
अनिल भट्ट
पँच केदारों में से चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट आज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्रधालुओं के लिए विधिविधान के साथ खोल दिए गए हैं। इस दौरान मन्दिर के मुख्य पुजारी हरीश भट्ट और मन्दिर समिति ले।लोग और श्रधालु मौजूद रहे। रुद्रनाथ में भगवान शिव के मुख दर्शन होते हैं और यही इस मन्दिर की विशेषता है। वरहस्पतिवार को भगवान की चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल गोपीनाथ से रुद्रनाथ के लिए निकली थी। 19किमी पैदल दुरी तय करने के बाद भगवान रुद्रनाथ पहुचे और शनिवार को भगवान रुद्रनाथ के कपाट जब खुले तो सैकड़ो की संख्या में श्रधालुओं ने भगवान के दर्शन किये। अब छः महीनो तक भगवान रुद्रनाथ महादेव की पूजा अर्चना यहीं पर सम्पन्न होंगी।
सुरम्य मखमली बुग्यालो के बीच स्थित बाबा का मंदिर अपने आप मे एक अनौखा मंदिर है। बाबा भोले का मंदिर समुद्र तल से 2290 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चमोली जनपद के सगर (गोपेश्वर) नामक स्थान से 19 किमी के पैदल सफर को पार कर भगवान रुद्रनाथ जी के दर्शन प्राप्त होते है। गोरतलव है कि शीतकाल के दौरान भगवान रुद्रनाथ जी पूजा अर्चना गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर मे संपादित होती हैं।
स्कन्ध पुराण के केदारखण्ड के 51 वें अध्याय मे शिव जी पार्वती से कहते है :- रुद्रनाथ हमारा एक तीर्थ है। इसका नाम “रुद्रालय” है। यह समस्त तीर्थो मे परमोतम है। इस तीर्थ के महात्म्य को सुनकर मनुष्य समस्त पापों के बंधनो से मुक्त हो जाता है। रुद्रालय अनेको तीर्थो से विभूषित है, इसलिए यह अति पवित्र होने के साथ ही भगवान शंकर यहां नित्य निवास करते है।
यहां पर भगवान शिव के “मुख” भाग के रुप मे दर्शन होते है। मंदिर के नजदीक ही नन्दीकुण्ड व पाण्डव कुण्ड है जिसके जल से आचमन किया जाता है। स्नान के लिये 200 मीटर की दूरी पर वैतरणी नदी का मनोहारी उदगम स्थल है।
