परमार्थ निकेतन के चिदानन्द मुनि अपने सर्वधर्म समभाव मिशन के कारण शोशल मीडिया पर न केवल चर्चा में हैं अपितु कोपभाजन के शिकार भी बन रहे हैं। उनकी इस नीति का केवल हिन्दू धर्म के मानने वाले भारतीयों में ही विरोध नहीं हो रहा बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीयों में भी आक्रोश दिख रहा है। शोशल मीडिया पर भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है। लोगों ने जानना चाहा कि चिदानन्द महाराज का भाईचारा और समभाव की रट एक तरफा है या कभी देवबंद या किसी चर्च ने भी परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों को अपने यहां बुला कर सस्वर वेदपाठ भी कराया? विदेश से आयी ऐसी ही एक प्रतिक्रिया को अपने सुधी पाठकों के नीरक्षीर विवेक हेतु यहां दे रहे हैं – ✍️संपादक
अति आवश्यक,चिंतन मनन का विषय।
मित्रो,
उत्तराखण्ड में,ऋषिकेश भारत का एकमात्र ऐसा शहर है, जिसमे एक भी मस्जिद नहीं है.
हम सभी सनातन धर्मावलम्बियों के लिये, “ऋषिकेश” एक शहर मात्र नहीं,अपितु,सनातन धर्मालंबियों का,एकमात्र पूरी तरह से पवित्र व पूज्यनीय स्थल है.
एक और बिशेष बात,ऋषिकेश उत्तराखण्ड का
ऐसा शहर है जिसमें तीन जिले एक ही शहर में,पड़ते हैं।
साथ ही साथ ऋषिकेश,उत्तराखण्ड की पवित्र”चार धाम यात्रा” का प्रवेश द्वार भी है।
हमारे देश में शायद ही कोई ऐसा अन्य शहर होगा, जहां मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा नहीं हों. कम से कम हर शहर में मंदिर और मस्जिद तो जरूर होते हैं ,लेकिन अगर कोई ऐसी पोस्ट मिल जाए, जिसमें दावा किया जाए कि देश के फलाने शहर में कोई मस्जिद नहीं है, तो यकीन करना मुश्किल होगा।
लेकिन अब वहां भी,एक ख़तरनाक घुसपैठ की शुरुआत हो चुकी है।
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खतरनाक प्रयोग!
नीचे की तस्बीरों में,
ये ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के वर्तमान अध्यक्ष हैं *चिदानंद सरस्वती* और दूसरे इनके भाईचारे वाले भाईजान हैं, *देवबंद के राष्ट्रीय इमाम संघ* के मुख्य *इमाम उमेर अहमद इलियासी!*
अभिनव प्रयोग ये है की शायद *धार्मिक सौहार्द बढ़ाने हेतु मदरसे के 100 छात्रों को गुरुकुल में ठहराया गया* इस प्रकार *मुस्लिम छात्र आरती में शामिल हुए और नमाज के लिए गुरुकुल के ऋषि कुमारों से गंगा तट धोकर साफ करवाया गया?*
मदरसे वालों ने आश्रम में सात्विक आहार लिया, बदले में अब इन गुरुकुल के छात्रों को भी मदरसे में जाना होगा और जाहिर है की वहां थूक मिला प्रसाद भी लेना पड़ेगा?!?
हिंदू छात्रों ने जहां *वसुधैव कुटुंबकम्* और *सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।*
*सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।*
अर्थात संसार में *सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।* गंगा मां, महादेव से प्रार्थना की होगी, इसका अर्थ भी बताया होगा!
वहीं *नमाज में मदरसे के छात्रों ने क्या प्रार्थना की, इस्लामिक लोगों के लिए और काफिरों के लिए… ये पूछना निश्चित ही महाराज भूल गए होंगे और मौलाना किस मुंह से बताएंगे?*
हमारे सभी आधुनिक भंडाराखोर संतो को *विवेक अग्निहोत्री* की फिल्म *TheKashmirFiles* देखनी चाहिए, रहा सवाल इन देवबंदी मौलानाओं का तो इनको सब पता है, इस्लामिक आतंकवाद, कश्मीर, केरल और पश्चिम बंगाल से लेकर दुनिया भर का सारा जेहाद… क्योंकि *इन्हीं देवबंदी मौलानाओं की देखरेख में होता है*…
और अब ये मौलाना तैयार कर रहे हैं *अगली खेप* और उसे दिखा रहे हैं *चारा* कर्टेसी हमारे अज्ञानी व्यापारी संत?
कभी आपने विचार किया है… आखिर हमारे… हिंदू मंदिरों, गुरुद्वारों, जैन, बौद्ध मंदिरों और उनके धर्माचार्यों को ऐसी क्या चाट है, अली मौला की, या क्या मजबूरी है… की ये एक के बाद एक… *सनातन धर्म द्रोहियों को हमारे मंदिरों में नमाज पढ़ने के लिए बुलवाते हैं*… इनका बंधन हो चुका है… या फिर *विदेशी महिला* पाप की गठरी में कोई राज है जो, मौलाना को तो अपने साथ बिठाते हैं, और हिन्दू भक्तों को अपने से नीचे…
*ये तो राजनेता भी नहीं की वोट मिलेंगे, इसका मतलब माजरा कुछ और ही है!?!*
जो भी हो चुनाव के बाद नेताओं को तो पता चल ही गया है की *मुसलमान* धोखेबाज हैं, विकास लेंगे, वोट नहीं देंगे… अब बारी महाराज की है *थूक वाला आहार* तो लेना ही पड़ेगा… ऋषिकुमार बेचारे मजबूर हैं?
