इस पंचांग कैलेंडर में तो कभी से लिख दिया था,*4 जून हिन्दू साम्राज्य दिवस..!!!*🤔😊🎊
*बोलों जय श्री राम 🙏 🚩
*श्री हरिहरौ**विजयतेतराम*
*सुप्रभातम**आज का पञ्चाङ्ग*
*_सोमवार, ०३ जून २०२४_*
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सूर्योदय: 🌄 ०५:२८, सूर्यास्त: 🌅 ०७:१०
चन्द्रोदय: 🌝 २७:१० चन्द्रास्त: 🌜१६:००
अयन 🌘 उत्तरायणे(उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🎋 ग्रीष्म
शक सम्वत: 👉 १९४६ (क्रोधी)
विक्रम सम्वत:👉२०८१ (काल)
मास 👉 ज्येष्ठ, पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 द्वादशी (२४:१८ से
त्रयोदशी)
नक्षत्र 👉 अश्विनी (२४:०५
से भरणी)
योग 👉 सौभाग्य (०९:११
से शोभन)
प्रथम करण👉कौलव(१३:२९तक
द्वितीय करण 👉 तैतिल
(२४:१८ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृष
चंद्र 🌟 मेष
मंगल 🌟 मेष(उदित,पूर्व,मार्गी)
बुध 🌟 वृष (अस्त, पूर्व, वक्री)
गुरु 🌟 वृष(उदय,पूर्व,मार्गी)
शुक्र 🌟 वृष
(अस्त, पूर्व, मार्गी)
शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मीन
केतु 🌟 कन्या
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४७ से १२:४३
अमृत काल 👉 १७:२१ से १८:५१
विजय मुहूर्त 👉 १४:३५ से १५:३१
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:१३ से १९:३४
सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:१५ से २०:१५
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५५ से २४:३५
राहुकाल 👉 ०७:०० से ०८:४५
राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम
यमगण्ड 👉 १०:३० से १२:१५
होमाहुति 👉 केतु
दिशाशूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 पाताल (२४:१८ से पृथ्वी)
चन्द्रवास 👉 पूर्व
शिववास 👉 नन्दी पर (२४:१८ से भोजन में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – अमृत २ – काल
३ – शुभ ४ – रोग
५ – उद्वेग ६ – चर
७ – लाभ ८ – अमृत
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – चर २ – रोग
३ – काल ४ – लाभ
५ – उद्वेग ६ – शुभ
७ – अमृत ८ – चर
नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-उत्तर (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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अपरा एकादशी व्रत (वैष्णव-निम्बार्क), बुध पूर्व में अस्त २०:२७ पर, मधुसूदन द्वादशी, विधा एवं अक्षर आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०८:५९ से १०:४२ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २४:०५ तक जन्मे शिशुओ का नाम अश्विनी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (चू, चे, चो, ला) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम भरणी नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (ली) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृषभ – २८:१० से ०६:०५
मिथुन – ०६:०५ से ०८:२०
कर्क – ०८:२० से १०:४२
सिंह – १०:४२ से १३:००
कन्या – १३:०० से १५:१८
तुला – १५:१८ से १७:३९
वृश्चिक – १७:३९ से १९:५८
धनु – १९:५८ से २२:०२
मकर – २२:०२ से २३:४३
कुम्भ – २३:४३ से २५:०९+
मीन – २५:०९+ से २६:३२+
मेष – २६:३२+ से २८:०६+
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०५:१६ से ०६:०५
चोर पञ्चक – ०६:०५ से ०८:२०
शुभ मुहूर्त – ०८:२० से १०:४२
रोग पञ्चक – १०:४२ से १३:००
शुभ मुहूर्त – १३:०० से १५:१८
मृत्यु पञ्चक – १५:१८ से १७:३९
अग्नि पञ्चक – १७:३९ से १९:५८
शुभ मुहूर्त – १९:५८ से २२:०२
रज पञ्चक – २२:०२ से २३:४३
शुभ मुहूर्त – २३:४३ से २४:०५+
चोर पञ्चक – २४:०५+ से २४:१८+
शुभ मुहूर्त – २४:१८+ से २५:०९+
रोग पञ्चक – २५:०९+ से २६:३२+
चोर पञ्चक – २६:३२+ से २८:०६+
शुभ मुहूर्त – २८:०६+ से २९:१५+
