीं

उन्होंने एक कथित महात्मा के जन्मदिन को भी जयंति बना दिया , ईश्वर बना रहे और तुम इतने बड़े मूर्ख हो कि हनुमान जी की “ हनुमत जयंति” को जन्मदिन लिख रहे हो ।

जयंति और जन्मदिन में अंतर नहीं समझ में आता तो “प्राकट्य” लिखो ।

और यदि अभी भी बात समझ में भी नही आ रही समझाने पर….

कुछ कमेंट्स आए हैं उनका उत्तर :

दिन भर लिस्बन में भ्रमण पर था अत: मैं पूरा उत्तर लिख नहीं पाया ।

जयंत का अर्थ ही जिसके जय का अंत न हो । भगवती जगदंबा दुर्गा को जयंती कहा गया है ।

जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री….

भारत के स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती या रजत जयंती या हीरक जयंती भी इसीलिये मनाई जाती है क्योकि हम इसे शुभ घटना मानते हैं ।

अब आता हूँ , जन्मोत्सव पर , तो दुनिया में जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है ।

हमारा सनातन आदि और अंत पर नहीं बल्कि अनादि और अनंत पर आधारित है ।

फिर से समझिए , आदि और अंत और जन्मदिन , एक अब्राहमिक व्यवस्था हैं, अनादि , अनंत और जयंती सनातनी व्यवस्था है ।

आसमानी किताब वाले क्रिसमस सबेरात मनाते हैं और अंत में दोज़ख़ का इंतिजार करते हैं ।

अनादि की व्याख्या

“अनादि” क्या है ?

कुछ दिन पहले “ अनादि “ शब्द पर मैने आप लोगों की राय माँगी थी । मैं पहले भी कई बार लिख चुका हूँ कि सनातन आर्य वैदिक धर्म में “ अनादि” का क्या अर्थ होता है और एक बार पुन: लिख रहा हूँ जिससे की आपकी दृष्टि स्पष्ट हो जाय । आप में से जिसे न मानना हो “ अनादि” की मेरी व्याख्या को वह स्वतंत्र है अपनी व्याख्या के लिए ।

मुझे यह भी पता है कि आधे लोग इसे भी एक साधारण फेसबुकिया पोस्ट के जैसे लेंगे और ध्यान से नहीं पढ़ेंगे । परन्तु जिसे भी “ अनादि” की यह व्याख्या समझ में आ गई उसे न केवल कथा समझने में सहजता होगी , बल्कि वह सनातन का एक सच्चा योद्धा बन सकेगा ।

ध्यान से समझिए । मान लीजिए आप किसी वैज्ञानिक के पास जाए । और उससे पूछे कि यह ब्रह्मांड क्या है ? तो वह आपको बिग बैंग थ्योरी बता देगा ।

आप पूछिए कि उस बिग बैंग के पहले क्या था ? तो ब्लैक होल इत्यादि का उत्तर मिल जाएगा । आप पूछिए उसके पहले तो बहुत से वैज्ञानिक कह देंगे एक वैक्यूम था । आप पूछिए कि वैक्यूम कहाँ से आया , और वैक्यूम कैसे बना ? आधे घंटे केवल उसके पहले , उसके पहले करते रहिए आई आई टी वाले मूर्ख किताबी कीड़े भाग खड़े होगे ।

आसमानी किताब वालों से यह प्रश्न करेंगे तो गरदन कट जाएगी ।

बौद्धो से पूछेंगे तो वे मौन रहकर उत्तर दे देंगे । वैयाकरण और सांख्य दर्शन वाले कह देंगे कि यह अज्ञात है । हमारा धर्म “अनादि” पर आधारित है बाकी सबका ( अब्राहमिक पंथों ) प्रारंभ और अंत पर आधारित है ।

हमारे शास्त्र कहते है कि “ आदि” अनुभव का विषय ही नहीं है । आप बैठ करके सोचने लगिए , ब्रह्मांड के पहले कौन सा ब्रह्मांड था , उसके पहले ……उसके पहले तो कोई अर्थ नही निकलेगा ।

जहाँ पर “मै” है वही पर सृष्टि की उत्पत्ति होती है । अर्थात इदम रूप सृष्टि का “ अहम् “है । और जहाँ से अहम का उदय और और जहाँ पर अहम का विलय है वह “राम” है , वही परमात्मा है और वही “ अनादि” है ।

इसी सिद्धांत के आधार पर हम केवल इतिहास की दृष्टि से अपने धर्म को नही देखते । इतिहास, सूकर मुखी होता है और केवल ज़मीन में गड़ी वस्तुओं को नाक से उधेड़ता है ।

हमारी दृष्टि पौराणिक है । रामकथा या भागवत को आप केवल ऐतिहासिक दृष्टि से न देखे ।

राम का जन्म अयोध्या में त्रेता युग में हुआ पर आप रामनवमी को 12 बजे की प्रतीक्षा करते हैं, अपने आँखों से देखने की । राम और सीता सदैव अभिन्न थे । जनकपुर में विवाह के पहले भी वह एक ही थे पर आप अपने जीवन में अपनी आँखों से राम सीता का विवाह देखते हैं । आप अपनी आँखों से रावण वध देखते हैं ।

इसीलिए कथा में आप देखेंगे कि शिव यह कथा पार्वती को भी सुना रहे हैं और स्वंयम भी सती के साथ दण्डकारण्य में सुन रहे हैं । राम, सर्वत्र हैं । राम कथा सर्वव्यापी है ।

बल क्या होता है ?

