आज का पंचाग आपका राशि फल, मनोकामना सिद्ध करने वाला अद्भुत भैरव कवच

🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७८ || शक-सम्वत् १९४३ || याम्यायन् || राक्षस नाम संवत्सर || हेमन्त ऋतु || मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष || तिथि चतुर्थी || कुजवासर || मार्गशीर्ष सौर २२ प्रविष्ठ || तदनुसार ०७ दिसम्बर २०२१ ई० || नक्षत्र विश्वेदेवा || धनुर्धरस्थ चन्द्रमा पूर्वाह्न ७:४७ तक उपरान्त मकरस्थ चन्द्र ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻मंगलवार, ०७ दिसम्बर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०७:००
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२२
चन्द्रोदय: 🌝 १०:०९
चन्द्रास्त: 🌜२०:३१
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: शरद्
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 मार्गशीर्ष
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 चतुर्थी (२३:४० तक)
नक्षत्र 👉 उत्तराषाढ (२४:१२ तक)
योग 👉 वृद्धि (१६:२४ तक)
प्रथम करण 👉 वणिज (१३:०२ तक)
द्वितीय करण 👉 विष्टि (२३:४० तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृश्चिक
चंद्र 🌟 मकर (०७:४४ से)
मंगल 🌟 वृश्चिक (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 वृश्चिक (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुंम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४८ से १२:२९
अमृतकाल 👉 १८:२२ से १९:४९
रवियोग 👉 ०७:०० से २४:१२
विजय मुहूर्त 👉 १३:५१ से १४:३२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:०६ से १७:३०
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४१ से २४:३६
राहुकाल 👉 १४:४३ से १६:००
राहुवास 👉 पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०९:३४ से १०:५१
होमाहुति 👉 बुध
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 पृथ्वी (२३:४० तक)
भद्रावास 👉 पाताललोक १३:०२ से २३:४० तक
चन्द्रवास 👉 पूर्व (दक्षिण ०७:४४ से)
शिववास 👉 क्रीड़ा में (२३:४० से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – रोग २ – उद्वेग
३ – चर ४ – लाभ
५ – अमृत ६ – काल
७ – शुभ ८ – रोग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – काल २ – लाभ
३ – उद्वेग ४ – शुभ
५ – अमृत ६ – चर
७ – रोग ८ – काल
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (धनिया अथवा दलिया का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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अंगारक चतुर्थी, विवाहादि मुहूर्त वृश्चिक-धनु लग्न प्रातः ०७:०७ से ०९:५१ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २४:१२ तक जन्मे शिशुओ का नाम
उत्तराषाढ़ नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (भे, भो, ज, जी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश (खी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृश्चिक – २९:२५ से ०७:४४
धनु – ०७:४४ से ०९:४८
मकर – ०९:४८ से ११:२९
कुम्भ – ११:२९ से १२:५५
मीन – १२:५५ से १४:१८
मेष – १४:१८ से १५:५२
वृषभ – १५:५२ से १७:४७
मिथुन – १७:४७ से २०:०२
कर्क – २०:०२ से २२:२३
सिंह – २२:२३ से २४:४२
