वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते। पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरे शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए बता दूं
“#मणिपुर_समस्या: एक इतिहास”
जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने #पूर्वोत्तर की ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला। उनको इस पर डाका डालना था। उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं। परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है।
अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा। इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था। इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता। परन्तु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अंग्रेज अफसरों को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते थे।
इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं। अतः इन्होने #ईसाई मिशनरी को उठा उठा के यहां भेजा। मिशनरीयों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से #धर्म_परिवर्तित करने का काम शुरू किया। जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज इनको #ईसाई_राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे। साथ ही उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन, भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे।
अंग्रेज़ों ने एक चाल और चली। उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को #ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी।
धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है।
तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए। धीरे धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी। मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे। परन्तु वो मैती हिंदुओं की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे। मणिपुर के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए। अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया।
आज़ादी के बाद:
आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया। 1949 में उन्होंने #नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको ST का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने उनको जाने को कह दिया। फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दिया। 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया जिसमे 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को ST में डाल दिया गया। इस एक्ट में ये प्रावधान भी था जिसमे 90% कुकी – नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10% के इलाके में रहने वाले मैती हिंदुओं को ये सब अधिकार नहीं था। यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया। नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने करने नहीं गए।
उधर ब्रिटैन की MI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भागने के लिए करते थे। मैतियो ने उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया। सदा से इस इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों की सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे। चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया। पूरा पूर्वोत्तर ISI के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया। जिसके कारण Mizo जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ। बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने ISI समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे। जानकारी के लिए बताते चलें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया। ये चिन लोग ISI के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे। पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका पोलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में air strike का आर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने लोगों की जाने ली। इसके बाद विद्रोह और खूनी तथा सशत्र हो गया।
1971 में पाकिस्तान विभाजन और बांग्ला देश अस्तित्व आने से ISI के एक्शन को झटका लगा परन्तु म्यांमार उसका एक खुला एरिया था। उसने म्यांमार के चिन लोगों का मणिपुर में एंट्री कराया जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यांमार के अवैध चिन लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानि अफीम की खेती शुरू कर दिया। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड दशकों तक कुकियों और चिन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया। मयंमार से ISI तथा MI6 ने इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरा इकॉनमी खड़ा कर दिया। जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ा जनसँख्या नशे की भी आदि हो गई। नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा।
2014 के बाद की परिस्थिति:
मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पालिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया, NSCN – तथा भारत सरकार के बीच हुए “नागा एकॉर्ड” के बाद हिंसा में कमी आई। भारत की सेना पर आक्रमण बंद हुए। भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला। धीरे धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त हुए। भारत के प्रति यहाँ के लोगों का दुराव कम हुआ। रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई। वहां से कांग्रेस और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ। इसके कारण इन पार्टियों का एक प्रमुख धन का श्रोत जो कि अफीम तथा हथियारों की तस्करी था वो चला गया। इसके कारण इन लोगों के लिए किसी भी तरह पूर्वोत्तर में हिंसा और अशांति फैलाना जरूरी हो गया था। जिसका ये लोग बहुत समय से इंतजार कर रहे थे।
हाल ही में दो घटनाए घटीं:
1. मणिपुर उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैती जनजाति को ST का स्टेटस मिलेगा। इसका परिणाम ये होगा कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा जिससे मैती लोग भी 10% के सिकुड़े हुए भूभाग की जगह पर पूरे मणिपुर में कहीं भी रह, बस और जमीन ले सकेंगे। ये कुकी और नगा को मंजूर नहीं।
2. मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि सरकार पहचान करके म्यांमार से आए अवैद्य चिन लोगों को बाहर निकलेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी। इसके कारण तस्करों का गैंग सदमे में आ गया।
इसके बाद ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने अपने दिल्ली बैठे आकाओं, कम्युनिस्ट लुटियन मीडिया को जागृत किया। पहले इन लोगों ने अख़बारों और मैगजीन में गलत लेख लिखकर और उलटी जानकारी देकर शेष भारत के लोगों को बरगलाने का काम शुरू किया। उसके बाद दिल्ली से सिग्नल मिलते ही ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने मैती वैष्णव लोगों पर हमला बोल दिया। जिसका जवाब मैतियों दुगुना वेग से दिया और इन लोगों को बुरी तरह कुचल दिया जो कि कुकी – नगा के साथ दिल्ली में बैठे इनके आकाओं के लिए भी unexpected था। लात खाने के बाद ये लोग अदातानुसार विक्टम कार्ड खेलकर रोने लगे।
अभी भारत की मीडिया का एक वर्ग जो कम्युनिस्ट तथा कोंग्रस का प्रवक्ता है अब रोएगा क्योंकि पूर्वतर में मिशनरी, अवैध घुसपैठियों और तस्करों के बिल में मणिपुर तथा केंद्र सरकार ने खौलता तेल डाल दिया है।
*मणिपुर का सच ; कृपया इस पोस्ट को पूरा पढ़ें*
*कालाय तस्मै नमः*
हर तरफ हल्ला है.. मणिपुर जल रहा है.