केवल शरीर के बल को बल , संस्कृत भाषा में नही कहा जाता है ।

आप लोग कमेंट में “ जय बजरंग बली “ लिखते है । हनुमान जी को बली कहने के पीछे का रहस्य समझिए ।

इंद्रियों को संस्कृत भाषा में “ अक्ष” भी कहते है । अर्थात् , हनुमान जी का समक्ष पहली शक्ति कौन सी आई ? अक्षकुमार के रूप में आई ।

हनुमान ने इंद्रियों की शक्ति वाले अक्ष का नाश कर दिया ।

मेघनाद में इन्द्रिय बल के साथ साथ “ काम का बल” भी था । अब आप लोग यह भली भाँति जानते हैं की काम का बल भी बहुत भयानक होता है । होता नकारात्मक है पर होता भयंकर है । आप लौकिक जीवन में भी देखेगे की कोई सींक जैसा दिखने वाले ने भी बलात्कार का प्रयास किया । और वह ऐसा “ काम के बल” के कारण कर पाता है ।

हनुमान अर्थात जिसने अपने मान का हनन कर दिया हो ।

हनुमान जी , जैसा की आपको पता ही है ब्रह्मचारी थे अत: उन पर काम के बल का कोई प्रभाव तो पड़ना नहीं था और वह रावण , “जो की इंद्रिय और काम के साथ साथ , अहंकार का रूप था “ के पास पहुँच कर उसका अहंकार डिगाना चाहते थे अत: मोहपाश में बधे ।

अत: वह जो काम को अपने वश में रख सके , इंद्रिय को अपने वश में रख सके और अपने मन बुद्धि चित्त अहंकार को प्रभू के चरणों में डाल दे , वास्तव में “ बली” वही बली है । हाँ , शरीर का बल भी आवश्यक है ।

आशा है , जो लोग नए जुड़े हुए हैं उन्हें “ बल” शब्द का सनातनी अर्थ समझ में आ गया होगा ।

एक छोटी सी कथा हनुमान जी की सुनिए ।

राम-रावण युद्ध हो चुका था और आततायी रावण का बध करके आपके राम, वापस अयोध्या आ चुके थे और राजतिलक हो चुका था और भगवान सबको उपहार दे रहे थे और आभार प्रकट कर रहे थे ।

पर जब हनुमान जी की बारी आई तब भगवान राम ने कहा हनुमान जी, आपको न मैं कुछ दूँगा और न ही भविष्य में आपकी कोई भी सहायता करूँगा ।

अब चूँकि आपलोग अब्राहमिक फेथ और अंग्रेज़ों के थैंक्यू में इतना रम गए हो कि सनातन धर्म का गूढ़ तत्व समझ में ही नही आता ।

इसका अभिप्राय यह था कि कि भगवान उसको कुछ देते जिसके पास कोई कमी हो या कुछ आवश्यकता हो । और भविष्य में सहायता न करने का अभिप्राय यह था कि हे हनुमान जी मेरे उपर संकंट आया तो आपने मेरी सहायता करी पर आपके उपर ऐसा संकट कभी आए ही नहीं जिसके कारण मुझे आपको सहायता देने की आवश्यकता पड़े ।

यह तो थी भगवत कृपा ।

अब भक्ति का रूप देखिए ।

जब हनुमान जी की राम से माँगने की बारी आई तो हनुमान जी ने केवल राम की भक्ति माँग ली । बोला कि हे राम, मैं सदैव आपके बारे में सोचता रहूँ ऐसा आशीर्वाद दे दीजिए ।

अब आप ध्यान से पढ़िए । यदि आपकी राम भक्ति मे मन लगता है तो यह “फल” है , साधना नहीं ।

यदि राम से आप मुक्ति या कैवल्य माँग रहे हैं तो हनुमान जी को नहीं समझा आपने । केवल और केवल राम भक्ति में लीन हो जाईए ।

हनुमत भक्ति के इस अद्भुत स्वरूप को बाकी और रामभक्तों तक पहुँचाया जाय ।
अंत में-

स्कन्दपुराण के वैष्णवखण्ड में वेङ्कटाचलमाहात्म्य के अध्याय ३९ तथा ४० में
अञ्जना द्वारा तप किये जाने के प्रसंग में वायुदेव ने वर प्रदान किया, और उस दिन का विवरण इस प्रकार है-

