वेद नेत्र पंचाग एवं आपका राशि फल, भगवान राम से कृष्ण तक की यात्रा ही जीवन का मर्म है, विवाह अतीव महत्वपूर्ण संस्कार है दिखावा एवं सौदा नहीं बनायें, सुरक्षित जोशीमठ संदेश : दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रतियोगिता का मुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन

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                     *श्री हरिहरौ*

                   *विजयतेतराम*

                     *सुप्रभातम*

               *आज का पञ्चाङ्ग*

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*_रविवार, ९ अप्रैल २०२३_*

सूर्योदय: 🌄 ०६:१७

सूर्यास्त: 🌅 ०६:४३

चन्द्रोदय: 🌝 २२:०१

चन्द्रास्त: 🌜०७:४३

अयन 🌖 उत्तरायणे

 (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🎋 बसंत

शक सम्वत:👉१९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०८० (पिंगल)

मास 👉 वैशाख

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि👉तृतीया(०९:३५से चतुर्थी

नक्षत्र 👉 विशाखा (१४:००

 से अनुराधा)

योग 👉 सिद्धि (२२:१४ से

 व्यतीपात)

प्रथम करण👉विष्टि(०९:३५ तक)

द्वितीय करण👉बव(२१:०९ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

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सूर्य 🌟 मीन

चंद्र 🌟 वृश्चिक(०८:०१ से)

मंगल 🌟 मिथुन

 (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध🌟कुम्भ(उदित,पश्चिम,मार्गी)

गुरु🌟मीन(अस्त,पश्चिम,मार्गी)

शुक्र 🌟वृष (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ

 (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५३ से १२:४४

अमृत काल 👉 २७:२५ से २८:५९

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१७

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:३९ से १९:०१

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४० से १९:४८

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५६ से २४:४१

राहुकाल 👉 १७:०५ से १८:४०

राहुवास 👉 उत्तर

यमगण्ड 👉 १२:१९ से १३:५४

होमाहुति 👉 मंगल

दिशाशूल 👉 पश्चिम

अग्निवास 👉 पृथ्वी (०९:३५ तक)

भद्रावास 👉 पाताल (स्वर्ग ०८:०२ से ०९:३५ तक)

चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर ०८:०२ से)

शिववास 👉 क्रीड़ा में (०९:३५ से कैलाश पर)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – उद्वेग २ – चर

३ – लाभ ४ – अमृत

५ – काल ६ – शुभ

७ – रोग ८ – उद्वेग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – शुभ २ – अमृत

३ – चर ४ – रोग

५ – काल ६ – लाभ

७ – उद्वेग ८ – शुभ

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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उत्तर-पश्चिम (पान का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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संकष्ट चतुर्थी आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १४:०० तक जन्मे शिशुओ का नाम विशाखा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (ते, तो) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम अनुराधा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (ना, नी, नू) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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आज के उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – २८:५२ से ०६:१६