लेकिन सच क्या??
www.jarooriseva.com
सच यह है कि विद्यमान भाजपा सरकार ने मणिपुर में अफीम का धंधा ख़त्म कर दिया है। सरकार ने पिछले ५ साल में १८,००० एकड से ज्यादा इलाके में अफीम के खेत नष्ट कर दिए है।
जिन्हे नुकसान हुआ, उन्होंने इसे कुकी और मैति के बीच जनजातीय संघर्ष बना दिया…. शुरू में आम आदमी मारा जा रहा था… सब चुप थे
फिर सेना ज़मीन पर उतरी.. आतंकवादी मारे गए…. चीन को धक्का लगा, विपक्षी भांड लोकतंत्र की दुहाई देने लगे।
वहाँ ढेरों मंदिर और स्थानीय निवासियों के पूजा स्थल जलाये गए…. सब चुप रहे.
तुरंत सोनिया गांधी का वीडियो आ गया.??
मणिपुर हिंसा पर क्यों दुखी है सोनिया, उद्धव, ममता, केजरीवाल अखिलेश यादव?
भोपाल में हिंदू युवक को गले में कुत्ता डालकर कुत्ता बना कर घुमाने वाली घटना पर दुखी नहीं है।
मणिपुर हिंसा पर क्यों दुखी है विपक्षी दल इसका एक स्पष्ट कारण जान लीजिए।
मणिपुर के मूल निवासी है मैती आदिवासी।
स्वतंत्रता के पहले मणिपुर के राजाओं के बीच में आपस में जमकर युद्ध होते थे, अनेक कमजोर मैती राजाओं ने युद्ध में अपनी सेना में पड़ोसी देश म्यांमार से बड़ी संख्या में कुकी और रोहिंग्या हमलावरों को भारत में बुलाया और विदेशी रोहिंग्या तथा कुकी से मिलकर आपस में युद्ध किया।
धीरे-धीरे कुकी हमलावरों ने मणिपुर में अपना निवास बनाना शुरू करें और परिवार बढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते कुकी जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी। बेहद आक्रामक और हमलावर कुकियो ने मणिपुर की ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया। और मैती आदिवासियों को वहां से भगा दिया। मैती आदिवासी भागकर मणिपुर के मैदानी इलाकों में आकर रहने लगे।
विदेशी कुकी और रोहिंग्या ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती आरंभ कर दी। मणिपुर की सीमा चीन और म्यांमार से लगी है चीन ने मणिपुर पर नजरें डालना शुरू किया और भारत विरोधी दलों को सहायता देना शुरू किया, पाकिस्तान ने भी म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के माध्यम से मणिपुर में घुसपैठ शुरू कर दी और बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों को धकेल दिया गया।
लेकिन सबसे बड़ा षड्यंत्र रचा क्रिश्चियन मिशनरीज ने। मिशनरी ने मणिपुर के पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में २,००० से अधिक चर्च बनाए और क्रिश्चियन मिशनरीज ने बेहद तेजी से धर्म परिवर्तन शुरू कर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा मैती आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कर क्रिश्चन बना दिया गया।
मणिपुर में निरंतर हिस्सा हो रही थी वर्ष १९८१ में भीषण हिंसा हुई इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। १०,००० से अधिक मैती आदिवासी मारे गए, उसके बाद इंदिरा गांधी जाग गई और सेना को भेजा गया तथा शांति करवाई गई। शांति समझौते में मैती मैदान में रहेंगे और कुकी ऊपर पहाड़ियों पर रहेंगे ऐसा निर्णय हुआ इस कारण शांति बनी।
जिसमें मूल निवासी मैती का बहुत नुकसान हो गया। धीरे-धीरे कुकी, रोहिंग्या और नगा समाजों ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की बेशुमार खेती शुरू कर दी। हजारों खेत में अफीम की खेती शुरू हो गई, खरबों रुपए का व्यापार होने लगा इस कारण नशीले पदार्थ का माफिया और आतंकवादी संगठन सक्रिय हो गए तथा जमकर हथियारों की आपूर्ति कर दी गई।