मेषसंक्रमणं भानौ संप्राप्ते मुनिसत्तमाः ।।
पूर्णिमाख्ये तिथौ पुण्ये चित्रानक्षत्रसंयुते ।

सूर्य मेषराशि में तथा चित्रानक्षत्रयुक्त पूर्णिमा तिथि थी।

अगले अध्याय में व्यासजी कहते हैं कि वेंकटाद्रि तीर्थ में –

स्नानार्थं ये समायांति चित्राऋक्षसमन्विते ।।
मेषं पूषणि संप्राप्ते पूर्णिमायां शुभे दिने ।।

मेषराशि के सूर्य में चित्रा नक्षत्र की पूर्णिमा के दिन स्नानार्थियों को पुण्य प्राप्त होता है।

कदाचित् यही कारण है कि चैत्र मास की पूर्णिमा, हनुमान् जी के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाने लगी।

*मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी के जखोल में किया बिशु मेले का उद्धघाटन*

*पुरोला और आस पास के क्षेत्र को विशेष बागवानी क्षेत्र बनाने के किए जाएँगे प्रयास*

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उत्तरकाशी के जखोल स्थित सोमेश्वर मंदिर के प्रांगण में आयोजित बिशु मेले का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में अपने सम्बोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा इस मेले का महत्व धर्म और आस्था के साथ ही लोक संस्कृति और संवर्धन से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि रवांई- जौनसार क्षेत्र की लोक संस्कृति अपने आप में एक विशेष संस्कृति का परिचायक है ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश के साथ ही उत्तराखंड का चहुमुखी विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री जी की सोच के अनुरूप उत्तराखंड में हुए विकास कार्यों पर पुरोला की जनता ने मोहर लगाई है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए स्थानीय जनता का आभार जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 2 सालों से चार धाम यात्रा पर कोरोना का प्रभाव रहा है, लेकिन इस बार यात्रा बड़े स्तर पर यात्रा चलेगी, जिसके लिए सरकार पूरी तरीके से तैयार है। सरकार का उद्देश्य है कि इस बार चार धाम यात्रा में आने वाले देश दुनिया के श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा ना हो मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अतिथि देवो भवः के ध्येय वाक्य को लेकर चल रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा। जिसमें हर एक प्रदेशवासी को अपना योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने जो वादे जनता से किए हैं उनको पूरा किया जा रहा है। प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लेकर एक ड्राफ़्ट तैयार किया जाएगा, उसके लिए जल्द कमेटी गठित होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता से वादा किया था कि गरीब परिवार को साल भर में 3 सिलेंडर मुफ्त दिए जाएँगे। इसे जल्द लागू किया जा रहा है। इसके साथ ही वृद्धावस्था पेंशन में बढ़ोतरी और दोनों पात्र दंपतियों को वृद्धावस्था पेंशन दिए जाने का शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। इसके अलावा सफाई कर्मचारियों के मानदेय बढ़ोतरी और राज्य आंदोलनकारियों के अस्पताल में मुफ्त इलाज की व्यवस्था का शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।

*मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि पुरोला और आसपास के क्षेत्र को बागवानी क्षेत्र घोषित करने के लिए सरकार काम करेगी। विकासखंड मोरी के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उच्चीकृत किया जाएगा। पुरोला विकासखंड में स्वर्गीय बर्फिया लाल जुवांठा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उप जिला चिकित्सा अस्पताल के रूप में उच्चीकृत किया जाएगा। विकासखंड नौगांव में स्थित बर्नीगार्ड में नए सत्र में डिग्री कॉलेज स्थापित किया जाएगा। मोरी-नेटवाड़-सांकरी-जखोल मोटर मार्ग को यथोचित योजना में शामिल कर बनाया जाएगा।*

कार्यक्रम में विधायक पुरोला दुर्गेश्वर लाल, भाजपा जिला अध्यक्ष श्री रमेश चौहान, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान, विशु मेला समिति (जखोल) के अध्यक्ष गंगा सिंह रावत समेत बड़ी संख्या में स्थानीय जनता मौजूद रही।

हनुमान जन्मोत्सव के पूजा का विशेष मुहूर्त एवं समय

इस वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा ति​थि का आरंभ 16 अप्रैल २०२2 दिन शनिवार को सुबह 8 बजकर 23 मिनट पर चित्रा नक्षत्र आ रहा है, जो जो रात्रि 12:47 तक बहुत अच्छा मुहूर्त रहेगा ऐसे में शनिवार को हुनमान श्री हनुमान जन्मोत्सव का मुहूर्त बहुत ही प्रबल है शनिवार को चित्रा नक्षत्र में मनाई जाएगी। इसलिए 16 अप्रैल को सुबह ०8 बजकर 23मिनट से ही हनुमान जी की पूजा अर्चना प्रारंभ हो जाएगी। सुबह ०8:23 बजे से सायं 06:०7 बजे के मध्य में हनुमान जी की पूजा कर लेना उत्तम रहेगा।