मेष – ०६:१६ से ०७:४९

वृषभ – ०७:४९ से ०९:४४

मिथुन – ०९:४४ से ११:५९

कर्क – ११:५९ से १४:२१

सिंह – १४:२१ से १६:४०

कन्या – १६:४० से १८:५७

तुला – १८:५७ से २१:१८

वृश्चिक – २१:१८ से २३:३८

धनु – २३:३८ से २५:४१

मकर – २५:४१ से २७:२२

कुम्भ – २७:२२ से २८:४८

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पञ्चक रहित मुहूर्त

अग्नि पञ्चक – ०५:५७ से ०६:१६

शुभ मुहूर्त – ०६:१६ से ०७:४९

मृत्यु पञ्चक – ०७:४९ से ०९:३५

अग्नि पञ्चक – ०९:३५ से ०९:४४

शुभ मुहूर्त – ०९:४४ से ११:५९

रज पञ्चक – ११:५९ से १४:००

शुभ मुहूर्त – १४:०० से १४:२१

चोर पञ्चक – १४:२१ से १६:४०

शुभ मुहूर्त – १६:४० से १८:५७

रोग पञ्चक – १८:५७ से २१:१८

शुभ मुहूर्त – २१:१८ से २३:३८

मृत्यु पञ्चक – २३:३८ से २५:४१

अग्नि पञ्चक – २५:४१ से २७:२२

शुभ मुहूर्त – २७:२२ से २८:४८

रज पञ्चक – २८:४८ से २९:५६

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज भी दिन विपरीत फल देने वाला रहेगा। स्वयं अथवा किसी पारिवारिक सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर चिंता रहेगी दवाओं पर खर्च बढ़ेगा। कार्य क्षेत्र पर भी परिश्रम के अनुसार लाभ मिलेगा नए कार्य के आरम्भ के विचार को टालना पड सकता है। सरकारी कार्यो में भी धन खर्च होने से आर्थिक कारणों से चिंता रहेगी परन्तु मध्यान के आस-पास थोड़े धन की आमद होने से दैनिक कार्य चलते रहेंगे। परिवार में तालमेल बना रहेगा।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज भी परिस्थितियां आपके अनुकूल रहने से लाभ के कई अवसर मिलेंगे परन्तु अज्ञान की स्थिति अथवा गलत सलाह के कारण लाभ होना संदिग्ध ही रहेगा। बहुप्रतीक्षित अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य पूरा होगा। धन लाभ रुक-रुक कर होता रहेगा। घर में सुख के साधनों की वृद्धि होगी इसपर अधिक खर्च भी रहेगा। नए सम्बन्ध बनने से अतिरिक्त आय के मार्ग भी खुलेंगे। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति से आज पीछे नहीं हटेंगे। 

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आपका आज का दिन मिश्रित फलदायक रहेगा। कार्यो की असफलता अथवा किसी महत्त्वपूर्ण अनुबंध के निरस्त होने से स्वभाव में चिड़चिड़ा पन आ सकता है। वाणी का रूखापन कार्य क्षेत्र एवं घर का वातावरण बिगाड़ेगा। विवेक से कार्य करें दोपहर के बाद किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति से सहयोग मिलने की संभावना है। धन नाश होने के प्रबल योग है इसका भी ध्यान रखें गलत जगह निवेश हो सकता है। स्वास्थ्य में भी उतार चढ़ाव बना रहेगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज आपकी महात्त्वकांक्षाओ की पूर्ती में अड़चने आने से हताश हो सकते है। फिर भी भले-बुरे का विवेक रहने से मानसिक रूप से परेशान नहीं होंगे। कार्य क्षेत्र पर अधिकारी एवं सहकर्मी सहयोग करेंगे निश्चित समय से पहले कार्य पूर्ण कर घरेलु कार्यो में व्यस्त रहेंगे। धार्मिक गतिविधियों में भी सक्रियता दिखाएँगे। आज आप किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्यो से खुद को दूर रखने का हर संभव प्रयास करेंगे जिससे सम्मान के पात्र बनेंगे।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज दिन का पूर्वार्ध नयी उलझने लाएगा। हठी प्रवृति रहने से व्यापार में हानि एवं प्रियजनों से दूरी बढ़ सकती है। महत्त्वपूर्ण कार्य को अनुभवियों के परामर्श के बाद ही करें अन्यथा थोड़े समय के लिए टाल दें। नौकरों के व्यवहार से भी परेशानी हो सकती है। दोपहर के बाद स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आने लगेगी। आपके लिए निर्णय सफल होने से प्रातः जो आपसे विपरीत व्यवहार कर रहे थे वो भी स्वार्थ सिद्धि करने लगेंगे। आकस्मिक धन लाभ होने से राहत मिलेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज भी दिन का अधिकांश समय शांति से व्यतीत होगा। थोड़ी आर्थिक परेशानियां रह सकती है परंतु मानसिक रूप से दृढ़ रहेंगे। जिस भी कार्य को करने की ठानेंगे उसे हानि-लाभ की परवाह किये बिना पूर्ण करके छोड़ेंगे। कार्य क्षेत्र पर अन्य व्यक्ति के हस्तक्षेप से थोड़ी परेशानी एवं बहस हो सकती है। सामूहिक आयोजन में सम्मिलित होने का अवसर भी मिलेगा। बाहर की अपेक्षा घर में समय बिताना पसंद करेंगे।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आप उदासीनता युक्त जीवन जीयेंगे। पेट सम्बंधित शिकायत रहने एवं अन्य शारीरिक कष्ट के कारण शरीर शिथिल रहेगा। मन के अनुसार कार्य नहीं होंगे। कार्यो में विलम्ब के कारण परेशानियां होंगी। सरकारी कार्यो में भी अल्प सफलता मिलेगी। आस पास का वातावरण भी विरोधाभासी रहने से मन में वैराग्य उत्पन्न होगा। आध्यत्म के प्रति अधिक रुचि दिखाएँगे। परिजनों से शिकायत रहेगी। धन प्राप्ति के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज दिन का प्रारंभिक भाग सुख-शांति से बितायेंगे। मन खुश रहने से आसपास का वातावरण भी हास्यमय बनाएंगे। मित्र प्रियजनों के साथ भविष्य की योजनाओं पर खुल कर विचार करेंगे। परन्तु दोपहर के समय स्थिति एक दम उलट हो जायेगी। किसी मनोकामना के अपूर्ण रहने से ठेस पहुंचेगी इससे उबरने में भी थोड़ा समय लगेगा। आज स्वभाव में ज्यादा खुलापन भी ना रखें मन का भेद अन्य को देने से हानि भी हो सकती है। परिजनों से लाभ होने की संभावना है।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आपको प्रत्येक कार्य में सावधानी रखने की सलाह है। जल्दबाजी में लिए गए निर्णय के कारण धन के साथ सम्मान की भी हानि हो सकती है। कार्य क्षेत्र पर काम कम रहेगा ऊपर से अप्रिय घटनाओं के कारण दुविधा की स्थिति बनेगी। किसी पारिवारिक सदस्य के गलत आचरण से मन दुखी रहेगा मन में गलत विचार की भरमार रहने से सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। सर अथवा अन्य शारीरिक अंग निष्क्रिय होते अनुभव होंगे। धैर्य से समय बिताएं।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज दिन का पूर्वार्ध आशा से अधिक शुभ रहेगा। आज के दिन आकस्मिक घटनाएं अधिक घटित होंगी चाहे वो आर्थिक या पारिवारिक हों। नौकरी पेशा जातको को भी मेहनत का फल मिलेगा सम्मान में वृद्धि के साथ आय के मार्ग खुलेंगे। बेरोजगारों को थोड़ा प्रयास करने पर रोजगार उपलब्ध हो सकता है। खर्च भी अचानक होने से थोड़ी असहजता रहेगी परन्तु स्थिति पूर्ण रूप से आपके नियंत्रण में ही रहेगी। भाग्योन्नति के योग बनेगे। सेहत सामान्य रहेगी मनोरंजन पर खर्च बढेगा।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज आपको अनुकूल फल मिलेंगे लेकिन कुछ समय के लिए विपरीत फल मिलने से मन में नकारत्मकता भी रहेगी। कार्य को करने से पहले ही हार मान लेने से सफलता की उम्मीद भी अल्प रहेगी। आज किसी व्यक्ति का ना चाहते हुए भी सहयोग अथवा कोई अप्रिय कार्य करना पडेगा। परिवार में आपसी मतभेद रहने से तालमेल नहीं बैठा पाएंगे। एकदम से ख़ुशी अगले ही पल दुःख वाली स्थिति दिन भर रहेगी। धन के कारण मनोदशा में विकृत आ सकती है। सेहत पर ध्यान दें।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन धन की कमी रहने पर भी खुश रहने का सफल प्रयास करेंगे। सेहत में सुधार आएगा परिजनों से भावनात्मक सम्बन्ध रहने से मन को शान्ति मिलेगी। परन्तु आज प्रेम प्रसंगों से दूरी बनाना ही बेहतर रहेगा अन्यथा धन और पारिवारिक मान हानि हो सकती है। किसी मांगलिक आयोजन अथवा अन्य कारण से अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा फिर भी आनंददायक वातावरण मिलने से खर्च व्यर्थ नहीं लगेगा। स्त्री पक्ष से विशेष निकटता रहेगी आध्यात्म में निष्ठा बढ़ेगी।

*:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-*माता शबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते?”

राम गंभीर हुए। कहा, “भ्रम में न पड़ो अम्मा! राम क्या रावण का वध करने आया है? छी… अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से वाण चला कर भी कर सकता है। राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन में आया है तो केवल तुमसे मिलने आया है अम्मा, ताकि हजारों वर्षों बाद जब कोई पाखण्डी भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था !जब कोई कपटी भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो तो काल उसका गला पकड़ कर कहे कि नहीं ! यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक दरिद्र वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है। राम वन में बस इसलिए आया है ताकि जब युगों का इतिहास लिखा जाय तो उसमें अंकित हो कि सत्ता जब पैदल चल कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे तभी वह रामराज्य है। राम वन में इसलिए आया है ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतिक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं !!!

सबरी एकटक राम को निहारती रहीं। राम ने फिर कहा- ” राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता! राम की यात्रा प्रारंभ हुई है भविष्य के लिए आदर्श की स्थापना के लिए। राम आया है ताकि भारत को बता सके कि अन्याय का अंत करना ही धर्म है l राम आया है ताकि युगों को सीख दे सके कि विदेश में बैठे शत्रु की समाप्ति के लिए आवश्यक है कि पहले देश में बैठी उसकी समर्थक सूर्पणखाओं की नाक काटी जाय, और खर-दूषणो का घमंड तोड़ा जाय। और राम आया है ताकि युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं बल्कि वन में बैठी सबरी के आशीर्वाद से जीते जाते हैं।”

सबरी की आँखों में जल भर आया था। उसने बात बदलकर कहा- कन्द खाओगे राम?

