राजनीति में जब किसी का अंत आता है तो वो यही सब करता है जो अब स्टालिन कर रहा है, स्टालिन को अपनी कर्ज में नहा रही सरकार चलाने का जुगाड़ देखना चाहिए ना कि हिन्दी विरोध में अपनी उर्जा नष्ट करनी चाहिए

एमके स्टालिन ने अब जाकर कुछ अच्छा काम किया है, ये वो ही गलती है जो कभी उद्धव ठाकरे ने की थी तो कभी अरविन्द

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