फूलों की घाटी पर्यटकों से हुई गुलज़ार 

हरीश मैखुरी
विश्व  धरोहर  फूलों की घाटी इनके दिनों  पर्यटकों से गुलजार  है। फूलों की घाटी मे इस समय तीन सौ से अधिक प्रजाति के फूल के खिलें हुए है। घाटी मे फूलों की इस दुनियां  की खूबसूरती देखते ही बनती है। पर्यटको को घाटी मे परीलोक जैसा अहसास हो रहा है। हर प्रकृतिप्रेमी का सपना होता है कि जीवन मे एकबार जिंदगी  के खूबसूरत  लम्हों को फूलों की घाटी मे जरूर  बिताये।घाटी प्रकृतिप्रेमीयों के लिये स्वर्ग  के समान है। हो भी क्यो नही दुनिया  की इकलौती  जगह जहां पांच सौ से अधिक  प्रजाति  के प्राकृतिक  फूल  खिलते है।साथ ही घाटी दुर्लभ  प्रजाति के वन्यजीव जंतु, पशु-पक्षियों व तितलियों का दुर्लभतम  संसार है।घाटी प्रकृतिप्रेमीयों के अलावा वन्स्पतिशाश्त्रियो की भी पहली  पसंद रही है।
घाटी की खोज 1931 मे प्रसिद्ध  ब्रिटिश  पर्वतारोही फ्रैंक  स्मिथ ने की थी। पर्वतारोहण के बाद रास्ता  भटक  कर यहां पहुंचे। यहां फूलों की सौन्दर्य  देख मंत्रमुग्ध  हो गये ।और कुछ दिन घाटी की हसीनवादियों मे बिताये । उन्होने यहां से फूलों की सैंपल लेकर अपने साथ ले गये और वैली फ्लावर नाम से किताब लिखी । जिसने पूरी दुनिया मे तहलका मचाया ।तभी से घाटी को नयी पहचान मिली। प्रकृति की इस अनमोल खजाने से मारग्रेट लेगी  मे अंतत प्रभावित  थी ।चार साल यहां बिता कर इसी प्रकृति मे विलिन  हो गयी। पर्यटक अपने साथ फूलो की घाटी के हसीन अनुभवों को ले जा रही है। जुलाई अगस्त का महीने मे फूलों की घाटी सभी दुर्लभ प्रजाति के फूल खिले रहते है । इसी समय ही यहां पर्यटको  की भारी भीड़  रहती है। 87.5 वर्ग क्षेत्रफल मे फैली घाटी की जैवविविधता का खजाना  देख पर्यटक  खुस हो रहे है पुण्पावती  की नदी की कल-कल,झर-झर झरते  झरने,फूलों की घाटी सौन्दर्य  पर्यटको  को खासा भारत रहा है।घाटी मे ब्ल्यूपाॅपी, ब्रहमकमल के फूल,को देख पर्यटक देश विदेश से फूलों की घाटी पहुंच रहे है।
एक तरफ मानसून के दस्तक देते ही जहां चारधाम यात्रा मे भारी गिरावट है वही फूलों की घाटी में पर्यटको  का तांता  लगा हुआ है।प्रतिदिन  सैकड़ो  पर्यटक आते रहे है। फूलों की घाटी मे अबतक 3500 से अधिक देशी विदेशी पर्यटक घाटी का दीदार कर चुके है। और लगातार घाटी मे का जमावड़ा लगा हुआ है।जापान का राष्ट्रीय फूल ब्ल्यूपाॅपी के फूल खिलते ही जापान सहित एशियाई देशो के पर्यटक आते रहे है।राज्य का पुण्प ब्रहमकमल भी भारी मात्रा मे खिल गये  है। दुर्लभ प्रजाति के पशु-पक्षी, उड़ान  भरती  तितली भी अनोखी छटा बिखेर रही है।पर्यटको के मुंह  से इस खूबसूरती के लिये  कोई  शब्द  नही निकल रहे है।