पहाड़ी शैली के उत्तराखंडी ताप नियंत्रक स्वास्थ्य रक्षक घर : तेजी से लुप्त हो रही हैं ऐसे घर बनाने वाले मिस्त्रियों की पीढ़ी

पहले उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे घर सर्वत्र मिल जाते थे घर बनाने की यही विधि थी यह घर ऑटो क्लाइमेट होते थे यानी मौसम को घर के भीतर रेगुलेट करते हैं। गर्मियों में ठंडे और जाड़ों में गर्म होते हैं ऐसे घर। इनकी छतों को ढालदार पठालों से इसलिए छवाया जाता था ताकि इन पर बर्फ ना जमे। क्या ऐसा घर बनाने वाला मिस्त्री मिल जायेंगे पहाड़ में, कितने में बनेगा ऐसा घर, अब तो लोगों ने पहाड़ों में पुराने पत्थर के पारम्परिक घर तोड़कर सीमेंट के बना दिए हैं, सीमेंट के घर तो गर्मियों में गर्म और सर्दियों में ठन्डे होते हैं, पहाड़ों के लिए पारम्परिक घर ही उत्तम होते हैं, वहीं की लकड़ी वहीं का गारा माटा और भवन निर्माण सामग्री और भवन शैली। लेकिन आज इस स्थानीय उत्तम तकनीक के घर बनाने वाले मिस्रियों की पीढ़ी तेजी से समाप्त हो रही है, जब तक हम इन घरों की महत्ता कूलर ही हानिकारक स्थिति समझेंगे तब तक इन घरों को बनाने वाले लोग धरती से विदा हो चुके होंगे इसलिए आवश्यक है कि ऐसे घर बनाने वाले मिस्रियों को सरकार पेंशन दे उनको प्रमोट करें और ऐसे घर बनाने को बढ़ावा दे होमस्टे में भी ऐसे घर बनाने के लिए लोन दिया जाए✍️हरीश मैखुरी