क्या निरस्त होगी ओवैसी की लोकसभा सदस्यता? जो लड़ रहे मथुरा-काशी की लड़ाई उन्होंने ‘जय फिलिस्तीन’ पर राष्ट्रपति से की शिकायत, जानिए क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 102 और 103
अनुच्छेद 102 के भाग ‘घ’ में लिखा है कि ऐसे संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो दूसरे राष्ट्र के प्रति श्रृद्धा रखता हो।
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिकायत की गई है। वकील हरि शंकर जैन ने दूसरे राष्ट्र के प्रति आस्था दिखाने के कारण उनकी संसद की सदस्यता रद्द करने की माँग की है। ओवैसी ने लोकसभा में शपथ लेने के बाद जय फिलिस्तीन के नारे लगाए थे, इसे बाद में कार्रवाई के रिकॉर्ड से बाहर कर दिया गया था ।
अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ इस मामले में राष्ट्रपति से संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत शिकायत की है। उनके बेटे विष्णु शंकर जैन ने यह जानकारी एक्स (ट्विटर) के जरिए दी है। उन्होंने बताया है कि हरि शंकर जैन ने ओवैसी की सदस्यता संसद सदस्य के रूप में खत्म करने की माँग की है। ऐसी ही एक शिकायत एक और वकील विभोर आनंद ने भी लोकसभा सचिवालय से की है।
क्या कहता है अनुच्छेद 102 और 103
संविधान के अनुच्छेद 102 में वह स्थितियाँ बताई गई हैं, जिनके अंतर्गत किसी संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। अनुच्छेद 102 के भाग ‘घ’ में लिखा है कि ऐसे संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी दूसरे राष्ट्र की नागरिकता ले ली है। इसके अलावा उसे इस आधार पर भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि वह दूसरे राष्ट्र के प्रति श्रृद्धा रखता है।
वहीं संविधान का अनुच्छेद 103, अनुच्छेद 102 के तहत किसी संसद सदस्य को अयोग्य ठहराए जाने को लेकर फैसला सम्बन्धी शक्तियाँ देश के राष्ट्रपति को देता है। इसमें कहा गया है कि यदि अनुच्छेद 102 के तहत अयोग्यता का मामला उठता है इस मामले में इसे राष्ट्रपति को भेजा जाना चाहिए और उसका ही निर्णय अंतिम होगा। इसी अनुच्छेद में कहा गया है कि अयोग्य घोषित करने के लिए राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सलाह लेगा और उसी के अनुसार निर्णय लेगा।
असद्द्दीन ओवैसी के शपथ के बाद जय फिलिस्तीन का नारा लगाने के मामले में संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, “हमारी फिलिस्तीन या अन्य किसी राष्ट्र के साथ कोई दुश्मनी नहीं है। संसद सदस्यों का शपथ लेने के बाद दूसरे देश के समर्थन में नारे लगाना सही है या नहीं, हमें इसके लिए नियमों को देखना होगा।” विरोध के बाद के ओवैसी के जय फिलिस्तीन बोलने को लोकसभा की कार्रवाई के रिकॉर्ड से निकाल दिया गया है।
भाजपा के समर्थक अधिवक्ताओं को भी ? ओवैसी की संसद सदस्यता रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट नहीं है जाना चाहिए 😲
संविधान का अनुच्छेद 102 का सेक्शन 1(D) कहता है कि अगर कोई सांसद किसी विदेशी राष्ट्र के प्रति निष्ठा जताता है तो उसकी सदस्यता रद्द होगी.
ओवैसी ने संसद में जय फिलिस्तीन कहा है. इस भाजपा नेताओं की चुप्पी और भाजपा वकीलों की अकर्मण्यता की क्षति देश पर भारी पड़ेगी। वे अपने दंगाई कबाड़ी के लिए भी सुप्रीम कोर्ट पंहुच जाते हैं तो हम देश के लिए क्यों नहीं?