कन्या – २४:४२ से २७:००
तुला – २७:०० से २९:२१
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०७:०० से ०७:४४
मृत्यु पञ्चक – ०७:४४ से ०९:४८
अग्नि पञ्चक – ०९:४८ से ११:२९
शुभ मुहूर्त – ११:२९ से १२:५५
रज पञ्चक – १२:५५ से १४:१८
अग्नि पञ्चक – १४:१८ से १५:५२
शुभ मुहूर्त – १५:५२ से १७:४७
रज पञ्चक – १७:४७ से २०:०२
शुभ मुहूर्त – २०:०२ से २२:२३
चोर पञ्चक – २२:२३ से २३:४०
शुभ मुहूर्त – २३:४० से २४:१२
रोग पञ्चक – २४:१२ से २४:४२
शुभ मुहूर्त – २४:४२ से २७:००
मृत्यु पञ्चक – २७:०० से २९:२१
अग्नि पञ्चक – २९:२१ से ३१:०१
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आप जिस भी कार्य को करेंगे उसमे अन्य लोग टांग अड़ायेंगे जिससे कुछ समय के लिये भ्रामक स्थिति बनेगी लेकिन ध्यान रहे आज परिस्थिति सफ़लतादायक बनी है अन्य लोगो के ऊपर ध्यान ना दें अपनी बुद्धि से कार्य करे विजय अवश्य मिलेगी भले ही थोड़ा विलम्ब से ही। कार्य व्यवसाय से पुरानी योजनाए धन लाभ कराएंगी नए अनुबंध हथियाने के लिये कुटिल बुद्धि का इस्तेमाल करना पड़ेगा सरल स्वभाव का प्रयोग आज काम नही आएगा। विरोधी प्रबल रहेंगे पीछे से आपकी हानि पहुचाने का हर संभव प्रयास करेंगे मन को लक्ष्य पर केंद्रित रख ही इनपर विजय पाई जा सकती है। घर एवं शारीरिक सुख उत्तम रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आपसी तालमेल की कमी हर जगह अव्यवस्था फैलाएगी। दिन के आरंभ में मानसिक रूप से शांत रहेंगे धर्म-कर्म में भी निष्ठा रहने से पूजा पाठ के लिये समय निकालेंगे लेकिन स्वभाव में अकड़ एवं जिद बनते कार्यो में बाधा डालेगी। आज आपके पक्ष में बोलने वालों से भी विपरीत व्यवहार करेंगे बाद में समय निकलने पर पछतायेंगे। धन को लेकर आज कोई नई समस्या खड़ी होगी। कार्य क्षेत्र पर भी आर्थिक अभाव रहने के कारण अपने विचारों को साकार रूप नही दे पाएंगे। घर मे मामूली तकरार के बाद स्थित सामान्य हो जाएगी। सेहत की अनदेखी बाद में भारी पड़ने वाली है सतर्क रहें। बुजुर्ग वर्ग को छोड़ अन्य सभी से पटेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपको शारीरिक समस्या का सामना करना पड़ेगा दिन के आरंभ से ही शरीर में विकार उत्पन्न होंगे मध्यान तक इनकी अनदेखी करेंगे बढ़ने पर ही इलाज करेंगे वह भी मनमर्जी से जिसके परिणाम आगे गंभीर भी हो सकते है। कार्य क्षेत्र पर लाभ की संभावनाए बनते बनते बिगड़ेंगी आपकी मनोदशा का विरोधी लाभ उठाएंगे। धन लाभ फिर भी अवश्य होगा लेकिन खर्च की तुलना में बहुत कम। भाग दौड़ में असमर्थ रहने के कारण महत्त्वपूर्ण सौदा अथवा पैतृक कार्य में विलंब अथवा हानि होने की संभावना है। परिवार के सदस्य आपसे काफी आशाएं लगाए रहेंगे परन्तु परिस्थितिवश बोल नही पाएंगे स्वयं ही इनका निराकरण करने का प्रयास करें आगे परिणाम सकारत्मक मिलेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आप जिस भी कार्य को करने का मन बनायेगे परिस्थिति स्वतः ही उसके अनुकूल बन जाएगी। लेकिन आशाजनक धन लाभ के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ेगा फिर भी आज की जगह कल ही होगा। मध्यान का समय थोड़ा उतार चढ़ाव वाला रहेगा आपके रूखे व्यवहार से किसी के मन को दुख पहुचेगा लेकिन स्थित