आज का पंचाग आपका राशि फल, गणित में गिनने के अतिरिक्त भी बहुत कुछ सिखाया भारत ने, संसार के इतिहास में एकमात्र ऐसे राजा रणजीत सिंह हैं जिन्होंने अफगानों पर विजय पायी उनकी पुण्य तिथि आज

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                  🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩

            📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜

कलियुगाब्द…………………..5123

विक्रम संवत्………………….2078

शक संवत्…………………….1943

मास……………………………..चैत्र

पक्ष…………………………….कृष्ण

तिथी………………………….सप्तमी

रात्रि 12.10 पर्यंत पश्चात अष्टमी

रवि…………………………उत्तरायण

सूर्योदय………..प्रातः 06.27.43 पर

सूर्यास्त………..संध्या 06.39.31 पर

सूर्य राशि………………………कुम्भ

चन्द्र राशि……………………..वृषभ

गुरु राशि……………………….कुम्भ

नक्षत्र…………………………..ज्येष्ठा

संध्या 05.24 पर्यंत पश्चात मूल

योग…………………………….सिद्धि

प्रातः 07.22 पर्यंत पश्चात वरिघ

करण…………………………….विष्टि

दोप 01.13 पर्यंत पश्चात बव

ऋतु……………………………..बसंत

*दिन………………………..गुरुवार*

 

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर चैत्र, दिनांक ०३*

*युगाब्द ( मधुमास ) !*

 

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*

*२४ मार्च सन् २०२२ ईस्वी !*

 

⚜️ *तिथि विशेष :-*

🚩 *शीतला सप्तमी -*

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी पर माँ शीतला की अनन्य कृपा पाने के लिए माताएं एवं बहने माँ शीतला का व्रत एवं पूजन कर माँ को ठंडा एवं बासी भोग अर्पित करती है | माँ शीतला के मंदिर हर नगर एवं गाँव में विद्यमान है जहाँ अर्ध रात्रि से ही महिलाओं की भीड़ गदर्भ पर विराजमान माँ शीतला की पूजन को एकत्रित हो जाती है | माँ शीतला के नैवेद्य में मीठी पूरी एवं चावल का भोग लगाया जाता है एवं सप्तमी के दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता | माँ शीतला रोगों का नाश करने वाली परम दयालु है, चेचक के रोग में भी माँ के आशीष से ही शीतलता प्राप्त होती है ।

 

📜 *शीतला सप्तमी की कथा :*

एक गाँव में एक बूढी माँ व उसकी दो बहुओं ने शीतला सप्तमी के दिन माँ का पावन व्रत रखा। उस दिन सभी को बासी भोजन ग्रहण करना था। इसलिये पहले दिन ही भोजन पका लिया गया था। लेकिन दोनों बहुओं को कुछ समय पहले ही संतान की प्राप्ति हुई थी कहीं बासी भोजन खाने से वे व उनकी संतान बिमार न हो जायें इसलिये बासी भोजन ग्रहण न कर अपनी सास के साथ माता की पूजा अर्चना के पश्चात पशओं के लिये बनाये गये भोजन के साथ अपने लिये भी रोट सेंक कर उनका चूरमा बनाकर खा लिया। जब सास ने बासी भोजन ग्रहण करने की कही तो काम का बहाना बनाकर टाल गई। उनके इस कृत्य से माता कुपित हो गई और उन दोनों के नवजात शिशु मृत मिले। जब सास को पूरी कहानी पता चली तो उसने दोनों को घर से निकाल दिया। दोनों अपने शिशु के शवों को लिये जा रही थी कि एक बरगद के पास रूक विश्राम के लिये ठहर गई। वहीं पर ओरी व शीतला नामक दो बहनें भी थी जो अपने सर में पड़ी जूंओं से बहुत परेशान थी। दोनों बहुओं को उन पर दया आयी और उनकी मदद की सर से जूंए कम हुई तो उन्हें कुछ चैन मिला और बहुओं को आशीष दिया कि तुम्हारी गोद हरी हो जाये उन्होंने कहा कि हरी भरी गोद ही लुट गई है इस पर शीतला ने लताड़ लगाते हुए कहा कि पाप कर्म का दंड तो भुगतना ही पड़ेगा। बहुओं ने पहचान लिया कि साक्षात माता हैं तो चरणों में पड़ गई और क्षमा याचना की, माता को भी उनके पश्चाताप करने पर दया आयी और उनके मृत बालक जीवित हो गये। तब दोनों खुशी-खुशी गांव लौट आयी। इस चमत्कार को देखकर सब हैरान रह गये। इसके बाद पूरा गांव माता को मानने लगा।

