एक सत्यनिष्ठ जिलाधिकारी डॉ0 संदीप तिवारी के कानून सम्मत निर्णयों से चमोली जनपद में मनमानी करने वाली शराब लाबी में हड़कंप है, चमोली में डीएम ने जब से लापरवाह अधिकारियों के नट बोल्ड कसने शुरू किए हैं तब से कई अधिकारी बिलबिला भी रहे हैं। ऐसे ही एक आबकारी विभाग के एक अधिकारी हैं … नाम है… दुर्गेश्वर कुमार त्रिपाठी !!! जो रुल रेगुलेशन को अपने ठेंगे पर रखकर नौकरी करते आ रहे थे लेकिन उन्हें शायद पता भी नहीं होगा जिले में लापरवाही की बीमारी से ग्रसित अधिकारियों के इलाज के लिए आजकल डॉक्टर संदीप तिवाड़ी ने अभियान छेड़ा हुआ है।
राजस्व उपनिरीक्षक चंद्र सिंह बुटोला द्वारा थाने में दी गई प्राथमिकी के अनुसार दुर्गेश्वर कुमार त्रिपाठी (जिला आबकारी अधिकारी चमोली) गोपेश्वर निवासी राजकीय आवास कुण्ड कॉलोनी गोपेश्वर आयु 55 वर्ष मो0नं0 9412117109 जो दिनांक 31.03.2025 को समय लगभग प्रातः 10-00 बजे से लगातार सम्पर्क से बाहर है। इनके सम्वन्ध में जांच पड़ताल करने पर पाया कि दुर्गेश्वर कुमार त्रिपाठी अपने निवास स्थान कुण्ड एवं जिला आवकारी अधिकारी कार्यालय से भी नहीं है। दुर्गेश्वर कुमार त्रिपाठी की खोजबीन भी की गयी, किन्तु अभी तक इनके सम्बन्ध में कोई भी लाभप्रद जानकारी प्राप्त नहीं हो पायी है।अतएव महोदय से निवेदन है कि दुर्गेश्वर कुमार त्रिपाठी (जिला आबकारी अधिकारी चमोली) गोपेश्वर की गुमशुदगी दर्ज करते हुए उनकी ढूंढखोज करने की कृपा करें।
बता दें कि बीतें दिनों चमोली में डीएम के निरक्षण के दौरान ज़िला आबकारी अधिकारी दुर्गेश्वर कुमार त्रिपाठी अपने दफ्तर से नदारद मिले थे,जिसके बाद डीएम ने कार्यवाही करते हुए आबकारी अधिकारी की एक दिन की सर्विस ब्रेक करने के साथ एक दिन का वेतन रोक दिया था। जिसके बाद से ज़िला आबकारी अधिकारी दफ्तर नहीं पहुँच पा रहे थे। अब ज़िला प्रशासन ने ज़िला आबकारी अधिकारी की खोजबीन जारी है।
इसी कारण जिलाधिकारी उनके निशाने पर आ सकते हैं,
इसलिए जनपद के लोगों ने उत्तराखंड सरकार से अनुरोध है कि ऐसे सत्यनिष्ठ जिलाधिकारी को जनहित में चमोली जिले में अपने पूरे टेन्योर बनाये रखनें और शराब लाबी की मनमानी पर अंकुश लगाने में जनपद वासी उन्हें सहयोग कर रहे हैं ।
भले ही आबकारी अधिकारी बिना पूर्व सूचना के चमोली जिले से नदारद हों लेकिन शाशन के एक पत्र ने प्रकरण में नया मोड़ ले लिया है जिसमें सचिव जानकारी दे रहे हैं कि ड्यूटी से नदारद आबकारी अधिकारी अवकाश पर हैं। लेकिन प्रश्न वहीं आकर अटक गया है कि जिले में तैनात किसी अधिकारी की छुट्टी कौन मंजूर करता है? DM या सचिव ? क्या जिलों की प्रशासन व्यवस्था भी अब सचिव ही संभालेंगे! आखिर एक आबकारी अधिकारी पर इतनी मेहरबानी किस कारण से और किस उद्देश्य से हो रही है! लेकिन नहीं साहब जिसकी चलती उसकी क्या गलती