विजय दिवस पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा ‘पाकिस्तान के 93000 से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर सैनिकों के समक्ष किया था समर्पण’ उसके बाद सैनिकों का क्या हुआ ये नयी पीढ़ी को अवश्य जानना चाहिए, भारत दर्शन पर जा रहे विधानसभा क्षेत्र देवप्रयाग के मेधावी छात्रों और विधायक विनोद कंडारी से मुख्यमंत्री ने किया संवाद

 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को गांधी पार्क, देहरादून में विजय दिवस के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने विजय दिवस पर भूतपूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं को शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह् देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि प्रदेश में शहीद द्वार/ स्मारकों के निर्माण कार्य अब सैनिक कल्याण विभाग के माध्यम से कराया जायेगा, पहले यह संस्कृति विभाग के माध्यम से कराया जाता था। वीरता चक्र श्रृंखला से अलंकृत सैनिकों एवं वीर नारियों को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा अनुमन्य होगी। 

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने विजय दिवस को भारतीय सेना के वीर जवानों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का दिन बताते हुए कहा कि आज ही के दिन 1971 में पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर बहादुर सैनिकों के समक्ष घुटने टेक दिए थे। यह महान युद्ध भारत के वीरों के अटल संकल्प और बलिदान का प्रत्यक्ष उदाहरण था, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी भी सेना का यह सबसे बड़ा आत्म समर्पण था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भूमि, देवभूमि होने के साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। युद्ध में अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने वाले प्रदेश के 74 सैनिकों को विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित कर देश स्वयं सम्मानित हुआ था। ऐसे सभी वीरों के बलिदान की अमर गाथाएं आज भी हमारे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करती हैं।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप राज्य में पांचवें धाम की नींव रखते हुए देहरादून में एक भव्य ‘सैन्य धाम‘ का निर्माण प्रारंभ किया है। यह स्मारक उन सभी वीरों को विनम्र श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए, तिरंगे की शान एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। यह सैन्य धाम आने वाली अनेकों पीढ़ियों के लिए राष्ट्र आराधना के एक दिव्य प्रेरणा पुंज के रूप में कार्य करेगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सेना को हर संभव सुविधा दी जा रही है। आज सैनिक अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, उनकी सहायता और सुरक्षा के लिए विश्व स्तरीय उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बताया है। जिसके परिणाम स्वरूप इस साल चार धाम यात्रा में 46 लाख से अधिक श्रद्धालु आए। राज्य सरकार ने संकल्प लिया है कि राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर, आप सभी की सहभागिता से उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सैन्य परिवार में पैदा होने के कारण मैंने सैन्य परिवारों का संघर्ष एवं दुख-दर्द को नजदीक से देखा है। सैन्य परिवारों के लिए राज्य सरकार विशेष योजनाएं बना रही है, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो। राज्य सरकार ने सैनिकों या उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुदान राशि बढ़ाने से लेकर शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में वरीयता के आधार पर नियुक्ति देने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार सैनिक विश्राम गृहों की संख्या बढ़ाने हेतुुु भी प्रयासरत है। उत्तराखंड का संपूर्ण विकास राज्य सरकार की नीति ही नहीं बल्कि कर्तव्य है, और इस कर्तव्य का पालन करने हेतु हम संकल्पबद्ध हैं। 

सैनिक कल्याण मंत्री श्री गणेश जोशी ने कहा कि सेना के जवान हर स्थिति में देश की रक्षा हेतु मोर्चा संभाले बैठे हैं, उन्होंने कहा 1971 के भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड राज्य के कई जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार सैनिकों के कल्याण हेतु दिन-रात कार्यरत है। लंबे समय से चली आ रही वन रैंक वन पेंशन की मांग प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में ही पूरी हुई। राज्य सरकार शहीदों के सम्मान में विशाल सैन्य धाम बनाने का कार्य कर रही है। साथ ही राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि सैन्य धाम के मुख्य द्वार का नाम उत्तराखंड के वीर सपूत एवं देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखा जाएगा।

