नगरनिगम चुनाव : झुग्गी वाले करेंगे देहरादून का भविष्य निर्धारण!

देहरादून नगर निगम चुनाव में मूल निवासी बनाम स्थाई निवासी वोटर्स । कैसी रहेगी जंग?? –जारी–नवल खाली।

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देहरादून का आगामी नगर निगम चुनाव बड़ा ही दिलचस्प रहने वाला है। जिस पर अभी से सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।अब देहरादून शहर की राजनीति में स्थाई निवासीयों और मूल निवासियों के वोट बैंक को लेकर भी चर्चा शुरू हो चुकी है ।

दरअसल देहरादून की लगभग 150 से ज्यादा झुग्गी झोपड़ियों में लगभग 6 लाख से ज्यादा की आबादी निवास करती है जहां अब लगभग डेढ़ से दो लाख तक वोटर तक होंगे जो प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

देहरादून नगर निगम में लगभग 7.50 लाख मतदाता हैं । ऐसे में 2 लाख वोटर तो यहां बिहार, बंगाल और यूपी से रोजगार के लिए पहुंचे थे । जो अब धीरे धीरे झुग्गी झोपड़ियों में निवास कर रहे हैं । राजनेता इनको राशनकार्ड और अन्य पहचान पत्र जैसी बुनियादी सुविधाएं देकर सत्ता और प्रभाव हासिल करते हैं और कमजोर नियमो के चलते इन झुग्गियों का विस्तार होता जा रहा है। अंत में ये लोग आज अपना घर खोने और नेताओं के वादों के बीच फंसकर रह गए। वहीं नदी नालों खालों के किनारे बसी बस्तियों को लेकर राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान ने बड़ा खतरा भी बताया है पर राजनीति में खतरे कितने बड़े भी हों नेता अपनी आंखें बंद करके वोट के सम्मोहन में सब भूल जाते हैं। 

देहरादून नगर निगम में 2018 में 55 फीसदी के करीब मतदान हुआ था। यानि कि अब 2024 में भी यहां लगभग साढ़े सात लाख में से चार लाख से ज्यादा मतदान होने की संभावना है। वहीं झुग्गी झोपड़ियों और बस्तियों में रहने वाले मतदाता अधिक से अधिक मतदान करते हैं जबकि अन्य मूल निवासी कम संख्या में मतदान करते हैं। यानि कि संभावना जताई जा रही है कि दो लाख मूल निवासी और दो लाख स्थाई निवासी मतदान कर सकते हैं।  

यानि कि पार्टियों के लिए भी अब उतना जरूरी नही रहा कि मेयर के टिकट के लिए उत्तराखंड का मूल निवासी ही हो क्योंकि पार्टियां तो वोट बैंक पर ही समीकरण बनाती हैं। अब निकट भविष्य में मूल निवासीयों को यहां की राजनीति में मुकाबला करना भी मुश्किल हो सकता है ।