देहरादून में चल रही है बार्डर 2 की शूटिंग उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्याधिकारी बंशीधर तिवारी ने अभिनेता सनी देओल और निर्देशक अनुराग सिंह से भेंट की

देहरादून में चल रही है 1971 के भारत-पाक युद्ध पर आधारित फिल्म बार्डर 2 की शूटिंगउत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बंशीधर तिवारी ने अभिनेता सनी देओल और निर्देशक अनुराग सिंह से भेंट की।

बता दें कि आजकल देहरादून में बार्डर 2 की शूटिंग चल रही है। फिल्म 1971 के भारत-पाक युद्ध पर आधारित है और इसके लिए देहरादून के हल्दूवाला क्षेत्र में कश्मीर के एक गांव का भव्य सेट बनाया गया है। सेट निर्माण की शुरुआत पिछले वर्ष नवंबर में हुई थी।

उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बंशीधर तिवारी ने देहरादून के हल्दूवाला स्थित बॉर्डर 2 के सेट पर सुप्रसिद्ध अभिनेता सनी देओल और निर्देशक अनुराग सिंह से भेंट कर उन्हें फिल्म की सफलता की बधाई दी। उत्तराखंड तेजी से फिल्म निर्माताओं की मनपसंद जगह बन रहा है। ✍️ हरीश मैखुरी 

उत्तराखंड में इस स्तर की भव्यता और तकनीकी दक्षता के साथ फिल्म बनते देखना गर्व की बात है। कश्मीर के एक गाँव का भव्य सेट बनाया है। यह फिल्म VFX और आर्ट डायरेक्शन की दृष्टि से भी बहुत महत्व रखती है—जहाँ मयूर शर्मा की कलात्मक दृष्टि और एक्शन डायरेक्टर रवि वर्मा की विशेषज्ञता देखने को मिलेगी ।

फिल्म निर्माण सिर्फ कैमरे और कलाकारों तक सीमित नहीं होता—यह एक तपस्या है, जिसमें सैकड़ों लोग दिन-रात जुटे रहते हैं। “बॉर्डर 2” इसका सजीव उदाहरण है।यहाँ निर्देशन विभाग में मुख्य निर्देशक के साथ सहायक निर्देशक और स्क्रिप्ट सुपरवाइज़र की पूरी टीम जुटी है। कैमरा विभाग में DOP (सिनेमैटोग्राफर), कैमरा ऑपरेटर, फोकस पुलर, गाफर और ग्रिप की सक्रिय भूमिका है, जो हर दृश्य को तकनीकी परिपूर्णता देते हैं। ध्वनि विभाग में साउंड रिकॉर्डिस्ट और बूम ऑपरेटर सेट पर तैनात रहते हैं, तो वहीं पोस्ट-प्रोडक्शन के लिए डबिंग और फोली कलाकार अपनी तैयारी करते हैं। आर्ट टीम में प्रॉप मास्टर, सेट ड्रेसर और प्रोडक्शन डिज़ाइनर जैसे कलाकार सम्मिलित हैं। एक्शन विभाग में स्टंट कोऑर्डिनेटर और स्टंट आर्टिस्ट युद्ध दृश्यों को रचनात्मक ढंग से जीवंत बना रहे होते हैं। 

साथ ही कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर, ड्रेस असिस्टेंट, मेकअप आर्टिस्ट और हेयर स्टाइलिस्ट जैसे पेशेवर पात्रों के रूप को सजीव बनाते हैं। यदि फिल्म में गीत-संगीत या नृत्य दृश्य हैं तो कोरियोग्राफर और बैकग्राउंड डांसर भी अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, लोकेशन मैनेजर, प्रोडक्शन मैनेजर, लाइन प्रोड्यूसर, क्लैप बॉय, कंटिन्युइटी असिस्टेंट, ड्रोन और एरियल यूनिट, VFX सुपरवाइज़र, एडिटर, साउंड मिक्सर और यूनिट सपोर्ट स्टाफ – सभी एक-दूसरे के पूरक बनकर काम करते हैं। यह सारा समन्वय और श्रम मिलकर वह सिनेमाई अनुभव गढ़ता है जो पर्दे पर कुछ घंटों में सिमटता है, पर पीछे से महीनों की साधना और समर्पण की कहानी कहता है।

उत्तराखंड इस समय हिंदी और क्षेत्रीय फिल्मों के लिए एक पसंदीदा शूटिंग डेस्टिनेशन बन चुका है। इन दिनों देहरादून और ऋषिकेश में गिन्नी वेड्स सनी 2 (जिसमें अविनाश तिवारी और मेधा शंकर मुख्य भूमिकाओं में हैं) और अन्नू कपूर, पवन मल्होत्रा अभिनीत कॉमेडी सटायर उत्तर दा पुत्तर की शूटिंग चल रही है।

और सबसे उत्साहजनक बात यह है कि हमारे क्षेत्रीय सिनेमा को भी नई ऊर्जा मिल रही है। मारचा (देहरादून और टिहरी), तेरी माया (टिहरी) और नमक (उत्तरकाशी) जैसी गढ़वाली फिल्में इन दिनों शूट हो रही हैं—जो लोकभाषा और संस्कृति को बड़े पर्दे पर लाने का प्रयास कर रही हैं। पिछले एक साल में लगभग 25 उत्तराखंडी फ़िल्में या तो बनकर रिलीज़ हो चुकी हैं या अपनी पूर्णता पर हैं।। 

पीएस : फोटो में जो घर है वो सेट पर बनाया हुआ एक घर है लेकिन कितना सजीव लग रहा है। ✍️ नीतिन उपाध्याय