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आपमे भावुकता अधिक रहेगी। दिन के आरंभ से मध्यान तक कि दिनचार्य व्यवस्थित रहेगी लाभ की आशाएं भी बनी रहेंगी लेकिन दोपहर बाद स्थिति एकदम उलट हो जाएगी सेहत में गिरावट आने से बनी बनाई योजना अधर में लटकेगी अथवा पूर्ण होने में विलम्ब होगा। वात-कफ संबंधित शिकायत बनेगी शरीर भी शिथिल होने के कारण कार्य मे मन नही लगेगा। कार्य व्यवसाय से आज मध्यान तक ही उम्मीद रहेगी इसके बाद का समय उदासीन रहेगा फिर भी खर्च निकल जाएंगे। परिवार का वातावरण उथल पुथल रहेगा फिर भी आपसी सामंजस्य बना रहेगा।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपकी आशाओ के विपरीत रहने से मन मे नकारात्मक भाव आएंगे लेकिन आध्यात्म से जुड़ने का लाभ भी किसी ना किसी रूप में अवश्य ही मिलेगा। दिन के आरम्भ से मध्यान तक दिनचार्य अव्यवस्थित रहेगी चाहकर भी अपनी योजनाओं को आगे नही बढ़ा सकेंगे धन संबंधित उलझने हर कार्य मे बाधा डालेगी फिर भी परिश्रम से पीछे ना हटे अन्यथा आपके हिस्से का लाभ कोई अन्य लेजा सकता है। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों का उद्दंड व्यवहार क्रोध दिलाएगा धर्य से काम लें वरना अकेले ही काम करना पड़ेगा। गृहस्थ का वातावरण मंगलमय रहेगा आपस मे थोड़ी बहुत टोका-टाकी होगी फिर भी एकता बनी रहेगी। थकान ज्यादा अनुभव होगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपके लिए अनुकूल परिस्थिति वाला रहेगा पूर्व में सोची योजनाए सिरे चढ़ने से आय के नए मार्ग विकसित होंगे लेकिन आज आप जो भी योजना बनाएंगे उसके शीघ्र फलित होने में संदेह रहेगा। काम-धंधा लगभग ठीक ही चलेगा लेकिन ज्यादा पाने की चाह के कारण कुछ ना कुछ अभाव अनुभव होगा। सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे दान-पुण्य भी करेंगे लेकिन इनके पीछे दिखावे की भावना भी रहेगी मान-सम्मान मिलने से अहम बढेगा। सहकर्मी अथवा परिजनों की मांग पूरी करने पर धन का व्यय होगा। स्वास्थ्य में कोई नया विकार आएगा सतर्क रहें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन सरकार संबंधित कार्य करने के लिये शुभ रहेगा अधिकारी वर्ग का नरम व्यवहार रहने से काम निकालना आसान होगा। दिन का आरंभिक भाग अवश्य ही व्यर्थ की भागदौड़ में बीतेगा लेकिन मध्यान बाद इसका सार्थक परिणाम मिलने से संतोष होगा। लोन अथवा अन्य धन संबंधित कार्य करने के लिए भी दिन उपयुक्त है। कार्य व्यवसाय में आज कोई नई समस्या आने से कुछ समय के लिये परेशानी होगी लेकिन इसका समाधान भी शीघ्र ही हो जाएगा। पारिवारिक वातावरण आज प्रसन्नचित ही रहेगा परन्तु भाई बंधु आपसे ईर्ष्या का भाव रख सकते है। मन का भेद किसी को ना दें। सेहत में कमी आएगी।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपके आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति के योग बन रहे है। आज परोपकार की भावना भी प्रबल रहेगी अपने कार्य छोड़ अन्य की सहायता करने में तत्पर रहेंगे लेकिन ध्यान रहे किसी से ज्यादा हमदर्दी भी पारिवारिक कलह का कारण बन सकती है। नौकरी वाले लोगो से जल्दबाजी में त्रुटि होने की संभावना है सतर्क रहें अन्यथा अधिकारी वर्ग की नाराजगी देखनी पड़ेगी। आर्थिक रूप से दिन परिश्रम साध्य रहेगा धन लाभ मेहनत के ऊपर निर्भर करेगा आलस्य से बचें। घर का वातावरण वैसे तो शांत रहेगा लेकिन बीच मे आपसी तालमेल की कमी के चलते उग्र हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन मध्यान बाद से आपको आशा के विपरीत फल मिलने लगेगा सेहत भी साथ नही देगी आवश्यक कार्य इससे पहले ही पूर्ण करने का प्रयास करें। व्यवसायी वर्ग एवं नौकरी वाले लोग नया कार्य आरम्भ कर सकते है लेकिन निवेश सोच समझ कर ही करें। सामाजिक क्षेत्र अथवा अन्य दिनचार्य में आज किसी भी प्रकार का जोखिम लेने से बचें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मेहनत करने के बाद भी धन की आमद अनिश्चित रहेगी घरेलू खर्च अधिक होने के कारण बजट बिगड़ेगा। मित्र परिचित मीठा बोलकर अपना हित साधेंगे भावुकता से बचें। परिजनों का सहयोग मिलता रहेगा।