लंदन के वातायन-ब्रिटेन संगठन द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ निशंक ने कहा “ये मेरा नहीं पूरे देश का सम्मान है”

रिपोर्ट :-डाॅ हरीश मैखुरी

भारत के शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने एक बार फिर से अपनी विद्वता और सुगढ़ लेखन के बल पर विश्व स्तरीय सम्मान प्राप्त करने में एक बड़ी सफलता पायी है, लेकिन आप डॉक्टर निशंक की विनम्रता देखिए लंदन में यह सम्मान प्राप्त करते हुए भी उन्होंने कहा कि यह मेरा नहीं बल्कि संपूर्ण भारत का सम्मान है। बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को साहित्यिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए शनिवार को वातायन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लंदन के वातायन-ब्रिटेन संगठन की ओर से वर्चुअल माध्यम से आयोजित समारोह में केंद्रीय हिंदी परिषद आगरा के उपाध्यक्ष एवं कवि अनिल शर्मा ने उन्हें यह पुरस्कार दिया। इस अवसर पर भारत के शिक्षा मंत्री डॉ निशंक ने कहा कि “मैं वातायन यूके के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मेरे लेखन और साहित्य को सम्मानित करने का निर्णय लिया। वास्तव में यह केवल मेरा व्यक्तिगत सम्मान नहीं है यह सम्मान है भारत का, यह सम्मान है भारतीयता का, यह सम्मान है भारतीय जीवन मूल्यों का और यह सम्मान है भारतीय ज्ञान परंपरा का। यह सम्मान है देव भूमि उत्तराखंड का और यह सम्मान है हर एक साहित्य प्रेमी का जो अपने आप को मेरे लेखन एवं साहित्य से जुड़ा हुआ अनुभव करता है।”
उन्हों ने कहा कि” मेरा लेखन मेरे जीवन से कुछ भी पृथक नहीं, यह मेरे अनुभव और जीवन मूल्यों से निकला है। मैंने एक साधारण परिवार में जन्म लिया और समाज में फैले भ्रष्टाचार, संवेदनहीनता, शोषण को भी देखा और विशेषकर अपने गद्य लेखन में ग़रीबों, दलितों और बेसहारा लोगों की पीड़ा को अभिव्यक्ति दी। भारतीयता और राष्ट्रीयता मेरी शक्ति है; जो मेरे गीतों में प्रखरता पाती है। “
डाॅ निशंक ने आगेे कहा कि” विविधता में एकता भारत की पहचान रही है। हमारी संस्कृति में भाषाओं का एक विशेष महत्व है। हर संस्कृति की एक भाषा होती है और हर एक भाषा की अपनी संस्कृति, दोनों एक-दूसरे के साथ सिक्के के दो पहलुओं की तरह जुड़ी हैं। जैसे-जैसे भाषा मजबूत होती है वैसे-वैसे ही संस्कृति और सभ्यता को विस्तार मिलता है और लेखन उसी श्रृंखला में देश की सभ्यता और संस्कृति को मजबूत करने का एक विशिष्ट कार्य करता है। वातायन जैसी संस्था वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार एवं प्रसार के लिए वर्षों से समर्पित भाव से प्रयासरत है । देश और दुनिया के हिंदी लेखकों, कवियों को ढूंढ कर लाना, उन्हें सम्मान देना, प्रोत्साहन देना और एक ऐसा मंच प्रदान करना जिसे वे अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से देश की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को पहचान दिला सकें। वातायन को इन प्रयासों के लिए बधाई और अभिनंदन” वतायन सम्मान के अवसर पर उन्होंने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करने वाले सभी सज्जनों एवं देवियों का आभार व्यक्त किया।

अवगत करा दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने व्यापक मुद्दों पर 75 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है। वातायन-ब्रिटेन संगठन की ओर से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार इससे पूर्व प्रसून जोशी आदि विख्यात साहित्यकारों को उनके साहित्यिक योगदान के लिए दिया जा चुका है। इस कार्यक्रम का जीवंत प्रसारण वैश्विक हिंदी परिवार के फेसबुक पर भी किया गया। जिससे देश गौरवान्वित हुआ। 

       उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए भी डॉ निशंक देश के बाल हिमालय के प्रति चिंतित दिखते थे । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए भी वे चिंता पूरे देश की करते थे, भारत के मानव संसाधन विकास मंत्री बनते ही उन्होंने भारत की शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन का जो बीड़ा उठाया है उसके सुदीर्घगामी परिणाम देश को आगे भविष्य में देखने को मिलेंगे।