भारत का नक्शा जिस रूप में आज है, वह सरदार बल्लभ भाई पटेल की “लौह इच्छाशक्ति” के साथ ही राजपूत और मराठा राजाओं की स्वैच्छिक सहमति से भी बना है, विवाह को महत्वाकांक्षा और शक्ति प्रदर्शन का आडंबर नहीं अपितु संस्कार बनायें, सच्ची घटनाओं पर आधारित धुरंधर फ़िल्म का एक और पक्ष है जिसके बारे में ज्यादा बात नहीं हो रही है… वो है नकली करेंसी का इकोसिस्टम, देहरादून में होगा जनसंपर्क का “महाकुंभ” 47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशंस कॉन्फ्रेंस 13–15 दिसंबर तक, आज का पंचाग आप का राशिफल

*रिश्तों की बदलती आकृति — एक गंभीर चिंतन* 

केवल 40 दिनों में 150 से अधिक शादियाँ टूट जाना

यह कोई साधारण आँकड़ा नहीं है, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक पतन की स्पष्ट चेतावनी है।

 *मुख्य कारण* — जिन पर आत्ममंथन आवश्यक है :

🔸 *प्री-वेडिंग* शूट का दिखावा, जहाँ मर्यादा से अधिक प्रदर्शन किया जा रहा है,

🔸 सोशल मीडिया पर निजी जीवन की अनावश्यक और *अमर्यादित गतिविधियों* का सार्वजनिक प्रदर्शन,

🔸 संगीत सिखाने आए *कोरियोग्राफर का दखल* जो सीमाओं को लांघ रहा है,

🔸 सोशल मीडिया पर *मर्यादाहीन रील्स* की होड़,

🔸 लड़का-लड़की द्वारा एक-दूसरे के *अतीत* को संदेह की दृष्टि से खंगालना,

🔸 फोन पर घंटों तक निरर्थक और अनुचित *संवाद,* 

🔸 दोनों पक्षों की अत्यधिक और अव्यावहारिक *महत्वाकांक्षाएँ।* 

 *शादियों में बढ़ता आडंबर* :

🔹 दिखावा, शो-बाजी और प्रतिस्पर्धा,

🔹 मांस-मदिरा का खुलेआम प्रदर्शन,

🔹 पूल पार्टी जैसे अशशील आयोजनों का बढ़ता चलन,

🔹 हिंदू धर्म के पवित्र संस्कारों, रीति-रिवाजों को छोड़कर

हर दिन नए-नए अमर्यादित कार्यक्रमों की रचना,म।

⚠️ *परिणाम* 

जहाँ विवाह संस्कार था, वहाँ अब वह केवल समारोह बनकर रह गया है।

संयम, विश्वास और मर्यादा के स्थान पर दिखावा, संदेह और अहंकार ने स्थान ले लिया है।

✅ *समाधान का मार्ग* 

विवाह को फिर से संस्कार बनाइए,

सोशल मीडिया के लिए नहीं — जीवन के लिए रिश्ता जोड़िए।

मर्यादा, समझ और मूल्यों को अपनाइए, तभी परिवार, समाज और संस्कृति सुरक्षित रह पाएगी।

सोचिए… और संभलिए… यही समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।*जय श्री राम 🙏🏻*

भारत के एकीकरण में राजपूत राजाओं की वास्तविक भूमिका

भारत की स्वतंत्रता के बाद के एकीकरण का पूरा श्रेय आजकल सिर्फ नेहरू और सरदार पटेल को दे दिया जाता है, जबकि सच यह है कि 565 देसी रियासतों का विलय तभी संभव हुआ क्योंकि अधिकांश शासकों ने स्वेच्छा से हस्ताक्षर किए। ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि 15 अगस्त 1947 के बाद रियासतें या तो भारत में शामिल हों, या पाकिस्तान में, या पूरी तरह स्वतंत्र रहें। यह नीति भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 की धारा 7(1)(b) और कैबिनेट मिशन की 12 मई 1946 की मेमोरेंडम ऑन स्टेट्स ट्रीटीज एंड पैरामाउंटसी में लिखित रूप से दर्ज है।