राम मुस्कुराए, “बिना खाये जाऊंगा भी नहीं माता …”

सबरी अपनी कुटिया से झपोली में कन्द ले कर आई और राम के समक्ष रख दिया। राम और लक्ष्मण खाने लगे तो कहा- मीठे हैं न प्रभु?

यहाँ आ कर मीठे और खट्टे का भेद भूल गया हूँ अम्मा! बस इतना समझ रहा हूँ कि यही अमृत है…

सबरी मुस्कुराईं, बोलीं- “सचमुच तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो राम! गुरुदेव ने ठीक कहा था…”

राम का घर छोड़ना एक षड्यंत्रों में घिरे राजकुमार की करुण कथा है और

कृष्ण का घर छोड़ना गूढ़ कूटनीति।

राम जो आदर्शों को निभाते हुए कष्ट सहते हैं,
कृष्ण षड्यंत्रों के हाथ नहीं आते, बल्कि स्थापित आदर्शों को चुनौती देते हुए एक नई परिपाटी को जन्म देते हैं।

श्रीराम से श्री कृष्ण हो जाना एक सतत प्रक्रिया है….

राम को मारिचि भ्रमित कर सकता है,
लेकिन कृष्ण को पूतना की ममता भी नहीं उलझा सकती।

राम अपने भाई को मूर्छित देखकर ही बेसुध बिलख पड़ते हैं, लेकिन कृष्ण अभिमन्यु को दांव पर लगाने से भी नहीं हिचकते

राम राजा हैं, कृष्ण राजनीति…
राम रण हैं, कृष्ण रणनीति…

राम मानवीय मूल्यों के लिए लड़ते हैं,
कृष्ण मानवता के लिए…

हर मनुष्य की यात्रा राम से ही शुरू होती है और
समय उसे कृष्ण बनाता है।

व्यक्ति का कृष्ण होना भी उतना ही आवश्यक है,
जितना राम होना..।

लेकिन राम से प्रारंभ हुई यह यात्रा तब तक अधूरी है,
जब तक इस यात्रा का समापन कृष्ण पर न हो।

हरि अनंत हरि कथा अनंता….
एक युद्ध…खुद के विरुद्ध और सही..✍️
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹

एक कटु सत्य..!

रिश्ते तो पहले होते थे। अब रिश्ते नहीं सौदे होते हैं। बस यहीं से सब कुछ गङबङ हो रहा है।

किसी भी माँ बाप मे अब इतनी हिम्मत शेष नही बची कि बच्चों का रिश्ता अपनी मर्जी से कर सकें।

पहले खानदान देखते थे। सामाजिक पकङ और सँस्कार देखते थे और अब ….

मन की नही तन की सुन्दरता , नोकरी , दौलत , कार , बँगला।

साइकिल , स्कूटर वाला राजकुमार किसी को नही चाहिये । सब की पसंद कारवाला ही है। भले ही इनकी संख्या 10% ही हो ।

लङके वालो को लङकी बङे घर की चाहिए ताकि भरपूर दहेज मिल सके और लङकी वालोँ को पैसे वाला लङका ताकि बेटी को काम करना न पङे।

नोकर चाकर हो। परिवार छोटा ही हो ताकि काम न करना पङे और इस छोटे के चक्कर मे परिवार कुछ ज्यादा ही छोटा हो गया है।

पहले रिश्तो मे लोग कहते थे कि मेरी बेटी घर के सारे काम जानती है और अब….

हमने बेटी से कभी घर का काम नही कराया यह कहने में शान समझते हैं।

इन्हें रिश्ता नही बेहतर की तलाश है। रिश्तों का बाजार सजा है गाङियों की तरह। शायद और कोई नयी गाङी लांच हो जाये। इसी चक्कर मे उम्र बढ रही है। अंत मे सौ कोङे और सौ प्याज खाने जैसा है

अजीब सा तमाशा हो रहा है। अच्छे की तलाश मे सब अधेङ हो रहे हैं।

अब इनको कौन समझाये कि एक उम्र मे जो चेहरे मे चमक होती है वो अधेङ होने पर कायम नही रहती , भले ही लाख रंगरोगन करवा लो ब्युटिपार्लर मे जाकर।

एक चीज और संक्रमण की तरह फैल रही है। नोकरी वाले लङके को नोकरी वाली ही लङकी चाहिये।

अब जब वो खुद ही कमायेगी तो क्यों आपके या आपके माँ बाप की इज्जत करेगी.?