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन शुभ फलदायक रहेगा आज आप जल्दी से किसी ठोस निर्णय पर नही पहुच पाएंगे फिर भी पुराने संपर्क और पूर्व में किये गए परोपकार का बदला लाभ के रूप में अवश्य मिलेगा। मध्यान तक व्यवसाय के साथ घरेलू कार्यो को लेकर भागदौड़ लगी रहेगी इसका फल शीघ्र ना मिलने पर क्रोध आएगा चिंतित ना हों धन लाभ आज आवश्यकता अनुसार हो ही जायेगा। नौकरी वाले जातक अपने किये कार्य से संतृष्ट रहेंगे लेकिन अधिकारी वर्ग फिर भी कुछ ना कुछ नुक्स निकालेंगे। पारिवारिक वातावरण सामान्य रहेगा घर मे मांगलिक कार्य सम्पन्न होंगे धार्मिक क्षेत्र की यात्रा होगी।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन मध्यान तक बेचैनी वाला रहेगा। आप का संकल्प किसी ना किसी व्यवधान के कारण पूर्ण नही हो पायेगा फिर भी मेहनत करने में कसर नही रखें मध्यान तक शारीरिक और मानसिक परिश्रम अधिक करना पड़ेगा तभी संध्या के आस-पास स्थिति अनुकूल बनेगी ललापरवाहि करने पर भविष्य के लाभ से हाथ धो बैठेंगे। धन लाभ आज अवश्य होगा लेकिन असमय होने से उत्साहित नही करेगा। व्यवसायी वर्ग नई योजना की रूप रेखा बना कर रखें शीघ्र ही इसपर काम करना पड़ेगा। व्यावसायिक यात्रा आज स्थगित रखें आशाजनक नही रहेगी उल्टे खर्च करना पड़ेगा। स्वास्थ्य छोटे-मोटे विकारों को छोड़ सामान्य रहेगा।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन मिला-जुला फल देगा।मध्यान बाद स्वभाव में विवेक जागृत होगा। पूर्व में किये गए गलत आचरण की ग्लानि मन में रहेगी लेकिन चाहकर बिगड़े कार्य आज नही बना पाएंगे। घरेलू उलझने कार्य क्षेत्र पर भी परेशान करेंगी मानसिक बेचैनी खुलकर निर्णय नही लेने देंगी जिसके परिणाम स्वरूप आज केवल आशवासनो से ही काम चलाना पड़ेगा धन की आमद ना के बराबर रहेगी। मजबूरी में उधार लेने की भी सोचेंगे यथा संभव आज ना ही लें कल स्थिति आज की तुलना में बेहतर होगी। आज किसी के आगे बुद्धि प्रदर्शन ना करें। सेहत कुछ समय के लिए नरम रहेगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन भी स्थिति निराशाजनक रहेगी दिन के आरंभ से ही हानि के डर से किसी भी कार्य को करने से कतराएंगे लेकिन मध्यान बाद किसी अनुभवी अथवा वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन मिलने से आत्मविश्वास जागृत होगा परिस्थितियां भी अनुकूल बनने लगेंगी फिर भी आज के दिन कोई भी बड़ा निर्णय लेने से बचें जल्दबाजी भविष्य के लिये हानिकारक हो सकती है। पारिवारिक सदस्य आर्थिक अथवा अन्य व्यक्तिगत कारणों से विरोध प्रकट करेंगे।
धर्य का परिचय दें वाणी अथवा व्यवहार से किसी का दिल ना दुखे इसका ध्यान रखें अन्यथा बाद में ग्लानि होगी। धन लाभ आवश्यकता से कम होगा।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन पिछले दिनों की अपेक्षा सुधार वाला रहेगा। सेहत में सुधार आने से कार्य गंभीर होकर करेंगे लेकिन आज मेहनत का फल तुरंत पाने की इच्छा ना रखें अन्यथा निराश होना पड़ेगा मध्यान तक व्यवसायिक कार्य अव्यवस्थित रहेंगे इसके बाद किसी का सहयोग मिलने पर कार्यो में गति आएगी लाभ की संभावनाएं भी बनेगी लेकिन आशाजनक नही हो सकेगा। छोटी सफलता मिलने पर अहम की भावना अतिशीघ्र आएगी इससे बचें अन्यथा बड़े लाभ से वंचित रह जाएंगे। धन की आमद आज खर्च लायक ही होगी। परिजन का व्यवहार थोड़ा उटपटांग लगेगा फिर भी सहन करने में ही भलाई है।