बक्फबोर्ड एक्ट में संशोधन की नहीं बल्कि बक्फबोर्ड को भंग करने की आवश्यकता है, 9 लाख एकड़ के भूमाफिया बन चुके बक्फबोर्ड की समस्त संपत्ति केन्द्र व राज्य सरकारों में समाहित हो

मजहब के आधार पर मुसलमानों के लिए पाकिस्तान एवं पूर्वी पाकिस्तान (अब बंग्लादेश) बनाने के बाद शेष बचे हुए भारत के इस्लामीकरण के छद्म उदेश्य से नेहरू कार्यकाल में 1964 बक्फबोर्ड गठित हुआ, निरंकुश भूमाफिया बन चुका बक्फबोर्ड आज देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे अधिक भू संपत्ति का स्वामी है अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार वक्फ बोर्ड के पास कुल 7,85,934 चल-अचल संपत्तियां पंजीकृत हैं आज वक्फ बोर्ड की संपत्ति जो पूरे भारत में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों का नियंत्रण करता है, जिनका अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्डों सहित 32 वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ की संपत्ति का स्वामित्व अल्लाह को हस्तांतरित कर दिया जाता है, जिसके बाद इसके मालिकाना हक में बदलाव नहीं किया जा सकता। इन संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ या सक्षम प्राधिकारी की ओर से नियुक्त मुतव्वाली द्वारा किया जाता है।

वक्फ अधिनियम, 1995 तो इतना खतरनाक है कि इसकी धारा 40 वक्फ बोर्डों को यह तय करने की शक्ति देती है कि क्या कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है। ऐसी शिकायतें हैं कि भ्रष्ट वक्फ नौकरशाही की मदद से संपत्तियों को हड़पने के लिए इस शक्ति का दुरुपयोग किया जाता है। मुतव्वलियों की नियुक्ति के संबंध में बोर्डों को दी गई शक्तियों के दुरुपयोग के भी आरोप लगे हैं और प्रबंधकों की नियुक्ति पर भी सवाल उठे हैं। विधेयक में विवादास्पद धारा को पूरी तरह से निरस्त करने और ये शक्तियां कलेक्टर को देने का प्रस्ताव है। बड़ा यषड्यंत्र यह है कि मुस्लिम देशों में भी बक्फबोर्ड इतनी असीमित शक्तियां नहीं है जितनी भारत में दी गई है। मनमोहन सरकार में 2013 में किये गये परिवर्तन से बक्फबोर्ड की परिभाषा में सम्मिलित ‘इस्लाम को स्वीकार करने वाले व्यक्ति द्वारा स्थायी समर्पण’ को ‘किसी भी व्यक्ति द्वारा स्थायी समर्पण’ से बदल दिया गया, इस संशोधन ने किसी भी व्यक्ति द्वारा वक्फ बोर्डों को संपत्ति हड़प करने के दरवाजे खोल दिए हैं। तब से बक्फबोर्ड किसी की भी संपत्ति पर दावा कर देता है। जिसको केवल बक्फबोर्ड ट्रिब्यूनल में ही चुनौती दी जा सकती है भारत के किसी मजिस्ट्रेट या कोर्ट में नहीं। यानी बक्फबोर्ड भारत के सभी कोर्ट और प्रशासनिक व्यवस्था से उपर बना दिया गया है। और आश्चर्य की बात है कि बक्फबोर्ड द्वारा दावा की गई संपत्ति को यदि कोई व्यक्ति बक्फबोर्ड ट्रिब्यूनल में कोई व्यक्ति चुनौती भी देना चाहिए चाहे तो उसके लिए उसकी सुनवाई की समय कितना हो यह निश्चित नहीं है यानी ट्रिब्यूनल वर्षों प्रकरण को लंबित रख सकता है कभी कभी तो अपील करने वाला व्यक्ति मर भी जाता है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो पाती है और तुर्रा ये भी कि ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम रूप से वाध्यकारी होगा अर्थात उसकी किसी न्यायालय में अपील भी नहीं हो सकती इतना खतरनाक कानून कांग्रेस ने देश पर थोपा है। इसी से बक्फ कानून का उद्देश्य समझा जा सकता है।

पाकिस्तान का क्षेत्रफल 8.81 लाख वर्गपाकिस्तान का क्षेत्रफल कोई वर्ग किलोमीटर है। जबकि वक्फ बोर्ड का कब्जे भारत की भूमि का क्षेत्रफल 9.40 लाख वर्ग किलोमीटर। यानी  एक पाकिस्तान बाहर बनाया, एक अन्दर बना दिया गया। और हिन्दुओं को सेकुलरिज्म की अफीम चटा कर भरमाया गया। ये कमाल है कांग्रेस का। कांग्रेस बक्फबोर्ड को अभेद्य बनाने के लिए देश और संविधान को ताक पर रख कर तीन बार संशोधन कर देती है लेकिन वही कांग्रेस गठबंधन भाजपा को बक्फबोर्ड में एक भी संशोधन नहीं करने देती। यही है कथित लोकतांत्रिक व्यवस्था। 

इसलिए बक्फबोर्ड में संशोधन की बजाय इसे भंग करने की आवश्यकता है 9 लाख एकड़ के भूमाफिया बन चुके बक्फबोर्ड की समस्त संपत्ति केन्द्र व राज्य सरकारों में समाहित होनी चाहिए