विधायक स्व० घनश्याम डिमरी वारमेमोरियल स्कूल के लिए अपने पुत्र को लखनऊ से वापस लाये
गैरसैण में जहाँ उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी है, इसी क्षेत्र का 60 वर्ष पूर्व (1957-1962) तक उत्तर प्रदेश विधानसभा में एडवोकेट स्व० घनश्याम डिमरी ने प्रतिनिधित्व किया था. उनके सरल ह्रदय एवं न्यायप्रियता के कारण अपर गढ़वाल में उन्हें धर्मराज के नाम से जाना जाता है। तब पौड़ी चमोली और रुद्रप्रयाग एक ही जिला हुआ करता था। कहा जाता है कि उतर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत उन्हें अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने मंत्री पद लेने से मना कर दिया और अपनी जगह भक्तदर्शन जी का नाम आगे कर दिया।
घटना सन 1958 की है तब उनके नेतृत्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व० संपूर्णानन्द को वार मेमोरियल हायर सेकेन्डरी स्कूल कर्णप्रयाग के उच्चीकरण के लिए लखनऊ में शिष्टमंडल मिला। उसी वर्ष उच्चीकरण हुआ। उच्चीकरण से पूर्व विधायक जी ने अपने पुत्र जगदीशप्रसाद डिमरी का लखनऊ के नेशनल इन्टर कॉलेज नरही में 11 कक्षा में प्रवेश करा दिया था।
वार मेमोरियल रा० इं० का० के उद्घाटन के अवसर पर धर्मराज विधायक जी के सम्मुख लोगों ने कहना शुरू किया कि विधायक जी ने क्या यह विद्यालय मात्र गरीबों के लिए खोला है, विधायकों और बड़े लोगों के बच्चे लखनऊ में पढेंगे. विधायक जी ने तत्काल अपने बेटे का लखनऊ से नाम कटा कर कर्णप्रयाग स्कूल में नाम दर्ज कराया.यह घटना भगवान राम द्वारा धोबी के कहने पर सीता जी को त्यागने को याद दिलाती है.
भरारीसैण विधानसभा में प्रदेश के भाग्य निर्माताओं को तथा ग्रामसभा से लोकसभा तक प्रतिनिधित्व करने वाले रहनुमाओं को इस घटना से सद्बुद्धि व मार्गदर्शन अवश्य मिलेगा.
#warmemorialgickpg (आलेख – एडवोकेट हरीश पुजारी की फेसबुक वाल)