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन मध्यान तक लाभदायक रहेगा। इसके बाद का समय घरेलू अथवा व्यावसायिक उलझनों की भेंट चढेगा अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य मध्यान पूर्व ही कर लें इसके बाद सफलता संदिग्ध रहेगी। नौकरी वाले लोग आज अधिकारियों से विशेष सतर्क रहें आपकी छोटी सी लापरवाही बड़ा बवाल खड़ा कर सकती है। व्यवसायी वर्ग को आज धन लाभ की जितनी आशा रहेगी उसकी तुलना में हो नही पायेगा जिससे आगे के लिए बनाई योजनाए थोड़ी प्रभावित होंगी। घरेलू वातावरण में मध्यान तक हल्की फुल्की नोकझोंक लगी रहेगी इसके बाद किसी गलतफहमी के कारण कलह बढ़ने की संभावना है।
*𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫𖥫*दिनांक 03.06.2024 दिन सोमवार को आज ज्येष्ठ माह के कृष्णपक्ष की! उदयकाल की एकादशी भी है👇तत्पश्चात द्वादशी और रात्रि (२४:१८ से त्रयोदशी)है ऐसा विचित्र संयोग हजारों वर्ष में आता है।
“अपरा एकादशी”
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अपरा है। अपरा अर्थात अपार या अतिरिक्त, जो प्राणी एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें भगवान श्रीहरि विष्णु की अतिरिक्त भक्ति प्राप्त होती है। भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। एकादशी व्रत का संबंध केवल पाप मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति से नहीं है। एकादशी व्रत भौतिक सुख और धन देने वाली भी मानी जाती है। ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी ऐसी ही एकादशी है जिस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से अपार धन प्राप्त होता है। यही कारण है कि इस एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु व उनके पांचवें अवतार वामन ऋषि की पूजा की जाती है। अपरा एकादशी व्रत के प्रभाव से अपार खुशियों की प्राप्ति तथा पापों का नाश होता है।
महत्व
यह एकादशी अपार धन और पुण्यों को देने वाली तथा समस्त पापों का नाश करने वाली है। जो मनुष्य इसका व्रत करते हैं, उनकी लोक में प्रसिद्धि होती है।अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ब्रह्महत्या, प्रेत योनि, दूसरे की निन्दा आदि से उत्पन्न पापों का नाश हो जाता है, इतना ही नहीं, स्त्रीगमन, झूठी गवाही, असत्य भाषण, झूठा वेद पढ़ना, झूठा शास्त्र बनाना, ज्योतिष द्वारा किसी को भरमाना, झूठा वैद्य बनकर लोगो को ठगना आदि भयंकर पाप भी अपरा एकादशी के व्रत से नष्ट हो जाते हैं।
युद्धक्षेत्र से भागे हुए क्षत्रिय को नरक की प्राप्ति होती है, किन्तु अपरा एकादशी का व्रत करने से उसे भी स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है। गुरू से विद्या अर्जित करने के उपरान्त जो शिष्य गरु की निन्दा करते हैं तो वे अवश्य ही नरक में जाते हैं। अपरा एकादशी का व्रत करने से इनके लिये स्वर्ग जाना सम्भव हो जाता है। तीनों पुष्करों में स्नान करने से या कार्तिक माह में स्नान करने से अथवा गंगाजी के तट पर पितरों को पिण्डदान करने से जो फल प्राप्त होता है, वही फल अपरा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है।
बृहस्पति के दिन गोमती नदी में स्नान करने से, कुम्भ मेंश्रीकेदारनाथजी के दर्शन करने से तथा बदरिकाश्रम में रहने से तथा सूर्य ग्रहण एवं चन्द्र ग्रहण में कुरुक्षेत्र में स्नान करने से जो फल सिंह राशि वालों को प्राप्त होता है, वह फल अपरा एकादशी के व्रत के समान है। जो फल हाथी-घोड़े के दान से तथा यज्ञ में स्वर्णदान (सुवर्णदान) से प्राप्त होता है, वह फल अपरा एकादशी के व्रत के फल के बराबर है। गौ तथा भूमि या स्वर्ण के दान का फल भी इसके फल के समान होता है। पापरूपी वृक्षों को काटने के लिये यह व्रत कुल्हाड़ी के समान है तथा पापरूपी अन्धकार के लिये सूर्य के समान है। अतः मनुष्य को इस एकादशी का व्रत अवश्य ही करना चाहिये। ‘ यह व्रत सब व्रतों में उत्तम है। अपरा एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक भगवान श्रीविष्णु का पूजन करना चाहिये। जिससे अन्त में विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। ‘