 

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*

प्रातः 12.09 से 12.57 तक ।

 

👁‍🗨 *राहुकाल :-*

दोपहर 02.03 से 03.34 तक ।

 

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*

*मीन*  

06:02:33 07:33:29

*मेष*  

07:33:29 09:14:11

*वृषभ*  

09:14:11 11:12:49

*मिथुन*  

11:12:49 13:26:31

*कर्क*  

13:26:31 15:42:41

*सिंह*  

15:42:41 17:54:30

*कन्या*  

17:54:30 20:05:10

*तुला*  

20:05:10 22:19:47

*वृश्चिक*  

22:19:47 24:35:57

*धनु* 

24:35:57 26:41:35

*मकर*  

26:41:35 28:28:43

*कुम्भ*  

28:28:43 30:02:33

 

 

🚦 *दिशाशूल :-*

दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

 

☸ शुभ अंक…………………..6

🔯 शुभ रंग………………….पीला

 

✡ *चौघडिया :-*

प्रात: 11.01 से 12.32 तक चंचल

दोप. 12.32 से 02.02 तक लाभ

दोप. 02.02 से 03.33 तक अमृत

सायं 05.04 से 06.34 तक शुभ

सायं 06.34 से 08.04 तक अमृत

रात्रि 08.04 से 09.33 तक चंचल

 

📿 *आज का मंत्र :-*

॥ ॐ केशवाय नमः ॥

 

📢 *सुभाषितानि :-*

अभिगम्योत्तमं दानमाहूतं चैव मध्यमम् ।

अधमं याच्यमानं स्यात् सेवादानं तु निष्फलम् ॥

अर्थात :-

खुद उठकर दिया हुआ दान उत्तम है; बुलाकर दिया हुआ दान मध्यम है; याचना के पश्चात् दिया हुआ दान अधम है; और सेवा के बदले में दिया हुआ दान निष्फल है (अर्थात् वह दान नहीं, व्यवहार है) ।

 

🍃 *आरोग्यं :-*

*सफेद बालों के लिए नुस्खे :-*

 

– कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं । बाल सफेद से काले होने लगेंगे।

 

– नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

 

– तिल खाएं। इसका तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।

 

– आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।

 

– प्रतिदिन घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

 

. ⚜ *आज का राशिफल* ⚜

 

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*

*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*

संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। प्रॉपर्टी ब्रोकर्स के लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि के योग हैं। स्वास्थ्‍य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यस्तता रहेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे।

 

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*

*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*

वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग से हानि की आशंका है, सावधानी रखें। दूसरों के झगड़ों में हस्तक्षेप न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्षोभ होगा। फालतू की बातों पर ध्यान न दें। व्यापार ठीक चलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें।

 

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*

*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*

शत्रुओं का पराभव होगा। राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कोई बड़ा कार्य करने की योजना बन सकती है। कार्यसिद्धि होगी। सुख के साधनों पर व्यय होगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।

 

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*

*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*

पुराने संगी-साथी व रिश्तेदारों से मुलाकात होगी। नए मित्र बनेंगे। अच्‍छी खबर मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। कार्यों में गति आएगी। विवेक का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। मित्रों के सहयोग से किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी।

 

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*

*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*

मेहनत सफल रहेगी। बिगड़े काम बनेंगे। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। आय में वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने के अवसर मिलेंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। धनार्जन होगा।

 

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*

*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*

तीर्थदर्शन हो सकता है। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय सहयोग से कार्य पूर्ण व लाभदायक रहेंगे। कारोबार मनोनुकूल रहेगा। शेयर मार्केट में जोखिम न लें। नौकरी में चैन रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। ध्यान रखें।

 

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*

*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*

रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। कोई बड़ा कार्य हो जाने से प्रसन्नता रहेगी। निवेश लाभदायक रहेगा। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। विवाद से बचें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है।

 

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*

*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*

लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। शोक संदेश मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी के उकसाने में न आएं। व्यस्तता रहेगी। थकान व कमजोरी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।

 

