क्यों की जाती है भगवान की परिक्रमा, कितनी परिक्रमा करें और कब करें?

दुनिया में दो ही पूर्ण हैं परमात्मा और परिक्रमा, बाकी सब आधा अधूरी क्षणभंगुर माया है।  यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि तानि प्रणश्यन्ति

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