रिपोर्ट – सुशील बहुगुणा
अब ये तस्वीरें तो झूठ नहीं बोल रहीं. श्रीनगर, गढ़वाल के माथे पर एक टाइम बम से खड़े इस प्रोजेक्ट की कलई खुलने लगी है. डैम की नहर में कितनी ही जगहों पर दरार आ गई है. इसी में आगे डिसिल्टेशन टैंक की 100 मीटर दीवार ढह गई है. नहर के आसपास कई घरों में पानी भर गया और ज़मीन धंसने और ज़मीन कटने जैसी घटनाएं होने लगी. पानी की धार लगातार कमज़ोर ज़मीन को जहां तहां काट रही है. ये तो तब है जब इस नहर में पानी को बड़े ही आराम से छोड़ा जा रहा था. पीछे से उछलती कूदती आ रही अलकनंदा को सुरंग के मुहाने पर ही शांत कर दिया गया है और नीचे धरती के गर्भ में ईश्वर की कृपा से फिलहाल कोई बड़ी हलचल नहीं हुई. तब भी बांध के इतने अहम हिस्से का ऐसे दरकना ये दिखाता है कि इसे बनाने में ईमानदारी नहीं बरती गई है. चौरास के पुल की तरह घोटालेबाज़ों ने यहां भी अपना खेल कर दिया है. जिस प्रोजेक्ट की इंजीनियरिंग पर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं वहां जो भी बनेगा इतना कच्चा बनेगा ये डराने वाला है. इतना होने पर भी हैरानी है कि चंद लोगों को छोड़ दें तो हर ओर खामोशी है. ये खामोशी ख़तरनाक है. ख़तरनाक है ये खामोशी. बोलिए इससे पहले कि कुदरत फिर बोल जाए। इस डैम प्रोजेक्ट के टूटने का मतलब श्रीनगर, देवप्रयाग, ऋषिकेश, रुड़की और दिल्ली तक के सफाये का खतरा। The breakdown of this dam project means the danger of the elimination of Srinagar, Devprayag, Rishikesh, Roorkee and Delhi.