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*

*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*

बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लंबी यात्रा हो सकती है। लाभ होगा। नए अनुबंध हो सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। रुके कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। प्रशंसा मिलेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। प्रमाद न करें।

 

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*

*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*

व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। विवाद से बचें। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। व्यापार ठीक चलेगा। आय होगी। विवेक का प्रयोग करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।

 

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*

*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*

आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य कर पाएंगे। व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम न लें। भाइयों का सहयोग मिलेगा। आय में वृद्धि होगी।

 

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*

*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*

मेहनत का फल पूरा नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य खराब हो सकता है। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन मिल सकता है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पारिवारिक मांगलिक कार्य हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।

 

. *🚩 🎪 ‼️ 🕉️ विष्णवे नमः ‼️ 🎪 🚩*

 

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

 

. *‼️ शुभम भवतु ‼️*

. *‼️ जयतु भारती ‼️*

 

. 🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩.गणित में गिनने के अतिरिक्त भी बहुत कुछ सिखाया भारत ने

आम तौर पर आपको इतिहास में विज्ञान नहीं पढ़ाया जाता है | गणित तो बिलकुल ही नहीं पढाया जाता | लेकिन इन विषयों का भी अपना एक इतिहास है | जिन महत्वपूर्ण चीज़ों को हम रोज़मर्रा की बात आज समझ रहे हैं, किसी दिन ये दुनियां में नहीं थी |

जैसे “अंक” और “संख्या” में मामूली सा अंतर होता है | अंक सिर्फ शुन्य से नौ तक ही हैं | इन्हीं अंकों को अकेले या मिला कर लिखी जाने वाली सब संख्याएँ होती हैं | शायद कुछ लोग Digit और Number कहने पर ये फर्क बता पायेंगे |

अपने खुद के गौरवशाली इतिहास के बारे में आपको क्यों नहीं पढ़ाया जाता ये सवाल आपको खुद से करना चाहिए | किसी तथाकथित “भगवाकरण” के नाम से डराए जाने के पीछे क्या कारण रहा होगा ? आत्मसम्मान और गौरव जैसी चीज़ें तो सिर्फ गुलामों से छीनी जाती हैं ना ?

