मजदूरों की मौत बहुत दुखद है लेकिन इसकी आड़ में चारधाम परियोजना का विरोध ऐतिहासिक भूल होगी

डॉ हरीश मैखुरी

21 दिसंबर 2018 को रूद्रप्रयाग बांसवाड़ा में मलबे में दबने से 7 मजदूरों की मौत बहुत दुखद है, इसका मुख्य कारण पैटी ठेकेदार द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी है। लेकिन इसके लिए पूरी परियोजना को ही दोष देना ठीक नहीं है। इस परियोजना का विरोध एक तरह से राजनीतिक षड्यंत्र ही है, सदैव से विकास विरोधी रहे लोगों को इतनी सुन्दर और जरूरी परियोजना पच कैसे सकती है, वे कभी पर्यावरण के ठेकेदार बंद कर सामने आते हैं तो कभी अवैध कब्जा धारियों के पक्ष में खड़े होकर इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उत्तराखंड की यह महत्वपूर्ण परियोजना एक तरह से लाइफ लाइन है, इस परियोजना के बन जाने के बाद उत्तराखंड में रोज होने वाले एक्सीडेंट काफी कम हो जाएंगे, सेना और सामरिक दृष्टि से यह एक बहुत महत्वपूर्ण राज माार्ग बनेगा इसलिए परियोजना पर तेजी से चल रहा काम भी कहीं ना कहीं मोदी और गडकरी की देश की जनता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, यह बात भी इन विकास विरोधियों को पच नहीं रही है। मुख्य वजह यह है कि इस परियोजना में सीधे बड़ी कंपनियां काम कर रही है जो छोटे-मोटे धंधे बाजों के झांसे में नहीं आ रही हैं इसलिए इस परियोजना के विरोध में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए, यह वही धंधे बाज हैं जिन्होंने कभी धरती पर एक पेड़ नहीं लगाया होगा। जिन्होंने उत्तराखंड देश और दुनिया में वास्तव में पेड़ लगाने का काम किया है वे कभी इस परियोजना के विरोध में खड़े नहीं हुए। चार धाम परियोजना उत्तराखंड के भविष्य के लिए वरदान साबित होगी, यहां पहले से ही सड़कों की भारी कमी है जो सड़के हैं भी वह बहुत खस्ता हाल हैं। केंद्र ने पूर्वोत्तर में भी सड़कों का विकास किया है आज पूर्वोत्तर के राज्य भारत से अच्छी तरह से जुड़ गए हैं और उनकी दूरियां कम हुई है, उसी तरह से यह चारधाम परियोजना उत्तराखंड का भविष्य है और उत्तराखंड के लोग इस परियोजना को लेकर बहुत आशान्वित भी हैं, ऐसे में इन परमानेंट विकास विरोधियों को उत्तराखंड के लोगों की जन भावना का निरादर नहीं करना चाहिए। इस परियोजना के बन जाने के बाद देश विदेश से सैलानी उत्तराखंड का रुख करेंगे, जिससे उत्तराखंड वासियों की स्थानीय वासियों की आमदनी में वृद्धि होगी, इसलिए इस परियोजना के मार्ग में रोड़ा बनने की प्रवृत्ति से बचा जाना चाहिए। पेड़ और पैसा दोबारा उग आते हैं। इसी परियोजना में पेड़ लगाने का प्रावधान है, लेकिन यह सड़क परियोजना रूक गयी तो दुबारा नहीं बनेगी। इसलिए रोड के मार्ग में रोड़ा बनने वालों से सावधान रहने की भी आवश्यकता है।