आश्रम में रहना है तो माननी पड़ेगी, अभी *नमाज के गंगा तट साफ करवाया है* अध्यक्ष महोदय कहेंगे तो *जीभ* से जूते भी साफ करने पड़ सकते हैं!?!
और एक बात क्या आजतक किसी हिंदू को इन मौलानाओं ने मस्जिद में पूजा पाठ, हवन के लिए, या *गुरुग्रंथ साहिब* के पाठ के लिए बुलाया है!?!
क्या कोई हिंदू *मक्का मदीना* में जा सकता है!?!
विचार करें *सब समझ* आ जायेगा, अधिकांश आश्रमों का ये हाल हो गया है की ये होटल बन चुके हैं, अरमार्थ, परमार्थ के नाम पर निहित स्वार्थ पूर्ति के व्यापारिक संस्थान, *ऐसे भगोड़े धनपशुओं के अड्डे जो संसार में अन्य कुछ करने में असमर्थ रहे!?!*
हिंदुओं नेताओं को छोड़ें, संत महात्मा भी अब *धर्मरक्षक* नहीं रहे… अतैव अब आपको समझ आ जाना चाहिए की *आपका दायित्व ये है की अपने परिवार की रक्षा हेतु, आत्मनिर्भर बनें, और जागरूक भी* वरना आपका क्या होने वाला है, इसको जानने के लिए न आप सावरकर की मोपला, पढ़ सकते हैं, ना स्वामी दयानंद सरस्वती का *सत्यार्थ प्रकाश* तो इसे प्रचलित माध्यम से जानने हेतु 2.5 hour की फिल्म देख लें… *(The KashmirFiles)* द कश्मीर फाइल्स, शायद कुछ समझ आ हो जाए… *अंतिम स्पीच* ध्यान से सुनना, इतिहास वहीं है, हिंदुओं की हत्या, लूट, बलात्कार तो वर्तमान है… इसको केवल इतिहास समझना भूल होगी।
योगी हेमंत पंचपोर
टोरंटो, कनाडा (साभार)
इस संबंध में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चितानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि फोटो चार वर्ष पुरानी हैं जिसने भी ये तस्वीरें व वीडियों वायरल किये हैं उनके पास सही जानकारी का अभाव है तथा उन्हें किसी प्रकार की भ्रांति हुई है इसलिये इस पोस्ट को इतना समय बीत जाने के बाद उनके द्वारा सोशल मीडिया में वायरल किया जा रहा है जिसका स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने खंडन किया।
तिथि भी देवी स्वरूप!
हमारे यहां तिथियों को माता के समान सम्मान मिला है। देखिये- तीज माता! राजस्थान में तो तीजां की सवारी निकलती है। चौथ माता! कितनी चौथ, करवा चौथ! पंचमी, पाची माता! छठ और छठ माता! ब्रज से लेकर उत्तरी भारत में छठमाता की पूजा होती है, वह नवजात के लेख लिखती है। दशा माता! चैत्र के कृष्ण पक्ष की दशमी को दशामाता की पूजा और दसों ही दिन तक पूजा के साथ कहानियां कहने की परंपरा है। ग्यारस को भी तारणी कहा जाता है।
सारी ही तिथियों के अपने-अपने देवता हैं। गर्गसंहिता, शिवधर्मोत्तर पुराण, बृहत्संहिता, कालिका पुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, भविष्य पुराण, अग्नि पुराण, वह्निपुराण सहित मुहूर्त के लगभग सारे ही ग्रंथों यथा- ज्योतिष रत्नमाला, मुहूर्त तत्वम्, मुहूर्त चिन्तामणि ही नहीं, एकलिंग पुराण जैसे स्थलीय माहात्म्य ग्रंथों में तिथियों की इसी तरह की मान्यताएं आई हैं। ( ज्योतिष रत्नमाला : श्री कृष्ण जुगनू)
एक बात ओर, मान्यता सबसे पहले लोक में जन्म लेती है, वही बाद में श्लोक होकर शास्त्र सम्मत होती है। इसीलिए लोक को सबसे बडा प्रमाण माना गया है, लोके च वेदे…. यह जुमला सभी ग्रंथों में आता है। इन मान्यताओं में कहीं समयानुसार भी बदलाव दिखाई देता है या दे सकता है, मगर अधिक नहीं। कहीं पर्याय के स्तर पर तो कहीं देववाद के विकास के स्तर पर ही।
हेमाद्रि कृत चतुर्वर्ग चिंतामणि ( 1260 ई.) में तिथियों को भी देवियों का रूप मानकर उनकी मूर्तियां बनाने का निर्देश दिया गया है। (देखें : व्रतखंड अध्याय प्रथम, पृष्ठ 151 से 156 तक) इस आधार पर अनेक चित्र बने हैं। यह तिथि चित्र शृंखला मुझे डॉ. दलजीत कौर ने दिखाई और शेयर भी की।
यह रूपांकन केवल कृष्ण पक्ष की तिथियों का ही नहीं, शुक्ल पक्ष की सभी तिथियों का भी है, यह विश्वकर्मा शास्त्र में कहीं आया है जिसको हेमाद्रि ने 1260 के आसपास उदृत किया है। जैसे शुक्लपक्ष की प्रतिपदा की मूर्ति का रूप बताया है- वह द्विभुजा व अरुण वर्ण की होगी, मेष पर आरूढ होगी, शक्ति और पात्र उसके हाथ में होंगे- तिथयोह्यधुनोच्यन्ते प्रतिपद्दिभुजारूणा। मेषगा शक्ति पात्रा सा सितपक्षादिमा मता…।
शीतला – चेचक की देवी की विश्वयात्रा !
