जल संसाधन दुनियां के भविष्य की संपत्ति – भट्ट

रिपोर्ट – हरीश मैखुरी 

जल संसाधन दुनियां के भविष्य की संपत्ति हैं – इनके निर्मम विदोहन और दुरुपयोग से बचना चाहिए – चंडी प्रसाद भट्ट

 हिमालय इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एण्ड टेक्नोलॉजी जिलासू चमोली द्वारा, विश्व जल दिवस पर आयोजित जल संसाधनों का संरक्षण संवर्धन और नियोजन विषय पर आयोजित सेमिनार में बोलते हुए विख्यात पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन के नेता पद्श्री चंडीप्रसाद भट्ट ने कहा कि धरती के जल संसाधन हमारे भविष्य की निधि हैं इनके अनियंत्रित और निर्मम विदोहन से बचना चाहिए उन्होंने कहा कि पर्यावरण और जल प्रदूषण आज की सबसे बड़ी समस्या है हमने धरती के ऊपर और गर्भ में स्थित है दोनों जल को अथाह प्रदूषित कर दिया है हमें अपने तौर-तरीके बदलने पड़ेंगे। श्री चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि मैं  छत्तीसगढ़ एक सेमिनार में था लेकिन जब  आयोजकों का संदेश मिला कि जल संसाधन पर एक सेमिनार जिलासू में किया जाना है तो मुझे लगा कि भारत के भविष्य के वाटर टैंक हिमालय में रह रहे अपने लोगों के बीच यदि हम जल संरक्षण की बात करें तो ज्यादा प्रासंगिक रहेगा,  इसीलिए छत्तीसगढ़ से सीधे यहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के हमारे पारंपरिक तरीके ज्यादा प्रभावी थे सेमिनार में प्रतिभाग करते हुए श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर यू एस रावत ने कहा कि नई पीढ़ी को जल संरक्षण की तकनीक सीखने के लिए आगे आना चाहिए उन्होंने कहा कि आज जल संरक्षण  टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है हार्क संस्था के डाॅ महेंद्र कुंवर ने कहा कि जल है तो कल है उन्होंने हिमालय में जल संसाधनों के संरक्षण में अध्यात्म जगत की भूमिका पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे हमारे संसाधन हिमालय की अध्यात्म से जुड़े हुए थे। जी बी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के विख्यात वैज्ञानिक डाॅ.  आर के मैखुरी ने अपने संबोधन में कहा कि बड़े बड़े बांधों की वजह से नदियों का एक्वेटिक सिस्टम दुष्प्रभावित हुआ है। टर्नलों और टर्बाइनों से नदियों की सफाई कर्मचारी मछलियों का आवागमन और प्रजनन बाधित हुआ है। हंस फाउंडेशन के संयोजक श्री पदमेन्द्रसिंह बिष्ट ने कहा कि हम समुद्री जल को पीने के योग्य पानी बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। मैती आंदोलन के कल्याण सिंह रावत ने कहा कि यदि हम विवाह के दिन भी एक पेड़ लगा ले और हमारी माता बहने उसी का संरक्षण करें तो हम पूरी दुनिया को हरा-भरा करने में सक्षम हो सकते हैं। नगरपालिका गौचर के अध्यक्ष मुकेश नेगी ने कहा कि जल प्रदूषण समस्या ही नहीं चेतावनी है। सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय जनप्रतिनिधि सुशील रावत ने कहा कि दुनियां के कई शहरों से पानी की अंतिम बूंद भी गायब हो गई है इसलिए पानी का विदोहन सिर्फ आवश्यकता भर के लिए किया जाना चाहिए पानी को बेचने खरीदने की कमोडिटी नहीं समझना चाहिए। 
इस अवसर पर संदर्भ व्यक्ति लेखक डॉ भगवती पुरोहित ने कहा कि हमारे अध्यात्म विज्ञान में जल संरक्षण और संवर्धन की विधियां दी हुई है उनके पुनर्स्थापना की आवश्यकता है।  हिमाद संस्था के डॉक्टर डी एस पुंडीर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि स्वीडन और डेनमार्क जैसे देशों ने सेंट्रल प्योर वाटर डिस्ट्रीब्यूशन टेक्निक इजाद करके अनियंत्रित रूप से पानी वितरण पानी वितरण की प्रणाली बना डाली है हमें भी इस दिशा में प्रयास करने होंगे।  इस अवसर पर पृथ्वी कल्याण समिति के निदेशक  डॉक्टर हरीश मैखुरी ने कहा कि यदि हम पर्यावरण से जुड़े हुए हैं तो हमें प्रकृति द्वारा निर्धारित और पैदा किए गए प्रत्येक वनस्पति का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वनस्पतियां ही जल संवर्धन और जल संरक्षण की कारक हैं और पानी को गंदा करने वाले प्लास्टिक कचरा और पॉलिथीन को बिना समय गवाएं तत्काल बंद करना चाहिए साथ ही  धरती के नीचे से पानी चूस कर गाड़ी धोने वाले गैराजों पर रोक लगानी चाहिए। 
हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक और उत्तराखंड के पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष  डॉ अनुसूया प्रसाद मैखुरी ने जिलासू में प्रथम बार आयोजित हो रहे अपनी तरह के इस पहले इस सेमिनार में सभी आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया और यहां पधारने पर उनका आभार व्यक्त किया। साथ ही कहा कि जल संवर्धन जैसे गंभीर विषय पर विचार करने हेतु दुनियां की नामी हस्तियां हमारे निमंत्रण पर यहां पधारी हैं यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का विषय है। इंस्टीट्यूट के  प्रबंध निदेशक डॉक्टर एस. पी. डिमरी ने सभी आगंतुकों का सारगर्भित स्वागत किया और इस गंभीर विषय पर विचार विमर्श के लिए पधारने हेतु कृतज्ञता व्यक्त की ।  सेमिनार का संचालन उत्तराखंड के इतिहासवेता  और नेहरू युवा केंद्र के जिला समन्वयक डॉ योगेश धस्माना ने किया ।कुल मिलाकर सेमिनार सफल रहा।  इस सेमिनार में भारी संख्या में जनपद के जनप्रतिनिधियों समाजसेवियों महिलाओं और हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी के कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।