आज का पंचाग, आज किये जाने योग्य धार्मिक कार्य और भगवान श्री कृष्ण की संक्षिप्त किन्तु गोपनीय जीवनी

 📖 *नीतिदर्शन…………………*✍
*गृहे पर्यन्तस्ते द्रविणकणमोषं श्रुतवता*
*स्ववेश्मन्यारक्षा क्रियत इति मार्गोSयमुचितः।*
*नरान्गेहाद्गेहात् प्रतिदिवसमाकृष्य नयतः*
*कृतान्तात् किं शंका न हि भवति रे जागृत जना:।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏾 पड़ोस के घर में चोरी होने की बात सुनकर अपने घरका प्रबन्ध किया जाता है, यह उचित भी है, किन्तु घर-घर से प्रतिदिन मनुष्यों को पकड़कर ले जाते हुए काल से क्या कुछ भी भय नहीं होता?
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || याम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| हेमन्त ऋतु || मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष || त्रयोदशी तिथि || भानुवासर || पौष सौर १३ प्रविष्ठ || तदनुसार २७ दिसम्बर २०२० ई० || नक्षत्र कृत्तिका अपराह्न १:१९ तक उपरान्त रोहणी (धाता) || वृषस्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐🔯मार्गशीर्ष-शु१३-२०७७✡️

दिन —– *रविवार*
तिथि — *त्रयोदशी 06:18am 28 Dec तक रहेगी*
नक्षत्र ——- *कृतिका*
पक्ष —— *शुक्ल*
अमांत माह- मार्गशीर्ष-१३
ऋतु ——– *हेमन्त*
सूर्य उत्तरायणे,*दक्षिण गोले*
विक्रम सम्वत –2077 -प्रमादी
दयानन्दाब्द — 196
शक सम्बत -1942
मन्वन्तर —- वैवस्वत
कल्प सम्वत–1972949122
मानव,वेदोत्पत्ति सृष्टिसम्वत- १९६०८५३१२२

*🚩जय सत्य सनातन🚩*

🌥️ *🚩युगाब्द-५१२२*
🌥️ *🚩विक्रम संवत-२०७७*
⛅ *🚩तिथि – त्रयोदशी 28 दिसम्बर प्रातः 06:20 तक तत्पश्चात चतुर्दशी। 

⛅ *दिन – रविवार*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु – शिशिर*
⛅ *मास – पौष मास*
⛅ *पक्ष – शुक्ल*
⛅ *नक्षत्र – कृत्तिका सुबह 01:19 तक तत्पश्चात रोहिणी*
⛅ *योग – साध्य शाम 04:01 तक तत्पश्चात शुभ*
⛅ *राहुकाल – शाम 04:44 से शाम 06:06 तक*
⛅ *सूर्योदय – 07:15*
⛅ *सूर्यास्त – 18:04*
⛅ *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत*
💥 *विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🌷 *पिशाच मोचिनी तिथि (श्राद्ध)* 🌷
➡ *पिशाचमोचन श्राद्ध तिथिः मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी जो इस वर्ष 28 दिसम्बर 2020 सोमवार को प्रातः 06:21 से 29 दिसम्बर, मंगलवार को सुबह 07:54 तक मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी है।*
🙏🏻 *इस दिन प्रेत योनि को प्राप्त जीवों (पूर्वजों) के निमित्त तर्पण आदि करने से उनकी सदगति होती है |जिनके घर-परिवार, आस-पडोस या परिचय में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो या कोई भूत-प्रेत अथवा पितृबाधा से पीड़ित हो, वे पिशाच मोचिनी तिथि को उनकी सदगति, आत्मशांति और मुक्ति के लिए संकल्प करके श्राद्ध – तर्पण अवश्य करें | भूत-प्रेतादि से ग्रस्त व्यक्ति इसे अवश्य करें |*
➡ *विधिः प्रातः स्नान के बाद दक्षिणमुख होकर बैठें। तिलक, आचमन आदि के बाद पीतल या ताँबे के थाल अथवा तपेली आदि मे पानी लें। उसमें दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, कुम -कुम, अक्षत, तिल, कुश मिलाकर रखें। हाथ में शुद्ध जल लेकर संकल्प करें कि ʹअमुक व्यक्ति (नाम) के प्रेतत्व निवारण हेतु हम आज पिशाचमोचन श्राद्ध तिथि को यह पिशाचमोचन श्राद्ध कर रहे हैं।ʹ हाथ का जल जमीन पर छोड़ दें। फिर थोड़े काले तिल अपने चारों ओर जमीन पर छिड़क दें कि भगवान विष्णु हमारे श्राद्ध की असुरों से रक्षा करें। अब अनामिका उँगली में कुश की अँगूठी पहनकर (ʹૐ अर्यमायै नमःʹ) मंत्र बोलते हुए पितृतीर्थ से 108 तर्पण करें अर्थात् थाल में से दोनों हाथों की अंजली भर-भर के पानी लें एवं दायें हाथ की तर्जनी उँगली व अँगूठे के बीच से गिरे, इस प्रकार उसी पात्र में डालते रहें। ( तर्पण पीतल या ताँबे के थाल अथवा तपेली में बनाकर रखे जल से करना है।)*
🙏🏻 *108 तर्पण हो जाने के बाद दायें हाथ में शुद्ध जल लेकर संकल्प करें कि सर्व प्रेतात्माओं की सदगति के निमित्त किया गया, यह तर्पण कार्य भगवान नारायण के श्रीचरणों में समर्पित है। फिर तनिक शांत होकर भगवद्-शांति में बैठें। बाद में तर्पण के जल को पीपल में चढ़ा दें।*
🙏🏻 *स्रोतः लोक कल्याण सेतु, 11, अंक 125, नवम्बर वर्ष 2007*