होली के बाद सातवें दिन शीतला सप्तमी का पर्व पडता है और एक दिन पहले महिलाएं बासोडा या ठंडी सामग्री की तैयारी करती हैं। रात में खाना बनाएंगी और सुबह शीतला की पूजा करके, कथा सुनकर सबको बासोडा या ठंडा खाना खिलाएंगी। अपने हाथ से उस दिन आग जलाने जैसा काेई काम नहीं करेंगी। उसके पीछे उसका मकसद यह रहता है कि बच्चे बच्चियों को कभी चेचक जैसी बीमारी नहीं हो। शीतला के गीत गाए जाएंगे –
सीळी सीळी ए म्हारी सीतळा ए माय..
बारुडा रखवाळी सोहे सीतला ए माय…।”
इस महाव्याधि का उन्मूलन हुए बरस हो गए मगर शीतलादेवी अब भी पूजा के अन्तर्गत है। साल में चैत्री कृष्णा सप्तमी और भादौ कृष्णा सप्तमी को शीतला की पूजा की जाती है। पश्चिमी भारत ही नहीं, पूरे देश में शीतला की पूजा की जाती है, कई नामों से इसकी प्रतिष्ठा है मगर यह ब्राह्मण देवी नहीं मानी गई अन्यथा इसके भी पूजा विधान प्रारंभिक शास्त्रों में लिखे होते।
इस देवी का स्वरूप 12वीं सदी में संपादित हुए स्कन्दपुराण में आया है और मंत्र के रूप में इसको दिगम्बरा, रासभ या गधे पर सवार, मार्जनी-झाडू व कलश लिए तथा शूर्प से अलंकृत बताई गई है –
नमामि शीतलादेवी रासभस्था दिगम्बरा।
मार्जनी कलशोपेता शूर्पालंकृता मस्तका।।
मध्यकाल में इसकी मूर्ति बनाने के लक्षण मेवाड में 1487 ईस्वी में रचित वास्तुमंजरी आदि में लिखे गए। ( रुपाधिकार : श्रीकृष्ण जुगनू)
प्रयाग के रामसुन्दर ने शीतला चालीसा को लिखा जबकि 1900 में डब्ल्यू. जे. विल्किंस ने “हिंदू माइथोलॉजी, वैदिक एंड पुराणिक” में इस देवी की मान्यताओं का सिंहावलोकन किया है। दुनिया के कोई सात धर्मों में इसकी अलग अलग नामों से मान्यता मिलती है।
जापान आदि में यह सोपान देव के नाम से योरूवा धर्म में है।
हमारे यहां बौद्धकाल में “हारितिदेवी” के नाम से एक मातृका की पूजा की जाती थी, जिसकी गोद में बालक होता था, बालकों की रक्षा के लिए इसको पूजा जाता था। गांधार से तीसरी सदी की हारिति की मूर्तियां भी मिली हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तरह की मान्यताओं का निकास इस्रायल, पेलेस्टाइन से हुआ। खासकर उन व्यापारियों से इसको पहचाना गया जो बर्तन आदि वस्तुओं का विपणन करने निकलते थे।
यह चेचक जिसे smallpox की देवी मानी जाती है। चेचक की व्याधि पूतना के नाम से पृथक नहीं है। भारत में इस व्याधि का प्रमाण 1500 ईसा पूर्व से खोजा गया है जबकि मिस्र में इसके प्रमाण 3000 वर्ष पूर्व, 1145 ईसापूर्व के मिलते हैं। वहां के राजा रामेस्सेस पंचम और उसकी रानी की जो ममी मिली है, उसमें इस रोग का प्रमाण है। चीन में इसका प्रमाण 1122 ईसापूर्व का मिला है, चीन से यह व्याधि कोरिया होकर 735-737 में जापान पहुंची तो महामारी की तरह फैली और एक तिहाई आबादी प्रभावित हुई।
भारत में औरंगजेब के शासनकाल के 16-17 सितंबर, 1667 ई. के एक फरमान से ज्ञात होता है कि शीतला के स्थानकों पर हिंदुओं और मुस्लिमों की भीड लग जाती थी, उनको नियंत्रित करने के लिहाज से राजाज्ञा जारी करनी पड़ी थी। गांव गांव शीतला के स्थानक, मंदिर मिलते हैं। चाटसू, वल्लभनगर, सागवाड़ा आदि में मध्यकालीन मंदिर मिलते हैं।
है न चेचकी की देवी शीतला की विश्वयात्रा की रोचक कहानी। हमारे यहां तो होली के दहन के दूसरे दिन से लेकर सात दिनों तक रोजाना महिलाएं उठते ही शीतला माता को ठंडी करने जाती है, इन दिनों को ही अगता मानकर उनका पालन करती हैं… एक व्याधि के शमन के लिए देवी की पूजा की मान्यता हमारी आस्था की पगडंडियों को मजबूती देती दिखाई देती है।
घर-घर गौरी, कंठ कंठ कथा,,,
