भगवान श्रीकृष्ण प्राकट्य की बधाई एवं शुभकामनाएं। आज लोगों द्वारा अपने बच्चों को भगवान कृष्ण जैसा सजा रहे हैं। लेकिन कृष्ण जैसा धर्म संस्थपनाप करने वाला राक्रमी और रणनीतिकार रूपवान गुणवान योद्धा बनाने के लिए गुरुकुल पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। जहां पच्चीस वर्ष तक मनुष्य चरित्र का निर्माण गुणों का सृजन ज्ञानवान प्रज्ञावान आचारवान पराक्रमी शस्त्र शास्त्र सेवा और संस्कार आधारित श्रेष्ठ ऋषि मुनियों की परम्परा में ज्ञान-विज्ञान संपन्न मनीषि बनाया जाता है। संस्कारों से ही भारतीय संस्कृति बनी हुई है। जैसे देश विदेश कृष्णमय हो गया लोग अपने बच्चों को कृष्ण बना रहे हैं अब इतने ही लोग भी सरकार से भारत के आठ लाख गुरूकुलों की पुनर्स्थापना करने की मांग करें तो बच्चों में कृष्ण के गुणों का सृजन भी होगा
अन्यथा आज शिक्षा का उद्देश्य केवल सूचनाओं का बोझ मष्तिष्क में ढोना रह गया है। जिसका उद्देश्य केवल सबसे अधिक अंक प्राप्त करने तक सीमित हो गया।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भारत वर्ष के हर घर में छोटे छोटे बच्चे कृष्ण बने है माता पिता भी कृष्ण बनाने के लिए अति उत्साहित हैं । बहुत सुन्दर बात है।
परन्तु एक भी माता पिता अपने बच्चों को कृष्ण की तरह गुरुकुल नहीं भेजते अपितुअंग्रेजी स्कूल में पढाना पसंद करते हैं, इसी कारण ये नन्हे मुन्ने कृष्ण बडे होकर कंस के सैनिक बन जाते हैं।
क्यों न भारतीय शिक्षा पद्धति में सुधार हो?क्यों सैक्युलर सरकारों द्वारा बंद कराये गये आठ लाख गुरूकुलों को पुनर्जीवित किया जाय।
आइये संकल्प लें इन नन्हें कृष्णों को गुरुकुल में शिक्षा देकर भगवान कृष्ण के समान ज्ञानी और पराक्रमी बनाये।
गुरुकुल में बैठे सान्दीपिनियों से आशा है कि षडांमकर्रों से गुरुकुलो को बचाये।
यही भगवान श्री कृष्ण को जन्मोत्सव पर सुन्दर उपहार होगा।🦚जय श्री कृष्ण 🦜
जयतुभारतम्,🙏 जयतु संस्कृतम्🙏🙏*
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“उक्त लिंक में वो काल कोठडी देंखे जहाँ श्रीकृष्ण भगवान का जन्म हुआ था ।*
*आज सभी दर्शन ले । ये सौभाग्य उत्तरप्रदेश सरकारके मुख्यमंत्री योगीजी को जाता है। जिन्होंने गर्भगृह के दरवाजे पहली बार खुलवाए ताकी सभी दर्शन कर सके ।”*
*जय श्री कृष्ण राधे राधे*🙏🏻🚩🙏🚩🙏
*धन्य है ऐसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ* 👏👏🙏🏻🙏🏻👍💪
आज लोग अपने बच्चों को कृष्ण बना रहे हैं। लेकिन कृष्ण जैसा धर्म संस्थपनाप करने वाला राक्रमी और रणनीतिकार रूपवान गुणवान योद्धा बनाने के लिए गुरुकुल पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। जहां पच्चीस वर्ष तक मनुष्य चरित्र का निर्माण गुणों का सृजन ज्ञानवान प्रज्ञावान आचारवान पराक्रमी शस्त्र शास्त्र सेवा और संस्कार आधारित श्रेष्ठ ऋषि मुनियों की परम्परा में ज्ञान-विज्ञान संपन्न मनीषि बनाया जाता है। संस्कारों से ही भारतीय संस्कृति बनी हुई है। जैसे देश विदेश कृष्णमय हो गया लोग अपने बच्चों को कृष्ण बना रहे हैं अब इतने ही लोग भी सरकार से भारत के आठ लाख गुरूकुलों की पुनर्स्थापना करने की मांग करें तो बच्चों में कृष्ण के गुणों का सृजन भी होगा
अन्यथा आज शिक्षा का उद्देश्य केवल सूचनाओं का बोझ मष्तिष्क में ढोना रह गया है। जिसका उद्देश्य केवल सबसे अधिक अंक प्राप्त करने तक सीमित हो गया।