इसी नीति के कारण अमरकोट (उमरकोट) की रियासत, जहाँ 1941 की जनगणना के अनुसार 82.7% हिंदू आबादी थी, फिर भी उसके सोढ़ा राजपूत शासक राणा अर्जुन सिंह ने पाकिस्तान में विलय कर दिया। नेहरू और पटेल दोनों इसे रोक नहीं सके क्योंकि कानूनी रूप से राजा को पूर्ण अधिकार था।

राजपूत बहुल बड़ी रियासतों – जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, कोटा, बूँदी, जयसलमेर आदि – ने भारत में विलय किया, लेकिन यह उनकी स्वैच्छिक सहमति से हुआ, न कि किसी सैन्य दबाव से। जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह तो शुरू में पाकिस्तान जाने को तैयार थे और जिन्ना ने उन्हें खाली कारतूस वाला रिवाल्वर भी भेजा था, पर अंत में उन्होंने भारत में हस्ताक्षर किए।

सरदार पटेल ने खुद संविधान सभा में इस मजबूरी को स्वीकार किया था। 12 अक्टूबर 1949 को अपने भाषण में उन्होंने कहा:

“हमें कोई विकल्प नहीं था। अंग्रेजों ने राजाओं को स्वतंत्र रहने का अधिकार देकर चले गए थे। इसलिए हमें उनकी सभी उचित-अनुचित शर्तें माननी पड़ीं।”

(Constituent Assembly Debates, Vol. X, 12 Oct 1949)

इसी मजबूरी का ज़िक्र पटेल ने कई पत्रों में भी किया। दुर्गा दास द्वारा संपादित Sardar Patel’s Correspondence 1945-50 (खंड 1 एवं 7) में दर्ज है कि पटेल बार-बार लिखते थे कि अगर बड़े राजपूत राज्य भारत में न आएँ तो पूरा राजस्थान और पश्चिमी भारत अलग हो सकता था।

यही कारण है कि सभी राजाओं को प्रिवी पर्स, निजी संपत्ति, उपाधियाँ और गोद लेने का अधिकार दिया गया। यदि राजपूत शासक उस समय एकजुट होकर यह शर्त रख देते कि “आरक्षण रहेगी तो हम विलय नहीं करेंगे”, तो पटेल को वह शर्त भी माननी पड़ती – क्योंकि उनके पास कोई कानूनी या सैन्य विकल्प नहीं था। माउंटबेटन ने भी 25 जुलाई 1947 को चेम्बर ऑफ प्रिंसेस में साफ कहा था कि ब्रिटिश सरकार रियासतों को पूरी तरह आज़ाद छोड़ रही है।

आज इतिहास में यह तथ्य दबा दिया गया है कि भारत का नक्शा जिस रूप में आज है, वह नेहरू-पटेल की “लौह इच्छाशक्ति” से नहीं, बल्कि राजपूत और मराठा राजाओं की स्वैच्छिक सहमति से बना।

लेकिन हमारे भारत में राजपूतो के आदर्शों को दबाकर नेहरू पटेल को अकेले क्रेडिट दिया जाता है कांग्रेस नेहरू को भाजपा पटेल को जबकि ये सब राजपूतो की अपनी इक्षा से हुआ था ना कि नेहरू पटेल के दबाव की वजह से। 

वैसे ही संविधान निर्माण में एक ही व्यक्ति का गलत तरीके से क्रेडिट देकर महिमा मंडन किया जाता है

Indian Independence Act 1947, Section 7(1)(b) & Cabinet Mission Memorandum, 12 May 1946

Census of India 1941, Sindh; Ian Copland, The Princes of India in the Endgame of Empire, पृ. 241

V.P. Menon, The Integration of the Indian States, अध्याय 14

Constituent Assembly Debates, Vol. X, 12 October 1949 (पटेल का भाषण)

Durga Das (ed.), Sardar Patel’s Correspondence 1945-50, खंड 1 & 7

Mountbatten’s address to Chamber of Princes, 25 July 1947 (प्र proceedings संरक्षित National Archives of India में)