को भांप इसमें तुरंत सुधार कर स्थिति नियंत्रण में कर लेंगे। आज आप मीठा बोलकर कठिन से कठिन कार्य भी सहज बना लेंगे। धन की कामना है तो उसी क्षेत्र में प्रयास जारी रखें थोड़े विलम्ब से लेकिन सफल अवश्य होंगे। घर का वातावरण आनंद प्रदान करेगा आवश्यकता पूर्ति पर निसंकोच खर्च करेंगे। आरोग्य बना रहेगा पुरानी बीमारी में सुधार आएगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आपका लक्ष्य अधिक से अधिक सुख सुविधा जुटाने पर रहेगा आपकी मानसिकता भी कम समय मे ज्यादा मुनाफा पाने की रहेगी। इसके लिये अनैतिक मार्ग अपनाने से भी नही हिचकेंगे। आज आप जिस कार्य को लग्न से करेंगे उसकी अपेक्षा बेमन से किया कार्य अधिक शीघ्र एवं ज्यादा लाभदायक रहेगा। नौकरी करने वाले सतर्क रहें इल्जाम लग लगने अथवा मान भंग की संभावना है। व्यवसाय में मध्यान तक उदासीनता के बाद गति आएगी। घर मे सुख के साधन बढ़ाने का विचार मन मे चलता रहेगा लेकिन आज कुछ विघ्न के कारण कामना पूर्ति संधिग्ध रहेगी। दौड़ भाग के कारण अत्यधिक थकान अनुभव होगी फिर भी मनोरंज से नही चूकेंगे।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज आपकी छवि घर को छोड़ अन्य सभी जगह बुद्धिमानो जैसी बनेगी मन मे कुछ समय के लिये आतिआत्मविश्वास के भाव भी आयंगे लेकिन आध्यात्म के प्रभाव से कोई हानि नही होगी। कार्य क्षेत्र से आज एक ही बार मे लाभ कमाने के चक्कर मे रहेंगे इससे अन्य लोगो के ऊपर आपकी लोभी छवि बनेगी फिर भी स्वार्थवश कह नही पाएंगे। आज आप अपने कार्य बनाने में पीछे परन्तु अन्य लोगो के लिये अवश्य ही सहयोगी रहेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपसे महत्त्वपूर्ण विषय मे सलाह ली जाएगी लेकिन घर मे इसके विपरीत हास्य के पात्र बनेंगे। धन लाभ अवश्य होगा लेकिन इच्छानुसार नही लोभ से बचे आगे समय लाभ वाला ही है। शारीरिक कारणों से मन मे।अस्थिरता आएगी। स्त्री सुख मिलेगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन परिस्थितियां आशा के विपरीत रहेंगी दिन का प्रथम भाग
परिजन अथवा किसी आस-पड़ोसी से व्यर्थ की कलह से खराब होगा इसका प्रभाव मध्यान तक मानसिक रूप से बेचैन रखेगा। आज पूर्व में किये आलस्य का दुख मन को व्यथित करेगा। कार्य क्षेत्र पर मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी मन इधर उधर भटकेगा। धनलाभ के अवसर भी मिलेंगे लेकिन आशा जनक नही होगा। सहकर्मी अथवा संपर्क में रहने वालों की छोटी मोटी बातो को अनदेखा करें अन्यथा आपसी मतभेद के कारण कार्य हानि हो सकती है। महिलाए भी आज बेतुके बयानों से बचें परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढालने से शांति बनी रहेगी। मानसिक तनाव आज ज्यादा रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आपको बीते दिन की अपेक्षा सुधार अनुभव होगा। दिन का आरंभिक भाग साधारण रहेगा मन मे किसी इच्छा पूर्ति को लेकर तिकड़म भिड़ाएंगे लेकिन आज आपका मन कार्यो की के साथ ही मौज शौक में भी रहने के कारण मनोकामना पूर्ति संदिग्ध ही रहेगी। कार्य व्यवसाय में कम ध्यान देने पर भी किसी अन्य माध्यम से धन की आमद होगी। खर्च निकालने में परेशानी नही आएगी लेकिन व्यर्थ के खर्च बाद में आर्थिक उलझन का कारण बनेंगे। घर