अपरा एकादशी का एक अन्य अर्थ यह कि ऐसी ऐसी एकादशी है जिसका पुण्य अपार है। इस एकादशी का व्रत करने से, ऐसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है जिससे व्यक्ति को प्रेत योनी में जाना पड़ सकता है। पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को वर्तमान जीवन में चली आ रही आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है। अगले जन्म में व्यक्ति धनवान कुल में जन्म लेता है और अपार धन का उपभोग करता है। शास्त्रों में बताया गया है कि परनिंदा, झूठ, ठगी, छल ऐसे पाप हैं जिनके कारण व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है। इस एकादशी के व्रत से इन पापों के प्रभाव में कमी आती है और व्यक्ति नर्क की यातना भोगने से बच जाता है।
अपरा एकादशी की कथा
इसकी प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। ‘श्रीजी की चरण सेवा’ की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ के साथ जुड़े रहें तथा अपने मित्रों को भी आमंत्रित करें।
एक दिन अचानक धौम्य नामक ॠषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ॠषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया।
दयालु ॠषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया।
व्रत विधि
इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा करने का शास्त्रीय विधान है। जिसके लिए मनुष्य को तन और मन से स्वच्छ होना चाहिए। इस पुण्य व्रत की शुरूआत दशमी के दिन से खान-पान, आचार-विचार द्वारा करनी चाहिए। एकादशी के दिन साधक को नित क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु, कृष्ण तथा बलराम का धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि से पूजा करने का विशेष विधान है। पूरे दिन निर्जल उपवास करना चाहिए, यदि संभव ना हो तो पानी तथा एक समय फल आहार ले सकते हैं।
द्वादशी के दिन यानि पारण के दिन भगवान का पुनः पूजन कर कथा का पाठ करना चाहिए। कथा पढ़ने के बाद प्रसाद वितरण, ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। अंत में भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए। ‘
पुराणों में एकादशी के व्रत के विषय में कहा गया है कि व्यक्ति को दशमी के दिन शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए। एकादशी के दिन सुबह उठकर मन से सभी विकारों को निकाल दें और स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में तुलसी पत्ता, श्रीखंड चंदन, गंगाजल एवं मौसमी फलों का प्रसाद अर्पित करना चाहिए। व्रत रखने वाले को पूरे दिन परनिंदा, झूठ, छल-कपट से बचना चाहिए।
जो लोग किसी कारण व्रत नहीं रखते हैं उन्हें एकादशी के दिन चावल का प्रयोग भोजन में नहीं करना चाहिए। इन्हें भी झूठ और परनिंदा से बचना चाहिए। जो व्यक्ति एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करता है उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।
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“जय श्रीहरि”
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*बहुत सटीक व तार्किक विश्लेषण*
कभी-कभी विचार आता है कि
1500 ई. के बाद के ब्रिटिश कितने
साहसी और बुद्धिमान रहे होंगे, जिन्होंने
एक ठण्डे प्रदेश से निकलकर,
अनजान रास्ते और अनजान जगहों पर
जाकर लोगों को गुलाम बनाया.
