क्या आप हलाल जानते हैं हलाल मार्क मुगल आक्रांताओं के दौर जैसा ही जजियाकर है इसका दुरुपयोग भी जाने

शोशल मीडिया पर वायरल एक संदेश में कहा गया है कि “क्या आप हलाल जानते हैं?

यह सवाल मैंने एक मित्र से पूछा जो बहुत दुखी था कि कुछ दुकानदार भगवा झंडा क्यों लगा रहे हैं। वो “Ashamed as a Hindu” महसूस कर रहा था।

ऐसा दुख अक्सर उन लोगों को होता है जिनको न तो अपने इतिहास का पता हो न वर्तमान का। थूक और पेशाब लगाकर फल, सब्ज़ियाँ बेचने की तस्वीरें आना जारी है। लेकिन लोगों के दिमाग़ में बचपन से भर दिया जाता है कि “मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर करना”। इसलिए वो बैर करने से बचना चाहते है। लेकिन उनको नहीं पता कि वो ख़ुद किस मजहबी घृणा का शिकार हो रहे हैं। इस पोस्ट के साथ तस्वीर आशीर्वाद आटे की है। आटा गेहूं पीसकर बनता है। लेकिन यह आटा हलाल सर्टिफ़ाइड है। जबकि आटे पर हलाल मार्क का कोई औचित्य नहीं है। हलाल मार्क केवल मांसाहार पर हो सकता है  हर चीज पर हलाल सर्टिफिकेशन तो अन्यायपूर्ण है। 

यानी इसे शरीयत के मुताबिक़ बनाया गया है। आटा ही नहीं, अब लगभग हर सामान हलाल होने लगा है। यहां तक कि दवाएं और अस्पताल भी। हमारे मुस्लिम भाई यह लेबल देखकर ही कोई भी चीज ख़रीदते हैं। दुनिया भर की कंपनियाँ यह सर्टिफिकेट लेने को मजबूर हैं।

क्योंकि ऐसा नहीं करेंगी तो मुस्लिम उनका प्रोडक्ट ख़रीदना बंद कर देंगे। इसे ही आर्थिक बहिष्कार कहा जाता है। इसी के आरोप में इन दिनों पूरे देश में हिंदुओं को जेलों में ठूँसा जा रहा है।

फिर भी कुछ लोग कहेंगे कि क्या फ़र्क़ पड़ता है कि आटा हलाल सर्टिफ़ाइड है? है तो आटा ही। लेकिन ऐसा नहीं है। भारत में यह सर्टिफिकेट सरकार नहीं, बल्कि जमीयत उलेमा ए हिंद जैसे इस्लामी संगठन देते हैं। इसके बदले में वो कंपनियों से मोटी रक़म वसूलते हैं। कंपनियां इसका पैसा ग्राहकों से लेती हैं।

हममें से ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होगा कि आतंकवाद के ज्यादातर आरोपियों के मुकदमे का खर्चा जमीयत उठाती है। कमलेश तिवारी की गर्दन काटने वालों का मुकदमा भी जमीयत ही लड़ रही है। और हम उसे इसके लिए पैसा दे रहे हैं। मैकडोनल्ड्स, केएफसी ही नहीं, एअर इंडिया, IRCTC, ITDC भी हलाल मीट परोसते हैं। जिसके चलते लाखों हिंदू मांस व्यापारियों का कारोबार बंद हो चुका है। ये लोग एससी-एसटी जातियों के थे। लेकिन उनके लिए किसी ने आवाज नहीं उठाई। हलाल के नाम पर सेकुलर देश में हिंदुओं पर जजिया लगा हुआ है और हमें पता तक नहीं।

उतर प्रदेश सरकार ने दुकान पर उसके वास्तविक मालिक का नाम लिखने का एक विधि सम्मत आदेश जारी किया तुरन्त उसके विरुद्ध एक दल के वकील समुदाय विशेष के पक्ष में खड़े हो गये। सुप्रीम कोर्ट भी उनके पक्ष में निर्णय दे दिया। उसी आधार पर इस अवैधानिक  कृत्य को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए। केन्द्र सरकार इस कृत्य के समन हेतु नियमावली बनाये। 

वक्त रहते विचार कर लेना हितकारी है अन्यथा जो होना है वह तय है।

भाजपा सांसद राजा सिंह ने भी इस पर गहन आपत्ति व्यक्त की है। 

“https://www.facebook.com/share/r/jj1PLxomBG33ZfZK/?mibextid=D5vuiz

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक संस्था की याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि कारोबार की जगहों पर मालिक या संचालक का नाम लिखना जरूरी नहीं है.

मुझे थोड़ी उत्सुकता थी कि कौन सी संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया होगा?

तो नाम आया

Association for Protection of Civil Rights

Association for Protection of Civil Rights

इस संस्था के अध्यक्ष युसूफ हातिम है। उपाध्यक्ष पी उस्मान , जनरल सेक्रेटरी मलिक मोहॉट्सम खान है और सेक्रेटरी नदीम खान है

इस संस्था के लोग हलाल इंडिया से भी जुड़े हैं यानी हलाल मार्क का पैसा इस संस्था के पास जाता है

यह संस्था पूरे भारत में घूम घूम कर सांप्रदायिक दंगे भड़काने का काम करती है हिंदुओं को बदनाम करने का काम करती है और हलाल सर्टिफिकेशन से जो पैसा आता है उस पैसे को हिंदुओं के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है
*सुप्रीम कोर्ट को आसानी से हराइए और हिंदू एकता दिखाइए*

मेरे आदरणीय हिंदु भाइयों और बहनों, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर करने के लिए और हिंदुओं की एकजुटता दिखाने के लिए तीन छोटे छोटे काम करिए ।

1.सारे हिंदू दुकानदार अपना नाम का नेमप्लेट बनवाएं और दुकान या ठेले पर लटकाएं ।

2.माथे पर टीका लगाए ।

3.ग्राहक को जय श्री राम, राधे राधे, जय श्री कृष्ण जैसे शब्दों से संबोधित करें ।

अपने आप दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा ।

4-पहले दुकान का क्यूआर कोड स्कैन करें और केवल उसी से पेमेंट करें इससे जहाँ दुकानदार टैक्स चोरी नहीं कर पायेगा वहीं यह थूक मूत टट्टी और मोटा मांस मिले खाद्य पदार्थ से भी बच सकेंगे।