ये सभी स्रोत प्राथमिक और आधिकारिक हैं।

By: Priti Gautam

सच्ची घटनाओं पर आधारित धुरंधर फ़िल्म का एक और पक्ष है जिसके बारे में ज्यादा बात नहीं हो रही है… वो है नकली करेंसी का ecosystem

इस फ़िल्म में पहली बार इतना खुल कर इस बारे में बताया गया है… और जो लोग references को और घटनाओं को पकड़ पाएं हैं.. उन्हें सब समझ आ गया होगा

फ़िल्म में एक व्यापारी दिखाया गया है.. खनानी नाम से… जो रहमान डकैत को नकली करेंसी का काम करने का offer देता है, बदले में उसे राजनीति में आने पर पूरा support भी देने का आश्वासन देता है.

बाद में यही खनानी 26/11 हमले की Financing भी करता है… और हमले के समय कराची के कंट्रोल रूम में आतंकियों के साथ बैठा होता है.

यह कोई Fictional Character नहीं है…. खनानी का किरदार पाकिस्तानी Terror Financer जावेद खनानी पर आधारित है.

जावेद खनानी ने लगभग 20 साल तक Terror और हवाला Ecosystem को Manage किया…. भारत पर हुए हर हमले में जो पैसा खर्च हुआ.. उसका कनेक्शन कहीं ना कहीं जावेद खनानी से जुड़ता था.

खनानी ने खनानी & कालिया International नाम से एक कंपनी खोली हुई थी…. जिसकी शुरुआत एक Financing कंपनी के तौर पर हुई, फिर इसने हवाला का धंधा किया और अंततः यह Terror Financing में उतर गई.

मात्र कुछ ही सालों में इस कंपनी का प्रभाव कराची के सदर बाजार से दुबई के Free Zones तक हो गया था… Toronto के शहरी इलाकों से होते हुए अफ्रीका के Ports तक…. हर जगह यह कंपनी अपनी पैठ बना चुकी थी.

यह कंपनी ISI की Blue Eyed Boy बन चुकी थी…. इसका Involvement हर जगह होने लगा… चाहे अफ़ग़ानिस्तान से ड्रग और Narcotics के पैसे का लेन देन हो… या Middle East से पेट्रो डॉलर के रूप में Terror Funds को circulate करना हो…. या फिर जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैय्यबा को पैसा मुहैया करवाना हो… या फिर दाऊद की D कंपनी के पैसे को इधर से उधर करना हो….. इनका involvement सब जगह था.

इसके अतिरिक्त इस कंपनी के एजेंट Middle East और नेपाल के रास्ते UP बिहार में Enter करके अरबों की नकली करेंसी को भारत में खपाते थे.

ISI को कभी भी कोई आतंकी हमला करवाना होता था भारत में… तो उसके लिए पैसा खनानी ही मुहैया करवाता था…. धुरंधर में भी यही दिखाया गया है.

खनानी की सबसे बड़ी सफलता थी… भारतीय करेंसी की नकल करके हूबहू करेंसी बना देना…. यह Fake करेंसी तो थी… लेकिन यह असली से कहीं कम नहीं लगती थी.

फिल्म में बताया गया कि यूपीए सरकार की एक मंत्री का बेटा दुबई में नोट बनाने का डाइस खनानी को करोड़ों डॉलर में बेचा था और सिक्योरिटी थ्रेड का सीक्रेट उन तक यही मायाराम भेजा था जिसके कारण मोदी सरकार में इसके घर रेड भी हुई पर सबूतों के अभाव में ये बाहर है।

Security ग्रेड करेंसी paper था इन नोट्स में…. जिसमे हर तरह के security feature मिलते थे…watermark और फाइबर तो इतने मैच होते थे.. कि वही करेंसी की जांच करने वाली मशीन और एटीएम sensors को भी धत्ता बना देते थे… इन्हे Super Notes कहा जाने लगा.

यह तो on record है कि कैसे De La Rue कंपनी ने भारत की मुद्रा प्रणाली में दोबारा प्रवेश जारी रखा, और उसने थ्रेड, सुरक्षा घटक व आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति शुरू कर दी.. यही कंपनी पाकिस्तान को भी करेंसी के कागज़ देती थी.