होली के बाद इस पूरे इलाके में घर-घर गौरी और कंठ-कंठ कथा को अनुभव किया जा सकता है। सुबह-सुबह हाथ में गेहूं के दाने लिए महिलाएं व्रत कथाओं को कहते सुनते मिलेंगी। कहीं पीपल के तले तो कहीं तुलसी क्यारे या वृंदावन के पास या फिर घर में देव दरबार के सामने। शीतला माता की व्रत कथा के साथ ही सात दिन की कथाएं तो पूरी हो गई मगर दशामाता की कहानियां इन दिनों जारी है। दशामाता, यानी चेत्र कृष्णा 10 यह वह तिथि है जिसको देवी के रूप में माना गया है। यूं तो तिथियों की मान्यता का विकास भी शक्ति के रूप में ही हुआ है। यह नवांक से आगे संख्या की गणना के वृद्धिगत होने का सूचक है।
क्योंकि, दशामाता के पर्व के साथ जो कथा जुड़ी है, वह बहुत पुरानी है। जूआ की क्रीडा, जिसका जिक्र वैदिक काल से ही मिलता है, के फल के साथ ही दुर्दिनों के आगमन और सुदिन के फलित होने का जिक्र इस तिथि के साथ वैसे ही जुड़ा जैसे शून्य यदि 1 के अंक के आगे हो तो न्यूनफल और 1 के बाद हो तो दस गुणा हो जाता है… नैषधीय चरित, नलोपाख्यान, देवी दमयन्ती और देव नल.. कितने ही नामों से इस पर्व से जुड़ी कहानी ख्यातिलब्ध रही है। महाभारत के वनपर्व में जब इस कथा का समावेश हुआ तो इस फल के साथ : ककोटकस्य नागस्य दमयन्त्या नलस्य च। ऋतुपर्णस्य राजर्षे: कीर्तनं कलिनाशनम्।। कई उपयोगी सूक्तियां इसमें शामिल की गईं किंतु महिलाओं ने इस कथा को अपने ढंग से ही याद रखा। वे जल से भरे पात्र के आगे इस कथा को कहती सुनती हैं और इसके साथ ही अन्य दस कथाओं को रोजाना सुनती है, मगर जरूरी नहीं। हां, दशमी के दिन दस कथा सुने बिना जल का घूंट भी हलक को नहीं लांघता। इस बीच, दस दिनों में जिस दिन रविवार हो, उस दिन बिना पति का मुख देखे व्रत और व्रत को खोलना..।
इसी तरह यह पर्व सूर्य और पीपल पूजा के साथ भी जुड़ा हुआ है। दशमी को मुहूर्त के साथ पीपल की परिक्रमा करते हुए, सूत लपेटते हुए, आटे के बने आभूषण चढ़ाते हुए, अरघ, धूप, दीप.. और घर लौटने से पूर्व पीपल की छाल को सोना मानकर देव दरबार में निवेदन करना नहीं भूलती..। गले में पीला धागा धारण करती हैं.. यह डोरक व्रत है और सासू, जेठानी द्वारा यह उन वधुओं को भी दिलवाया जाता है जिनका विवाह पिछले एक साल में हुआ है।
बस… यही क्रम चल रहा है आज कल आस्था की पगडंडी पर,,,। क्या मेवाड़, क्या मालवा, क्या गोडवाड़ और क्या वागड़.. क्योंकि अच्छी दशा कौन नहीं चाहता। सभी को वांछित है न,, जय जय।
भंवर म्हानै सोळा दिन रौ चाव
होली की राख के पिंड बनाकर बालिकाएं उनकी पूजा शुरू करती है, यह क्रम शुरू हो गया। हम रंग डाल रहे थे और वे पिंडियां बनाकर उनकी पूजा शुरू कर चुकी थीं।
महिलाएं शीतला माता को ठंडा करने निकल जाती और यह क्रम सात दिन तक चलता जबकि बालिकाएं आठौं को गणगौर-कानूडा या गौर ईसर लाकर उनकी पूजा राख वाली पिंडियों के साथ करती हैं। यह क्रम पूरे सोलह दिन तक चलता है।
दिनों की खास गणना होती है इस पर्व में, यह पर्व कहीं ‘गणना’ से तो नहीं है जिसको संस्कृत में कलन या गणन कहा गया है, मगर हम तो इसको ईशर-गोरी का ही मानते हैं न। गणगौर के गीतों में जरूर यही गणना आती है –
एक, दो, तीन चार। दाे भुज देवी देव भुज चार।।
पांच छै सात आठ, पूजां पावै घणां ही ठाठ।।
नौ दस ग्यारह, बारा, पूजां करै तो भौजल पारा।।
पारबतीजी पूजा कीनी,….
गणगौर के एक और गीत में गणना आई है
भंवर म्हाने खेलण द्यो गणगौर,
म्हानै सोळा दिन रौ चाव,
भंवर म्हानै पूजण द्यौ गणगौर…।
श्रीप्रमोद सोनी ने तस्वीर भेजी तो आज दिन भर उसको साया करने की गणना भी लगा रहा, याद आया कि गणगौर कहीं सोलह दिन की गणना का पर्व तो नहीं, ये सोलह की संख्या भी बडी अजीब है :
षोडश मातृकाएं भी गिनी जाती है,
चन्द्रमा की एकाधिक कलाएं भी तो सोलह है,
सजीली के सिंगार सोलह और षोडशी… संस्कार सोलह, सोलह सोमवार, सोलह सुहागिन की सामग्री, सोलह महादान… 🙂
सोलह कहां नहीं, सामंताें में सोलह उमराव, चंगा पौ के खेल में सोलह हार का खेल… वैसे ही जैसे वैदिकों की रथदौड में सोलह प्रतियोगी हार जाते और जीतने वाला सत्रहवां होता…. और तो आप बताइयेगा कि सोलह आना सच की बात क्या हो सकती है ।
जय जय।
पूतना – राक्षसी या चेचक !