वर्ष 2008 में फिर जोरदार गृह युद्ध शुरू हो गया तब सोनिया गांधी के निर्देश पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने कुकी तथा परिवर्तित क्रिश्चन ओं के साथ मिलकर मताई आदिवासियों के साथ समझौता किया और मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती को अधिकृत मान्यता देकर पुलिस कार्रवाई ना करने का आश्वासन दिया। इसके बाद मणिपुर से पूरे भारत देश में तेजी से नशीले पदार्थों को भेजा जाने लगा। मणिपुर नशीले पदार्थों का गोल्डन ट्रायंगल बन गया चीन अफगानिस्तान पाकिस्तान और म्यांमार से तेजी से आर्थिक मदद कर मणिपुर से उगाई गई अफीम को भारत के अन्य राज्यों में भेजकर पंजाब आदि राज्यों को नशीले बनाना शुरू कर दिया।
लेकिन केंद्र में वर्ष २०१४ में सरकार बदली
केंद्र सरकार की नजरें पूरे भारत पर थी जहां जहां धर्म परिवर्तन हो रहे थे जहां पर हिंदू खतरे में दिखाई दे रहे थे, जो राज्य भारत से अलग होने की फिराक में हो रहे थे, केंद्र सरकार ने उन राज्यों को पहचान कर वह धीरे-धीरे कार्रवाई शुरू कर दी। असम नागालैंड मणिपुर अरुणाचल प्रदेश केरल कर्नाटक उत्तर प्रदेश जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु में केंद्र सरकार ने गोपनीय तरीके से काम करना शुरू किया।
जम्मू कश्मीर और असम में सफलता मिल ग वर्ष २०२३ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार मणिपुर में सफलता मिली और कांग्रेस से बीजेपी में आए वीरेंद्र सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया। मैती समाज के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह ३० वर्षों से मणिपुर में राजनीति कर रहे हैं और उन्हें मणिपुर की मूल समस्या मालूम थी। वीरेंद्र सिंह खुद ही मेती समाज से आते हैं जो कि आदिवासी संकट को जानते थे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने वीरेंद्र सिंह को अफीम की खेती नष्ट करने के निर्देश दिए जिसके बाद मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह ने अफीम की खेती पर हमला बोल दिया और हजारों एकड़ खेती में लगे अफीम के पौधों को नष्ट कर दिया इससे कुकी और क्रिश्चियन मिशनरी, रोहिंग्या के साथ में चीन तथा पाकिस्तान में खलबली मच गई। वे किसी तरह मणिपुर में दोबारा अफीम की खेती आरंभ करना चाहते हैं।
आजादी के पहले से ही मेती समाज को आदिवासी समाज का दर्जा हासिल था और वह एसटी वर्ग में आते थे। लेकिन आजादी के बाद, चीन की चमची तत्कालीन केंद्र सरकार ने मेती समाज से एसटी वर्ग से निकाल लिया और क्रिश्चियन मिशनरी तथा कुकी समुदाय को एसटी बना दिया। इस बात से मैती नाराज हो गए और निरंतर आक्रोश प्रदर्शन करने लगे। जिस कारण बार-बार मणिपुर में हिंसा हो रही थी। मैती समाज ने वर्ष २०१० में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एसटी वर्ग में शामिल करने की मांग की। वर्ष २०२३ में हाईकोर्ट ने मैती समाज के दावे को मंजूर किया और मैती समाज को दुबारा आदिवासी वर्ग में शामिल करने के आदेश जारी किए। चूंकि क्रिश्चियन और कुकी हमलावर अफीम की खेती बंद करने से तथा मिशनरीज के धर्म प्रसार को रोके जाने से नाराज थे, उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश का पूरा फायदा उठाया और मणिपुर में आग लगा दी।