इस विषय पर एक सीबीआई एफआईआर भी है, जिसमें यह जांच की जा रही है कि क्या कुछ नौकरशाहों ने नियमों को तोड़कर इसे संभव बनाया।

जैसे जैसे पाकिस्तान की नकली मुद्रा की गुणवत्ता अचानक बहुत बेहतर हो गई, तो हर एजेंसी के मन में एक ही सवाल उठा—उन्हें यह “टेम्पलेट” किसने दिया?

चाहे सामग्री तक अप्रत्यक्ष पहुँच से, विनिर्देशों की नकल से, या वैश्विक काले-बाज़ार के बिचौलियों से—पाकिस्तान की फर्जी मुद्रा (FICN) की गुणवत्ता बिल्कुल उसी वक़्त चरम पर पहुँची जब भारत की मुद्रा शृंखला सबसे कमजोर थी।

भारत उस दौर में था.. जब भारत की अर्थव्यवस्था को Fragile-5 कहा जाने लगा था…… यह था 2013-2014 का दौर….. भारत में चुनावों की तैयारी चल रही थी….. Corruption के cases से धूमिल हुई कांग्रेस सरकार अपने अंतिम दिन देख रही थी…. वहीं भाजपा ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर project करना शुरू कर दिया था… बाद में उन्हें दावेदार बनाया भी गया और अंततः वही प्रधानमंत्री बने भी.

वहीं ख़नानी जैसे हवाला ऑपरेटर लगातार भारतीय करेंसी को छाप रहे थे… कई अरबों रूपए की करेंसी भारत में Mainstream कर दी गई थी.. और अरबों की करेंसी खनानी के पास थी.. उसके Network में circulate हो रही थी…. जिसे भारत में खपाने की तैयारी थी.

ISI और खनानी का नेटवर्क बहुत बड़ा था… नोट बेशक़ कराची में छापे जाते थे…. लेकिन उसके बाद ढाका, काठमांडू, दुबई, कुआलालमपुर, आदि में उनकी Circulation Hubs से होता हुआ भारत में आता था.

खनानी ने यह सुनिश्चित किया था कि इस पूरे करेंसी Circulation और इससे हुए मुनाफ़े का कोई काग़ज़ी निशान न बचे। हर Hub दूसरी hubs से पूरी तरह से Isolated रहती थी…. काम ख़त्म होते ही सब कम्युनिकेशन ख़त्म हो जाते थे..इन्हे पकड़ना बेहद मुश्किल था.

लेकिन फिर ऐसा कुछ होता है… जिसने ना सिर्फ इस Fake करेंसी के Network को बर्बाद कर दिया… बल्कि साथ ही खनानी का खात्मा भी कर दिया.

8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे..जब प्रधानमंत्री मोदी टीवी पर आये और देश के नाम सन्देश देते हुए उन्होंने नोटबंदी की घोषणा की…. तो कुछ ही क्षणों में वही नकली नोटों की पाइपलाइन जम गई… वह आतंक की फंडिंग का स्त्रोत सूख गया.. जिसने हजारों भारतीयो की जान ली थी.

जब भारत ने रातोंरात ₹500 और ₹1,000 के नोट अमान्य कर दिए, तो उसका झटका सिर्फ़ भारत तक सीमित नहीं रहा—उसने पाकिस्तान की गुप्त मशीनरी को भी उड़ा दिया।

सालों से तैयार किए गए फर्जी नोटों के भंडार—जो पहले से छांटे गए, तस्करी किए गए और गोदामों में रखे गए थे—एक झटके में बेकार हो गए।

सब रास्ते बंद हो गए…. खाते फ्रीज़ हो गए… नकली नोटों के संचालकों में हड़कंप मच गया। ख़नानी जैसे हवाला सरगनाओं के लिए—जिनका पूरा कारोबार मुद्रा के निरंतर प्रवाह पर निर्भर था—पूरे नोट सीरीज़ के अचानक गायब हो जाने ने विनाशकारी स्थिति पैदा कर दी।

एक महीने बाद, 4 दिसंबर 2016 को ख़बर आई—जावेद ख़नानी कराची में एक अधनिर्मित इमारत की चौथी मंज़िल से गिर गए थे।

सुबह जब मुहम्मद अली सोसाइटी, कराची पर पुलिस पहुंची तो उन्हें खनानी का शव मिला।

पुलिस ने कहा—आत्महत्या।
परिवार ने कहा—दुर्घटना।
शव परीक्षण नहीं हुआ।

निर्माण स्थल के मज़दूरों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। ज़्यादा सवाल किसी ने नहीं पूछे गए.
पूछे जाने भी नहीं थे…. इस घटना को दबा दिया गया.

