वर्ष 1857 की क्रांति के साथ जुड़े थे लिवासपुर आदि गांवों के लोग, अंग्रेजों ने उदमीराम को गांव राई स्थित विश्राम गृह में पीपल के पेड़ से बांधकर उनके शरीर में लोहे की कील ठोक दी थी

गांव लिवासपुर जो कि सोनीपत के पास है, लीवान के आसपास के सभी गाँवो के लोगों ने सन् 1857 की क्रांति के साथ जुड़ गए

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