श्री हनुमान जी का कवच मंत्र-

*“ॐ श्री हनुमते नम:”*

*सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र*

*ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।*

*हनुमान जी का भोग*

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पवनपुत्र हनुमान जी को हलुवा, गुड़ से बने लड्डू, पंच मेवा, डंठल वाला पान, केसर-भात और इमरती बहुत प्रिय है। पूजा के समय उनको आप इन मिष्ठानों आदि का भोग लगाएं, वे अतिप्रसन्न होंगे। काफी लोग उनको बूंदी या बूंदी के लड्डू भी चढ़ाते हैं।

*हनुमान जयंती व्रत एवं पूजा विधि*

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शनिवार के दिन प्रात:काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद गंगा जल से पूजा स्थान को पवित्र करें और मन में हनुमान जी के साथ प्रभु श्रीराम और माता सीता के नाम का स्मरण करें। अब हाथ में जल लेकर हनुमान जी पूजा और व्रत का संकल्प लें। हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें और मन, कर्म त​था वचन से पवित्र रहें।

 

संकल्प के बाद पूजा स्थान पर पूरब या उत्तर दिशा में मुख करके आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद हनुमान जी की एक प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। अब हनुमान जी को पुष्प, अक्षत्, चंदन, धूप, गंध, दीप आदि से पूजा करें। आज के दिन उनको सिंदूर अवश्य अर्पित करें। इसके बाद हनुमान जी को बूंदी के लड्डू, हलुवा, पंच मेवा, पान, केसर-भात, इमरती या इनमें से जो भी हो, उसका भोग लगाएं।

 

अब हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, श्रीराम स्तुति का पाठ करें। पूजा के समय आप हनुमान कवच मंत्र की एक माला का जाप करें। इससे आपके सभी संकटों का समाधान हनुमान जी करेंगे। अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में हनुमान जी की आरती करें। हनुमान जी की पूजा के साथ उनके आराध्य श्रीराम और माता सीता की भी पूजा करें। प्रभु श्रीराम की पूजा करने से बजरंगबली अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

 

इसके बाद लोगों में प्रसाद वितरित कर दें। स्वयं फलहार करते हुए व्रत रहें। रात्रि में भगवत जागरण, भजन-कीर्तन, सुंदरकांड का पाठ आदि करें। अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद हनुमान जी की पूजा करें। ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और फिर अंत में पारण करके व्रत को पूरा करे

16 अप्रैल 2022 शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर प्रातःकाल या सांयकाल ये पांच उपाय आपके जीवन को बदल सकते हैं.

 

पं वेद प्रकाश तिवारी अंतू प्रताप गढ़ ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ 9919242815 निशुल्क परामर्श उपलब्ध 

 

अगर बात करें हिन्दू पंचाग की तो उसके अनुसार अभी चैत्र का महिना चल रहा है और इस महीने शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर हनुमान जी के लिए विशेष पूजा की जाती है पूर्णिमा को ही हनुमान्‌जी का जन्म हुआ था और , अगर आप इस हनुमान जयंती पर के ये खास पांच उपाय करेंगे तो आपको बहुत लाभ प्राप्त होगा …

 

१ :- सूर्य अस्त के बाद हनुमान जी के सामने चार बाती वाला दिया जलायेंअर्थात इसकी दिशा चारों दिशाओं में फ़ैली हो जिससे आपके घर में किसी भी दिशा से आने वाली परेशानी को हनुमान जी रोकेंगे तथा घर से सभी परेशानी दूर होगी.

 

२ :- एक नारियल पर सिंदूर, लाल धागा, चावल चढ़ाएं और उस नारियल की पूजा विधिवत करें , इसके बाद ये नारियल हनुमान जी पर चढ़ा दें इस उपाय से आपको आर्थिक परेशानी से थोडा राहत मिलेगा

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३ :- हनुमान जी को गाय से बने घी का हलुवा या लड्डू का प्रसाद बनाएं तथा ये प्रसाद हनुमान जी को चढ़ाएं उसके पश्चात इस प्रसाद को गरीबों में बातें तथा खुद भी खाएं इससे आपके जीवन में आ रहे संकट दूर होंगे.

 

४ :- यदि आपके पास समय नहीं है या घर से बाहर होने के कारण विधिवत पूजा नहीं कर पायेंगे तो आप हनुमान जी को लाल या पीले फुल और तुलसी चढ़ा दें जैसे :- कमल, गुलाब, गेंदा, सूर्यमुखी आदि इससे भी हनुमान जी प्रसन होते है और इससे आपको उनका आर्शीवाद प्राप्त होगा.