होली के दिनों में पहले बच्चों को चेचक हुआ करती थी। अब तो चेचक का उन्मूलन हो गया मगर खसरा के नाम से कहीं कहीं आज भी ऐसा सुना जाता है। बहुत भंयकर व्याधि थी। आंखे चली जाती, चेहरे विभत्स हो जाते। लोग आज तो वह कहावत भूल गए हैं जबकि कहते थे – है तो वह चांद का टुकडा, मगर चांद के साथ तारे हैं। यानी मुंह पर चेचक के वण है।
चेचक को ही पूतना कहा गया है। मगर, हम यही जानते हैं कि कंस के राज में भगवान् कृष्ण को मारने के लिए पूतना पठाई गई थी और उसने जब दूध पिलाया तो कृष्ण ने उसका वध कर डाला…. इस कहानी को कितना रस ले लेकर सुनाया जाता है, कोई ये नहीं कहता कि कृष्ण ने इस बीमारी के उन्मूलन का प्रयास किया। हरिवंश, विष्णुपुराण आदि के आधार पर यही वर्णन भागवत में भी लिया गया है। आश्चर्य है कि यह एकमात्र बीमारी है जो कृष्ण को हुई थी, मगर उस पर उन्होंने विजय पा ली थी। इसको बीमारी के रूप में लिखा ही नहीं गया
शायद यह पहला संदर्भ है जबकि चेचक के उन्मूलन का प्रयास हुआ हो, मगर इससे पहले रावण के राज में भी पूतना का प्रकोप था। रावण के नाम से जो आयुर्वेदिक ग्रंथ मिलते हैं, उनमें पूतना के प्रकाेप पर शमन के उपाय लिखे गए हैं। यानी रावण के राज में इस बीमारी के शमन पर पूरा जोर दिया जाता था ताकि बच्चे स्वस्थ, मस्त और प्रशस्त रहें तो देश का भविष्य ठीक रहेगा। आयुर्वेद के कोई भी प्राचीन ग्रंथ उठाइये, पूतना के उपाय लिखे मिल जाएंगे।
कई नामों और भेदों वाली होती थी पूतना। दो चार नाम तो मुझे भी याद आ रहे हैं जिनको हम बचपन में पहचाना करते थे – बडी माता, छोटी माता, बोदरी माता, सौकमाता, अवणमाता, झरणमाता, मोतीरा वगैरह। इन सब को लक्षणों के अनुसार पहचाना जाता था। मंदोदरी ने रावण से कहा था कि ये मातृकाएं बालकों को अपनी चपेट में ले लेती है। नन्दना, सुनन्दा कंटपूतना, शकुनिका पूतना, अर्यका, भूसूतिका पूतना, शुष्करेवती वगैरहा। रावण ने तब कहा –
तृतीय दिवसे मासे वर्षे वा गृह़णाति पूतना नाम मातृका तया गृहीतमात्रेण प्रथमं भवति ज्वर:। गात्रमुद्वेजयति स्तन्यं ऊर्ध्वं निरीक्षते। (रावणसंहिता, बाल औषधि विधान)
वास्तु के लिए 81 या 64 पद का आधार तैयार होता है, उसमें पिलीपिच्छा, चरकी, अर्यमा, पापाराक्षसी, विदारिका, स्कंद, जृम्भा और पूतना को गृहयोजना के बाहर ही रखकर पूजन किया जाता है। सभी वास्तु ग्रंथों में उसका जिक्र आया है, वास्तु पद न्यास में उसको भूूलाया नहीं जाता ताकि घर में रहने वालों को कभी ये बीमारी नहीं हो। इसको लाल रंग के भात से पूजा करके मनाया जाता है, क्यों, इसलिए कि उसके प्रकोप के दौरान लाल चावल ही कभी खाए जाते थे। वे सब बातें हम सब भूल गए।
रही बात पूतना की, वह हमें सिर्फ इसलिए याद है कि उसको कृष्ण ने मारा था। केवल एक कहानी की शक्ल में। और, उसकी तस्वीरें, मूर्तियां, चित्र आदि भी इस प्रसंग को जीवंत बनाए रखते हैं। कभी कभी प्रसंग के पार जाकर भी हम नए सत्य पर विचार कर सकते हैं।
✍🏻श्री कृष्ण जुगनू जी की पोस्टों से संग्रहित
बाइस पुराने मन्त्री पुनः मन्त्रिमण्डल में!
तो?
आपने क्या सोचा था?
शपथ-ग्रहण हेतु आज का दिन बिना किसी पूर्व योजना के निर्धारित किया गया था?
आज शीतलाष्टमी है।
आज बसियउरा खाने का विधान है।
तो ल्यो बसिया मन्त्रिमण्डल!
और आज के दिन शक्ति-उपासना की विहित देवी है शीतला!
जिसके प्रमुख चिह्न हैं
– सूप
– झाड़ू
– शीतल जल का कलश
– और नीम की नवचा पत्तियों से भरा डण्ठल
और वाहन उसका?
– गदहा!
नमो गर्दभवाहिनी लोकतन्त्रे!
-सूप से फटक कर निज अलाभप्रद को त्याग लाभप्रद को बटोरो!
-झाड़ू से स्वयं हेतु अलाभप्रद निष्प्रयोज्य को बुहार कर बाहर करो!
– जब जनता तापदग्ध हो तब उपचार के स्थान पर शीतल जल कलश से मिथ्या सांत्वनाओं का जल छींटो!
– और जनता को नीम की पत्तियाँ चबाने हेतु बाध्य कर दो!
और अपना गधा?
उसे चरने हेतु खुला छोड़ दो!
हम भक्त
तुम्हें सदा प्रणाम करेंगे क्योंकि
हम नहीं चाहते कि तुम
हमारे जीवन में चेचक बन कर आओ!
टेक इट ईजी…
शीतलाष्टमी की शुभकामनायें!