खाना होटल से मँगाओ या खुद बनाओ

बस यही सब कारण है आजकल अधिकाँश तनाव के

एक दूसरे पर अधिकार तो बिल्कुल ही नही रहा। उपर से सहनशीलता तो बिल्कुल भी नहीं। इसका अंत आत्महत्या और तलाक

घर परिवार झुकने से चलता है , अकङने से नहीं.।

जीवन मे जीने के लिये दो रोटी और छोटे से घर की जरूरत है बस और सबसे जरुरी आपसी तालमेल और प्रेम प्यार की लेकिन…..

आजकल बङा घर व बङी गाङी ही चाहिए चाहे मालकिन की जगह दासी बनकर ही रहे।

आजकल हर घरों मे सारी सुविधाएं मौजूद हैं….

कपङा धोने की वाशिँग मशीन

मसाला पीसने की मिक्सी

पानी भरने के लिए मोटर

मनोरंजन के लिये टीवी

बात करने मोबाइल

फिर भी असँतुष्ट…

पहले ये सब कोई सुविधा नहीं थी। पूरा मनोरंजन का साधन परिवार और घर का काम था , इसलिए फालतू की बातें दिमाग मे नहीं आती थी।

न तलाक न फाँसी

आजकल दिन मे तीन बार आधा आधा घँटे मोबाइल मे बात करके , घँटो सीरियल देखकर , ब्युटिपार्लर मे समय बिताकर।

मैं जब ये जुमला सुनती हुँ कि घर के काम से फुर्सत नही मिलती तो हंसी आती है। बहनो के लिये केवल इतना ही कहूँगी की पहली बार ससुराल हो या कालेज लगभग बराबर होता है। थोङी बहुत अगर रैगिँग भी होती है तो सहन कर लो।

कालेज मे आज जूनियर हो तो कल सीनियर बनोगे। ससुराल मे आज बहू हो तो कल सास बनोगी।

समय से शादी करो। स्वभाव मे सहनशीलता लाओ। परिवार में सभी छोटे बङो का सम्मान करो। ब्याज सहित वापिस मिलेगा।

आत्मघाती मत बनो। जीवन मे उतार चढाव आता है। सोचो समझो फिर फैसला लो। बङो से बराबर राय लो। उनके उपर और ऊपर वाले पर विश्वास रखो

विचार करे की हम कहा से कहा आ गये..with thanks

क्या आप पंद्रह सौ वर्ष पुराने सोमनाथ मंदिर के प्रांगण में खड़े बाणस्तम्भ की विलक्षणता के विषय मे जानते हैं?
इतिहास’ बडा चमत्कारी विषय है!! इसको खोजते खोजते हमारा सामना ऐसे स्थिति से होता है!!की हम आश्चर्य में पड जाते हैं!!

पहले हम स्वयं से पूछते हैं, यह कैसे संभव है..?

डेढ़ हजार वर्ष पहले इतना उन्नत और अत्याधुनिक ज्ञान हम भारतीयों के पास था!!
इस पर विश्वास ही नहीं होता..!
गुजरात के सोमनाथ मंदिर में आकर कुछ ऐसी ही स्थिति होती है!!
वैसे भी सोमनाथ मंदिर का इतिहास बड़ा ही विलक्षण और गौरवशाली रहा है!!

१२ ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग है सोमनाथ..!

एक वैभवशाली, सुंदर शिवलिंग..!! इतना समृध्द की उत्तर-पश्चिम से आने वाले प्रत्येक आक्रांता की पहली नजर सोमनाथ पर जाती थी!!
अनेकों बार सोमनाथ मंदिर पर हमले हुए!!
उसे लूटा गया। सोना, चांदी, हिरा, माणिक, मोती आदि गाड़ियाँ भर-भर कर आक्रांता ले गए!!
इतनी संपत्ति लुटने के बाद भी हर बार सोमनाथ का शिवालय उसी वैभव के साथ खड़ा रहता था!!

लेकिन केवल इस वैभव के कारण ही सोमनाथ का महत्व नहीं है!!

सोमनाथ का मंदिर भारत के पश्चिम समुद्र तट पर है!! विशाल अरब सागर रोज भगवान सोमनाथ के चरण पखारता है!!और गत हजारों वर्षों के ज्ञात इतिहास में इस अरब सागर ने कभी भी अपनी मर्यादा नहीं लांघी है!!
न जाने कितने आंधी, तूफ़ान आये, चक्रवात आये लेकिन किसी भी आंधी, तूफ़ान, चक्रवात से मंदिर की कोई हानि नहीं हुई है!!

इस मंदिर के प्रांगण में एक स्तंभ (खंबा) है!!
यह बाणस्तंभ” नाम से जाना जाता है!!
यह स्तंभ कब से वहां पर हैं बता पाना कठिन है!! लगभग छठी शताब्दी से इस बाणस्तंभ का इतिहास में नाम आता है!!लेकिन इसका अर्थ यह नहीं की बाणस्तंभ का निर्माण छठवे शतक में हुआ है!!