पिछले सात दशकों से किसकी गुलामी कर रहे हैं आप ?
✍🏻आनन्द कुमार

संपूर्ण विश्व में भारतीय विज्ञान सबसे अधिक प्राचीन और प्रामाणिक माना गया है। प्राचीन भारत में विज्ञान की दो प्रमुख धारायें सबसे प्राचीन मानी गई है। एक है गणित और खगोल विज्ञान तथा दूसरी है औषधि विज्ञान जो आयुर्वेद के नाम से विख्यात है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने भारत में विज्ञान विषय पर दिये गए वक्तव्य में कहा था कि ”विश्व गणित और चिकित्सा के क्षेत्र में सदैव भारत का ऋणी रहेगा, जिसने उन्हें जीना और आगे बढना सिखाया।” वास्तव में यदि भारत विश्व को गणित का नहीं देता तो विश्व का आगे बढऩा मुश्किल था।
आर्यभट के ‘आर्यभटीयम्’ से ज्ञान होता है कि चौथी शताब्दी तक भारत में गणित और ज्योतिष के क्षेत्र में कितनी प्रगति हो चुकी थी। वराहमिहिर के ग्रन्थ अपने समय के ज्ञान कोश रहे हैं। ब्रह्मगुप्त के ग्रन्थों से पता चलता है कि भारत के पौराणिक विचारों ने वैज्ञानिक चिन्तन को किस प्रकार से प्रभावित किया। आज जिन अंक संकेतों को हम अंग्रेजी भाषा का मानते हैं, वे अंक-संकेत प्राचीन ब्राह्मी अंक संकेतों से विकसित है। शास्त्र के रूप में ‘गणित’ का प्राचीनतम प्रयोग लगध ऋषि द्वारा प्रोक्त वेदांग ज्योतिष नामक ग्रन्थ का एक श्लोक में माना जाता है। पर इससे भी पूर्व छान्दोग्य उपनिषद् में सनत्कुमार के पूछने पर नारद ने जो 18 अधीत विद्याओं की सूची प्रस्तुत की है, उसमें ज्योतिष के लिये ‘नक्षत्र विद्या’ तथा गणित के लिये ‘राशि विद्या’ नाम प्रदान किया है। इससे भी प्रकट है कि उस समय इन शास्त्रों की तथा इनके विद्वानों की अलग-अलग प्रसिद्धि हो चली थी। आगे चलकर इस शास्त्र के लिये अनेक नाम विकसित होते रहे।
भारत में अन्य शास्त्रों के विद्वान भी गणित की भावना से ओत-प्रोत रहे हैं। उन शास्त्रों के अलग अलग प्रसंगों में गणित विषयक जानकारियाँ बिखरी पड़ी हैं। पाणिनि ने गणित के अनेक शब्दों की सूक्ष्म विवेचना की है। उन्होंने उस समय की आवश्यकतानुसार प्रतिशत के स्थान पर मास में देय ब्याज के लिये एक ‘प्रतिदश’ अनुपात का उल्लेख किया है। चक्रवृद्धि ब्याज द्वारा सर्वाधिक बढ़ी हुई रकम को ‘महाप्रवृद्ध’ बताया है। पिंगल विरचित छन्दशास्त्र में छन्दों के विभेद को वर्णित करने वाला ‘मेरुप्रस्तार’ पास्कल के त्रिभुज से तुलनीय बनता है। वेदों के क्रमपाठ, घनपाठ आदि में गणित के श्रेणी-व्यवहार के तत्त्व वर्तमान हैं।
प्राचीन भारत में गणित और ज्योतिष का विकास साथ-साथ हुआ। आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और भास्कराचार्य जैसे श्रेष्ठ गणित ज्योतिषज्ञों की कृतियां इसको प्रमाणित करती हैं। भारत के द्वारा विश्व को दी गई शून्य और दशमलव की अनुपम देन से सभी परिचित हैं। आधुनिक बीजगणित एंव त्रिकोणमिति की मूल भूमि भारत है। इसकी अनेक विधियां सूर्य सिद्धान्त एवं आर्यभट्ट की कृतियों में मिलती है। भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां जिनसे भारतीय समाज अनभिज्ञ रहा है या जानने का प्रयास नहीं किया। उसे समाज को परिचित कराना हमारा दायित्व है।
✍🏻भारतीय धरोहर

गणित और कविताओं का संबंध

लेखक – रोहन मूर्ति
(लेखक हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जूनियर फेलो हैं)

पिछले वर्ष मैंने अपने मित्रा गणितज्ञ मंजुल भार्गव को कई सार्वजनिक व्याख्यानों में कविता, गणित और संस्कृत के बीच गहरे संबंधों के बारे में कहते सुना। इस विषय पर बोलने वाले उससे पहले के अन्य गणितज्ञों की भांति मंजुल ने भी ढेरों उदाहरण दिए जिनसे यह साबित होता है कि पश्चिमी जगत से काफी पहले ही प्राचीन भारतीय दार्शनिकों और कवियों ने गणित के क्षेत्रा में काफी गंभीर योगदान किया था। यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि प्राचीन भारत में वर्तमान अफगानिस्तान से बर्मा तक शामिल रहा है। मंजुल ने जो सर्वाेत्कृष्ट उदाहरण दिया था, वह मुख्यतः ग्यारहवीं सदी के था जब भारत में गोपाल और हेमचंद्र ने संस्कृत छंदों के अक्षरों की संख्या और गणित में रोचक संबंध ढूंढ निकाले थे। इस संबंध को ही आज हम फिबोनकी श्रेणी के नाम से जानते हैं, जो प्रकृति में कई फूलों के पंखुड़ियों की संख्या में भी पाया जाता है और जिसकी खोज कालांतर में पीसा, इटली के लियोनार्डाे ने 50-80 साल बाद की। मनुष्य द्वारा निर्मित संस्कृत छंदों के अक्षरों की संख्या और प्रकृति निर्मित फूलों की पंखुड़ियों की संख्या में कोई संबंध से कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति परेशान हो सकता है। एक अन्य असाधारण उदाहरण जिस पर मंजुल ने प्रकाश डाला, वह है लगभग 200 वर्ष ईसापूर्व में प्राचीन भारतीय कवि पिंगल द्वारा संस्कृति छंदों में द्विपदीय संरचना का आविष्कार करना। उन्होंने फ्रेंच गणितज्ञ पास्कल के अंकगणितीय त्रिकोण की संधि जिसे हम आज पास्कल के त्रिकोण के नाम से पढ़ते हैं, से लगभग 1800 वर्ष पहले ही इसे ढूंढ निकाला था।