[जो हास्य को पार्टी – एजेंडा से जोड़ेगा उसकी आत्मा की चिरशान्ति प्रार्थनीय है।]
✍🏻त्रिलोचन नाथ तिवारीराधे राधे ॥ आज का भगवद चिन्तन
27 – 3 – 2022
*” अनुग्रह “*
🕉️ जिस प्रकार एक वैद्य के द्वारा दो अलग- अलग रोग के रोगियों को अलग अलग दवा दी जाती है। किसी को मीठी तो किसी को अत्याधिक कड़वी दवा दी जाती है। लेकिन दोनों के साथ भिन्न-भिन्न व्यवहार किये जाने के बावजूद भी उसका उद्देश्य एक ही होता है, रोगी को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना।
🕉️ ठीक इसी प्रकार उस ईश्वर द्वारा भी भले ही देखने में भिन्न-भिन्न लोगों के साथ भिन्न-भिन्न व्यवहार नजर आये मगर उसका भी केवल एक ही उद्देश्य होता है और वह है, कैसे भी हो मगर जीव का कल्याण करना।
🕉️ सुदामा को अकिंचन बनाके तारा तो राजा बलि को सम्राट बनाकर तारा। शुकदेव जी को परम ज्ञानी बनाकर तारा तो विदुर जी को प्रेमी बना कर। पांडवों को मित्र बना कर तारा व कौरवों को शत्रु बनाकर। स्मरण रहे – भगवान केवल क्रिया से भेद करते हैं भाव से नहीं।
🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, २७ मार्च २०२२🌻
सूर्योदय: 🌄 ०६:२१
सूर्यास्त: 🌅 ०६:३०
चन्द्रोदय: 🌝 २७:५६
चन्द्रास्त: 🌜१३:२९
अयन 🌕 उत्तरायने (उत्तरगोलीय
ऋतु: 🌿 बसंत
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 चैत्र
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 दशमी (१८:०४ तक)
नक्षत्र 👉 उत्तराषाढ (१३:३२ तक)
योग 👉 शिव (२०:१६ तक)
प्रथम करण 👉 वणिज (०७:०१ तक)
द्वितीय करण 👉 विष्टि (१८:०४ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मीन
चंद्र 🌟 मकर
मंगल 🌟 मकर (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 मीन (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 कुंम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 मकर (उदित, पूर्व, वक्री)
शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५८ से १२:४७
अमृत काल 👉 ०७:२८ से ०८:५९
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०६:१३ से १३:३२
विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१५
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:२० से १८:४४
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:३२ से १९:४२
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५८ से २४:४५
राहुकाल 👉 १७:०० से १८:३२
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:२२ से १३:५५
होमाहुति 👉 राहु
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पृथ्वी
भद्रावास 👉 पाताल (०७:०१ से १८:०४)
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
शिववास 👉 क्रीड़ा में (१८:०४ कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पश्चिम-दक्षिण (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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दशामाता व्रत आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १३:३२ तक जन्मे शिशुओ का नाम
उत्तराषाढ नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ज, जी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम श्रवण नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश: (खी, खू, खे) नामाक्षर रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मीन – २९:४२ से ०७:०६
मेष – ०७:०६ से ०८:३९
वृषभ – ०८:३९ से १०:३४
मिथुन – १०:३४ से १२:४९
कर्क – १२:४९ से १५:११
सिंह – १५:११ से १७:३०
कन्या – १७:३० से १९:४७
तुला – १९:४७ से २२:०८
वृश्चिक – २२:०८ से २४:२८
धनु – २४:२८ से २६:३१
मकर – २६:३१ से २८:१२
कुम्भ – २८:१२ से २९:३८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०६:१३ से ०७:०६
शुभ मुहूर्त – ०७:०६ से ०८:३९
रज पञ्चक – ०८:३९ से १०:३४
शुभ मुहूर्त – १०:३४ से १२:४९
चोर पञ्चक – १२:४९ से १३:३२
शुभ मुहूर्त – १३:३२ से १५:११
रोग पञ्चक – १५:११ से १७:३०
शुभ मुहूर्त – १७:३० से १८:०४
मृत्यु पञ्चक – १८:०४ से १९:४७
अग्नि पञ्चक – १९:४७ से २२:०८
शुभ मुहूर्त – २२:०८ से २४:२८
रज पञ्चक – २४:२८ से २६:३१
शुभ मुहूर्त – २६:३१ से २८:१२
चोर पञ्चक – २८:१२ से २९:३८
शुभ मुहूर्त – २९:३८ से ३०:११
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज दिन के आरंभिक भाग में लाभ के कई अवसर मिलेंगे इन्हें खाली ना जाने दे व्यवसायी वर्ग आज लालच में ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर से बचे अन्यथा होने वाले लाभ से भी हाथ धो बैठेंगे। जो भी निर्णय ले तुरंत लें पूर्वार्ध जैसी सुविधा दिन के अन्य भाग में नही मिलेगी।