का वातावरण कुछ समय के लिये खराब होगा परिजन आपकी किसी गलत आदत को लेकर कलह करेंगे। सेहत असंयम से खराब होगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन कामना पूर्ति में बाधक बनेगा स्वभाव से आलसी रहेंगे परिजनों के ताने सुनने के बाद ही गंभीरता आएगी। कार्य व्यवसाय में योजना बड़ी बड़ी बनाएंगे लेकिन उसके अनुसार कर्म नही करने पर मन मारकर रहना पड़ेगा। सहयोगी भी पहले हाँ में हाँ मिलाएंगे लेकिन काम के वक्त सहयोग करने में आनाकानी करेंगे। परिजन एवं सहयोगियों को आज किसी भी हाल में नाराज ना होने दें अन्यथा आने वाले समय मे काम निकालने में परेशानी आ सकती है। शेयर अथवा अन्य जोखिम वाले कार्यो ने निवेश निकट भविष्य के लिये शुभ रहेगा। धन लाभ आज भी होगा लेकिन आवश्यकता से कम। स्वास्थ्य के विषय मे शंका खड़ी होगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन शुभ फलदायी है लेकिन आज मन पर चंचलता कुछ ज्यादा ही हावी रहेगी। विपरीत लिंगीय आकर्षण अधिक रहने के कारण अपने आवश्यक कार्यो को छोड़ वासना के पीछे ध्यान भटकाएँगे। कार्य व्यवसाय में किसी मार्गदर्शक की सलाह से लाभ के प्रसंग उपस्थित होंगे यहां जल्दबाजी ही काम आएगी अन्यथा आपके सौदों पर अन्य प्रतिस्पर्धी भी नजर लगाए बैठे है थोड़ा सा विलम्ब बड़े लाभ से वंचित कर सकता है। धन लाभ के मार्ग एक से अधिक रहेंगे पर होगा किसी एक साधन द्वारा ही। परिवार में अपनी बेतुकी हरकतों से डांट पड़ेगी लेकिन स्वभाव आज मनमौजी ही रहेगा। व्यस्तता के बाद भी मौज शौक के लिए समय निकाल लेंगे। सेहत लगभग ठीक ही रहेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन हानिकारक रहेगा। पूर्व में लिए निर्णयों पर एकबार फिर से विचार करें जिद्दी स्वभाव आज कुछ ना कुछ गड़बड़ ही कराएगा। व्यवसायी वर्ग जिस कार्य से लाभ की उम्मीद रखेंगे उसके अंत समय मे निरस्त हिने पर निराशा होगी अपनी गलतियों का गुस्सा अन्य के ऊपर उतारना आज भारी पड़ सकता है। विवेकी व्यवहार अपनाए अन्यथा कोई आपसे बात करने के लिये भी तैयार नही होगा। धन को लेकर आज कुछ ना कुछ उलझन रहेगी भाग दौड़ के बाद भी अल्प लाभ से संतोष करना पड़ेगा इसके विपरीत आकस्मिक खर्च अथवा हानि से परेशान रहेंगे। घर मे किसी बाहरी व्यक्ति के कारण अशांति हो सकती है भ्रामक खबरो पर यकीन ना करें। सेहत में नरमी आएगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन पूर्व में किये किसी परोपकार अथवा अन्य शुभ कर्मो का फल सम्मान के रूप में वापस मिलेगा। दिन का आरंभ थोड़ा सुस्त रहेगा लेकिन जल्द ही गति आयेगी लेकिन आज आप घर संबंधित कार्यो में लापरवाही करेंगे जबकि बाहरी लोगों की सहायता के लिये तत्पर रहेंगे। घर मे महिला पुरुष के बीच यह व्यवहार कलह का कारण बनेगा फिर भी अपनी वाक्चातुर्य से सर्वत्र विजय पा लेंगे। काम-धंधे के प्रति गंभीर तो रहेंगे लेकिन एक साथ दो काम करने पर होने वाले लाभ में कमी आएगी। आज आपके मन में आर्थिक विषयो को लेकर कुछ ना कुछ तिकड़म लगी रहेगी फिर भी धन लाभ कामचलाऊ ही होगा। घर मे अंतर्द्वन्द की स्थिति रहेगी। सेहत सामान्य से कम रहेगी।
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〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