५ :- आप एक जटा वाला नारियल लें और उस नारियल पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं इसके बाद ये नारियल हनुमान जी को अर्पित कर दे और इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ कम से कम ५ बार पढ़ें इससे आपका बुरा समय दूर होगा.#हनुमानजी की उड़ने की गति कितनी थी🐒🐒🐒

#जानिए हनुमानजी की उड़ने की गति कितनी रही होगी उसका अनुमान आप लगा सकते हैं की रात्रि को 9:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक #लक्ष्मण जी एवं #मेघनाद का युद्ध हुआ था। मेघनाद द्वारा चलाए गए बाण से#लक्ष्मण जी को शक्ति लगी थी लगभग रात को 12:00 बजे के करीब और वो #मूर्छित हो गए थे।

#रामजी को लक्ष्मण जी मूर्छा की जानकारी मिलना फिर दुखी होने के बाद चर्चा जे उपरांत हनुमान जी & विभीषणजी के कहने से #सुषेण वैद्य को #लंका से लेकर आए होंगे 1 घंटे में अर्थात 1:00 बजे के आसपास ।

सुषेण वैद्य ने जांच करके बताया होगा कि #हिमालय के पास #द्रोणागिरी पर्वत🏔️🏔️ पर यह चार #औषधियां🏕️🏕️ मिलेगी जिन्हें उन्हें #सूर्योदय से पूर्व 5:00 बजे से पहले लेकर आना था ।इसके लिए #रात्रि को 1:30 बजे हनुमान जी हिमालय के लिए उड़े होंगे।

हनुमानजी को ढाई हजार किलोमीटर दूर हिमालय के द्रोणगिरि पर्वत से उस औषधि को लेकर आने के लिए 3:30 घंटे का समय मिला था। इसमें भी उनका आधे घंटे का समय औषधि खोजने में लगा होगा ।आधे घंटे का समय #कालनेमि नामक राक्षस ने जो उनको भ्रमित किया उसमें लगा होगा एवं आधे घंटे का समय #भरत जी के द्वारा उनको नीचे गिराने में तथा वापस भेजने देने में लगा होगा।अर्थात आने जाने के लिये मात्र दो घण्टे का समय मिला था।

मात्र दो घंटे में हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत हिमालय पर जाकर वापस 5000 किलोमीटर की यात्रा करके आये थे, अर्थात उनकी गति ढाई हजार किलोमीटर प्रति घंटा रही होगी।

आज का नवीनतम #मिराज #वायुयान🚀🚀 की गति 2400 किलोमीटर प्रति घंटा है ,तो हनुमान जी महाराज उससे भी तीव्र गति से जाकर मार्ग के तीन-तीन अवरोधों को दूर करके वापस सूर्योदय से पहले आए ।यह उनकी विलक्षण #शक्तियों के कारण संभव हुआ था।

बोलिए हनुमान जी महाराज की जय

#पवनसुत हनुमान की जय

#सियावर रामचंद्र जी की जय

🙏🙏*🙏🏻शम शनिश्चराय नमः 🙏🏻* 

*पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए🙏🏻🙏🏻

*🌞 ~*आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞

⛅ *दिनांक – 16 अप्रैल 2022*

⛅ *दिन – शनिवार*

⛅ *विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)*

⛅ *शक संवत -1944*

⛅ *अयन – उत्तरायण*

⛅ *ऋतु – वसंत ऋतु* 

⛅ *मास – चैत्र*

⛅ *पक्ष – शुक्ल* 

⛅ *तिथि – पूर्णिमा रात्रि 12:24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*

⛅ *नक्षत्र – हस्त सुबह 08:40 तक तत्पश्चात चित्रा*

⛅ *योग – हर्षण 17अप्रैल रात्रि 02:45 तक तत्पश्चात वज्र*

⛅ *राहुकाल – सुबह 09:29 से सुबह 11:04 तक*

⛅ *सूर्योदय – 06:20*

⛅ *सूर्यास्त – 18:56*

⛅ *दिशाशूल – पूर्व दिशा में*

⛅ *व्रत पर्व विवरण – व्रत पूर्णिमा, चैत्री पूर्णिमा, श्री हनुमान जयंती, वैशाख स्नान प्रारंभ, छत्रपति शिवाजी पुण्यतिथि*

💥 *विशेष – पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

      🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

 

🌷 *हनुमान जयंती* 🌷

 

🙏🏻 *जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी कोई विरोधी परेशान करता है तो कभी घर के किसी सदस्य को बीमारी घेर लेती है। इनके अलावा भी जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। ऐसे में हनुमानजी की आराधना करना ही सबसे श्रेष्ठ है। इस बार 16 अप्रैल, शनिवार को हनुमान जयंती है। हनुमानजी की कृपा पाने का यह बहुत ही उचित अवसर है। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में कोई संकट न आए तो नीचे लिखे मंत्र का जप हनुमान जयंती के दिन करें। प्रति मंगलवार या शनिवार को भी इस मंत्र का जप कर सकते हैं।*

🌷 *मंत्र*

*ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा*

🙏🏻 *जप विधि*

👉🏻 *- सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें।*

👉🏻 *- इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुल देवता को नमन कर कुश का आसन ग्रहण करें।*