आवश्यकता अनुसार धन लाभ आज अवश्य होगा व्यावसायिक क्षेत्र पर नए कार्यानुबन्ध मिलने से भविष्य के प्रति निश्चिन्त रहेंगे अतिरिक्त आय बनाने में सफल होंगे। पैसों से किसी की भी मदद करने के लिये तैयार रहेंगे परन्तु व्यक्तिगत रूप से करने में असहज होंगे। महिलाये खरीददारी की योजना बनाएंगी व्यस्तता के चलते मन की इच्छाओं को पूर्ण नही कर सकेंगी। संतानों के कारण घर मे कलह हो सकती है बुजुर्ग आज आपकी कार्यशैली से सहमति रखेंगे।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन भी परिस्थितियां अनुकूल रहने वाली है लेकिन आज शारीरिक समस्या अथवा किसी अन्य अवरोध के कारण निर्णय लेने में देरी करेंगे इससे कार्य रुकने पर लाभ आगे के लिये टलेगा। मध्यान के बाद की दिनचार्य अतिउत्तम रहेगी। धन के साथ ऐश्वर्य में भी वृद्धि होगी। परिजनों को आज किसी भी हालात में नाराज ना करें अन्यथा परिणाम सोच के विपरीत रहेंगे। पुरानी उधारी चुकता होने से राहत मिलेगी। महिलाये परिवार के लिये भाग्यशाली रहेंगी गृहस्थी की सभी उलझनों को सुलझाने में बराबर सहयोग करेगी। आज आप खर्च करने से पीछे नही हटेंगे फिर भी भाई बंधु आपसे ईर्ष्या भाव रखेंगे। सेहत बनी रहेगी। आनंद मनोरंजन के प्रसंग बनेंगे।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन स्वभाव में भावुकता अधिक रहेगी। किसी की मामूली बात दिल से लगा कर उदास रहेंगे। मध्यान तक का समय अस्त-व्यस्त रहेगा इसके बाद सेहत में सुधार आने लगेगा रुके काम भी धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे। खर्च सोच समझ कर ही करें आर्थिक समस्या रहेगी। आपकी छवि भद्र इंसान के रूप में रहेगी। लोग इसका गलत फायदा भी उठा सकते है। ज्यादा परोपकारी बनने से हानि ही होगी। व्यवसायी वर्ग जिस काम को करने में संकोच करेंगे उसी से अधिक लाभ कमा सकेंगे। निवेश बेझिझक होकर करें भविष्य के लिए लाभदायक रहेगा। पारिवारिक स्थिति शांत रहेगी लेकिन आवश्यकता पूर्ति समय पर ना करने पर स्त्री संतानों से नाराजगी हो सकती है। वाहन चलाने में सतर्कता बरतें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपकी कल्पनाओं को नई दिशा देगा। पूर्व में लिए गए निर्णय हर प्रकार से आपके सौभाग्य में वृद्धि कारक रहेंगे। घरेलू सुख के साधन अथवा व्यावसायिक उपकरणों की खरीददारी पर खर्च करेंगे। आर्थिक रूप से दिन अच्छा रहेगा उधार दिया धन वापस मिलने की संभावना है। लाभ पाने के लिये आज गंभीर होना अतिआवश्यक है। धन लाभ भी आवश्यकता अनुसार लेकिन अकस्मात ही होगा। पारिवारिक वातावरण खुशहाल बना रहेगा परिजनों की आवश्यकता पूर्ति हेतु अतिरिक्त खर्च एव थोड़ी दौड़ धूप करनी पड़ेगी परन्तु इससे आपको संतोष ही होगा महिलाये फिजूल खर्च पर नियंत्रण करेंगी। संध्या का समय आनंद मनोरंजन में व्यतीत होगा। किसी से बहस ना करें।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपको मिले जुले फल मिलेंगे। दिन के आरंभ से मध्यान तक सभी कार्य सामान्य गति से चलते रहेंगे धन लाभ की संभावनाएं बनी रहेंगी थोड़ा बहुत हो भी जाएगा लेकिन दोपहर बाद स्थिति एकदम विपरीत होने से अधिकांश कार्य अधूरे रह जाएंगे कार्य क्षेत्र एवं घर मे किसी भी प्रकार का नुकसान हो सकता है। कोई भी कार्य दोपहर बाद के लिये ना टालें। किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर आप अड़ियल रवैया अपनाएंगे अनुभवी की सहायता लेना आवश्यक है। आर्थिक रूप से दिन सामान्य रहेगा आमद खर्च अनुसार हो जाएगी लेकिन भविष्य के खर्च आज ही आने से चिंतित रहेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र में कम ही बोले सम्मान बने रहने के लिये बेहतर रहेगा। गुप्त मानसिक चिंताओं को छोड़ स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपका स्वभाव आवश्यकता से अधिक स्वार्थी रहेगा हर काम मे अपना लाभ देखेंगे बिना स्वार्थ के आज किसी से बात करना भी पसंद नही करेंगे। काम-धंधा मध्यान तक धीमा रहेगा इसके बाद अकस्मात उछाल आएगा। ना चाहकर भी किसी से आर्थिक व्यवहार करने पड़ेंगे। घरेलू कार्य के कारण भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। सरकारी कार्य आज ना ही करें समय धन खराब होगा। संध्या का समय अधिक थकान वाला परन्तु दिन की अपेक्षा अधिक लाभदायक रहेगा आकस्मिक धन लाभ होने से थकान भूल जाएंगे। आप जिस कार्य की योजना बनाएंगे उसके संध्या बाद अथवा आने वाले कल में पूर्ण होने की संभावनाएं है। सेहत को लेकर परेशानी होगी शारीरिक दर्द अथवा कब्ज पित्त की शिकायत रहेगी।