भारत, खाड़ी देशों और पाकिस्तान के वित्तीय ठिकानों में फुसफुसाहट थी—“बहुत सारा पैसा फँस गया।” “बहुत सारे राज़ खुले।” “वो इस ecosystem के ऑफशोर खातों तक जानता था।”

कोई पुख्ता सार्वजनिक सबूत हत्या का नहीं मिला।

लेकिन खुफिया जगत में यह घटना आज भी एक राज़ बनी हुई है।

धुरंधर ने इस कहानी को फिर से ताजा कर दिया है….. बता दिया है कि कोई “सुपर-विलेन” भारत को अस्थिर करने के लिए नकली मुद्रा छाप रहा था.

याद रखिये… आतंकवादी हमेशा ही आतंकी कैंप्स में नहीं होते… वो हमेशा लम्बी दाढ़ी, हाथ में राइफल लिए नहीं होता… यह लोग POK, अफ़ग़ानिस्तान या वज़ीरिस्तान के काबइली इलाकों में नहीं होते.

यह आतंकवादी दुबई, अबू धाबी और कराची के आलीशान बंगलो में रहते हैं…. Clean Shaved, सूट बूट पहने…. Laptops पर काम करते लोग होते हैं…. जिनका एक Click, जिनका एक Transaction आपके अड़ोस पड़ोस में कोई आतंकी हमला करा सकता है…. आपके आस पास किसी की जान ले सकता है.

धुरंधर-1 में तो 2012 तक का समय दिखाया गया है…. धुरंधर-2 में आपको 2013-14 से लेकर 2020 और उसके बाद का समय दिखाया जाएगा… जो कहानी इस post में बताई है, यह आपको सिनेमा के परदे पर घटित होती दिखाई देगी… सिर्फ तीन महीने बाद.

आपके मन में सवाल उठेगा… कि क्या खनानी के खत्म होने से Terror फंडिंग और Fake Notes का Ecosystem ख़त्म हो गया?

इसका एक ही उत्तर है… पूरी तरह से तो नहीं.

एक बहुत बड़े स्तर पर यह समाप्त हुआ…. लेकिन चूँकि यह Ecosystem पाकिस्तान सहित पश्चिम के कई देशों द्वारा पोषित था…. जाहिर है इसके कई stakeholders थे…. खनानी उनमे से एक था.

यह आर्थिक आतंकवाद का Ecosystem है…. पूरी तरह तो शायद ही ख़त्म हो पाए… लेकिन नोटबंदी ने इसे बेहद गहरी चोट पहुंचाई थी… उसके बाद सर्जिकल Strikes और Unknown Gunmen के कारनामो की वजह से इस Terror Ecosystem को तोड़ने का एक Process शुरू हुआ है…. जो आज भी बदस्तूर चालू है.

साभार मनीष शर्मा*जय श्री सीता राम*

*देहरादून में होगा जनसंपर्क का “महाकुंभ” — 47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशंस कॉन्फ्रेंस 13–15 दिसंबर तक*

देहरादून 13 से 15 दिसंबर तक देशभर के जनसंपर्क एवं कम्युनिकेशन प्रोफेशनल्स के भव्य संगम का केंद्र बनने जा रहा है, जब पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI) की 47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशंस कॉन्फ्रेंस यहां आयोजित की जाएगी। PRSI के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजीत पाठक के अनुसार यह जनसंपर्क क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित वार्षिक कॉन्फ्रेंस है, जिसमें सरकारी विभागों, कॉर्पोरेट, पीएसयू, अकादमिक संस्थानों और मीडिया जगत से बड़ी संख्या में प्रतिनिधि जुटेंगे।

