सत्ता के नाम गैरसैंण की चिट्ठी – यहाँ हीटर वाले नहीं जिगर वाले चाहिये

सुप्रभात। वीर स्वतन्त्रता सेनानी  चंद्र सिंह गढ़वाली की देवभूमि गैरसैंण से हम अनशन पर डटे हैं स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए दृढ  सँकल्प के साथ। स्वास्थ्य में कुछ गिरावट आई है लेकिन हम अनशनकारियों ने दवा खाने से इन्कार कर दिया है। 

भराड़ीसैंण में 10 लाख के हीटर सेंकने वाले भाग गए, यहाँ हीटर वाले नहीँ ज़िगर वाले ही रुक पाएंगे जनता के लिए जनता ही काम आएगी।कल वरिष्ठ आन्दोलनकारी माता श्रीमती धूमा देवी जी और पूर्व प्रधानाचार्य और शिक्षक नेता श्री कुन्दन सिंह बुटोला जी द्वारा लायी गयी लकड़ियों का अलाव लगा हुआ है।सरकार अगर नहीं  जागी तो जल भी त्याग दिया जायेगा।प्रेस विज्ञप्ति
नोट:- यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल या एन. जी. ओ. का नहीं बल्कि जनता का है जो हमारे राष्ट्रीय ध्वज के नीचे हो रहा है।
बिषय:- नशा नहीं रोजगार दो, गैरसैंण स्थाई राजधानी हो
यदि हमारी मांग पर 10 दिसंबर तक राज्य सरकार ने सकारात्मक जवाब नहीं दिया तो आम जनता ने यह तय कर लिया है कि सरकार की मंशा साफ न होने पर 11 दिसंबर 2017 को जनता विधान सभा का ताला तोडेगी और जन भावना के अनुरूप राजधानी गैरसैंण में स्वयं ही बनायेगी।
राइट टू इम्प्लायमेंट एण्ड हेल्थ आंदोलन
आंदोलनकारी:- प्रवीण सिंह, राम कृष्ण तिवारी, आदेश चौधरी, अरविंद हटवाल, महेश चंद्र पाडेय धूमा देवी
संपर्क:- 8130981540, 9319805337, 9997804492, 9412955441, 9012505092
अामरण अनशनकारी:- प्रवीण सिंह, राम कृष्ण तिवारी,महेश चंद्र पाडेय, विनोद जुगलान
आदरणीय संपादक महोदय,
हम अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों की मांग गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने, मद्य-निषेध विभाग की स्थापना करने तथा रोजगार को कानूनी/मौलिक अधिकार बनाने हेतु जिसके लिए 7 दिसंबर से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी के प्रतिमा के समक्ष रामलीला मैंदान में आमरण अनशन शुरू हुआ। देवभूमि उत्तराखंड से पलायन की स्थिति इतनी खतरनाक ढंग से बढ गयी है कि यदि गैरसैंण को बिना देरी के स्थाई राजधानी नहीं बनाया गया तो अगले कुछ वर्षों में पहाड़ उत्तराखंड के गांव में कोई आदमी नहीं बचेगा।
देहरादून में बैठने वाली सरकार देहरादून के लिए नीति बनाती है जब तक मुख्यमंत्री, सचिव पुलिस, पुलिस महानिदेशक व नीति नियंता गैरसैंण में नहीं बैठेंगे उन्हें पहाड़ की पीडा का पता नहीं चलेगी।
आज राज्य सरकार की बेरोजगारों को नजरअंदाज करने की नीति ने उन्हें नशे की तरफ धकेल दिया है। और नशे की रोकथाम के लिए कोई ठोस नीति इस रामराज्य वाली सरकार की तरफ से भी नहीं बन रही है।
राज्य सरकार और विधायिका की तरफ से सकारात्मक और ठोस जवाब 10 दिसंबर 2017 तक नहीं मिलने पर यह मानते हुए कि यह विधानसभा उत्तराखंड और राज्य विरोधी है तथा बहरी है यदि यह विधायिका गरीब पहाड़ की जनता को छोड़कर वापस देहरादून में आराम फरमाने चली जायेगी जो छलावा पिछले 17 वर्षों से लगातार उत्तराखंड की जनता के साथ किया जा रहा।
हम अनशनकारी उत्तराखंड की जनता को न्याय दिलाने हेतु 11 दिसंबर को अनशन पर रहते हुए गाँधी जी के पद चिन्हों पर चलते हुए (गाँधी जी के नमक कानून तोड़ने वाले डांडी यात्रा की तर्ज पर) वीर चंद्र सिंह गढवाली जी के प्रतिमा से से पद यात्रा विधान सभा गैरसैंण तक करेंगे और जनता की बात नहीं सुनने वाली बहरी विधान सभा का ताला तोड़कर गैरसैंण को खुद उत्तराखंड की स्थाई राजधानी बनायेंगे। अब हम लोग और इंतजार नहीं करेंगे।

जय बद्री। जय केदार। जय हिमालय।जय हिन्द। वन्देमातरम।