समय दिन बार तिथि पल घटि जानने से आप कालचक्र के दुष्प्रभाव से बच निकलते हैं। सुप्रभात विचार जानने से आपका मन सकारात्मक होता है और वो सकारात्मकता आपके जीवन में आने लगती है। आगे की संतति भी सकारात्मक और संस्कारित होने लगती है। यही विधि का विधान है। यही आध्यात्मिक आत्म कल्याण का विज्ञान है। स्वयं भगवान कृष्ण भी नित्य पंचाग पढ़ते हैं।
📖 *नीतिदर्शन……………*✍
*न स्वल्पस्य कृते भूरि नाशयेन्मतिमान् नरः।*
*एतदेवातिपण्डित्यं यत्स्वल्पाद् भूरिरक्षणम्।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏾 बुद्धिमत्ता इसीमें है कि थोडेके लिये अधिकका नाश न करे, प्रत्युत स्वल्पसे अधिककी रक्षा करे।
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || याम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| हेमन्त ऋतु || मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष || दशमी तिथि मध्याह्न १२:५३ तक उपरान्त एकादशी || गुरुवासर || मार्गशीर्ष सौर २५ प्रविष्ठ || तदनुसार १० दिसम्बर २०२० ई० || नक्षत्र हस्त पूर्वाह्ण १०:५० तक उपरान्त त्वष्टा || कन्यास्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 10 दिसम्बर 2020*
⛅ *दिन – गुरुवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2077*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु – हेमंत*
⛅ *मास – मार्गशीर्ष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – कार्तिक)*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *तिथि – दशमी दोपहर 12:51 तक तत्पश्चात एकादशी*
⛅ *नक्षत्र – हस्त सुबह 10:51 तक तत्पश्चात चित्रा*
⛅ *योग – सौभाग्य रात्रि 07:26 तक तत्पश्चात शोभन*
⛅ *राहुकाल – दोपहर 01:53 से शाम 03:15 तक*
⛅ *सूर्योदय – 07:06*
⛅ *सूर्यास्त – 17:56*
⛅ *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – उत्पत्ति एकादशी (स्मार्त)*
💥 *विशेष –
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *एकादशी व्रत के लाभ* 🌷
➡ *10 दिसम्बर 2020 गुरुवार को दोपहर 12:52 से 11 दिसम्बर, शुक्रवार को सुबह 10:04 तक एकादशी है ।*
💥 *विशेष – 11 दिसम्बर, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
🙏🏻 *एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
🙏🏻 *धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
🙏🏻 *कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
🙏🏻 *परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *एकादशी के दिन करने योग्य* 🌷
🙏🏻 *एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें ……यदि घर में झगड़े होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *एकादशी के दिन ये सावधानी रहे* 🌷
🙏🏻 *महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है… तो एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है…ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा*
🙏🏻 *- पूज्य बापूजी मुंबई 1/1/2012*
🌞 *~ हिन्दू पंचाग ~* 🌞
🌷 *त्रिस्पृशा का महायोग* 🌷
🙏🏻 *त्रिस्पृशा का महायोग : हजार एकादशियों का फल देनेवाला व्रत*
➡ *11 दिसम्बर 2020 शुक्रवार को त्रिस्पृशा-उत्पत्ति एकादशी है ।*
🙏🏻 *एक ‘त्रिस्पृशा एकादशी’ के उपवास से एक हजार एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है । इस एकादशी को रात में जागरण करनेवाला भगवान विष्णु के स्वरूप में लीन हो जाता है ।*
🙏🏻 *‘पद्म पुराण’ में आता है कि देवर्षि नारदजी ने भगवान शिवजी से कहा : ‘‘सर्वेश्वर ! आप त्रिस्पृशा नामक व्रत का वर्णन कीजिये, जिसे सुनकर लोग कर्मबंधन से मुक्त हो जाते हैं ।”*
🙏🏻 *महादेवजी : ‘‘विद्वान् ! देवाधिदेव भगवान ने मोक्षप्राप्ति के लिए इस व्रत की सृष्टि की है, इसीलिए इसे ‘वैष्णवी तिथि कहते हैं । भगवान माधव ने गंगाजी के पापमुक्ति के बारे में पूछने पर बताया था : ‘‘जब एक ही दिन एकादशी, द्वादशी तथा रात्रि के अंतिम प्रहर में त्रयोदशी भी हो तो उसे ‘त्रिस्पृशा’ समझना चाहिए । यह तिथि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देनेवाली तथा सौ करोड तीर्थों से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है । इस दिन भगवान के साथ सदगुरु की पूजा करनी चाहिए ।”*
🙏🏻 *यह व्रत सम्पूर्ण पाप-राशियों का शमन करनेवाला, महान दुःखों का विनाशक और सम्पूर्ण कामनाओं का दाता है । इस त्रिस्पृशा के उपवास से ब्रह्महत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं । हजार अश्वमेघ और सौ वाजपेय यज्ञों का फल मिलता है । यह व्रत करनेवाला पुरुष पितृ कुल, मातृ कुल तथा पत्नी कुल के सहित विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है । इस दिन द्वादशाक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) का जप करना चाहिए । जिसने इसका व्रत कर लिया उसने सम्पूर्ण व्रतों का अनुष्ठान कर लिया ।*
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