।। *🕉* ।।🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
📜«« *आज का पंचांग* »»🌞🚩
कलियुगाब्द…………………..5127
विक्रम संवत्………………….2082
शक संवत्…………………….1947
मास…………………………..श्रावण
पक्ष…………………………….कृष्ण
तिथी………………………..प्रतिपदा
रात्रि 02.06 पर्यंत पश्चात द्वितीया
रवि…………………………उत्तरायण
सूर्योदय…….प्रातः 05.49.06 पर
सूर्यास्त……..संध्या 07.15.44 पर
सूर्य राशि…………………….मिथुन
चन्द्र राशि……………………….धनु
गुरु राशि…………………….मिथुन
नक्षत्र…………………….उत्तराषाढ़ा
दुसरे दिन प्रातः 06.28 पर्यंत पश्चात श्रवण
योग……………………………वैधृति
रात्रि 08.32 पर्यंत पश्चात विष्कुम्भ
करण…………………………बालव
दोप 02.07 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु……………………..(नभ:) वर्षा
दिन………………………….शुक्रवार
*आंग्ल मतानुसार :-*
11 जुलाई सन 2025 ईस्वी ।
☸ शुभ अंक………………….2
🔯 शुभ रंग……………आसमानी
👁🗨 *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.05 से 12.58 तक ।
👁🗨 *राहुकाल (अशुभ) :-*
प्रात: 10.52 से 12.32 तक ।
🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।
🌞 *उदय लग्न तालिका -*
*मिथुन* 04:02:13 06:15:35
*कर्क* 06:15:35 08:32:04
*सिंह* 08:32:04 10:43:53
*कन्या*10:43:53 12:54:33
*तुला* 12:54:33 15:09:11
*वृश्चिक* 15:09:11 17:25:20
*धनु* 17:25:20 19:30:56
*मकर* 19:30:56 21:18:03
*कुम्भ* 21:18:03 22:51:35
*मीन* 22:51:35 24:22:47
*मेष* 24:22:47 26:03:32
*वृषभ* 26:03:32 28:02:13
✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.31 से 09.11 तक लाभ
प्रात: 09.11 से 10.51 तक अमृत
दोप. 12.31 से 02.11 तक शुभ
सायं 05.30 से 07.10 तक चंचल
रात्रि 09.50 से 11.11 तक लाभ ।
📿 *आज का मंत्रः*॥ ॐ गोविन्दाय नम: ॥
📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (त्रयोदशोऽध्यायः – क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगो:) -*
क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत ।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं यत्तज्- ज्ञानं मतं मम ॥१३- २॥ अर्थात :
हे अर्जुन! तू सब क्षेत्रों में क्षेत्रज्ञ अर्थात जीवात्मा भी मुझे ही जान और क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ को अर्थात विकार सहित प्रकृति और पुरुष का जो तत्व से जानना है, वह ज्ञान है- ऐसा मेरा मत है॥2॥
🍃 *आरोग्यं :-*
*मुलेठी के घरेलू आयुर्वेदिक फायदे -*
*7. खून की उल्टी -*
जब किसी को खून की उल्टी हो रही हो, तब दूध में मुलेठी का चूर्ण डालकर देने से या शहद में मुलेठी का चूर्ण मिलाकर चटाने से रोगी ठीक हो जाएगा।
*8. शरीर में अंदरूनी चोट से बचाए -*
यह एक एंटीबायोटिक दवा के रूप में भी काम करता है, जो हमारे शरीर में बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम है। यह शरीर में अंदरूनी चोट के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है।
⚜ *आज का राशिफल :-*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
नए विचार दिमाग में आएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। धनार्जन होगा। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। काम में मन नहीं लगेगा। दूसरे आपसे अधिक की अपेक्षा करेंगे। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। पुराना रोग उभर सकता है।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
सामाजिक कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। लाभ होगा। पराक्रम वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
घर में अतिथियों का आगमन होगा। प्रसन्नता तथा उत्साह बने रहेंगे। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आलस्य हावी रहेगा। प्रमाद न करें। विवेक का प्रयोग करें। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
नौकरी में अधिकार वृद्धि हो सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। निवेश मनोनकूल रहेगा। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। किसी कार्य के प्रति चिंता रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण बनेगा।।
👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगा। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। विवाद से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति की बातों में न आएं।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। कोई बड़ा काम करने की इच्छा जागृत होगी। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। प्रमाद न करें। भाग्य का साथ मिलेगा।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
मान-सम्मान मिलेगा। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। थकान रहेगी। किसी कार्य की चिंता रहेगी। व्यापार व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से लाभ होगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
किसी बड़े काम की रुकावट दूर होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल लाभ देंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
हंसी-मजाक में हल्कापन न हो, ध्यान रखें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। कीमती वस्तुएं इधर-उधर हो सकती हैं, संभालकर रखें। यात्रा में जल्दबाजी न करें। शारीरिक कष्ट संभव है। पुराना रोग उभर सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
व्यापार व व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में चैन रहेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। धनहानि की आशंका है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। थकान व कमजोरी रह सकती है। राजकीय बाधा दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी।
🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
आय के नए साधन प्राप्त हो सकते हैं। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में रुतबा बढ़ेगा। स्वास्थ्य में राहत मिलेगी। चिंता दूर होगी।
☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।
🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩
तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर धर्मशाला के मैक्लोडगंज में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा कहते हैं प्राचीन भारतीय सनातन विद्या व तिब्बती विद्या जोड़कर विश्व शांति में भारत एक अग्रणी भूमिका निभा सकता है। दलाई लामा परंपरा को जारी रखने का जो फैसला तिब्बती धर्मगुरु ने लिया है उसका हम सभी पालन करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि दलाई लामा परंपरा जारी रहेगी और इसका पूरा समर्थन करते हैं और इसका सभी पालन करेंगे।भारत में तिब्बती लोग जहां भी रह रहे हैं वह शांतिपूर्ण तरीके से रह रहे हैं। उनका कार्यालय तिब्बती भाई बहनों के लिए हमेशा खुला है।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व के करोड़ों लोगों को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन की बधाई। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का अध्यात्मिक करुणा पर आधारित जीवन रहा है। कई दशकों से भगवान बुद्ध के संदेश को लेकर स्पष्टता के साथ लोगों को संदेश दिया है। नैतिकता के साथ दलाई लामा ने जीवन जिया है और संदेश पूरी दुनिया में गया है। अपने जीवन को कैसे महत्वपूर्ण बना सकते हैं। इसके लिए अभ्यास करना चाहिए।
दलाई लामा के 90 वें जन्मदिवस पर जिस तरह का उत्साह पूरी दुनिया में दिखा,उससे यह स्पष्ट हो गया है कि दलाई लामा की उम्र भले कितनी भी हो गई हो लेकिन उनका पूरी दुनिया में प्रभाव जस का तस स्थापित है।लगभग 7 दशक से भारत में तिब्बत की निर्वासित सरकार चला रहे दलाई लामा के जन्मदिवस के कार्यक्रम को दुनिया के सभी देशों के प्रमुख चैनल्स ने दिखाया और सबसे प्रमुख बात यह रही कि भारत, पूर्वी एशिया,पश्चिमी यूरोप से लगाए अमेरिका कनाडा तक सब के सब लोग चाहे वह इस पीढ़ी के क्यों न हों, वह दलाई लामा से न केवल परिचित दिखे बल्कि वह उनके व्यक्तित्व में जो एक अजीब सा आकर्षण है उससे प्रभावित भी दिखे।
