*अपने भीतर “करुणा” रखिए, “आवेश” नहीं,* *क्योंकि बादलों की “वर्षा” से ही पुष्प खिलते हैं,* *उसकी “गर्जना” से नहीं।* *जिंदगी में ऐसे लोग भी मिलते
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