स्वतंत्रता संग्राम की पहली महिला बलिदानी : 21 वर्ष की प्रीतिलता वदेदार ने गले में साइनाइड का कैप्सूल पहनकर अपने साथियों के साथ यूरोपीय क्लब को आग लगा दी

“यहाँ कुत्तों और भारतीयों का आना मना है “.ये लिखा था ढाका में एक यूरोपियन क्लब ने…21 वर्ष की प्रीतिलता वदेदार ने गले में साइनाइड का कैप्सूल पहनकर अपने साथियों के साथ उस क्लब को आग लगा दी और पकड़े जाने से पहले शहीद हो गई. भारत की आज़ादी की लड़ाई में उन्हें पहली महिला शहीद होने का गौरव मिला .

हम और आप सब को ये पढ़ाया भी नही गया कभी .मात्र 21 साल की उम्र और वतन की आज़ादी के लिए कुर्बान हो गई. उन्होंने 15 बार अंग्रेज़ों के खिलाफ हथियारबंद विद्रोह की अगुवाई की. 

 

आज पहरताली (ढाका) में एक छोटे से पार्क में बोर्ड लगाया गया है जहां उन्होंने शहादत दी थी ,अपने मुल्क की आज़ादी के लिए…इससे ज्यादा कुछ नहीं …ना किताबों में जिक्र ना सरकारों की तरफ से कोई स्मारक या समारोह

आइये मैं और आप मिलकर, अपनी नई पीढ़ी को भारत की आज़ादी की पहली महिला शहीद देशभक्त के बारें में बताएं और उनके लिए बुलंद आवाज़ उठाएं ..जय हिंद 🇮🇳