उस के सैकड़ों वर्ष पहले इसका निर्माण हुआ होगा!!

यह एक दिशादर्शक स्तंभ_है!! जिस पर समुद्र की ओर इंगित करता एक बाण है!!
इस बाणस्तंभ पर लिखा है – आसमुद्रांत दक्षिण धृव पर्यंत अबाधित ज्योतिरमार्ग.’

इसका अर्थ यह हुआ, इस बिंदु से दक्षिण धृव तक सीधी रेखामें एक भी अवरोध या बाधा नहीं_है अर्थात,इस समूची दूरी में जमीन का एक भी टुकड़ा नहीं है।
यह ज्ञान इतने वर्षों पहले हम भारतीयों को था..?
कैसे संभव है.? और यदि यह सच हैं, तो कितने समृध्दशाली ज्ञान की वैश्विक धरोहर हम संजोये हैं..!

संस्कृत में लिखे हुए इस पंक्ति के अर्थ में अनेक गूढ़ अर्थ समाहित हैं!!
इस पंक्ति का सरल अर्थ यह हैं!!की…
#सोमनाथ_मंदिर के उस बिंदु से लेकर दक्षिण धृव तक (अर्थात अंटार्टिका तक), एक सीधी रेखा खिंची जाए तो बीच में एक भी भूखंड नहीं आता है!!

क्या यह सच है..? आज के इस तंत्रविज्ञान के युग में यह ढूँढना संभव तो है, लेकिन उतना आसान नहीं।

गूगल मैप में ढूंढने के बाद भूखंड नहीं दिखता है!!

लेकिन वह बड़ा भूखंड. छोटे, छोटे भूखंडों को देखने के लिए मैप को ‘एनलार्ज’ या ‘ज़ूम’ करते हुए आगे जाना पड़ता है!!

वैसे तो यह बड़ा ही ‘बोरिंग’ सा काम हैं. लेकिन धीरज रख कर धीरे-धीरे देखते गए तो रास्ते में एक भी भूखंड

अर्थात 10 किलोमीटर X 10 किलोमीटर से बड़ा भूखंड. उससे छोटा पकड में नहीं आता हैं!!नहीं आता है। अर्थात हम मान कर चले की उस संस्कृत श्लोक में सत्यता है।

किन्तु फिर भी मूल प्रश्न वैसा ही रहता है। अगर मान कर भी चलते हैं की सन ६०० में इस बाण स्तंभ का निर्माण हुआ था, तो भी उस जमाने में पृथ्वी का दक्षिणी धृव है, यह ज्ञान हमारे पुरखों के पास कहांसे आया..? अच्छा, दक्षिण धृव ज्ञात था यह मान भी लिया तो भी सोमनाथ मंदिर से दक्षिण धृव तक सीधी रेषा में एक भी भूखंड नहीं आता है, यह ‘मैपिंग’ किसने किया..? कैसे किया..? सब कुछ अद्भुत..!!

इसका अर्थ यह हैं की ‘बाण स्तंभ’ के निर्माण काल में भारतीयों को पृथ्वी गोल है, इसका ज्ञान था। इतना ही नहीं, पृथ्वी का दक्षिण धृव है (अर्थात उत्तर धृव भी है) यह भी ज्ञान था। यह कैसे संभव हुआ..? इसके लिए पृथ्वी का ‘एरिअल व्यू’ लेने का कोई साधन उपलब्ध था..? अथवा पृथ्वी का विकसित नक्शा बना था..?

नक़्शे बनाने का एक शास्त्र होता है। अंग्रेजी में इसे ‘कार्टोग्राफी’ (यह मूलतः फ्रेंच शब्द हैं.) कहते है। यह प्राचीन शास्त्र है। इसा से पहले छह से आठ हजार वर्ष पूर्व की गुफाओं में आकाश के ग्रह तारों के नक़्शे मिले थे। परन्तु पृथ्वी का पहला नक्शा किसने बनाया इस पर एकमत नहीं है।

हमारे भारतीय ज्ञान का कोई सबूत न मिलने के कारण यह सम्मान ‘एनेक्झिमेंडर’ इस ग्रीक वैज्ञानिक को दिया जाता है। इनका कालखंड इसा पूर्व ६११ से ५४६ वर्ष था। किन्तु इन्होने बनाया हुआ नक्शा अत्यंत प्राथमिक अवस्था में था। उस कालखंड में जहां जहां मनुष्यों की बसाहट का ज्ञान था, बस वही हिस्सा नक़्शे में दिखाया गया है। इस लिए उस नक़्शे में उत्तर और दक्षिण धृव दिखने का कोई कारण ही नहीं था।

