शैले शैले न माणिक्यं। मौक्तिकं न गजे गजे॥ साधवाः न हि सर्वत्रं।चन्दनं न वने वने ॥ —-इस हितोपदेश का अर्थ: हर पर्वत पर माणिक नहीं होते, हर
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शैले शैले न माणिक्यं। मौक्तिकं न गजे गजे॥ साधवाः न हि सर्वत्रं।चन्दनं न वने वने ॥ —-इस हितोपदेश का अर्थ: हर पर्वत पर माणिक नहीं होते, हर
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