👉🏻 *- पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे तो विशेष फल मिलता है।*

👉🏻 *- जप के लिए लाल मूँगे की माला का प्रयोग करें।*

          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

 

🌷 *वैशाख मास स्नान आरंभ* 🌷

 

🙏🏻 *चैत्र शुक्ल पूर्णिमा से वैशाख मास स्नान आरंभ हो जाता है। यह स्नान पूरे वैशाख मास तक चलता है। इस बार वैशाख मास स्नान 16 अप्रैल, शनिवार से प्रारंभ हो रहा है ।*

🙏🏻 *स्कंदपुराण में वैशाख मास को सभी मासों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि वैशाख मास में सूर्योदय से पहले जो व्यक्ति स्नान करता है तथा व्रत रखता है, वह भगवान विष्णु का कृपापात्र होता है। स्कंदपुराण में उल्लेख है कि महीरथ नामक राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इसमें व्रती को प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी तीर्थस्थान, सरोवर, नदी या कुएं पर जाकर अथवा घर पर ही स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय अर्ध्र्य देते समय नीचे लिखा मंत्र बोलना चाहिए-*

🌷 *वैशाखे मेषगे भानौ प्रात: स्नानपरायण:।*

*अध्र्यं तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।*

🙏🏻 *वैशाख व्रत महात्म्य की कथा सुनना चाहिए तथा ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। व्रती को एक समय भोजन करना चाहिए। वैशाख मास में जलदान का विशेष महत्व है। इस मास में प्याऊ की स्थापना करवानी चाहिए। पंखा, खरबूजा एवं अन्य फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए।*

🙏🏻 *स्कंदपुराण के अनुसार इस मास में तेल लगाना, दिन में सोना, कांसे के बर्तन में भोजन करना, दो बार भोजन करना, रात में खाना आदि वर्जित माना गया है। वैशाख मास के देवता भगवान मधुसूदन हैं।*

 

📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*

📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*

          

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                आज का राशिफल

               🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आप अपनी विद्या बुद्धि से असम्भव को संभव करने में सफल रहेंगे आज जिस कार्य को करने के लिये सभी मना करेंगे आपको वही करने में आनंद आएगा। कार्य व्यवसाय में अनुकूल वातावरण मिलेगा सहकर्मियो का अड़ियल रवैया कुछ समय के लिये परेशानी में डालेगा फिर भी अपने दम पर कार्यो को रुकने नही देंगे हाथ आये सौदों से हर हाल में लाभ उठाकर ही मानेंगे। भाग्य का साथ भी रहने से किसी भी कार्य को बनाने में ज्यादा मशक्कत नही करनी पड़ेगी। धन की आमद आशा से कम ही रहेगी। आज किसी घर अथवा व्यावसाय के कारण जमा पूंजी से खर्च करना पड़ेगा। संध्या के समय मन मे बेचैनी रहेगी फिर भी दिन भर की गतिविधियों से संतोष होगा। संतान की सेहत अथवा अन्य कारणों से परेशानी होगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन आप अपने बुद्धि चातुर्य से हर जगह सम्मान पाएंगे मेहनत भी आज अन्य दिनों की तुलना में अधिक करनी पड़ेगी लेकिन बीच-बीच मे प्रसंशा मिलने से अखरेगा नही। आर्थिक लाभ को लेकर दिन के आरंभ से कयास लगाएंगे मध्यान से रुक रुक कर होने की संभावना है पर मन अधिक पाने की लालसा में शांत नही रहेगा। व्यावसायिक कारणों से छोटी बड़ी यात्रा भी हो सकती है इससे भी कुछ न कुछ लाभ ही होगा। सहकर्मी अपना मतलब साधने के लिये आपसे मीठा व्यवहार करेंगे लेकिन किसी के आगे ज्यादा समर्पित भी ना हो अन्यथा अपने काम मे देरी होगी। घरेलू वातावरण अन्य दिनों की तुलना में शांत नजर आएगा लेकिन महिलाओ के मन मे अंदर ही अंदर उथल पुथल चलेगी। सेहत मध्यान तक ठीक रहेगी इसके बाद कमर दर्द या जोड़ो में दर्द की शिकायत होगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन शुभफलदायक रहेगा घर मे माता अथवा अन्य स्त्री से संबंधों में कटुता आएगी परिजनों से आज किसी न किसी बात पर मतभेद ही रहेंगे फिर भी अन्य क्षेत्र पर आपकी छवि भद्र इंसान के रूप में बनेगी स्वभाव में भी व्यवहारिकता रहने से किसी को निराश नही करेंगे अपने कार्य छोड़ अन्य लोगो की समस्या सुलझाने में तत्पर रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर आर्थिक उलझने बनेगी धन की कमी के कारण बनी बनाई योजना अधर में रह सकती है। उधारी वाले व्यवहार चुकाने में संचित कोष में कमी आएगी। मध्यान तक ज्यादा परिश्रम करने से बचेंगे पर एक बार धन लाभ होने पर लालच बढेगा। संध्या के आस पास काम चलाऊ धन की आमद हो जाएगी। संध्या बाद परिजनों की समस्या परेशान करेंगी सुलझाने की जगह टालने के प्रयास करेंगे। थकान को छोड़ सेहत ठीक ही रहेगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आप अपने पराक्रम से लाभ कमाएंगे। आज जहां से कोई उम्मीद नही रहेगी वहां से भी कुछ ना कुछ प्राप्त कर लेंगे। कार्य क्षेत्र का वातावरण अस्त व्यस्त रहेगा सांझेदारो से अनबन होने की संभावना है परन्तु आज एकल व्यवसाय अथवा पैतृक कार्य से अधिक लाभ होगा। संचित धन में वृद्धि होगी भविष्य के लिए भी नई योजना बनाएंगे। घर मे संपत्ति को लेकर विवाद हो सकता है अपना पक्ष रखने से पहले अन्य लोगो की राय जाने इसके बाद ही कोई निर्णय ले। पिता से काम निकालना आसान नही रहेगा इसलिये माता से मधुर संबंध रखे किसी न किसी रूप में अवश्य लाभ होगा। सेहत में आज कुछ न कुछ गड़बड़ लगी रहेगी खाने पीने में विशेष सावधानी रखें पेट की समस्या अन्य बीमारियों को जन्म देगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन मिलाजुला फल देगा आज भी दिन के आरंभ में घर मे पुराने विवाद के कारण परिजनों से मतभेद उभरेंगे लेकिन बीते कल की तुलना में आज धैर्य रहने से इससे बचने का प्रयास करेंगे किसी की बातों का प्रतिशोध नही लेंगे लेकिन मन ही मन दुखी रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहेगी जिससे सोची हुई योजना को फलीभूत करना आज सम्भव नही होगा फिर भी व्यवहार बनाये रखे अन्यथा कोई अन्य लाभ उठा लेगा। जमीन संबंधित कोई भी कार्य आज ना करें हासिल कुछ नही होगा ऊपर से व्यर्थ दुश्मनी बढ़ेगी। संध्या के समय भाग्य का साथ मिलने से आकस्मिक धन लाभ होगा। आर्थिक परेशानी से बचने के लिये दैनिक खर्च में मितव्ययता बरते। महिला वर्ग आज अंदर से जली भुनी रहेंगी इनसे व्यर्थ बोलने से बचे। पति-पत्नी दोनों एक ही समस्या से ग्रस्त रहेंगे।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन आपके लिए शानदार रहेगा आज आपकी मानसिकता सुखोपभोग की वस्तुओं के संग्रह की रहेगी इसपर खर्च भी करेंगे लेकिन भविष्य को ध्यान में रखकर ही चले। कार्य व्यवसाय से दिन के आरंभ में ज्यादा आशा नही रहेगी लेकिन मध्यान के आस-पास आकस्मिक लाभ होने से मन मे लोभ आएगा। व्यवसायी वर्ग व्यवसाय में निवेश करेंगे निकट भविष्य में लाभदायक रहेगा पर आज धन की आमद सामान्य से भी कम ही रहेगी। नौकरी करने वाले कार्य क्षेत्र पर अपनी प्रशंसा कराने के चक्कर मे मूर्खता का परिचय देने पर हास्य के पात्र बन सकते है स्वाभाविक कार्य करें यही आपके लिये ठीक रहेगा। घर के कुछ सदस्य किसी महंगी वस्तु को पाने की जिद करेंगे जबकि कुछ इसके विरोध में रहेंगे जिससे वातावरण थोड़ी देर के लिये अशांत बनेगा। आरोग्य बना रहेगा।