युग परिवर्तित हो चुका है सेठ आदमी गुड़ के साथ घड़े का पानी पीता है और ताजा बना भोजन करता है आम आदमी फ्रीज का सड़ा जंग फूड खाता है, इंग्लिश अब स्टगलरों तक सिमट गयी है ऊंचे घराने संस्कृत संस्कृति और संस्कार अपना रहे हैं।

आजकल गरीब गुरबा फ्रिज का पानी पीता है और अमीर आदमी घड़े का पानी पीता है।
*अमीर आदमी गुड खाता है और गरीब आदमी चीनी खाता है।
*कोका कोला पेप्सी पीना आजकल अनपढ़ता की निशानी समझा जाता है और लस्सी पीने वाले को मॉडर्न समझा जाने लगा है।
*जिसके पास मोबाइल नहीं उसको हाई स्टेटस का समझा जाता है।
*इंग्लिश अब स्टगलरों तक सिकुड़ गयी है यानी गरीबों की भाषा हो गई है संस्कृत अब पढ़े लिखो की भाषा समझी जाती है। जिसको संस्कृत आती है उसकी समाज में बड़ी प्रतिष्ठा हो गई है।
*जो वेदों का एकाध श्लोक भी जानता है उसको लोग बड़ा ज्ञानी समझते हैं।
* एलोपैथी की दवाई आजकल गरीब गुरबा लेता है आयुर्वेदिक औषधि लेना आजकल पढ़ा-लिखा होने की निशानी समझी जाती है।
*शुद्ध हिंदी जिसमें कोई आंग्ल उर्दू का शब्द ना हो उसको सुनकर लोग वाह-वाह करते हैं।

युग परिवर्तित हो चुका है सेठ आदमी गुड़ के साथ घड़े का पानी पीता है और ताजा बना भोजन करता है, गरीब आदमी फ्रीज में रखा जंग फूड मांस अंडे खाता है, इंग्लिश अब गरीबों की भाषा हो गयी ऊंचे घराने संस्कृत संस्कृति और संस्कार अपना रहे हैं।  अंबानी परिवार का विवाह संस्कार समूचे संसार में चर्चा का विषय बना हुआ है। एशिया के सबसे बड़े धनी व्यक्ति ने विदेश की बजाय अपने गांव बडोदरा में विवाह संस्कार संपन्न किया पूरे विवाह समारोह में दो लाख लोगों की भागीदारी रही संस्कृत संस्कृति संस्कार और संतो की परम्परा देखने को मिली। कुछ विदेशी मंहगे कलाकारों और मुम्बई फिल्मों के लोगों को उनकी स्थिति का भान कराया गया जो भारतीय संस्कृति के आगे फीके पड़ गये। इसी कारण लोग ऐसे संस्कार से विवाह करने के लिए ईवेटआ मैनेजरों व योजकों से संपर्क कर रहे हैं।

यही नहीं अब बालीवुड की हिन्दू धर्म संस्कृति विरोधी ऐजेन्डा फिल्में धड़मभा हो रही है। दक्षिण की संस्कृति पर आधारित चलचित्र करोड़ों कमा रहे हैं। अंग्रेज सतर वर्ष पहले भारत छोड़ चुके हैं अंग्रेजों के काले उत्तराधिकारी अंतिम घड़यां गिन रहे हैं। भारतीय अब उनके देश में प्रधानमंत्री बन कर उन्हें संस्कृति सिखा रहे हैं। भारतीय संस्कृति का स्वर्णिम युग लौट रहा है। आज की बड़ी आवश्यकता भी है। इस के लिए एक लिंक दे रहे हैं। जिस कारण भारतीय ज्ञान पद्धति का डंका बज रहा है। 

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अब लोग समझ रहे हैं कि हमारे त्योहार स्वदेशी है तो मीठा भी स्वदेशी ही होना चाहिये न की विदेशी।

7गुलाब हलवा पाली का

मारवाड़ जंक्शन कि काली मैना

बूंदी

खीर

बर्फी

घेवर

चूरमा

रबड़ी

रेबड़ी

फीणी

जलेबी

आम रस

कलाकंद

रसगुल्ला

रसमलाई

नानखटाई

मावा बर्फी

पूरण पोली

मगज पाक

मोहन भोग

मोहन थाल

खजूर पाक

मीठी लस्सी

गोल पापड़ी

बेसन लड्डू

शक्कर पारा

मक्खन बड़ा

काजू कतली

सोहन हलवा

दूध का शर्बत

गुलाब जामुन

गोंद के लडडू

नारियल बर्फी

तिलगुड़ लडडू

आगरा का पेठा

गाजर का हलवा

50 तरह के पेडे

50 तरह की गज़क

20 तरह का हलवा

20 तरह के श्रीखंड

इससे भी अधिक मिठाई बनाने वाले देश में

‘कुछ मीठा हो जाये’ —के नाम पर केवल “चाॅकलेट”…

विचारणीय … ध्यान में रहे  

याद रहे हम भाईयो को अपनी रीति रिवाज वाली मिठाईयां ही खिलाना 

ये अंग्रेजो वाली चॉकलेट नहीं 🙏🙏🙏

जय श्री राम 🙏😇