तांत्रोक्त भैरव कवच ( the wonderful Bhairav ​​Kavach that proves the wish) 
ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः |
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ||
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा |
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ||
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे |
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ||
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा |
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ||
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः |
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ||
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु |
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ||
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः |
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ||
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः |
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ||
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा |
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ||
ये भैरव कवच भगवान भैरव की कृपा प्राप्त करने का और अपने शरीर की
सुरक्षा ,अपने घर की सुरक्षा ,भूत ,प्रेत से सुरक्षा करने का अमोघ अस्त्र
है ,,आप इस कवच का प्रतिदिन 11 बार पाठ करे ,और परिणाम स्वयं देख ले

शिव के दूसरे पुत्र, जिन्हें तमिल
में ‘मुरुगन’ कहते हैं और जो कार्तिकेय के नाम से भी जाने जाते हैं

मुरुगन Vs मर्दुक
लेखक:- गंगा कटियार

मुरुगन ! इनसे सभी परिचित होंगे .. दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवान।
शिव पार्वती के पुत्र कार्तिकेय, स्कंद, कुमार आदि नाम से भी जाने जाते। श्री लंका पहले ‘कुमार द्वीप’ भी कहलाता था जो इनसे से सम्बंधित है। इसलिए इन्हें ‘कुमारन’ भी कहते हैं। ज्यादा जानकारी आप बहुत से स्रोत से ले सकते हैं।
मोटा-मोटी बात हम बताते चलते है…

मुरुगन एक कुशल योद्धा और अन्न देवता थे। इन्होंने ही पहले पहल अपने लोगों को पशुपालन सिखाया, कृषि करना सिखाया, फर्स्ट ‘ट्रॉपिकल कैलेंडर’ का निर्माण किया व उसके अनुसार ही कृषि चक्र का निर्माण भी।

कृषि भूमि के लिए इन्होंने घने जंगल को जलाया और साफ किया और उसे मैदान का रूप दिया, जब जंगल जले तो उस आग से ‘पछैअम्मा(Pacchaiamma)’ देवी का जन्म हुआ जो कृषि की देवी कहलाई। और जो जंगल जल कर मैदान का रूप ली उस भूमि/मैदान को ‘मारुतन'(Marutham)’ कहा गया।

इस तैयार कृषि भूमि में पहले पहल बाजरा और शकरकंद की खेती की गई। और जब कृषि का विस्तार हुआ तो एक साम्राज्य खड़ा होने लगा, और जब साम्राज्य खड़ा होने लगा तो अपने साम्राज्य व प्रजा को बचाने हेतु सुरक्षा हेतु भी चिंता हुई, जिसके लिए मार्शल आर्ट की भी शुरुआत हुई।
मुरुगन हमेशा मयूर, मुर्गा, कोबरा और बकरी के साथ दिखाई देते हैं जो कृषि के साथ-साथ गुरिल्ला युद्ध का भी परिचायक है।

मुरुगन माता ‘वल्ली(Valli)’ से विवाह करते हैं जो कृषि की देवी है। वल्ली या वेल्ली(Velli) का मतलब ‘शुक्र(venus)’ भी होता है तमिल में! मुरुगन और वल्ली के ब्याह को प्रतिवर्ष बड़े धूमधाम से मनाया भी जाता है।

इसके अलावा ‘मीनाक्षी’ भी बहुत पूजनीय है। मीनाक्षी मछली से उत्पन्न हुई मानी जाती है जो समुद्र से संबंध रखती है। लक्ष्मी जी भी समुद्र से। इन दोनों का संबंध समुद्र याने खारे जल से है। मीनाक्षी, लच्छीअम्मा, वल्ली ये आपस में भी एक दूसरे को समर्पित या एक दूसरे के टर्म में भी प्रयोग होते हैं।

मुरुगन के प्रमुख अस्त्र में से एक ‘इरुतलाई मुक्कोल (Iruthalai Mukkol)’ है, इरुतलाई का मतलब होता है ‘डबल हेडेड’ और मुक्कोल का मतलब होता है ‘त्रिशूल’! याने कि डबल हेडेड त्रिशूल।

ये इतना काफी है और बाकी का विस्तार आप स्वयं भी कर सकते हैं।
अब आते है ‘मर्दुक’ पर…

ये बेबोलीन के सबसे प्रमुख देवता की गिनती में आते हैं, ये Enki और Damkina के पुत्र माने जाते हैं।

इसमें और एक कैरेक्टर को जानना जरूरी है और वो है ‘तियामत(Tiamat)’ .. अब नीचे एक कहानी दे रहा जिससे कि जरा समझने में आसानी होगी…

“बेबीलोन के मिथकों में तियामत विशालकाय मादा ड्रेगन है, समंदर के उद्वेग का प्रतीक.. समस्त देवताओं और देवियों में आदिकालीन और उनकी माता… समुद्र याने खारे जल की बेटी या देवी.. उसका पति है आपजु (Apzu), धरती के नीचे ताजा जलराशि (मीठे जल) का देवता।

