हरीश मैखुरी
देश मोदी से युद्ध चाहता है कि विकास? जाहिर है मोदी युद्ध लड़ेगा तो विकास के काम छूट जायेंगे। और जो लोग आज युद्ध के लिए उकसाने पर लगे हैं, वही देश पर अनावश्यक युद्ध थोपने का आरोप लगाकर मोदी को खलनायक बना देंगे। मोदी इस समय भारत के पुनरुत्थान की आधारशिला रख रहे हैं, ये बात वामपंथियों चरमपंथियों और आक्रांताओं के गठजोड़ को रास नहीं आ रही है। देश बदल रहा है संवरने लगा है इसलिए बीफ पार्टी छकने वाले गठजोड़ को मिर्ची लगी है। ये वही लोग हैं जिन्होंने साठ साल देश को जातिवादी आरक्षण की आग में झोंक के रखा, अब अचानक आरक्षण खत्म करने की मांग करने लगे ताकि आरक्षण खत्म होते ही एक बड़ा धड़ा मोदी को छोड़ कर उनके साथ होले। ये वही लोग हैं जिन्होंने हज सब्सिडी दी, अब मोदी से इसे खत्म करने की मांग करते हैं । और ये वही लोग हैं जिन्होंने पाकिस्तान बनाया और अब उससे युद्ध करने के लिए उकसाने पर लगे हैं।
जिन लोगों कश्मीर पर अनुच्छेद 370 की व्यवस्था कर भारत के माथे पर कलंक का टीका लगा रखा है। और हां ये अफजल गुरू कसाब की फांसी पर रोने वाले और पैटल गन का विरोध करने वाले अलगाववादियों के साथी हैं। बस हम को तय करना है कि हम भारत के साथ हैं कि इन उकसाने वालों के। मैं साफ देख रहा हूँ इंदिरा शासन के बाद पहली बार पाकिस्तान की पैंट गीली पीली हो रही है। हम मोदी से अपने देश और सैनिकों की सुरक्षा एक साथ चाहते हैं। हम उकसावे पर नहीं बल्कि अपनी पूरी क्षमता का युद्ध चाहते हैं । हम नक्शल व पाक बर्बरता में मारे गए सैनिकों का बदला चाहते हैं। पर हम हिंसा का ऐसा समाधान भी चाहते हैं कि दुश्मन फिर फिर कभी फन न उठा सकें। विश्वास रखें मोदी डोभाल की जोड़ी उसी दिशा में काम कर रही हैं। अब हथियारों से भी बड़ा युद्ध कूटनीति से लड़ा जाता है। हथियार बर्बर युग की देन हैं। फिर भी इन तीन सालों में भारत ने अपनी मारक छमता पिछले साठ सालों की अपेक्षा 100 गुनी बढा दी। एके 47 जैसे पिछड़े हथियार के लिए तरसने वाले अपने सैनिकों को हाईटेक बना दिया है। अब हमारे सैनिक हथियार की कभी से नहीं देश में छिपे गद्दारों की वजह से मर रहे हैं, इन्हें पहचानो।