अन्य उदाहरणों में आधुनिक त्राुटि-सुधार सूत्रों, सिंक्रोनाइजेशन जैसी तकनीकें और संस्कृत साहित्य में औपचारिक परिभाषाएं शामिल हैं। ये सभी आधुनिक खोजें या कुछ मामलों में फिर से की गईं खोजें हैं जो कम्प्यूटर की भाषा से लेकर बेतार संचार तक, जीवन के हरेक आयाम को प्रभावित करते हैं।

हालांकि यह कहना अतिश्योक्ति ही होगी कि हमारे पूर्वजों को कम्प्यूटर की भाषा आती थी या उन्हें बेतार के तार की जानकारी थी। यह कहना ऐसा ही होगा मानो हम कहें कि कॉपरनिकस ने चाँद पर जाने वाला यान बना लिया था। इसकी बजाय ये उदाहरण यह बतलाते हैं कि हमारे देश में हजारों वर्ष पूर्व से एक जीवंत सभ्यता थी जिसमें ऐसे असाधारण बुद्धिमान विचार और सिद्धांत पैदा हुए थे जिनका हमारे आज के जीवनशैली से मौलिक व गहरा संबंध है। काल के चक्र में हम अपने उस इतिहास के ज्ञान और उसके साथ ही गौरव के भाव तथा आधुनिक जीवन को प्रभावित करने की अपनी क्षमता को भुला बैठे हैं। मेरी पीढ़ी के कुछ लोग इन तथ्यों को जानते प्रतीत होते हैं।

अपने अतीत से हमारी अनभिज्ञता का बड़ा कारण हमारी व्यवस्था ही है। बंगलौर में अपनी उच्च विद्यालय की पढ़ाई के अंतर्गत आईसीएसई पाठ्यक्रम में हमने हैमलेट, मर्चेंट ऑफ वेनिस, वर्ड्सवर्थ, टेनिसन, जेम्स जायस, डिकेंस आदि की रचनाएं पढ़ीं। यहां तक कि हमने अमरीकी नागरिक युद्ध के अंत और लिंकन की मृत्यु पर वाल्ट व्हाइटमेंट वाक्स इलोकेंट के लिखे ओ कैप्टन, ओ कैप्टन, हमारी भयपूर्ण यात्रा समाप्त हुई, भी पढ़ा। जबकि हमारी पूरी कक्षा में एक भी छात्रा नहीं जानता था कि अमेरिकन नागरिक युद्ध क्या है या अमेरिका में क्या हुआ था या लिंकन क्यों और कैसे मरे थे। हमने टेनिसन के उपन्यास उलिसस की उत्साहवर्धक ये पंक्तियां पढ़ी थीं, टू स्ट्राइव, टू सीक, टू फाइंड, एंड नॉट टू यील्ड। यह सब कुछ हमने प्राचीन ग्रीस के संदर्भ को जाने बिना पढ़ा था और बिना यह जाने कि इथाका (हमने इसे आई था क्या के रूप में सीखा था) का उच्चारण कैसे करते हैं। हमें उन विचित्रा सिद्धांतों, कहानियों, नायकों और संसारों के संदर्भों की न्यूनतम या शून्य जानकारी थी।

इसके बावजूद हमने केवल परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के लिए उन कविताओं, लघुकथाओं, उपन्यासों को पढ़ा और उन पर निबंध लिखे। यह एक मजेदार अनुभव था और मैं इसे फिर से करना चाहूँगा। लेकिन, यह शैक्षणिक अनुभव और जानकारी में विचार और सिद्धांतों की विविधता का गहरा अभाव था। मुझे यह बात सबसे अधिक खटकती थी कि हमने दुनिया के इस हिस्से भारत की एक भी प्राचीन रचना नहीं पढ़ी थी जबकि हमारे पास उन्हें समझने के लिए अधिक सक्षम सांस्कृतिक पृष्ठभूमि थी। हम प्राचीन भारत के पिछले हो हजार वर्ष से पहले की किसी भी कहानी, कविता, नाटक, राजनीतिक जीवन, दर्शन, गणित, विज्ञान, समाज जीवन आदि के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे। एक आम शहरी शिक्षित व्यक्ति की भांति मैं और मेरे दोस्त प्राचीन भारत के बौद्धिक योगदान से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। हमें केवल इतिहास की कुछेक तिथियों और सिंधु घाटी सभ्यता, अशोक और चंद्रगुप्त मौर्य आदि के बारे में कुछ जानकारियां थीं, उनकी भी गहरी समझ नहीं थी।

