कहीं आपने देखा है ऐसा ‘गौ सेवक’?

दीपक फर्सवाण

कहीं आपने देखा है ऐसा ‘गौ सेवक’ –

राजधानी दून के छरबा गांव में एक गौ सेवक रुमीराम जसवाल पिछले 10 सालों से बेसहारा गौ वंश की सेवा के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाए बैठा है। उस पर बैंक सहित तमाम लोगों का 45 लाख से अधिक का कर्ज हो चुका है। गौ सेवा के प्रण को निभाने के लिए अपनी और भाई की 10 बीघा जमीन बेच चुका है। खुद को गौ सेवकों की पार्टी कहने वाले भाजपा की उत्तराखण्ड सरकार न तो इसका पूरा बकाया अदा कर रही है और न ही गौ सेवा के लिए कोई सहयोग कर रही है।
यह सबकुछ तब हो रहा है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पद्म पुरुस्कारों के लिए ऐसे व्यक्तियों का चयन किया है जो निस्वार्थ भाव से समाज सेवा में जुटे हुए हैं। जनवरी 2019 में महाराष्ट्र के बीड जिले के शिरूर कासार तालुका निवासी 58 वर्षीय शब्बीर सैय्यद को गौस सेवा के लिए पद्मश्री से सम्मानित कर यह संदेश देने का काम किया था कि इस तरह के लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। रुमीराम जसवाल छरबा के ग्राम प्रधान रह चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2009 में भदराज गौ धाम गौशाला समिति गठित की। गांव के 42 लोग उनके साथ थे। सहसपुर थाना पुलिस ने अगले ही दिन तस्करी कर वध के लिए ले जाई जा रही 42 गायों को पकड़ कर समिति को सौंप दिया। तब से लगातार देहरादून जिले की पुलिस आवास गायों को इस समिति को सौंपती आई है। गो वंश संरक्षण और पुश अधिनियम के तहत पुलिस को प्रति वयस्क गो वंश के पालन के लिए 201 रुपया और प्रति छोटे गोवंश के लिए 167 रुपया प्रति दिन का भुगतान करना होता है। जब समिति को कोई भुगतान नहीं हुआ तो मामला डीएम की अदालत में गया। 2010 में तत्कालीन डीम सचिन कुर्वे की अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि समिति को 2 जाख 65 हजार 820 रुपया प्रति माह की दर से बकाया और आगे का भुगतान किया जाए। आज तक समिति को एक भी पैसा भुगतान नहीं हुआ। पुलिस विभाग ने रूमी राम का मामला बजट की कमी बताते हुए गौ सेवा आयोग को सौंप दिया। आयोग उसे दौड़ाता रहा। आज तक भी गौ सेवा आयोग ने कुछ नहीं दिया। यह देखकर रुमी राम का सहयोग कर रहे लोग भी किनारा कर गए। रुमी राम है कि गौ सेवा का प्रण लिए जीवन की अंतिम सांस तक इस सेवा को चलाते रहनेपर अड़ा हुआ है। भले ही उसे अपना सर्वस्व क्यों न कुर्बान करना पड़े। इधर गौ सेवा के नाम पर उत्तराखण्ड सरकार और उसके अधिकारी जुबानी जमा खर्च करने में जुटे हैं।

अहम बातें _

_ रुमी राम का कहना है कि समित का रजिस्ट्रेशन 2009 में हुआ। जब सरकार से कोई मद्द नहीं मिली तो वो 2015 के बाद पैसों के अभाव में वो रजिस्ट्रेशन जारी रखने की औपचारिकताएं पूरी न कर सके।

_ छरबा ग्राम पंचायत ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव पारित करके भेजा है जिसमें गांव की 100 बीघा भूमि कांजी हाउस के निर्माण के लिए मुफ्त देने की बात कही गई है फिर भी प्रस्ताव पर सरकार ने कोई अमल नहीं किया।

_ कई समाज सेवी और अधिकारी रुमी राम का काम और संकल्प देखकर प्रभावित हैं। वे सीएसआर फाण्ड से कभी कभार उनकी आर्थिक मद्द करते हैं। मौजूदा समय में रूमी राम की गौशाला में 102 गाय और बैल हैं।