याने मीठे जल का देवता, उन दोनों के सहवास से देवताओं की पहली जोड़ी पैदा हुई जिनका नाम था लछमू और लछामू… ये थे अंसार (Ansar) और किसार (Kishar) के माता पिता, यानी अनु और इयार के दादा दादी… 2000 बीसीई पूर्व लिखे गए अनुमा एलिश नाम के ग्रन्थ में उल्लेख है कि उनकी संतानों ने तियामत और आपजु को अत्यधिक परेशान किया.. नतीजतन, लछमू और लछामू ने बच्चों को खत्म करने की साजिश रची… इया को पता चलते ही उसने सोते वक्त आपसु को मार डाला।

गुस्सा भड़का और तियामत ने पति की मौत का बदला लेने की ठानी, उसने दैत्याकार जीवों की सेना तैयार की. तियामत का नया कमांडर किंगू(Kingoo) था, वही उसका बेटा भी था… आखिरकार तियामत मर्दुक(Marduk) नाम के ताजा झील वाले बेबीलोन के युवा देवता से हार गई. मर्दुक ने इमहल्लु (डबल हेडेड त्रिशूल) से तियामत का शरीर दो टुकड़ों में काट दिया।
जिस्म के ऊपरी हिस्से से आकाश और निचले हिस्से से धरती बनी. तियामत के शरीर के पानी से बादल बने और आँसुओं से टिगरिस और यूफ्रेट्स के जलस्रोत। बाद में किंगू की भी मौत हो गई और उसके रक्त से मर्दुक ने पहले इंसान को बनाया.”

Marduk को Maruduk या Marutuk नाम से भी जाना जाता है।

मर्दुक सरपानित (Sarpanit) नाम की कन्या से शादी करता है। सरपानित का अर्थ होता है ‘ The Shining one’ इनको Venus ग्रह से संबंध किया जाता है। इनको “creatress of seed” याने बीजों के उत्पत्ति की देवी भी कहा जाता है। मने इनसे कृषि की शुरुआत हुई।.. इनके विवाह को बेबोलोन में प्रत्येक वर्ष नए वर्ष के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
मर्दुक का वाहन ‘mushussu (मुशुस्सू)’ ड्रैगन है। जो कि एक हाइब्रिड जानवर है। जो कोबरा, मुर्गा, बकरी और मोर का कम्बीनेशन है।

मर्दुक का प्रमुख अस्त्र ‘इमहल्लु(Imhullu)’ है जो कि डबल हेडेड त्रिशूल है।

अब तो बहुत कुछ दिमाग में चल रहा होगा।

अब इन दोनों कहानी में जो मुख्य-मुख्य ध्यान देने वाली बात जो है उसको हम पकड़ते हैं..
पहले मुरुगन ही ..
रोमन में .. Murugan .. इन्होंने जो जंगल जला के मैदान बनाये वो Marutham कहलाया।
इधर Marduk का दूसरा नाम Marutuk भी है।
मने, Maruthan = Marutuk = Marduk

मुरुगन ने वल्ली से ब्याह किया। वल्ली जैसा बताया कि वीनस से संबंध है इनका। और मर्दुक की पत्नी सरपानित का भी संबंध वीनस से। सरपानित का मतलब ‘द शाइनिंग वन’ होता है। इसमें जरा तियामत को भी जोड़ लेते हैं। तियामत का मतलब ‘The glistening one’ होता है। मने कि एकदम चमकता हुआ।

Tiamat का जरा संधि विच्छेद कर लेते हैं पहले जरा तमिल फॉर्म में देख लेते हैं..
Theemaatha .. याने thee और Matha
साउथ में ‘त’ को ‘थ’ ही लिखते मने ‘T’ को ‘Th’!
तो अगर हम पढ़ेंगे तो इस तरह ‘तीमाता’।

ती = आग , और
माता = देवी .. मने कि आग की देवी या फिर आग से उत्पन्न देवी।

तो वो देवी कौन हुई? जो मुरुगन आग लगाते है जंगल में और उससे जो देवी जन्म लेती है वो ‘पच्चीअम्मा’ याने कृषि की देवी। जो निश्चित ही glistening one होगी ही। और पच्चीअम्मा को बीजों की देवी कहते हैं।

अब खुद ही देखिये ..
तीमाता = तियामत = पच्चीअम्मा = मीनाक्षी
वल्ली = वीनस = सरपानित !!

