तवांग सीमा पर चीनी सैनिकों ने चली चाल तो भारतीय सैनिकों ने दिखाया अपना कमाल। पहले डोकलाम, फिर गलवान और अब तवांग…. भारतीय सेना ने चीन को अच्छा मज़ा चखाया है

तवांग में आमने-सामने के क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया. घायल चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में अधिक है. चीनी लगभग 300 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन भारतीय पक्ष के भी तैयार होने की उम्मीद नहीं थी. – स्रोतयह 9 दिसंबर का किस्सा है….अरुणाचल प्रदेश के तवांग के यांगतसे इलाके में LAC पर भारतीय सेना पेट्रोलिंग कर रही थी…यह इलाका बड़ी बड़ी Peaks वाला है… आस पास 16-17000 फ़ीट ऊंची चोटियां हैं.

अब चीन वालों को पता नहीं क्या हुआ….शायद किसी खुराफ़ात का इरादा था.. एकाएक 300 से ज्यादा चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसे और 17000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित एक post पर कब्ज़ा करने के लिए बढ़ने लगे… उन्हें लगा था कि उस post पर बहुत ही कम संख्या में भारतीय सैनिक होंगे… उन पर हमला कर के post पर कब्ज़ा कर लेंगे आराम से.

उधर भारतीय फौजियों ने यह movement देखा.. और थोड़ी ही देर में वहाँ Mirror Deployment जैसा नजारा था… मतलब चीन के बराबर ही सैनिक हमारे भी आ गए थे। 

यह देख PLA हक्कीबक्की रह गयी थी… फिर बहस हुई.. जो गाली गलौच और हाथपाई तक बढ़ी….. इसमें भारत के 6 सैनिक घायल हुए.. जो अभी गुवाहाटी हॉस्पिटल में हैं… वहीं चीन के 20 से ज्यादा सैनिक घायल हुए हैं…. वो पता नहीं कहाँ हैं… हो सकता है साल 6 महीने बाद उनकी कोई ख़बर आये.. चीन की बामपंथी सरकार ऐसे ही अपने नुकसान की ख़बर छुपाती रहती है। 

इस पूरी घटना में सबसे महत्वपूर्ण बात है बेहतर Infrastructure की वजह से तुरंत Troops का Deployment होना… कुछ ही घंटो में हमारे सैकड़ों जवान उस चोटी पर थे…जहाँ वैसे जाने में कई घंटे या दिन लग जाते। 

पहले डोकलाम, फिर गलवान और अब तवांग…. भारतीय सेना ने चीन को अच्छा मज़ा चखाया है…. पिछले ही साल अक्टूबर में यांगतसे में ही ऐसी झड़प हुई थी… तब भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिकों को पकड़ कर detain कर लिया था…PLA ने कई दिन मिन्नतें की थी, तब जा कर छोड़ा था।

तवांग झड़प प्रकरण में जहां ओवैसी और कांग्रेस मिलकर भारतीय जनता पार्टी की मोदी को घेरने की कोशिश की वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा इस झड़प में ना कोई सैनिक हताहत हुआ मारा गया ना घायल हुआ यूं कहें कि तवांग में दगाबाज़ चीन ने चली चाल भारतीय सेना ने उतार दी खाल तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अब भारत १९६२ जैसे  हिंदी चीनी भाई भाई के झांसे में नहीं आता भारत घुस कर मारता है। चीन के दांत खट्टे कर देता है। 

 दिन चीन के लिए अच्छा नहीं था… इधर तवांग में नाक कटी.. उधर अफ़ग़ानिस्तान में चीनी लोगों के होटल में Suicide attack हो गया… UN में आतंकवादियों का पक्ष लेने वालों को पता लगने लगा है, कि आतंकवाद होता क्या है… और यह तो शुभारम्भ है।