पत्रकार पर जानलेवा हमले के विरुद्ध एडीजी को अल्टिमेटम

 

देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती घायल पत्रकार को काफी चोटें हैं उनके हाथ में दो फ्रैक्चर हैं। राजधानी में पत्रकारिता करने वाले पत्रकार पर जब एक शराब ठेके के सैल्समैनों ने हैवानियत से हमलाकर उसे पीटा और उसे यह सिखाने की कोशिश की कि उनका पुलिस कुछ नहीं बिगाड़़ सकती और वह इलाके में चाहे कुछ भी कर लें। आज पत्रकारों का एक समूह पुलिस मुख्यालय में एडीजी कानून व्यवस्था से मिला और उन्हें अवगत कराया कि 21 जनवरी की रात्रि ग्यारह बजे जब पत्रकार अवनीश पॉल दफ्तर से घर की ओर आ रहा था तो ठेका खुला देख पत्रकार ने जब वहां ओवररेटिंग को लेकर कवरेज की तो उससे शराब ठेके के सैल्समैनों ने उसे ठेके के अन्दर बंधक बना लिया और उस पर लगभग पन्द्रह बीस मिनट तक हमला किया जिसमें पत्रकार के हाथ में दो फैक्चर हुये और उसके पैर व आंखों पर गम्भीर चोटे आईराजधानी पुलिस द्वारा हमलावरों के खिलाफ कार्यवाही न किये जाने से पत्रकार जगत में एक बडी नाराजगी है और इसी के चलते आज दर्जनों पत्रकार पुलिस मुख्यालय में एडीजी कानून व्यवस्था से मिले और उन्होंने साफ कहा कि राजधानी पुलिस भरोसे लायक नहीं है इसलिए पत्रकार पर हुये हमले की जांच किसी दूसरे जिले की पुलिस से कराई जाये क्योंकि राजधानी पुलिस के कुछ अफसर पत्रकार पर समझौता करने का डर बनाये हुए हैं तथा धमकाया जा रहा है कि अगर उसने समझौता नहीं किया तो उसके खिलाफ भी क्रास मुकदमा दर्ज कर दिया जायेगा। पत्रकारों को एडीजी ने भरोसा दिलाया है कि एक सप्ताह के भीतर इस मामले में कार्यवाही की जायेगी। वहीं पत्रकारों ने अल्टीमेटम दिया है कि अगर एक सप्ताह में घायल पत्रकार को इंसाफ न मिला तो पुलिस मुख्यालय व मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना प्रदर्शन व आन्दोलन किया जायेगा।
। पत्रकारों ने बताया कि इस दौरान ठेके कर्मचारी ने आराधर चौकी पर तैनात एक पुलिसकर्मी को बुलाया जिस पर सिपाही द्वारा अधिकारी को सूचना देकर घायल अवनीश पॉल को यह कहने पर मजबूर किया कि वह यहां पर बीयर खरीदने आया था इसके बदले में उसे छोडने का आश्वासन देकर वीडियो बनाकर ठेके वालों को ही दे दिया था। पत्रकारों ने कहा कि अवनीश पॉल ने आराधर चौकी पहुंचकर अपनी रिपोर्ट दर्ज कराई लेकिन चौकी में तैनात दरोगा एवं उनके सहयोगी ने अवनीश के साथ अच्छा सलूक न कर उन्हें ही समझौता करने पर मजबूर किया। पत्रकारों ने कहा कि पुलिस ने तहरीर के आधार पर दर्ज की जाने वाली धाराओं को बदलकर मामूली धाराओं में दर्ज कर लिया। वहीं चौकी के दरोगा द्वारा शराब के ठेकेदारों व उनके कर्मचारियों से एक झूठी रिपोर्ट लेकर पत्रकारों के विरूद्व लिखवाकर उन्हें डराने का प्रयास किया और पत्रकारों को बताया कि उनके विरूद्व एससीएसटी में मुकदमा लिखवाया जा रहा है। एडीजी को कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि चौकी व उनका दरोगा व उनका स्टाफ एक तरफा शराब के ठेकेदारों के दबाव में काम कर रहा था। पत्रकारों ने मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की और पत्रकार की पिटाई के दौरान वीडियो बनाने वाले पुलिसकर्मी के विरूद्व कार्यवाही करने व चौकी के एक दरोगा को तत्काल हटाये जाने की मांग को लेकर अपनी बात रखी। एडीजी कानून व्यवस्था को मीडियाकर्मियों ने साफ कहा कि उन्हें दून पुलिस पर भरोसा नहीं है इसलिए इस मामले की जांच किसी दूसरे जिले से कराई जाये।

ईटीवी के  पीडि़त पत्रकार अवनीश पाल ने कहा कि हमलावर काफी उग्र हो गये थे और बेरहमी से मारपीट पर उतारू थे। ये मेरे अकेले का मामला नहीं है यह पत्रकारों की सुरक्षा का सवाल है। कल किसी पर भी ऐसा हमला हो सकता है। इधर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी दून अस्पताल पंहुंच कर पत्रकार का हाल चाल जाना।