इस अवसर को दलाई लामा ने भी भली प्रकार भुनाया और उन्होंने घोषणा कर दी कि उन्होंने 2014 में जो अगले दलाई लामा के विषय में खोज पर विचार करने को कहा था,उसके लिए उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई और तिब्बत, मंगोलिया,भारत समेत विभिन्न महत्वपूर्ण देशों के प्रमुख बौद्ध संस्थाओं और धर्मगुरुओं से सलाह लिया है, और यह तय किया है कि कई सदियों से चली आ रही इस परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा और अगला दलाई लामा निश्चित ही उत्पन्न होगा।उन्होंने अपने स्वास्थ्य के बारे में कहा कि वह जिस तरह की ऊर्जा महसूस कर रहे हैं उसके अनुसार वह 120-130 साल तक जी सकते हैं।स्पष्ट अर्थ यह है कि उनका स्वास्थ्य एकदम ठीक है और चीन में जो पंचेन लामा का अपहरण करके दलाई लामा की परंपरा को हथियाने की चाल चली थी,दलाई लामा उसे स्वीकार नहीं करने वाले। दलाई लामा ने यह भी अप्रत्यक्ष तौर पर स्पष्ट कर दिया है कि अगला दलाई लामा चीन में पैदा नहीं होगा।
यह बात चीन के लिए झटका देने वाली है। जब तक दलाई लामा परंपरा ज़िंदा है तब तक तिब्बत देश का सपना ज़िंदा है। तिब्बत देश के सपने का ज़िंदा रहना चीन को किसी तरह से भी स्वीकार्य नहीं है। पिछले लगभग सात दशक से भारत के धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार अपने सचिवालय के साथ उसी तरह से चल रही है जैसे तिब्बत के भीतर चलती थी। भारत सरकार आज भी तिब्बत को मान्यता देने के लिए “भारत तिब्बत सीमा बल” नाम से सुरक्षा बलों का दस्ता चलाता है। कहीं न कहीं भारत चीन के बीच यह एक बड़ी फ़ास है जिसका दुर्भाग्य से कोई उपाय नहीं है। जब तक भारत में अंग्रेज़ों की हुकूमत रही तब तक तिब्बत एक न्यूट्रल राज्य की तरह चलता रहा। लेकिन अंग्रेज़ों के वापसी के बाद से ही भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ने अपने विदेश नीति में जो पंचशील का सिद्धांत ग्रहण किया और चीन पर अंध विश्वास की नीति अपनाई, वह घातक साबित हुई। पंडित नेहरू ने पंचशील के सिद्धांत पर चीन जैसे बड़े देश के हस्ताक्षर के बदले उसके तिब्बत पर अधिकार को मान्यता दे दी, बदले में चीन ने आश्वासन दिया कि तिब्बत को न्यूट्रल स्टेट की तरह बने रहने देगा। भारत चीन के संबंधों पर 1960 के दशक में महत्वपूर्ण पुस्तक लिखने वाले जॉन रोलैंड ने अपनी पुस्तक में लिखा कि जब चीनी सत्ता अंग्रेज़ों से यह कहती थी कि वह तिब्बत की स्वतंत्रता बरकरार रखेंगे तो यह केवल उनकी नैतिकता ही नहीं थी, बल्कि उसके पीछे अंग्रेजों की शक्ति का ख़ौफ़ भी था, लेकिन जब यहीं वादा चीन ने नेहरू से किया तो यह एक थोथी बात भर थी, उस बात के पीछे उस बात को टिके रखने हेतु आधार नहीं था। ऐसे आधारहीन बात के साथ जो होना था वहीं हुआ। अंततः दलाई लामा को देश छोड़कर भागना पड़ा। तिब्बत जो सदियों तक भारत और चीन के बीच एक न्यूट्रल ग्राउंड बना हुआ था, वह समाप्त हो गया और फलस्वरूप भारत और चीन सामने सामने आ गए। सरदार पटेल गृह मंत्री रहते हुए पंडित नेहरू को समझाते रहे कि चीन से सावधान रहने की आवश्यकता है लेकिन तब नेहरू ने कहा कि हम किसी के दुश्मन ही नहीं हैं तो भला कोई हमसे दुश्मनी क्यों रखेगा? यह आपको बेहद मूर्खतापूर्ण बात लग सकती है लेकिन नेहरू जी के नीति का यह महत्वपूर्ण पहलू था। उनका मन था कि भारत से सेना को पूरी तरह से समाप्त किया जाये और थोड़ी बहुत सेरेमोनियल सेना रखी जाये। लेकिन भला हो तमाम अन्य नेताओ का और पाकिस्तान के आक्रमण का, जिसने नेहरू को मजबूर किए रखा कि सेना को समाप्त न किया जाये।
उस समय भारत और चीन के बीच इतना बड़ा अंतर नहीं था। स्वयं में गुण न होने के बावजूद भी देश का घाटा कराकर नेहरू अन्य देशों को जल्द से जल्द पंचशील के सिद्धान्तों से जोड़ना चाहते थे और उस जल्दबाज़ी में तिब्बत की बलि चढ़ गई।
अच्छी बात यह है कि दलाई लामा ने बहुत समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है और इस अवसर पर भारत सरकार के प्रमुख मंत्री, कई मुख्यमंत्री भी उपस्थित रहे, जो चीन के लिए स्पष्ट संदेश है कि यदि चीन किसी अन्य देश के माध्यम से भारत को परेशान करना चाहता है तो भारत के पास भी पत्ते हैं और वह उनको चलने से नहीं हिचकने वाला। भगवान बद्री वशालई दलाई लामा को लंबी आयु और स्वास्थ्य प्रदान करें।