🌷 *मार्गशीर्ष मास की शुक्ल मास चतुर्दशी* 🌷
🙏🏻 *मस्त्यपुराण कहता है कि – मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि के दिन अगर कोई शिवजी का १७ नामों से पूजन करे या वो १७ मंत्र बोलकर उनको प्रणाम करे | जो शिव है वो गुरु है और जो गुरु है वो शिव है | अपने गुरुदेव का भी स्मरण करते करते करें , तो भी उन तक पहुँच जाता है | और ज्यादा किसी को समस्या है वो विशेष रूप से, १७ नाम मस्त्यपुराण में बताया है | उसी दिन खास महिमा है उसकी, मार्गशीर्ष मास के बारे में जानते होंगे, जो भगवत गीता पाठ करते हैं | तो भगवान ने गीता के १० वे अध्याय में कहाँ है – ‘मासा नाम मार्गशीर्षोंहम’ की जो मार्गशीर्ष मास में भगवान ने अपनी विभूति बताया और उसमे शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी |*
👉🏻 *१७ नाम इस प्रकार* 👈🏻
🌷 १) *ॐ शिवाय नम:*
🌷 २) *ॐ सर्वात्मने नम:*
🌷 ३) *ॐ त्रिनेत्राय नम:*
🌷 ४) *ॐ हराय नम:*
🌷 ५) *ॐ इन्द्र्मुखाय नम:*
🌷 ६) *ॐ श्रीकंठाय नम:*
🌷 ७) *ॐ सत्योजाताय नम:*
🌷 ८) *ॐ वामदेवाय नम:*
🌷 ९) *ॐ अघोरहृदयाय नम:*
🌷 १०) *ॐ तत्पुरुषाय नम:*
🌷 ११) *ॐ ईशानाय नम:*
🌷 १२) *ॐ अनंतधर्माय नम:*
🌷 १३) *ॐ ज्ञानभुताय नम:*
🌷 १४) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:*
🌷 १५) *ॐ प्रधानाय नम:*
🌷 १६) *ॐ व्योमात्मने नम:*
🌷 १७) *ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:*
🙏🏻 *तो जिनको जीवन में कष्ट आदि हैं उनको दूर करने में मदद मिलती है | और दो नाम पार्वतीजी के बोलेंगे उसी दिन – ॐ पुष्ट्ये नम: , ॐ तुष्टये नम: माँ पार्वती को नमन करके ये दो मंत्र उस दिन बोले की मैं श्रद्धा और भक्ति से पुष्ट बनूँ क्योंकि पार्वतीजी ‘भवानी शंकरों वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिनों’ आप श्रद्धा की मूर्ति है माँ मैं श्रद्धा से पुष्ट बनूँ मैं गुरुदेव के प्रति विचार रूपी सात्विक श्रद्धा से पुष्ट बनूँ |*
🌷 *शिव गायत्री मंत्र – ॐ तत्पुरुषाय विद्महे | महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ।।*
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️

🌹 *रूप- वाणी* 💐
“सम्बन्ध बनाने में थोड़ा वक्त लगता है,निभाने में जीवन लगता है,तोड़ने में एक क्षण लगता है..!