आज की दुनिया के वास्तविक रूप के करीब जाने वाला नक्शा ‘हेनरिक्स मार्टेलस’ ने साधारणतः सन १४९० के आसपास तैयार किया था। ऐसा माना जाता हैं, की कोलंबस ने इसी नक़्शे के आधार पर अपना समुद्री सफर तय किया था।

‘पृथ्वी गोल है’ इस प्रकार का विचार यूरोप के कुछ वैज्ञानिकों ने व्यक्त किया था। ‘एनेक्सिमेंडर’ इसा पूर्व ६०० वर्ष, पृथ्वी को सिलेंडर के रूप में माना था। ‘एरिस्टोटल’ (इसा पूर्व ३८४ – इसा पूर्व ३२२) ने भी पृथ्वी को गोल माना था।

लेकिन भारत में यह ज्ञान बहुत प्राचीन समय से था, जिसके प्रमाण भी मिलते है। इसी ज्ञान के आधार पर आगे चलकर आर्यभट्ट ने सन ५०० के आस पास इस गोल पृथ्वी का व्यास ४,९६७ योजन हैं (अर्थात नए मापदंडों के अनुसार ३९,९६८ किलोमीटर हैं) यह भी दृढतापूर्वक बताया। आज की अत्याधुनिक तकनीकी की सहायता से पृथ्वी का व्यास ४०,०७५ किलोमीटर माना गया है। इसका अर्थ यह हुआ की आर्यभट्ट के आकलन में मात्र ०.२६% का अंतर आ रहा है, जो नाममात्र है..! लगभग डेढ़ हजार वर्ष पहले आर्यभट्ट के पास यह ज्ञान कहां से आया..?

सन २००८ में जर्मनी के विख्यात इतिहासविद जोसेफ श्वार्ट्सबर्ग ने यह साबित कर दिया की इसा पूर्व दो-ढाई हजार वर्ष, भारत में नकाशा शास्त्र अत्यंत विकसित था। नगर रचना के नक्शे उस समय उपलब्ध तो थे ही, परन्तु नौकायन के लिए आवश्यक नक़्शे भी उपलब्ध थे।

भारत में नौकायन शास्त्र प्राचीन काल से विकसित था। संपूर्ण दक्षिण आशिया में जिस प्रकार से हिन्दू संस्कृति के चिन्ह पग पग पर दिखते हैं, उससे यह ज्ञात होता है की भारत के जहाज पूर्व दिशा में जावा, सुमात्रा, यवद्वीप को पार कर के जापान तक प्रवास कर के आते थे। सन १९५५ में गुजरात के ‘लोथल’ में ढाई हजार वर्ष पूर्व के अवशेष मिले हैं। इसमें भारत के प्रगत नौकायन के अनेक प्रमाण मिलते हैं।

सोमनाथ मंदिर के निर्माण काल में दक्षिण धृव तक दिशादर्शन, उस समय के भारतियों को था यह निश्चित है। लेकिन सबसे महत्वपूर्व प्रश्न सामने आता है की दक्षिण धृव तक सीधी रेखा में समुद्र में कोई अवरोध नहीं है, ऐसा बाद में खोज निकाला, या दक्षिण धृव से भारत के पश्चिम तट पर, बिना अवरोध के सीधी रेखा जहां मिलती हैं, वहां पहला ज्योतिर्लिंग स्थापित किया..?
आज वर्तमान समय मे पाश्चात्य विज्ञान के प्राबल्य के कारण हम हमारे अर्वाचीन विज्ञान को विस्मृत कर चुके है। इतना सूक्ष्म निरीक्षण तो आज के उन्नत से उन्नत उपग्रह और अन्य मशीन भी नहीं लगा सकते जितना सटीक एवं सूक्ष्म निर्णय युगों पूर्व के विज्ञान ने दिया है।

अगर केवल यह अद्भुत एवं अलौकिक स्तम्भ कही पाश्चात्य देश मे स्थित होता तो पता नहीं कितना प्रचार हों गया होता। अनेको पर्यटन कार्यक्रम और विज्ञान की महत्ता बताने वाले कार्यक्रम आयोजित होते रहते। किन्तु इस भारत वर्ष मे जो की विश्व गुरु है, वही इस प्रकार की अद्भुत बातों का कही प्रचार नहीं, कही प्रसार नहीं।
उस बाण स्तंभ पर लिखी गयी उन पंक्तियों में,
(‘आसमुद्रांत दक्षिण धृव पर्यंत, अबाधित ज्योतिरमार्ग..’)
जिसका उल्लेख किया गया है, वह ‘ज्योतिरमार्ग’ क्या है..?