मुरुगन का प्रमुख वाहन था मयूर! और साथ में अन्य थे बकरी, मुर्गा और कोबरा।
मर्दुक का प्रमुख वाहन था मुशुस्सू(Mushshussu)!

अब मुकशुस्सू को देखियेगा तो सर और जीभ ‘कोबरा’ का .. सींग और शरीर ‘बकरे’ का .. गर्दन ‘मुर्गे’ का.. पिछला पैर ‘मयूर’ का! जिसे जानबूझकर का ईगल का बताते हैं।

Mushshussu शब्द की उत्पत्ति भी देख सकते हैं.. कोबरा ध्वनि निकालता है wuuusssshhh..wuuusshhhh की.. और प्राकृतिक ध्वनि ही शब्द की उत्पत्ति होती है.. ‘wuu’ को ‘muu’ से रिप्लेस किया गया.. जो कि Mushshussu हो गया।

मुरुगन के प्रमुख अस्त्र में से एक इरुतलाई मुक्कोल था मने डबल हेडेड त्रिशूल।
और मर्दुक का Imhullu ! ये भी डबल हेडेड त्रिशूल।
Iruthalai Mukkol = Imkol = Imhullu !
जिस तरह मर्दुक तियामत ड्रैगन को मारते हैं वैसे ही इंद्र भी ‘वृत्र'(Vritra) नाम के विशालकाय विषैले सर्प को मारते हैं जो स्वर्ग के जलाशय को दूषित कर रहा होता है। जिसके चलते कभी-कभी मर्दुक की तुलना इंद्र से कर देते हैं लेकिन बाकी के अन्य चीजें इनसे मेल नहीं खाती।

चलिये जरा मत्थापच्ची करते हैं… अगर मुरुगन मर्दुक हैं तो मर्दुक इंद्र नहीं हो सकते। अगर मुरुगन मर्दुक हैं तो मुरुगन द्रविड़ियन होंगे? अगर मुरुगन ही मर्दुक है तो या तो मुरुगन श्रीलंका से बेबीलोन गए होंगे या फिर मर्दुक बेबीलोन से श्रीलंका आया होगा!? मुरुगन पहले पहल जंगल जलाता है व उसे कृषि भूमि में परिवर्तित करता है.. फिर अपने लोग व राज्य की रक्षा हेतु अन्य चीजों का गठन करते हैं डकैतों, चोरों, लुटेरों आदि से बचाने हेतु!

तो ये डकैत, लुटेरे, चोर कौन हुए फिर? वल्ली से ब्याह के समय वो वहाँ के लोकल ट्राइब्स से युद्ध भी करते हैं। मने वहाँ लोग पहले से भी थे। मने उन लोगों के लिए मुरुगन बाहरी हुए। लेकिन तमिल तो उन्हें सबसे पुराने भगवान में से एक मानते। और यही तमिल आर्य-द्रविड़ सिद्धांत को ज्यादा हवा देते।
एक तरफ हो गया मेसोपोटामिया और दूसरे तरफ हो गया सिंधु घाटी! और बीच में हो गया पर्सिया याने ईरान। और यहीं के रहवासी कहलाये आर्य। याने आर्यों ने मेसोपोटामिया को भी ध्वस्त कर दिया और सिंधु घाटी को भी? और आर्यों ने जब इतने बड़े-बड़े सभ्यताओं को ध्वस्त कर दिया तो वे दक्षिण को काहे नहीं ध्वस्त कर दिए ? या अब तक नहीं कर पाये हैं??
खैर नीचे की दो पैराग्राफ को ज्यादा न लेते हुए ऊपर की बातों को ज्यादा सोचिये।
मेसोपोटामिया से सुदूर दक्षिण को स्वयं ही देखिये फिर आर्य-द्रविड़ का सिद्धांत भी। और बीच में हलेलुइया का भी।
……क्रमशः