अभी भी देखा जाए तो
ब्रिटेन की जनसंख्या और क्षेत्रफल
गुजरात के बराबर है, लेकिन उन्होंने
दशकों नहीं शताब्दियों तक
दुनिया को गुलाम बनाए रखा.
भारत की करोड़ों की जनसंख्या को
मात्र कुछ लाख या हजार लोगों ने
गुलाम बनाकर रखा, और केवल
गुलाम ही नहीं बनाया बल्कि
खूब हत्यायें और लूटपाट भी की.
उनको अपनी कौम पर
कितना गर्व होगा
कि मुठ्ठी भर लोग
दुनिया को नाच नचाते रहे.
भारत के एक जिले में शायद ही
50 से ज्यादा अंग्रेज रहे होंगे लेकिन
लाखों लोगों के बीच, अपनी धरती से
हजारों मील दूर आकर, अपने से
संख्या में कई गुना अधिक लोगों को
इस तरह गुलाम रखने के लिए
अद्भुत साहस रहा होगा.
अगर इतिहास देखते हैं तो
पता चलता है
कि उनके पास हम पर
अत्याचार करने के लिए लोग भी नहीं थे
तो उन्होंने हम में से ही कुछ लोगों को
भर्ती किया था,
हम पर अत्याचार करने के लिए,
हमें लूटने के लिए.
🤔
सोचकर ही अजीब लगता है कि
हम लोग अंग्रेजों के सैनिक बन कर,
अपने ही लोगों पर अत्याचार करते थे.
चंद्रशेखर, बिस्मिल जैसे मात्र कुछ
गिनती के लोग थे, जिन्हें
हमारा ही समाज
हेय दृष्टि से देखता था.
आज वही नपुंसक समाज
उन चंद लोगों के नाम के पीछे
अपना कायरतापूर्ण इतिहास छुपाकर
झूठा दम्भ भरता है.
★
*अरब के रेगिस्तान से कुछ भूखे*
*जाहिल, आततायी लोग आए,*
*और उन्होंने भी हमको लूटा, मारा,*
*बलात्कार किया. और हम*
*वहाँ भी नाकाम रहे.*
उन्होंने हमारे मन्दिर तोड़े,
हमारी स्त्रियों से बलात्कार किये, लेकिन
हमने क्या किया ?
वो दिन में विवाह में लूटपाट करते हैं,
◆ तो रात को चुपचाप विवाह करने लगे,
जवान लड़कियों को उठा ले जाते हैं,
◆ तो बचपन में ही शादी करने लगे और
अगर उसमें ही असुरक्षा हो, तो
◆ बेटी पैदा होते ही मारते रहे.
बुरा लगता तो ठीक है, लेकिन
★ यही हमारी सच्चाई है. ★
*हमने 1000 सालों की दुर्दशा से*
*कुछ नहीं सीखा.*
आज एक जनसँख्या
उन्हीं अरबी अत्याचारियों को
अपना पूर्वज मानने लगी है.
कुछ उन ईसाइयों को
अपना पूर्वज मानने लगी है,
यानि हम स्वाभिमानहीन लोग हैं,
स्वतंत्रता मिलने पर भी
हम मानसिक गुलाम ही रहे.