आज मणिपुर जो हिंसा दिखाई दे रही है वह भारत के लिए लाभदायक की है क्योंकि मेती समाज ने क्रिश्चियन मिशनरीज के लगभग ३०० चर्च तोड़कर नष्ट कर दिए, क्रिश्चियन मिशनरी पर हमले हो रहे, कुकियो को भगाया जा रहा है आज जो कुछ भी मणिपुर में हो रहा है वह भारत के लिए फायदेमंद है। अन्यथा मणिपुर जल्द ही एक नया देश बनने की राह पर था वर्ष २०१४ में सरकार नहीं बनती तो चीन धीरे-धीरे मणिपुर पर कब्जा कर लेता। लेकिन बेहद ही चालाकी से मोदी सरकार ने मणिपुर में मूल भारतीयों को उनका अधिकार दिलाना शुरू किया यह बात विरोधियों डालो को खल गई
पिछले ७० सालों से मणिपुर पर कांग्रेस का कब्जा था अपने हाथ से मणिपुर जाने के बाद तथा क्रिश्चियन मिशनरीज का काम रुकवाने से नाराज सभी विरोधी दल मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी सरकार की बदनामी कर रहे हैं। यह नहीं जानते कि मणिपुर की हिंसा भारत के लिए बहुत ज्यादा आवश्यक है यह पोस्ट को अच्छी तरह से पढ़े और आगे जरूर फॉरवर्ड करें ताकि लोगों को मालूम पड़ेगी मणिपुर की असली वजह क्या है और कौन गद्दार दल, मीडिया, पत्रकार मिलकर भारत देश के खिलाफ में सक्रिय है।
अब कांग्रेस के युवराज सोनिया के निर्देश पर क्रिश्चियन को बचाने वहा दौरा कर रहे है। कुकी और नागा कब्जे के लिए लड़ रहें हैं
और मैतेई हिंदू अपने अस्तित्व के लिए..!!
मणिपुर में कुकी क्रिश्चियन व नगा को ST का दर्जा व आरक्षण का लाभ!
पर मूल निवासी मैतई हिन्दुओं को नहीं ?
😡😡😡😡😡😡मणिपुर से जो तस्वीर आई है क्या आप उस पर अपनी राय बना रहे हैं? तो ठहर जाइए और कुछ बिंदुओं पर विचार कीजिए। आपको स्वयं समझ में आ जाएगा आप कितने मूर्ख हैं। मणिपुर में हिंसा महीनों से चल रहा है और आपका उद्वेलन दिन दो दिन में आरंभ हुआ है। प्रथम प्रश्न तो यही है कि क्या आपके संवेदना का स्तर इतना गिर गया है कि जहां महीनों से हजारों घर जलाए जा रहे हैं, 400 से अधिक स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ है और आप को सब पता है फिर भी क्या आप प्रतीक्षा में थे कि ऐसी कोई तस्वीर सामने से आएगी, तब आप अपनी राय बनाएंगे? कोई बात नहीं। आपने देर से ही राय बनाई और कम से कम दो स्त्रियों के प्रति ही अपनी संवेदना दिखाई। लेकिन कुछ सवाल तो हैं।
अपराधी और पीड़ित का कभी भी समुदाय अथवा जाति नहीं देखनी चाहिए। न्याय का प्रथम सिद्धांत यही है। लेकिन दो समुदायों के बीच जब हिंसा की बात होगी और एक समुदाय से 400 स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ हो तथा दूसरी समुदाय से दो स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ हो और आपसे पूछा जाए आपको किसी एक समुदाय के पक्ष में खड़ा होना है, आप क्या चुनेंगे? आपका उत्तर होगा नहीं 2 हो अथवा 400, गलत गलत है। और हम दोनों ही के साथ खड़े हैं। लेकिन यह उत्तर आपका पाखंड भरा उत्तर है। क्योंकि आपने चुनाव कर लिया है। आपने 2 को चुन लिया है। फिर आप कहेंगे 2 को ही चुन लिया है तो इसमें क्या गलत है? आखिर में न्याय तो उसे भी मिलना चाहिए। तो इसका जवाब जानिए…
मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय, मुख्यतया दो समुदायों के बीच टकराव है। मैतेई समुदाय के जनजाति हिंदू है और कुकी समुदाय की जनजाति इसाई। जनजातियों के ईसाई में धर्मांतरण की अलग कहानी है। 1961 की जनगणना डाटा के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में ईसाईयों की आबादी 1% से भी कम थी। 2011 में 30% से अधिक हो गई। ईसाइयों की ठीक यही स्थिति मणिपुर में आजादी के समय थी। नेहरू वाली कांग्रेस के समय से मणिपुर में धर्मांतरण का खेल इतना खतरनाक हुआ कि 2011 की जनगणना के अनुसार ईसाइयों की जनसंख्या 41% से ऊपर चली गई। मैतेई हिंदू समुदाय मणिपुर की स्वदेशी समुदाय है जिसकी भी 41% जनसंख्या है। धर्मांतरण से ईसाइयों की जनसंख्या को 70 सालों में बराबर कराया गया। ईसाई कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला और विधानसभा की 60 सीटों में से 19 सीट पर आरक्षण मिल गया। हिंदू मैतेई जनजाति को ये दर्जा नहीं प्राप्त है, इसके लिए मैतेई समुदाय लगातार मांग करता रहा है। कुकी जनजाति को यह मांग पसंद नहीं है। इसलिए वे विरोध में अपने लिए अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। इसके लिए हिंसा भी कर रहे हैं।
कुकी इसाई जनजाति द्वारा मणिपुर की स्थिति कश्मीर जैसी कर दी गई। उन्होंने सेना के विरुद्ध हथियार उठा लिए। आफ्सपा लागू होने के कारण सेना के पास स्थिति नियंत्रण का पूरा अधिकार था। कुकी जनजाति की महिलाएं जिसके लिए नग्न होकर सेना के खिलाफ प्रदर्शन करती रही हैं। उन्होंने सेना को रेपिस्ट बताते हुए बैनरों का अपने प्रदर्शन में इस्तेमाल किया है। हथियार उठाए कुकी मिलिटेंट्स जब जेलों में वहां बंद कर दिए जाते हैं तो उन्हें जेल तोड़कर बाहर निकाल लिया जाता है। क्योंकि सेना के पास आफ्सपा की शक्ति नहीं होने के कारण स्थिति पर नियंत्रण नहीं हो पाता। पिछले महीनों से हो रही हिंसा को नियंत्रित करने के लिए जब केंद्र सरकार स्पेशल फोर्स भेजती है, तब कुकी समुदाय के महिलाओं को ट्रकों में भरकर ले जाया जाता है और सेना का रास्ता रुकवाया जाता है। इसी आर में कुकी मिलिटेंट्स मैतेई हिंदुओं के घर जलाते हैं तथा उनकी महिलाओं के साथ हिंसा करते हैं।
मणिपुर से जो नग्न महिलाओं की तस्वीर आई है कुकी समुदाय की महिलाएं हैं जो नग्न होकर भारतीय सेना का विरोध करती हैं और उन्हें रेपिस्ट बताती हैं। उन्हीं दो नग्न महिलाओं को वीडियो में ले जाता हुआ दिखाई पड़ रहा है। उन दो स्त्रियों के साथ कुछ गलत हुआ भी या नहीं, इसका डिजिटल युग में भी कहीं कोई प्रमाण नहीं है। बड़ा उचित समय जानकर एक एजेंडा के तहत, देश और संसद सत्र की स्थिति खराब करने के लिए, कहीं महीनों बाद उस वीडियो को रिलीज किया गया है। जिसके लिए इंफाल से लेकर दिल्ली तक हाहाकार मच गया है। जब हिंदू समुदाय को न्याय दिलाने की बात थी तो सुप्रीम कोर्ट याचिका को स्वीकार करने से भी नकार दिया था। आज वही सुप्रीम कोर्ट मामले में बलात् हस्तक्षेप के लिए सरकार को धमकी दे रहा है। नैरेटिव इतना मजबूत कि कुकी समुदाय को पीड़ित सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है। स्वाभाविक मैतेई समुदाय अपराधी सिद्ध हो जाएगा। देश की आम जनता भी इस बात को नहीं समझ पा रही।#साभार: विशाल झा