भारत की भावी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हिंदुस्थान की यथार्थ प्रतिनिधि हैं

भारत की भावी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हिंदुस्थान की यथार्थ प्रतिनिधि हैं।

1. वो बेटी, जो एक बड़ी उम्र तक घर के बाहर शौच जाने के लिए अभिशप्त थी.. अब वो भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही है।

2. वो लड़की, जो पढ़ना सिर्फ इसलिए चाहती थी कि परिवार के लिए रोटी कमा सके.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही है।

3. वो महिला, जो बिना वेतन के शिक्षक के तौर पर काम कर रही थी.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही है।

4. वो महिला, जिसे जब ये लगा कि पढ़ने-लिखने के बाद आदिवासी महिलाएं उससे थोड़ा दूर हो गई हैं तो वो खुद सबके घर जा कर ‘खाने को दे’ कह के बैठने लगीं.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।

5. वो महिला, जिसने अपने पति और दो बेटों की मौत के दर्द को झेला और आखिरी बेटे के मौत के बाद तो ऐसे डिप्रेशन में गईं कि लोग कहने लगे कि अब ये नहीं बच पाएंगी.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।

6. जिस गाँव में कहा जाता था राजनीति बहुत खराब चीज है और महिलाएं को तो इससे बहुत दूर रहना चाहिए, उसी गाँव की महिला अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही है।

7. वो महिला, जिन्होंने अपना पहला काउंसिल का चुनाव जीतने के बाद जीत का इतना ईमानदार कारण बताया कि ‘वो क्लास में अपना सब्जेक्ट ऐसा पढ़ाती थीं कि बच्चों को उस सब्जेक्ट में किसी दूसरे से ट्यूशन लेने की जरूरत ही नहीं पडती थी और उनके 70 नम्बर तक आते थे इसीलिए क्षेत्र के सारे लोग और सभी अभिवावक उन्हें बहुत लगाव करते थे’.. वो महिला अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही है।

8. वो महिला, जो अपनी बातों में मासूमियत को जिन्दा रखते हुए अपनी सबसे बड़ी सफलता इस बात को माना कि ‘राजनीति में आने के बाद मुझे वो औरतें भी पहचानने लगी जो पहले नहीं पहचानती थी’.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।

9. वो महिला, जो 2009 में चुनाव हारने के बाद अपनी असफलता की जड़ को तलाशने फिर से गाँव में जा कर रहने लगी और जब वापस लौटी तो अपनी आँखों को दान करने की घोषणा की.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।

10. वो महिला, जो ये मानती हैं कि ‘Life is not bed of roses. जीवन कठिनाइयों के बीच ही रहेगा, हमें ही आगे बढ़ना होगा। कोई push करके कभी हमें आगे नहीं बढ़ा पायेगा’.. वो अब भारत की #राष्ट्रपति बनने जा रही हैं।

दशकों-दशक से ठीक कपड़ों और खाने तक से दूर रहने वाले समुदाय को देश के सबसे बड़े ‘भवन’ तक पहुँचा कर भारत ने विश्व को फिर से दिखा दिया है कि यहाँ रंग, जाति, भाषा, वेष, धर्म, संप्रदाय का कोई भेद नहीं चलता।

जिनके प्रयासों से उनके गाँव से जुड़े अधिकतर गाँवों में आज लड़कियों के स्कूल जाने का प्रतिशत लड़कों से ज्यादा हो गया है, ऐसी #द्रौपदी मुर्मू जी का हार्दिक स्वागत है 🙏🏻

‘राष्ट्रपति भवन’ अब वास्तविकता में ‘कनक भवन’ बन रहा है, और भारत के इतिहास में भी ऐसा प्रथम बार है जब चाय वाला प्रधानमंत्री है और गांव वाला राष्ट्रपति बन रहा है।

लोकतंत्र की अपनी खूबसूरती है, ढेर कमियों के बीच
यहाँ राजा जन्म या कुल तय नहीं करते, जन तय करता है
जब भारत के कथित बड़े तबके में होड़ लगी थी के गोरी चमड़ी वाले दूर देश से आये नये शासकों को कैसे ख़ुश किया जाए, रखा जाए
तब देश के मुख्यधारा के समाज से तब भी अलग थलग रखे गए वनवासी समाज ने गुलामी स्वीकारने से मना किया.
ये वनवासी थे उड़ीसा और झारखण्ड के के घने जंगलों में रहने वाले #संथाल.
संथाल वो थे जिन्होंने सबसे पहले ताक़तवर गोरों के आगे अपने धनुष उठा कहा था हम या तो आज़ाद जियेंगे या मरेंगे
इन्ही संथालों की आजादी की लड़ाई को कहानी में पिरोया बकिंमचंद्र चटर्जी ने और रचा आनंदमठ जिसमें लिखे वन्देमातरम को हर सनातनी हमेशा अपने ह्रदय में संजो कर रखता है
आज उस सम्पूर्ण वनवासी समाज और संथालों के लिए उत्सव का दिन है उनके पूर्वजों की आजादी की जंग आज अपने अंजाम तक पहुंची
आज जब संथालों की एक बेटी भारतवर्ष के सर्वोच्च पद पर बैठने जा रही है आज भारत तब इस देश के लिए अपने प्राण बलिदान करने वाले संथाल योद्धाओं को अपना धन्यवाद देता है
दुनियाँ की पांच श्रेष्ठ सेनाओं में से एक की सुप्रीम कमांडर
दुनियाँ के सबसे बड़े लोकतंत्र कि महामहिम
बनने जा रही हैं संथालों की बेटी #आदरणीय_द्रोपदी_मुर्मू
देश आपको शुभकामनायें देता है
आपका स्वागत करता है.
ये भारत की तरफ से कल आपके जन्म दिवस का उपहार है।