सम्मेलन का मुख्य थीम
“विकसित भारत @2047: विकास भी, विरासत भी — Empowering Growth, Preserving Roots”
इस थीम के अंतर्गत यह विचार किया जाएगा कि आने वाले वर्षों में पब्लिक रिलेशंस राष्ट्रनिर्माण, तकनीक, संवाद और जनभागीदारी के क्षेत्र में कैसी अग्रणी और निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

13 दिसंबर — उद्घाटन सत्र (दोपहर 3:30 बजे)

कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दोपहर 3.30 बजे किया जाएगा।
उद्घाटन सत्र में कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी विशिष्ट अतिथि तथा सांसद श्री नरेश बंसल सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।

इसके बाद सम्मेलन के तकनीकी सत्रों की शुरुआत होगी, जिनमें थीम आधारित चर्चाएँ, नवाचार और उत्तराखंड की विकास यात्रा पर केंद्रित सत्र शामिल होंगे।⸻

14 दिसंबर — तकनीकी एवं विषयगत सत्र

सत्र–I : 25 वर्ष का उत्तराखंड और आगे की दिशा (1200–1330 बजे)

वक्ता राज्य की 25 वर्षों की विकास यात्रा और भविष्य की प्राथमिकताओं पर विचार रखेंगे।
पैनल में वरिष्ठ IAS अधिकारी —
श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, डॉ. विजय कुमार जोगदंडे, श्री बंशीधर तिवारी तथा प्रो. दुर्गेश पंत — शामिल होंगे।

सत्र–II : विकसित भारत @2047 में मीडिया और जनसंपर्क की भूमिका (1430–1530 बजे)

• श्री अनुपम त्रिवेदी (News 18)
• डॉ. नितिन उपाध्याय (DIPR)
• डॉ. हिमांशु शेखर (NDTV)
• प्रो. सुरभि दहिया (IIMC)

सत्र–III : वे फ़ॉरवर्ड — GST, टेक्नोलॉजी और पब्लिशिंग इंडस्ट्री (1530–1630 बजे)

• श्रीमती बी. सुमिदा देवी (IRS) — GST का व्यापक आर्थिक प्रभाव
• मेजर अतुल देव — तकनीक और जनसंपर्क
• श्री सी. रविंदर रेड्डी — पब्लिशिंग इंडस्ट्री का भविष्य

सत्र–IV : इंडो–रशियन पब्लिक रिलेशंस एंड मीडिया फोरम (1700–1800 बजे)

रूसी प्रतिनिधि —
श्री माइकल मस्लोव, सुश्री दाव्यदेंको यूलिया, सुश्री अन्ना तलानीना
भारत–रूस व्यापार, डिजिटल संचार और उपभोक्ता व्यवहार पर विचार प्रस्तुत करेंगे।
सत्र की अध्यक्षता प्रो. चारुलता सिंह करेंगी।

15 दिसंबर — समापन दिवस

सत्र–V : साइबर क्राइम, मिसइन्फॉर्मेशन और AI (1000–1130 बजे)

• ASP अंकुश मिश्रा (STF) — साइबर अपराध और गलत सूचना की चुनौतियाँ
• डॉ. ताहा सिद्दीकी एवं श्री विनय जायसवाल (SAIL) — AI आधारित ADIRA कार्यशाला

सत्र–VI : मानव संसाधन, रणनीतिक मार्केटिंग और भारतीय मूल्य (1130–1330 बजे)

• डॉ. हेमंत शरद पांडे
• श्री अनुपम तिवारी (HPCL)
• मेजर अतुल देव
• डॉ. ऋतु दुबे तिवारी

समापन समारोह (1430 बजे)

मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल सम्मेलन के समापन का शुभारंभ करेंगे।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और पारंपरिक व्यंजनों की मेजबानी इस सम्मेलन को विशेष बनाएगी।

इस वर्ष रूस से आए प्रतिनिधियों की उपस्थिति सम्मेलन को एक अंतरराष्ट्रीय आयाम प्रदान कर रही है।

यह तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन जनसंपर्क जगत को नए विचारों, नीतिगत चर्चाओं, नवाचारों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का व्यापक मंच उपलब्ध कराएगा। देहरादून इस आयोजन के माध्यम से राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय जनसंपर्क मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान दर्ज कराने जा रहा है।