🍅 *पहला सुख निरोगी काया*
 *काली खांसी*: भुनी हुई फिटकरी एक रत्ती,चीनी दो रत्ती दोनों को मिलाकर दिन में दो बार खिलाएँ। पॉच दिन में बच्चों की खांसी ठीक हो जाएगी,बड़े दोगुनी मात्रा लें।

✡️”नेगेटिव” लोगों को हर अवसर पर “कठिनाई”
दिखती है
और “पॉज़िटिव” लोगों को हर “कठिनाई” 
पर “अवसर ” दिखता है..।।🕉️

🍁🌱🌻#जय_श्री_कृष्ण🙏🌻🌱🍁

भगवान् श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी अनसुनी बातें
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1. भगवान् श्री कृष्ण के खड्ग का नाम ‘नंदक’, गदा का नाम ‘कौमौदकी’ और शंख का नाम ‘पांचजन्य’ था जो गुलाबी रंग का था।

2. भगवान् श्री कॄष्ण के परमधामगमन के समय ना तो उनका एक भी केश श्वेत था और ना ही उनके शरीर पर कोई झुर्री थीं।

3.भगवान् श्री कॄष्ण के धनुष का नाम शारंग व मुख्य आयुध चक्र का नाम ‘ सुदर्शन’ था। वह लौकिक, दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य कर सकता था उसकी बराबरी के विध्वंसक केवल दो अस्त्र और थे पाशुपतास्त्र ( शिव , कॄष्ण और अर्जुन के पास थे) और प्रस्वपास्त्र ( शिव , वसुगण , भीष्म और कृष्ण के पास थे) ।

4. भगवान् श्री कॄष्ण की परदादी ‘मारिषा’ व सौतेली मां रोहिणी( बलराम की मां) ‘नाग’ जनजाति की थीं.

5. भगवान श्री कॄष्ण से जेल में बदली गई यशोदापुत्री का नाम एकानंशा था, जो आज विंध्यवासिनी देवी के नाम से पूजी जातीं हैं।

6. भगवान् श्री कॄष्ण की प्रेमिका ‘राधा’ का वर्णन महाभारत, हरिवंशपुराण, विष्णुपुराण व भागवतपुराण में नहीं है। उनका उल्लेख बॄम्हवैवर्त पुराण, गीत गोविंद व प्रचलित जनश्रुतियों में रहा है।

7. जैन परंपरा के मुताबिक, भगवान श्री कॄष्ण के चचेरे भाई तीर्थंकर नेमिनाथ थे जो हिंदू परंपरा में ‘घोर अंगिरस’ के नाम से प्रसिद्ध हैं.

8. भगवान् श्री कॄष्ण अंतिम वर्षों को छोड़कर कभी भी द्वारिका में 6 महीने से अधिक नहीं रहे।

9. भगवान श्री कृष्ण ने अपनी औपचारिक शिक्षा उज्जैन के संदीपनी आश्रम में मात्र कुछ महीनों में पूरी कर ली थी।

10. ऐसा माना जाता है कि घोर अंगिरस अर्थात नेमिनाथ के यहाँ रहकर भी उन्होंने साधना की थी.

11. प्रचलित अनुश्रुतियों के अनुसार, भगवान श्री कॄष्ण ने मार्शल आर्ट का विकास ब्रज क्षेत्र के वनों में किया था और डांडिया रास उसी का नॄत्य रूप है।

12. कलारीपट्टु’ का प्रथम आचार्य कॄष्ण को माना जाता है। इसी कारण ‘नारायणी सेना’ भारत की सबसे भयंकर प्रहारक सेना बन गई थी।

13. भगवान श्रीकृष्ण के रथ का नाम ‘जैत्र’ था और उनके सारथी का नाम दारुक/ बाहुक था। उनके घोड़ों (अश्वों) के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक।

14. भगवान श्री कृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्यामल था और उनके शरीर से एक मादक गंध स्रावित होती थी.

15. भगवान श्री कॄष्ण की मांसपेशियां मृदु परंतु युद्ध के समय विस्तॄत हो जातीं थीं, इसलिए सामन्यतः लड़कियों के समान दिखने वाला उनका लावण्यमय शरीर युद्ध के समय अत्यंत कठोर दिखाई देने लगता था ठीक ऐसे ही लक्ष्ण कर्ण, द्रौपदी व कॄष्ण के शरीर में देखने को मिलते थे।

16. जनसामान्य में यह भ्रांति स्थापित है कि अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे, परंतु वास्तव में कॄष्ण इस विधा में भी सर्वश्रेष्ठ थे और ऐसा सिद्ध हुआ मद्र राजकुमारी लक्ष्मणा के स्वयंवर में जिसकी प्रतियोगिता द्रौपदी स्वयंवर के ही समान परंतु और कठिन थी।