एक छात्रा के रूप में हमने प्लेटो, अरस्तु, पाइथागोरस, कॉपरनिकस, न्यूटन, लिबनिट्ज, पास्कल, गैलोइस. यूलर आदि और उनके योगदान के बारे में ठीक से पढ़ा हुआ था। लेकिन हमें आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, पिंगल, कालीदास, हेमचन्द्र, माधव, न्याय या मीमांसा सूत्रों आदि के बारे में कुछ भी नहीं पढ़ा था।

लेकिन इन सबकी चिंता क्यों की जाए। आखिरकार हम उस अतीत का कभी भी हिस्सा नहीं थे और उन्हें आज के यथार्थ से उन्हें इस प्रकार हटा दिया गया है कि अतीत से किसी भी प्रकार का सूत्रा ढूंढना अप्रासंगिक है। लेकिन मेरा मानना है कि इस अतीत को ढूंढना विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले उन विषयों जिनका कि मैंने ऊपर उदाहरण दिया है, की तुलना में कहीं से भी कम प्रासंगिक नहीं है। इसके अलावा प्राचीन भारत के ये ज्ञान के स्रोत रचनात्मक मानवीय विचार की उपज हैं और पूरे विश्व के लिए उपयोगी हैं। उदाहरण के लिए इस ग्रह का किसी भी बच्चे को गणित को आज के गणितज्ञों द्वारा प्रतिपादित शुष्क और जड़ तरीकों की बनिस्पत कविता के माध्यम से पढ़ना अधिक लाभकारी व रोचक लगेगा।

राष्ट्रीय पहचान एक जटिल प्रक्रिया है, कुछ मायनों में इसका सम्बंध उन्नत ज्ञान और मानव के जीवन-स्तर के विकास में समाज द्वारा किए जाने वाले बौद्धिक योगदान से भी है। हम जैसे अनेक लोगों के लिए न्यूटन तब एक हीरो बन जाते हैं, जब हम जानते हैं कि किस प्रकार उन्होंने विश्व के मूल सिद्धांतों को उद्घाटित किया। पश्चिमी जगत के महान साहित्य और दर्शन ने हमें मनुष्य की अवस्था को समझने में सहायता की। पश्चिमी जगत के इन उदाहरणों ने हमारे मन में उन समाजों के प्रति काफी सम्मान पैदा किया जिन्होंने इस उत्सुकता को जन्म दिया, पाला-पोसा और बढ़ाया। इसी प्रकार हम भारत के अतीत, उसके गंभीर तथा बहुमुखी विचारों व सिद्धांतों के बारे में भी एक समझ विकसित करने के पक्ष में हैं, जो पश्चिमी जगत के उन विभूतियों से किसी रूप में कम असाधारण नहीं हैं।

मेरा यह कहना नहीं है कि हम अन्य समाजों व सभ्यताओं के योगदानों का सम्मान करना छोड़ दें, बल्कि हमारे पास भी बताने के लिए काफी कुछ है यदि हम निष्पक्ष भाव से अनुसंधान और परीक्षण करें और प्राचीन भारत के बौद्धिक इतिहास को मान्यता दें। हमें यह जान कर आश्चर्य हो सकता है कि यह हमारे आज के समाज से कहीं अधिक उदार, सहिष्णु और विविधतापूर्ण समाज रहा है।
✍🏻भारतीय धरोहर*जब इंदिरा गांधी ने 18 राज्यों पर शासन किया, तो पंजाब उन 18 राज्यों में नहीं था।* 

 *अब मोदी 19 राज्यों में* शासन कर रहे हैं *सरकार है* *तो उनके पास पंजाब नहीं है* 

 *अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में* *पंजाबियों का योगदान 80% से अधिक है* ।जब मुगल ने भारत पर शासन किया और *हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित किया,* तो एक और केवल एक पंजाब उनके खिलाफ खड़ा हुआ और *गुरु तेग बहादुर जी (गुरु गोबिंद सिंह जी के 9 वें गुरु और पिता) ने* उनके समर्थन के लिए *दिल्ली के चांदनी चौक पर अपना जीवन लगा दिया।* 