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन भी विपरीत फलदायक बना है लेकिन आज कल की तुलना में कुछ राहत भी मिलेगी। दिन के पूर्वार्ध से ही किसी विशेष कार्य को लेकर चिंतित रहेंगे मध्यान तक मन दुविधा में रहेगा हानि के डर से कार्य करने का मन नही करेगा निवेश करनी भी घबराएंगे। संध्या से स्थिति में सुधार आने लगेगा छूट पुट अशुभ समाचार भी मिलेंगे लेकिन घबराए ना आगे से समय आपके पक्ष में बनने लगेगा खराब समय मे मिला अनुभव आगे के लिए सुधार लाएगा। धन लाभ की आशा आज ना रखें खर्च चलाने के लिये भी किसी से मांगने अथवा संचित कोष से निकालने पड़ेंगे। कार्य स्थल पर किसी से अथवा परिजनो के हाथ टूट फुट या किसी अन्य रूप में नुकसान होगा बौखलाहट से बचे संबंध खराब होने पर वापस सामान्य होने में काफी समय लग सकता है।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन भी आपके लिये लाभदायक रहने वाला है दिन के आरंभ में घर मे किसी से व्यर्थ की बात पर उलझेंगे लेकिन मध्यान के बाद स्वभाव में गंभीरता आएगी फिर भी सहकर्मी आपसे व्यवहार करने में संकोच करेंगे जिससे कार्य क्षेत्र पर आपसी तालमेल की कमी रहेगी। कार्य व्यवसाय में आज सोची गई योजना संध्या तक ही फलीभूत होगी पर धन लाभ आज पुरानी योजना अथवा संग्रह से ही होगा। सामाजिक क्षेत्र पर ठाट बाट का जीवन सामान्य वर्ग से दूरी बनाएगा लेकिन आज आप दिखावे में ही रहना अधिक पसंद करेंगे। घर के सदस्य भी मतलब से आपका समर्थन करेंगे पर बुजुर्ग वर्ग से किसी बात को लेकर ठनेगी। लंबी यात्रा की योजना बनेगी निकट भविष्य में इसपर खर्च भी करना पड़ेगा। संध्या बाद शरीर दुखने की शिकायत होगी।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आपका ध्यान एक साथ दो कार्यो से लाभ उठाने पर रहेगा धन की आमद तो आज अवश्य ही होगी लेकिन एक समय मे एक ही कार्य हाथ लेने से दुविधा में पड़ने से बचेंगे। दिन के आरंभ में विविध उलझने मानसिक रूप से परेशान करेंगी लेकिन मध्यान के समय कही से लाभदायक समाचार मिलने से राहत मिलेगी कार्यो के प्रति उत्साह भी बढ़ेगा। आज नीति को छोड़ अनैतिक मार्ग से लाभ की संभावनाए अधिक रहेंगी प्रलोभन के कारण इनका विचार नही करेंगे। व्यवहारिकता आज कम ही रहेगी वाणी में रूखापन रहेगा जिससे नए बने संबंधों में खटास आएगी। कामुकता अधिक रहने कनकार्न परिजनों के आगे शर्मिंदा हो सकते है। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आप किसी मुसीबत से बचने के लिये धर्म का सहारा लेंगे मन मे आध्यात्मिक भाव रहेंगे लेकिन स्वार्थ सिद्धि मात्र ही। पूजा पाठ तंत्र टोटको पर दिन का कुछ समय और धन खर्च होगा लेकिन मन मे अज्ञात भय रहने से मानसिक शांति नही मिल पाएगी। कार्य क्षेत्र पर लेन देन को लेकर किसी से उलझने की संभावना है व्यवसाय की गति आज धीमी रहेगी जहां लाभ की संभावना होगी वहां सहयोग की कमी रहेगी। लोग आपको आश्वासन देंगे पर वक्त पड़ने पर अपनी बात से पलट जाएंगे। गृहस्थ में भी आज उतार चढ़ाव लगा रहेगा स्त्री संताने जिस कार्य को करने से बचना चाहिये उसे कर घर के बड़ो को नाराज करेंगे। सेहत ठीक रहेगी फिर भी घरेलू कार्यो में अरुचि दिखाएंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन प्रतिकूल रहेगा पूर्व में बरती लापरवाही के कारण सेहत में विकार आने से प्रातः काल से ही अनमने से रहेंगे कार्य करने का मन करेगा लेकिन उत्साह की कमी हर कार्य मे विलंब कराएगी। नौकरी पेशाओ को आज अधिक कष्ट होगा सहकर्मियो से मतभेद के कारण सहयोग नही मिलेगा स्वयं ही सभी कार्य करने पड़ेंगे अवकाश भी ले सकते है। व्यवसायी वर्ग मध्यान तक थोड़ा बहुत लाभ कमा लेंगे लेकिन इसके बाद सेहत का साथ ना मिलने से अधिकांश कार्य अधूरे रह जाएंगे। धन की आमद रुक रुक कर होने से थोड़ी राहत में रहेंगे। घर मे आज किसी न किसी के बीमार रहने से दवाओं का खर्च बढ़ेगा घर मे भी अव्यवस्था पनपेगी। 

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आपको अनुकूल फल मिलेंगे आपका ध्यान भविष्य को सुरक्षित बनाने पर रहेगा। आर्थिक कार्यो में रुचि अधिक रहेगी मन मे धन संबंधित तिकडम लगी रहेगी। कार्य व्यवसाय में दोपहर तक भागदौड़ के बाद धन की आवक होने लगेगी जो कि संध्या बाद तक रुक रुक कर होती रहने से आर्थिक पक्ष मजबूत बनेगा। अपने कार्य आज स्वयं करने का प्रयास करें अन्य के ऊपर थोपने से क्लेश हो सकता है। घर का वातावरण अशांत रहेगा भाई बंधुओ से अहम को लेकर तकरार अथवा बोलचाल में कमी आएगी। पति-पत्नी में भी कुछ न कुछ नोकझोंक लगी रहेगी फिर भी स्थिति गंभीर नही हो पाएगी। स्वयं अथवा परिजनों की सेहत को लेकर खर्च होगा।

   

     🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

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——————राधे राधे————–

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