यह आज भी प्रश्न ही है..!क्योंकि सुदूर दक्षिण में जाने वाले मार्ग का उत्तर काल के थपेड़ों में कहीं लुप्त हो गया है!!

*जोशीमठ में शुरू हुई दो दिवसीय औली मैराथन प्रतियोगिता।*

*मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया प्रतियोगिता का उद्घाटन।*

*देश के विभिन्न राज्यों के 300 से अधिक एथलीट्स ने हिस्सा लेकर सुरक्षित जोशीमठ का दिया संदेश।*

उत्तराखंड स्की माउंटेनियरिंग एसोसिएशन एवं स्काई रनिंग एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में जोशीमठ में राष्ट्रीय स्तर की दो दिवसीय मैराथन प्रतियोगिता शनिवार से शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ नरसिंह एवं नव दुर्गा मंदिर प्रांगण से मैराथन प्रतियोगिता का शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को जोशीमठ औली में मैराथन सहित अन्य साहसिक और रोमांचक खेल प्रारंभ होने पर हार्दिक बधाई एंव शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज जोशीमठ औली से हिमालयन मैराथन, फन रेस सहित अन्य खेलों का शुभारंभ होना हमारे लिए गौरव की बात है। हम लगातार उत्तराखंड में ऐसे कार्य, धरातल पर उतारने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे यहां के पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिले। उन्होंने जोशीमठ में इस भव्य आयोजन के लिए सभी आयोजकों एवं इसमें भाग लेने वाले देश विदेश के सभी खिलाड़ियों को भी ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के शुरुआती दिनों में जोशीमठ को लेकर जो भय का माहौल बनाया जा रहा था, आज सब सामान्य है। सरकार ने इस स्थिति से उभरने के लिए सकारात्मक काम किए हैं। इसी का परिणाम है कि 22 अप्रैल से शुरू होने वाली हमारी चारधाम यात्रा के लिए 11.30 लाख से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। उन्होंने कहा इस बार पिछले वर्षों से अधिक संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड के तीर्थ धाम में दर्शन के लिए पहुंचेंगे और पिछले वर्षों के सारे रिकॉर्ड पीछे छूट जाएंगे।

जोशीमठ में आयोजित मैराथन के माध्यम से मुख्यमंत्री ने देश-विदेश के पर्यटकों को संदेश देते हुए आश्वस्त किया कि औली और जोशीमठ पूरी तरह से सुरक्षित है और चार धाम यात्रा के लिए तैयार है। जोशीमठ में आयोजित यह भव्य मैराथन इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष बर्फ ना गिरने के कारण औली में विंटर्स गेम नहीं हो सके, लेकिन आज जोशीमठ में मैराथन के भव्य आयोजन के बाद सभी काम अच्छे होंगे। चारों धामों की पवित्र यात्रा शुरू होने जा रही है। देवभूमि उत्तराखंड सभी तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार है।

स्की माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि औली मैराथन के अंतर्गत स्काई रनिंग और स्काई अल्ट्रा रेस का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें उत्तर प्रदेश उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों के 300 से अधिक एथलीट प्रतिभाग कर रहे हैं। जोशीमठ क्षेत्र के विद्यालय एवं ग्राम सभाओं के लोग भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार जनवरी माह में जोशीमठ आपदा और औली में कम बर्फबारी के कारण विंटर गेम्स का आयोजन संभव न होने से पर्यटन व्यवसाय प्रभावित हुआ है। सुरक्षित जोशीमठ का संदेश पहुंचाने और पर्यटन व्यवसाय को उभारने के लिए औली मैराथन का आयोजन किया जा रहा है।

औली मैराथन के अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट, कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल, थराली विधायक भूपाल राम टम्टा, बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय, बीजेपी के जिला अध्यक्ष रमेश मैखुरी, जोशीमठ नगर पंचायत अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार, ब्लाक प्रमुख हरीश पंवार, गोपेश्वर नगर पालिका अध्यक्ष पुष्पा पासवान, कर्णप्रयाग नगर पालिका अध्यक्ष दमयंती रतूड़ी, स्थानीय जन प्रतिनिधि विनोद कपरवान, ऋषि प्रसाद सती,नितेश चौहान, माधव प्रसाद सेमवाल, रिपुदमन सिंह रावत, अतुल शाह, रोहणी रावत, जगदंबा प्रसाद उनियाल आदि सहित जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोबाल, सीडीओ डा.ललित नारायण मिश्र एवं अन्य अधिकारी व बडी संख्या में क्षेत्रीय जनता उपस्थित थी।