और *गुरु गोबिंद सिंह ने* *इस्लाम में धर्मांतरण के खिलाफ 7,9,14 और 17 साल की उम्र के अपने सभी चार बेटों की बलि दे दी।* उनके बड़े दो बेटों (साहिबज़ादे) ने चमकौर साहिब (पंजाब) में मुगलों के खिलाफ युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दे दी और *छोटे दो बेटों (साहिबजादे) को उस राज्य के मुगल शासक द्वारा सरहंड (पंजाब) में जिंदा ईंटों से मार दिया गया।* 

 

यहां तक ​​कि जब सिकंदर ने सभी को जीत लिया, तब भी पंजाब के राजा पोरस ने ही उसे रोकने की हिम्मत की।

 

मैं नदी भूमि को सलाम करता हूं – पंजाब।

 

आज भारतीय इतिहास के सबसे महान सम्राटों में से *एक शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि है।* 

 

 *एक आंख में अंधा* , *एक हाथ में घायल,* फिर भी *महान सिख साम्राज्य* का निर्माण किया।

 

असमान सिखों को एक राज्य में एकजुट किया और एक साम्राज्य का निर्माण किया जिसने *पंजाब,* *कश्मीर, लद्दाख, पूरे उत्तर पश्चिम को कवर किया।* 

 

 *हरि सिंह नलवा* , *दीवान मोकम चंद,* *वीर सिंह ढिल्लों, जोरावर सिंह* जैसे सक्षम पुरुषों द्वारा सेवा की।

 

एक आधुनिक सेना भी बनाई, यहां तक ​​कि युद्ध की नवीनतम तकनीकों को लाने के लिए यूरोपीय अधिकारियों की भी भर्ती की। इसलिए ब्रिटिश शासक पंजाब पर तब तक कब्जा नहीं कर सके जब तक वह जीवित नहीं था। उनके कारण, पंजाब अंतिम राज्य था जो 1849 में ब्रिटिश शासन के अधीन आया था।

 

लेकिन *अफसोस कि भारत में उनकी विरासत के बारे में कोई नहीं सिखाता। मैं* 

 

उन्हीं के कारण उस समय *पंजाब सबसे अधिक साक्षर राज्य था।* भले ही उन्होंने यूरोपीय अधिकारियों की भर्ती की, लेकिन उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वे एक सख्त आचार संहिता का पालन करें, न बीफ, न धूम्रपान और न ही शराब।

 

दरअसल, *रणजीत सिंह ने अपने साम्राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था।* 

 

 *एक धर्मनिष्ठ सिख* , जिसने कभी *धर्म में अंतर* *नहीं किया* । उनके दरबार और सेना दोनों में समान संख्या में *हिंदू, सिख, मुसलमान थे* – *एक सच्चे धर्मनिरपेक्ष राजा।* 

 *उनके वित्त मंत्री एक हिंदू ब्राह्मण थे,* उनके *प्रधान मंत्री एक डोगरा थे,* उनके **विदेश मंत्री एक मुस्लिम थे।* 

 *उन्होंने स्वर्ण मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया, उसे सोने की प्लेटें दीं,* और तत्कालीन हिंदुओं और मुसलमानों को भी उनके मंदिरों और मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए समान मात्रा में सोना दिया।

 

 *गुरु गोबिंद सिंह के सम्मान में पटना और नांदेड़ में गुरुद्वारों का निर्माण किया, दोनों को पंच तख्त में माना जाता है।* 

 

एक महान योद्धा, एक समान रूप से सक्षम और बुद्धिमान शासक, वास्तव में एक महान इंसान भी।

 

 *रणजीत सिंह दुनिया के* *इतिहास में एकमात्र ऐसे राजा हैं जिन्होंने अफगानों पर विजय प्राप्त की, जिसे* *संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस की आधुनिक सेनाएं भी हासिल नहीं कर सकीं और अंततः मुगलों के प्रवेश को रोक दिया।* 

सभी से मेरा अनुरोध है कि कृपया इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों के साथ साझा करें, विशेषकर युवा पीढ़ी को, इस महान सम्राट को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि के रूप में 🙏🏼🙏🏼🙏🏼