17. यहां कर्ण व अर्जुन दोंनों असफल हो गये और तब श्री कॄष्ण ने लक्ष्यवेध कर लक्ष्मणा की इच्छा पूरी की, जो पहले से ही उन्हें अपना पति मान चुकीं थीं।

18. भगवान् श्री युद्ध कृष्ण ने कई अभियान और युद्धों का संचालन किया था, परंतु इनमे तीन सर्वाधिक भयंकर थे। 1- महाभारत, 2- जरासंध और कालयवन के विरुद्ध 3- नरकासुर के विरुद्ध

19. भगवान् श्री कृष्ण ने केवल 16 वर्ष की आयु में विश्वप्रसिद्ध चाणूर और मुष्टिक जैसे मल्लों का वध किया. मथुरा में दुष्ट रजक के सिर को हथेली के प्रहार से काट दिया.

20. भगवान् श्री कॄष्ण ने असम में बाणासुर से युद्ध के समय भगवान शिव से युद्ध के समय माहेश्वर ज्वर के विरुद्ध वैष्णव ज्वर का प्रयोग कर विश्व का प्रथम ‘जीवाणु युद्ध’ किया था।

21. भगवान् श्री कॄष्ण के जीवन का सबसे भयानक द्वंद युद्ध सुभुद्रा की प्रतिज्ञा के कारण अर्जुन के साथ हुआ था, जिसमें दोनों ने अपने अपने सबसे विनाशक शस्त्र क्रमशः सुदर्शन चक्र और पाशुपतास्त्र निकाल लिए थे। बाद में देवताओं के हस्तक्षेप से दोंनों शांत हुए।

22. भगवान् श्री कृष्ण ने 2 नगरों की स्थापना की थी द्वारिका (पूर्व मे कुशावती) और पांडव पुत्रों के द्वारा इंद्रप्रस्थ ( पूर्व में खांडवप्रस्थ)।

23. भगवान् श्री कृष्ण ने कलारिपट्टू की नींव रखी जो बाद में बोधिधर्मन से होते हुए आधुनिक मार्शल आर्ट में विकसित हुई।

24. भगवान् श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवतगीता के रूप में आध्यात्मिकता की वैज्ञानिक व्याख्या दी, जो मानवता के लिए आशा का सबसे बडा संदेश थी, है और सदैव रहेगी।

✡️🕉️नित्य पंचाग अवश्य पढ़ें इससे कलिकाल एवं शकरकाल का संज्ञान रहता है यानी आप अपडेट रहते हैं। समय सबसे मूल्यवान है उसकी उपयोगिता पता चलती है। जैसे दवाई से धीरे धीरे रोग कटते हैं वैसे पंचाग पढ़ने से कालचक्र के दुष्प्रभाव नहीं फटकते एवं कष्ट कटते हैं। ब्राह्मणों के पंचाग भगवान भगवान कृष्ण भी नित्य पढ़ते थे। पंंचाग का नित्य अध्ययन आपको आने वाले कष्ठों का पूर्वाभाष कराता है और आप सचेत हो जाते हैं।साधक त्रिकालदर्शी हो जाते हैं और उन्हें वागसिद्धि मिलती है। पंचाग का यही गूढ़ रहस्य है। – – हरीश मैखुरी 

 ✡️🕉️आज की ध्यान यात्रा में जो हमें दिखाई दिया। भगवती सृष्टि रूपा हैं। लक्ष्मी योग माया रूपा हैं समस्त संसार उन्हीं के आलोक से शोभायमान है। माता अनुसुइया ब्रह्म रूपा और आदिशक्ति हैं। माता सरस्वती वेद रूपा हैं। हनुमानजी शिवरूप हैं। श्रीकृष्ण योग रूप श्री चक्रधारी हैं। और हमारे ईष्टदेव शांत भैरवरुप हैं जो छत्रछाया हैं। बद्रीनारायण जी ध्यानरुप में जगदीश्वर हैं, कल्पेश्वर जी कल्याणकारी रूप हैं। वैष्णव माता मंदिर में तीनों देवियाँ एकसाथ दिव्य चांदी के वस्त्र धारण किए वरदमुद्रा में हैं। मदमहेश्वर में भगवान समाधि रूप में हैं। रूद्रनाथ में नटराज रूप में हैं। तुंगनाथ में अर्धनारीश्वर रूप में। जय नारायण जी की सरकार । भक्ति में साधकों को ब्रह्ममुहूर्त में मन से ध्यान यात्रा अवश्य करनी चाहिए 💐🙏🕉️✡️