🌞 *~आज का पञ्चाङ्ग ~आचार्य पंडित दयानन्द डबराल 

 🌤️ *दिनांक – 13 दिसम्बर 2025*

🌤️ *दिन – शनिवार*

🌤️ *संवत्सर – सिद्धार्थ*

🌤️ *विक्रम संवत 2082*

🌤️ *शक संवत -1947*

🌤️ *कलि युगाब्द – 5127*

🌤️ *अयन – दक्षिणायन* 

🌤️ *ऋतु – हेमंत ॠतु* 

🌤️ *मास – पौष मार्गशीर्ष, 28गते*

🌤️ *पक्ष – कृष्ण* 

🌤️ *तिथि – नवमी शाम 04:37 तक तत्पश्चात दशमी*

🌤️ *नक्षत्र – हस्त पूर्ण रात्रि तक*

🌤️ *योग – आयुष्मान सुबह 11:17 तक तत्पश्चात सौभाग्य*

🌤️ *राहुकाल – सुबह 09:00 से सुबह 10:30 तक*

🌤️ *सूर्योदय – 06:47*

🌤️ *सूर्यास्त – 05:13*

स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।

👉 *दिशाशूल – पूर्व दिशा मे*

🔥 *अग्निवास*🔥

24+07+01=32÷4=00 प्रथ्वी लोक में।✅✅

 🔱 *शिववास*🔱 

24+24+5=53÷7 =04 संभायाम वासे। ❌❌

🚩 व्रत पर्व विवरण- 

💥 विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌷 *राशि विशेष* 🌷

👉🏻 मेष और वृश्चिक राशि जिनकी है, उनके जीवन में अगर विघ्न, कष्ट और समस्याये आती है | तो उनको चाहिए मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल है | मंगल गायत्री का जप किया करें |

🌷 *मंगल गायत्री मंत्र ॐ अंगारकाय विद्महे | शक्तिहस्ताय धीमहि | तन्नो भौम प्रचोदयात |…. ॐ मंगलाय नम: ||*

➡ ये मंगल गायत्री बोले और हर मंगलवार को मसूर की दाल के दाने थोड़े पक्षियों को डाल दे | और जब स्नान करें तो लाल चंदन का पाउडर मिल जाये तो एक चुटकी पाउडर बाल्टी में डाल दिया थोडा हिलाकर उससे स्नान कर दे | बहुत फायदा होगा |

👉🏻 वृषभ और तुला राशि जिनकी है वो शुक्रवार को खीर बना लें | उसमे दूध न दिखे चावल पक जाये (दूध और चावल ) शुक्रवार के दिन वो थोड़ी ठंडी करके गौ माता ( देशी गाय ) को खिलाये | पक्षियों कों थोड़े शुक्रवार को चावल के दाने डाल दे | और थोडा इलायची पाउडर, थोडासा केसर पानी में डाल दिया स्नान कर लिया बहुत लाभ होगा |

👉🏻 मिथुन और कन्या राशि उसके स्वामी बुध हैं | कन्या राशि के स्वामी राहू भी माने गये हैं | इस राशिवालों को चाहिए की बुधवार को हरे मूंग थोडे से पक्षियों को डाल दे नहीं तो गाय को दे सकते है | और ॐ गं गणपतये नमः जप करें, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें, गुरुमंत्र का जप जादा करें |

👉🏻 कर्क राशि जिनकी है उसके स्वामी चंद्रदेव माने गये है | कर्क राशिवालों को चाहिए की यथाशक्ति थोड़े चावल पक्षियों को डाले और सोमवार को शिवलिंग पर दूध, जल चढ़ाकर मंत्र बोले –

🌷 *ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मृक्षीय मामृतात् ।*

➡ ये भी याद न रहे तो – ॐ हरि ॐ ॐ करते हुए दूध , जल चढ़ा दिया | चंद्रमा को अर्घ्य दे दिया शुक्ल पक्ष में , दूज से पूनम तक अगर न कर पायें तो हर पूनम को दें चद्रंमा को अर्घ्य और मन में बोले की भगवान ने गीता में अपने कहाँ है – नक्षत्र का अधिपति मैं ही हूँ मेरा अर्घ्य स्वीकार करों और मेरे जीवन में दुःख, दरिद्रता दूर करों, तो बहुत फायदा होगा |