इस दौरान कैबिनेट मंत्री श्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, विधायक श्री खजान दास, विधायक श्रीमती सविता कपूर, निदेशक सैनिक कल्याण (ब्रिगे.से.नि) अमृतलाल, पूर्व सैन्य अधिकारी एवं वीरांगनाएं उपस्थित रहीं ।

16 दिसंबर का दिन भारत की स्वर्णिम तारीख के रूप में दर्ज है। इस दिन भारत ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। भारत के सामने 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने घुटने टेके थे और बांग्लादेश के रूप में नए राष्ट्र का उदय हुआ था। 13 दिनों तक चले इस युद्ध में पाकिस्तान के लड़ाके फिसड्डी निकले और उन्होंने भारत के सामने समर्पण किया इसी दिन को पूरा देश विजय दिवस के रूप में मनाता है। इस जीत के मुख्य सूत्रधार थे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ। इंडियन आर्मी में फील्ड मार्शल का पद पाने वाले वह पहले सैन्य अधिकारी थे। 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था तब भारतीय सेना की कमान सैम मानेकशॉ के हाथों मे थी। आत्म समर्पण के उपरांत उन 93000 सैनिकों का क्या हुआ क्या भारत ने उन्हें त महीनों तक दाल-भात बिरियनी खिला कर वापस भेजा गया! और तब पाकिस्तान में फंसे हमारे 29 पायलट 21 अन्य महत्वपूर्ण सैन्य अधिकारियों को इन 93000 सैनिकों के बदले वापस क्यों नहीं मांगा गया ये प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं नयी पीढ़ी को ये प्रश्न तब की सरकारों के आज खड़े प्रतिनिधियों से अवश्य पूछने चाहिए। ताकि ऐतिहासिक भूलों से सीख ले सकें। ✍️हरीश मैखुरी

#लौह_नही_नासमझ_नेता 

Indira Gandhi 

हम लोग 1971 की लड़ाई में इंदिरा गांधी की पीठ थपथपाते हैं लेकिन हम लोगों को बेनजीर भुट्टो के पति आसिफ अली जरदारी का पाकिस्तान के संसद में दिया गया यह बयान जरूर पढ़ना चाहिए—–

जब पाकिस्तान के 90000 से ज्यादा सैनिक भारत की कैद में थे उनके तीन हजार से ज्यादा सैनिक अधिकारी हमारी हिरासत में थे ..पाकिस्तान की सेना आत्मसमर्पण कर चुकी थी 

भारतीय सेना सिंध के जिले थारपारकर को भारत में मिला शामिल कर चुकी थी और उसे गुजरात का एक नया जिला घोषित कर दिया गया था और मुजफ्फराबाद पार्लियामेंट पर तिरंगा झंडा फहरा दिया गया था 

जुल्फिकार अली भुट्टो जब इंदिरा गांधी से शिमला समझौता करने आया तब वह अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो को भी साथ में लाया था।

जुल्फिकार अली भुट्टो अपनी बेटी को राजनीति सिखा रहा था। 

इंदिरा गांधी ने जुल्फिकार अली भुट्टो के सामने शर्त रखी यदि आपको अपने 93000 सैनिक वापस चाहिए तब आप कश्मीर हमें दे दीजिए, जुल्फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गांधी से कहा कि हम आपको कश्मीर नहीं देंगे, मैं कोई दस्तखत नहीं करूंगा, आप यह 93000 सैनिकों को अपने पास ही रखो।

इंदिरा गांधी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जुल्फिकार अली भुट्टो उनसे भी बड़ा खिलाड़ी है। वह जानता है कि सीमाओं पर हारी हुई युद्ध को टेबल पर कैसे जीता जाता है।

इंदिरा गांधी की हालत ऐसी हो गई थी जैसे कोई नमाज़ पढ़ने जाए और उसके गले रोजे पड़ जाएं।