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज दिन के पूर्वार्ध में लोग आपको उकसाने वाली बाते करेंगे लेकिन दोपहर तक मौन रहने का प्रयास करें महिलाये विशेषकर बेतुकी बयानबाजी से बचे अन्यथा बाद में पश्चाताप करने से भी कोई लाभ नही होगा। मान हानि के प्रबल योग बन रहे है किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्य से बचें। दोपहर के बाद सभी क्षेत्रों में आपका प्रभाव फिर से बनने लगेगा। आपकी वैचारिक एवं कल्पना शक्ति में वृद्धि होगी काम-धंधे की गलती भी सामान्य बनेगी खर्च निकालने लायक धन आसानी से मिल जाएगा। आज घर के सदस्यों की फरमाइशें खत्म नही होंगी इन्हें पूरा करने में धन खर्च होगा फिर भी शांति नही मिलेगी। महिलाये आज धनवानों जैसी जीवनशैली जीने की सोच के कारण अंदर से बेचैन रहेंगी।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दिन में आरंभिक भाग से ही आप व्यावसायिक एवं अन्य आवश्यक कार्यो के लिए जोड़-तोड़ करना आरंभ कर देंगे इसका सकारत्मक परिणाम मध्यान बाद से मिलने लगेगा। धन की आमद को लेकर मध्यान तक उदासी रहेगी संध्या के समय अकस्मात प्राप्ती होने पर प्रसन्न रहेंगे अपनी मनोकामनाओ को पूर्ण कर सकेंगे घर एवं कार्य क्षेत्र का वातावरण सहयोगी रहेगा। महिलाये किसी का साथ मिलने से अधूरे कार्य पूर्ण कर लेंगी अस्त-व्यस्त कार्यो को भी सुव्यवस्थित करेंगी। सार्वजनिक कार्यो में सहभागिता देने पर सम्मान के अधिकारी बनेंगे। परिवार में यात्रा पर्यटन की योजना बनेगी। घर के बुजुर्ग आज आपसे किसी बात पर असहमत हो सकते है। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप दिन भर किसी ना किसी कारण से व्यस्त रहेंगे व्यस्तता व्यर्थ के कार्यो में अधिक रहेगी। आर्थिक दृष्टिकोण से आज दिन लाभ की जगह खर्च वाला रहेगा खर्च पूर्व नियोजित रहेंगे फिर भी व्यर्थ की चीजों में धन नष्ट ना हो इसका ध्यान रखें। दोपहर बाद स्वयं के व्यवहार के प्रति सतर्क रहें किसी की सीधी बातो का उल्टा जवाब देने से आस-पास का वातावरण कलुषित होगा। कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था के चलते सीमित साधनों से काम करना पड़ेगा परिणाम स्वरूप धन की आमद भी अल्प मात्रा में ही होगी। आज आप तंत्र-मंत्र में भी रुचि लेंगे। सरकारी कार्यो कागजी कमी के कारण अधूरे रहेंगे। लंबी यात्रा से बचें अपव्यव अधिक होंगे। घर मे आवश्यकता पडने पर ही बोलें फायदे में रहेंगे।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज भी दिन का पूर्वार्ध भाग आशा के अनुकूल रहेगा। महत्त्वपूर्ण कार्य स्वतः ही बनते चले जाएंगे। किसी पुराने परिचित द्वारा धन लाभ होगा। आज सामाजिक व्यवहार कम ही रखें किसी अन्य की गलती पर आपकी बदनामी हो सकती है। मध्यान बाद सेहत में गिरावट आने लगेगी। आवश्यक कार्य पहले ही कर लें अन्यथा इसके बाद लंबे समय के लिये टल सकते है। आज आपकी समाज के उच्चवर्गीय लोगो से जान पहचान बनेगी परन्तु सभी आपसे स्वार्थ सिद्धि के लिए व्यवहार करेंगे। परिजनों के अलावा आज कोई अन्य हितैषी नही मिलेगा। राजनीतिक सोच वाले लोगो से सावधान रहें। धन लाभ आज लेदेकर अवश्य ही होगा। सेहत का विशेष ध्यान रखें।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज भी मध्यान तक का समय हानिकारक रहेगा इस अवधि में कोई भी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें ना ही किसी भी प्रकार का निवेश करें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मध्यान से स्थिति अनुकूल बनने लगेगी। जो लोग आपसे असहमत थे वो स्वयं ही अपनी गलती मानेंगे।दोपहर बाद स्वभाव हास्य परिहास वाला रहेगा अपनी चंचल एवं बचकानी हरकतो से सभी को हंसने पर मजबूर कर देंगे परन्तु आपका स्वभाव परिवर्तन भी थोड़ी-थोड़ी देर में होने के कारण आपके मन की भावनाये समझना मुश्किल होगा। कार्य क्षेत्र पर ज्यादा दिमाग लड़ाने का प्रयास ना करें स्वाभाविक रूप से कार्य होने दे लाभ में रहेंगे। धन की आमद अन्य दिनों की अपेक्षा कम होगी। बदलते मौसम के कारण शरीर मे विकार आ सकता है।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए हर तरह से बेहतर रहने वाला है बस अकस्मात आने वाले क्रोध पर नियंत्रण जरूर रखें अन्यथा बने बनाये काम आपकी ही गलती से खराब होंगे। कार्य व्यवसाय के साथ ही सामाजिक क्षेत्र पर आपको भाग्योदय के अवसर मिलेंगे। विरोधियों का सामना भी करना पड़ेगा लेकिन आपकी व्यवहार कुशलता एवं व्यक्तित्त्व के प्रभाव से सब पर विजय पा लेंगे। नौकरी वाले लोग अपने बेहतर कार्य के लिए सम्मानित होंगे सार्वजनिक क्षेत्र से नई पहचान एवं संबंध जुड़ेंगे। धन संबंधित कार्यो में थोड़ी लापरवाही करेंगे फिर भी संतोषजनक स्थिति रहेगी खर्च आज कम ही रहेंगे आसानी से निकल जाएंगे। मित्र रिश्तेदारों से हास-परिहास में तकरार हो सकती है सतर्क रहें। घुटने अथवा अन्य जोड़ो संबंधित समस्या बनेगी।
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〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