👉सिंह राशि जिनकी है इसके स्वामी सूर्य हैं | नित्य सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए | अगर सिंह राशिवालों को अगर तकलीफ आती है तो गेहूँ के दाने थोड़े रोज नहीं तो हर रविवार को पक्षियों को डालने चाहिए | और गेहूँ के आटे की रोटी और गुड़ गाय को खिला दे, गाय न मिले तो किसी गरीब को दे दे और गुरुमंत्र का जप खूब करें | रविवार को विशेष ऐसे लोग जिनकी सिंह राशि है जप जादा करें |

👉🏻 धनु और मीन जिनकी राशि है | इसके स्वामी भगवान ब्रहस्पतिजी है | लेकिन मीन के स्वामी केतु भी बताये जाते है | तो धनु और मीन राशिवालों को चाहिए की गुरु के प्रति भक्ति खूब बढ़ाये क्योंकि इसके स्वामी ब्रहस्पतिजी है | धनु और मीन राशि जिनकी है वो रोज थोड़ी देर गुरुदेव की तस्वीर सामने रखकर मंत्र बोले – *ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |…… ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |*

➡ गुरुवार को आम के पेड़ को चावल, जल, चने के दाने मिलाकर चढ़ा सकते है और बैठकर थोड़ी देर गुरुमंत्र का जप कर लें | धनु और मीन राशिवाले गुरु उपासना करनी ही चाहिए और मीन राशि वालों को गणपति का जप – ॐ गं गणपतये नमः करना चाहिए | आप जब सत्संग में बैठते है गुरुदेव के तो पूरा ध्यान गुरुदेव के वचनों में होता है वो आदमी गणपतिजी की उपासना कर रहा है | उसकी हर क्षण गणेश पूजा हो रही है | क्योंकि गणेश विवेक के देवता है भगवान गणेश |

👉🏻 मकर और कुंभ राशि जिनकी है | इसके स्वामी शनिदेवता है | तो इन राशिवालों को चाहिए की हनुमान चालीसा का पाठ पूरी ना पढ़ सके तो –

➡ *मनोजवं मारुततुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं | वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं श्री राम दूतं शरणं प्रपद्ये ||*

💥 *पूरा याद न रहा तो – श्रीरामदूतं शरणम प्रपद्ये | श्रीरामदूतं शरणम प्रपद्ये |*

🌹🌹🌷🌷🍁🍁🌷🌷🌹🌹

*विशेष*

15 दिसम्बर 2025 दिन सोमवार धनु राशि सूर्य खरमास प्रारंभ , पूर्व दिशायाम शुक्रास्त।

*पंचक*

24 दिसम्बर 2025 दिन बुधवार शाम 07:46 बजे से 29 दिसम्बर 2025 दिन सोमवार सुबह 07:41 बजे तक।

*एकादशी*

15 दिसम्बर 2025 दिन सोमवार सफला एकादशी व्रत सर्वे।

30 दिसम्बर 2025 दिन मंगलवार पुत्रदा एकादशी व्रत स्मार्त ( गृहस्थ)।

31 दिसम्बर 2025 दिन बुधवार दिन बुधवार पुत्रदा एकादशी व्रत वैष्णव।

*प्रदोष व्रत*

17 दिसम्बर 2025 दिन बुधवार प्रदोष व्रत।

👉18 दिसम्बर 2025 दिन गुरुवार मासिक शिवरात्रि।

01 जनवरी 2026 दिन गुरुवार प्रदोष व्रत।

*पूर्णिमा*

02 जनवरी 2026 दिन शुक्रवार वृत पूर्णिमा।

03 जनवरी 2026 दिन शनिवार स्नान दान पूर्णिमा।

*अमावस्या*

19 दिसम्बर 2025 दिन शुक्रवार देवपित्रकार्य अमावस्या।

🌹🌹 *जय सीताराम*