पुपुल जयकर और कुलदीप नैयर दोनों ने अपनी किताब में लिखा है, इंदिरा गांधी उस मौके पर चूक गई, उनके और उनके सलाहकारों के पास कोई ऐसा कूटनीतिक ज्ञान नहीं था कि ऐसी स्थिति को कैसे संभाला जाए।

जिनेवा समझौते के तहत यदि कोई देश किसी युद्ध बंदी को पकड़ता है तब उसे युद्ध बंदी की डिग्निटी का पूरा ख्याल रखना होता है।

जुल्फिकार अली भुट्टो ने शाम को होटल में अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो से कहा इस युद्ध में भारत की कमर टूट चुकी है, हमने युद्ध पूरी बहादुरी से लड़ा हमने भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत करारी चोट दिया है। भारत पहले ही बांग्लादेशी शरणार्थियों का बोझ झेल चुका है अब भारत 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को कैसे पालेगा और अगर भारत 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को अपने पास बसाना चाहता है तो बसाए और उन कायर सैनिकों को हम वापस लेकर भी क्या करेंगे? मैंने इंदिरा गांधी की हालत सांप के गले में पड़ी छछूंदर जैसी कर दी है। 

और अंत में इंदिरा गांधी की हालत ऐसी हो गई जैसे कोई सौ जूते भी खाए और सौ प्याज भी खाए।

 इंदिरा गांधी ने कश्मीर भी पाकिस्तान को दे दिया 93000 सैनिक भी वापस कर दिए और अपने 56 सैनिकों को पाकिस्तान की जेल में मरने को छोड़ दिया, और 8 महीने के बाद नोबेल पुरस्कार की इच्छा में भारत के गुजरात राज्य में शामिल जिला थारपारकर को भी पाकिस्तान को वापस कर दिया जबकि थारपारकर की उस वक्त 98% आबादी हिंदू थी।

शिमला समझौते के बाद उस वक्त के सेना प्रमुख ने रिटायरमेंट के बाद जो किताब लिखी थी उसमें कहा था इस युद्ध को हमने लड़ाई के मैदान में तो जीत लिया लेकिन टेबल पर राजनेताओं ने भारत को हरा दिया।

और वो राजनेता इंदिरा गांधी थी।

कांग्रेस का इतिहास बताता है की इन्होंने भारत को बर्बाद ही किया

P Shantam K

 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में भारत दर्शन पर जा रहे विधानसभा क्षेत्र देवप्रयाग के मेधावी छात्रों से भेंट की। उन्होंने कहा कि देवप्रयाग के विधायक श्री विनोद कण्डारी द्वारा मेधावी बच्चों को शैक्षिक भ्रमण पर ले जाने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है। मेधावी छात्रों को भारत भ्रमण में नई-नई चीजें सीखने को मिलेंगी। भारत दर्शन करने के साथ-साथ ये भविष्य दर्शन भी करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य मेधावी छात्रों को भी इस तरह से भारत भ्रमण पर ले जाने के लिए भविष्य में राज्य सरकार की ओर से कार्ययोजना बनाई जायेगी। 

मुख्यमंत्री ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि वे भविष्य में जिस भी क्षेत्र में कार्य करें, एक लीडर की भूमिका में कार्य करें। यदि हम किसी कार्य को पूर्ण मनोयोग एवं दृढ़ निश्चय से करते हैं, तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य अनंत ऊर्जा का भंडार है। ऊर्जा का संचार सकारात्मक दृष्टि से हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस भ्रमण के दौरान इन मेधावियों को शैक्षिक एवं औद्योगिक संस्थानों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होगी। 

विधायक श्री विनोद कण्डारी ने बताया कि 19 दिसम्बर 2022 तक देवप्रयाग विधानसभा के हाईस्कूल में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को विभिन्न स्थानों पर शैक्षिक भ्रमण कराया जा रहा है। शैक्षिक संस्थानों के अलावा इन मेधावी छात्रों को औद्योगिक एवं अन्य संस्थानों का भ्रमण भी कराया जायेगा। 

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, जिला पंचायत अध्यक्ष, टिहरी श्रीमती सोना सजवाण उपस्थित थे।