दूसरी तरफ हमारी व्यवस्थाएं भी
सड़ी हुई हैं , जिन्होंने इन सभी
नाकामियों का कभी
मंथन ही नहीं किया.
हमारे ऊपर जब आक्रमण हो रहे थे
और हम जब एक युद्धकाल से
गुजर रहे थे,
हमारी बहुसंख्यक जनसँख्या
इस मानसिकता में थी कि
*”कोउ नृप हो हमें का हानि”*
अर्थात् उनको युद्ध से,
राज्य से, राजा से
कोई मतलब नहीं था.
ये सब बस क्षत्रिय के काम थे.
उनको करना है तो करें,
नहीं करना तो नहीं करें.
यही कारण था कि मुस्लिम आक्रमण से
राजस्थान क्षेत्र छोड़कर समस्त भारत
धराशाही हो गया था, क्योंकि
राजस्थान में क्षत्रिय जनसँख्या
अधिक थी तो संघर्ष करने में सफल रहे.
ऐसे ही कुछ क्षेत्र और थे
जो इसमें सफल हुए.
आज इजरायल बुरी तरह शत्रुओं से
घिरा हुआ है लेकिन सुरक्षित है ,
क्योंकि .. वहाँ के प्रत्येक व्यक्ति की
देश और धर्म की सुरक्षा की जिम्मेदारी है
लेकिन हमने ये कार्य केवल
क्षत्रियों पर छोड़ दिया था, जबकि
फ़ौज में भी युद्ध के समय
माली, नाई, पेंटर, रसोइया आदि
सभी लड़ाका बनकर तैयार रहते हैं.
लेकिन हमने युद्धकाल में भी
परिस्थितियों को नहीं समझा और
अपनी योजनायें नहीं बनाई
अपनी व्यवस्थाएँ नहीं बदली.
जरा विचार करके देखिए कि
मुस्लिमों एवं अंग्रेजों से जिस तरह
क्षत्रिय लड़े, अगर पूरा हिन्दू समाज
क्षत्रिय बनकर, लड़ा होता तो क्या
हम कभी गुलाम हो सकते थे ?
❓
सामान्य परिस्थिति में
समाज को चलाने के लिए
उसको वर्गीकृत किया ही जाता है ,
लेकिन
विपत्तिकाल में नीतियों में परिवर्तन भी
किया जाता है, लेकिन हम इसमें
पूरी तरह नाकाम लोग हैं. इसलिए
1000 सालों से दुर्भाग्य
हमारे पीछे पड़ा है.
अटल जी एक भाषण में कहते हैं कि
एक युद्ध जीतने के बाद जब
1000 अंग्रेजी सैनिकों ने
विजय-जुलूस निकाला था, तो
सड़क के दोनों तरफ 20000 लोग
देखने आए थे.
अगर ये 20000 लोग
पत्थर-डण्डे से भी मारते, तो
1000 सैनिकों को भागते भी नहीं बनता,
लेकिन ये 20 हजार लोग
केवल युद्व के मूक दर्शक थे.
*आज भी कुछ खास नहींं बदला है*.
*मुगलों और अंग्रेजों का स्थान*
*एक खास जयचंद मीरजाफर dynasty नेहरू गांधी वाड्रा ने ले लिया और*
*वामपंथियों/सेकुलरों के रूप में*
*खतरनाक गद्दारों की फौज भी*
*पैदा हो गई*
लेकिन सबसे बड़ी विडंबना
यह है कि हम आज भी बंटे हुए हैं.
*100 करोड़ होकर भी*
*मूक दर्शक बने हुए हैं*
*भले ही कुछ लोग*
*कुछ जागृति पैदा करने में*
*सफल हुए हों*
पर बिना संपूर्ण जागृति
इस देश के दुर्भाग्य का
अंत नहींं होगा
सही है कि हम …
इतिहास से सीखने वाले नहीं हैं,
चाहे खुद इतिहास बनकर रह जाएं.
*इस संदेश को कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे*
*कुछ लोग नही भेजेंगे लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंगे*
🙏🙏🙏*विचारणीय लेख* ✍️